कानूनी प्रक्रिया में वारंट का क्या मतलब होता है?

|| कानूनी प्रक्रिया मे वारंट का क्या मतलब होता है? | वारंट (warrant) जारी करने की क्या प्रक्रिया है? | कानून द्वारा गिरफ्तारी में वारंट का क्या महत्व है? | वारंट (warrant) किस प्रकार के अपराध में जारी किया जाता है? ||

कानूनी कार्रवाई में उपयोग होने वाला एक अभिलेख जिसे वारंट (warrant) कहते हैं। जो की कानूनी कार्रवाई में किसी भी गंभीर अपराध होने की स्थिति में या फिर संदेह होने पर कुछ अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए अदालत द्वारा एक गिरफ्तारी पत्र जारी किया जाता है जिसे वारंट (warrant) कहते हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि यदि अपराध ज्यादा जगन्य है तो ऐसे में अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए स्वीकृति प्रदान करता है।

जो कि न्यायालय (court) द्वारा प्रदान किया जाता है। तो चलिए आज के इस आर्टिकल में इस वारंट से संबंधित कुछ चीजों के बारे में जानते हैं जैसे- वारंट (warrant) क्या होता है? तथा इसे जारी करने की क्या प्रक्रिया है? और वारंट का क्या महत्व है? इन्हीं सारे सवालों के जवाब हम आज के इस आर्टिकल में ढूंढेंगे! 

कानूनी प्रक्रिया मे वारंट (warrant) का क्या मतलब होता है? 

वारंट एक कानूनी दस्तावेज होता है यह दस्तावेज तब उपयोग किया जाता है जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करना हो और उस व्यक्ति पर कोई गंभीर अपराध की आशा हो, तो पुलिस ऐसे में अभियुक्त को गिरफ्तार करने के लिए अदालत से स्वीकृति मांगती है अतः इस स्वीकृति के संबंध में जो कानूनी दस्तावेज उपयोग होता है उसे हम वारंट (warrant) कहते हैं।

कानूनी प्रक्रिया में वारंट का क्या मतलब होता है

यह वारंट उन केसेस (cases) में उपयोग होता है जब व्यक्ति पर कोई गंभीर अपराध में शामिल होने का आशय हो, तो ऐसे में अभियुक्त अपने खिलाफ सबूतों को मिटा ना सके तथा वह अपने बचाव के लिए किसी भी प्रकार का किसी अपोजिशन वाले व्यक्ति को नुकसान न पहुंच सके, इन सबको रोकने के लिए पुलिस को उस व्यक्ति की गिरफ्तारी आवश्यक हो जाती है तो ऐसे में वह अदालत से उस व्यक्ति के खिलाफ एक वारंट जारी करती है।

जिसके माध्यम से पुलिस अभियुक्त को गिरफ्तार कर लेती है ऐसे केस में अभियुक्त एक विशिष्ट व्यक्ति हो सकता है जो समाज में अपनी अच्छी पहचान बनाए हुए होता है। कभी-कभी अपराधी पर भगाने का शक होने पर पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए इस वारंट का उपयोग करती है।

साधारण शब्दों में कहें तो वारंट एक ऐसा दस्तावेज होता है जो पुलिसकर्मी को इजाजत देता है किसी भी अभियुक्त पर शक होने के केस में उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सके। यह वारंट अदालत के माध्यम से जारी किया जाता है जिसमें पुलिसकर्मी अदालत से स्वीकृति मांगते हैं। 

वारंट (warrant) किस प्रकार के अपराध में जारी किया जाता है? 

गंभीर अपराध :-

गंभीर अपराध से तात्पर्य है कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा कोई जगन अपराध किया है जैसे डकैती, हत्त्या, अपहरण आदि जैसे कृत! यदि कैसी व्यक्ति द्वारा किए गए हैं तो यह एक गंभीर अपराध होता है और ऐसे अपराध में वारंट जारी किया जाता है जो कि कानून अपराधी को गिरफ्तारी करने की सहमति देता है। 

गिरफ्तारी वारंट :-

यह वारंट तब जारी किया जाता है जब किसी व्यक्ति पर कोई गंभीर अपराध का आरोप लगा हो, तो ऐसे में अदालत द्वारा एक वारंट जारी कराया जाता है जो कि यह सुनिश्चित करता है कि अभियुक्त को कानून की हिरासत में रखा जाए तथा उसके सभी अधिकारों को ध्यान में रखा जाए। 

न्यायिक जांच :-

सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जाता है कि जिस व्यक्ति पर अपराध का आरोप है क्या बात अपराध इतना सगन है कि उसमें किसी भी प्रकार के वारंट को जारी करना आवश्यक है या नहीं! यदि है तो ऐसे में न्यायिक जांच के लिए अदालत एक वारंट जारी करती है जो की अपराधिक न्यायिक जांच में पूरी सहायता करता है। 

वारंट (warrant) जारी करने की क्या प्रक्रिया है? 

