नवजात शिशु देखना कब शुरू करते है? (When Do Newborn Babies Start To See)

शिशु का विकास मां के घर में शुरू हो जाता है जब शिशु का जन्म होता है तब उसका विकास पूरी तरीके से हो जाता है। परंतु जन्म के पश्चात कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिनका विकास होना बाकी रहता है उन्हीं में से एक चीज देखना है वह जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है। उसकी चीजों को देखने की क्षमता का भी विकास होने लगता है परंतु नवजात शिशु देखना कब शुरू करते हैं (Babies dekhna kab start karte hai) इसके विषय में हमें जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको नवजात शिशु देखना कब शुरू करते हैं। (Babies ke dekhne ki shuruat) इसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

Contents show

बच्चे देखना कब शुरू करते हैं? (Bacche Kab Dekhna Shuru Karte Hai)

नवजात शिशु देखना कब शुरू करते है (When Do Newborn Babies Start To See)

बच्चे जन्म के तुरंत बाद ही देखना शुरू कर देते हैं (Babies me dekhne ki shruat) परंतु बच्चे की नजर बिल्कुल साफ नहीं होती उसे धुंधला दिखाई पड़ता है। जन्म के बाद 8 से 12 इंच की दूरी पर होने वाली चीज को अच्छा साफ देख पाता है।

 जन्म के बाद बच्चे को तेज रोशनी में आंख खोलने में परेशानी होती है इसलिए बच्चा कम रोशनी में ही अपनी पूरी आंखें खोल पाता है। गर्भ में बच्चा बिल्कुल अंधेरे में होता है इसलिए उसे आंख खोलने में दिक्कत होती है। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता जाता है उसके देखने की क्षमता का विकास  बढ़ता जाता है।

बच्चे रंगो को कब देखने लगते हैं? (When Baby Start Seeing Color)

जन्म के समय बच्चों के अंदर रंगों (Babies dekhna kab shuru karte hai) को देखने की क्षमता नहीं होती। जैसे-जैसे वह 4 से 5 महीने के हो जाते हैं तब उनके अंदर रंगों को देखने की क्षमता विकसित होती है। 4 से 6 महीने के उम्र के पश्चात बच्चे लगभग हर रंग को देखना और पहचानना शुरू कर देते हैं।

 अगर इस उम्र के बाद ही बच्चे कुछ रंग को पहचानने में असमर्थ होते हैं तो ऐसे बच्चों के अंदर कलर ब्लाइंडनेस की आशा मान्यता पाई जाती है। जिसमें कुछ निश्चित कलर बच्चे की आंख से दिखाई नहीं देते।

बच्चों में दृष्टि के विकास के चरण

बच्चों की दृष्टि विकास के विभिन्न चरण (Babies me vikas ke charan) है जिससे उनकी दृष्टि का विकास एक क्रम में होता है। बच्चों के दृष्टि विकास के चरणों को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया गया है।

जन्म से 1 माह की उम्र तक

  • पहले हफ्ते में बच्चे की रोशनी के प्रति अलग प्रतिक्रिया होती है। पहले हफ्ते में तेज रोशनी में बच्चे अपनी आंखें बंद करने लगता है।
  • दूसरे हफ्ते में शिशु की आंखें रोशनी के प्रति संवेदनशील होने लगती हैं।
  • जैसे-जैसे बच्चा तीसरे हफ्ते में आता है। रोशनी के प्रति आंखों की संवेदनशीलता कम होने लगती है।
  • तीसरे हफ्ते में शिशु ज्यादा बड़ी वस्तुओं को पूरी तरीके से नहीं देख सकता।
  • पहले महीने में शिशु सिर्फ 40 सेंटीमीटर दूर की ही वस्तुओं को ठीक प्रकार से देख पाते हैं।

माह से 3 माह की उम्र तक

  • इस समय शिशु की पुतली की प्रतिक्रिया दिखाई दे सकती है।
  • रोशनी में किसी भी चीज पर फोकस करना।
  • आई कांटेक्ट कर पाना।
  • आई मूवमेंट का विकास होना।
  • लोगों के चेहरे देखकर पहचान कर पाना।
  • लोगों के चेहरे याद रखना।
  • चेहरे की अभिव्यक्ति की नकल करना।
  • 180 ° तक देखना।

3 माह से 6 माह की उम्र तक

  • 3 से 6 माह की उम्र के बच्चों में दृष्टि की कार्य क्षमता में सुधार होता है।
  • 3 से 6 महीने के बीच शिशु के रंगों को देखने की क्षमता का विकास होता है
  • 3 से 6 महीने का बच्चा दर्पण में देखने पर अपनी छवि की पहचान कर सकता है।
  • इस उम्र में बच्चा लगभग 1.20 से 1.80 मीटर तक दूर की वस्तुओं को पहचान सकता है।
  • 3 से 6 महीने का बच्चा अपनी नजरों को एक स्थान से दूसरे स्थान जल्दी ले जा सकता