• अभियुक्त के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करना :-

जिस व्यक्ति के साथ अपराध हुआ है वह सर्वप्रथम पुलिस में एफआईआर (FIR) दर्ज करता है जिनको प्लस करने पूरी जानकारी लेने के पश्चात एक एफआईआर (FIR) दर्ज करते हैं। 

• न्यायिक जांच :-

इसमें कानूनी कर्मचारी अपराध से संबंधित सबूत इकट्ठे करते हैं तथा गवाहों को भी और यह गवाह घटना के बारे में पूरी जानकारी देते हैं और घटना से संबंधित सारे जानकारी एकत्रित करने के पश्चात एक चार्ज शीट दाखिल की जाती है।

• आरोप पत्र या फिर चार्ज शीट :-

जब अपराध से संबंधित सारी जानकारी इकट्ठी कर ली जाती है तब पुलिस इन सारे सबूतों तथा गवाहों के बयान को अदालत मे दाखिल करती है और इन सबूतो को मध्य नजर रखते हुए वह अपराध का विवरण अदालत में प्रस्तुत करती है। 

अदालती कार्रवाई प्राप्त किए गए सबूत तथा गवाह को अदालत में प्रस्तुत किया जाता है और इन के आधार पर अपराध अस्वस्थ करती है और लगाए गए आरोपों के अनुसार तथा मामले की गंभीरता को समझते हुए वह एक वारंट जारी करती है। 

अपराधी की गिरफ्तारी वारंट जारी होने के पश्चात पुलिसकर्मी द्वारा कि जाती है और साथ ही साथ यह भी ध्यान रखा जाता है कि कानून द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन न किया गया हो। 

कानून द्वारा गिरफ्तारी में वारंट का क्या महत्व है? 

अधिकारों की सुरक्षा :-

इस प्रकार के वारंट (warrant) जारी करने में अभियुक्त की अधिकारों को सुरक्षित रखना सुनिश्चित किया जाता है क्योंकि किसी भी प्रकार के इल्जाम जो की अभिव्यक्त पर लगाए गए हैं उनको अदालत के द्वारा सुनिश्चित किया जाता है तो ऐसे में यह वारंट मनचाही गिरफ्तारी पर रोक लगाता है तथा व्यक्ति के अधिकारों को महत्व देता है। 

न्यायिक निरीक्षण :-

यह कानूनी वारंट जो की अदालत द्वारा जारी किया जाता है यह अपराधी के द्वारा किए गए कृत से संबंधित सबूत को मिटाने से रोकता है क्योंकि इस प्रकार से वारंट के द्वारा अगर अपराधी की गिरफ्तारी हो जाती है तो ऐसे में वह संबंधित सबूत को नहीं मिटा सकता है तो इस प्रकार गिरफ्तारी में वारंट न्यायिक प्रक्रिया के निरीक्षण में बहुत सहायता करता है।

निर्वर्ती या छुटकारा :-

किसी भी प्रकार के वारंट (warrant) कानून द्वारा बनाए गए नियमों की रक्षा करने में बहुत मदद करता है क्योंकि यह किसी भी अपराधी को के निरीक्षण में बहुत मदद करता है तथा जो प्रार्थी होता है उसको भी न्याय दिलाने में सहायता करता है। 

निष्कर्ष (Nishkarsh)

आज के इस आर्टिकल में हमने कानूनी प्रक्रिया में उपयोग होने वाले दस्तावेज वारंट के बारे में बातचीत की। जिसमें हमने बताया की वारंट क्या होता है? तथा वारंट किन प्रकार के अपराधिक कार्रवाई में इस्तेमाल होता है? तथा वारंट से संबंधित कई अन्य तथ्यों के बारे में हमने जानकारी शेयर की। आशा करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी और यदि यह जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें। 

Mukesh Chandra

मुकेश चंद्रा ने बीटेक आईटी से 2020 में इंजीनियरिंग की है। वह पिछले 5 साल से सामाजिक.इन पर मुख्य एडिटर के रूप में कार्यरत हैं, उन्हें लेखन के क्षेत्र में 5 वर्षों का अनुभव है। अपने अनुभव के अनुसार वह सामाजिक.इन पर प्रकाशित किये जानें वाले सभी लेखों का निरिक्षण और विषयों का विश्लेषण करने का कार्य करते है।

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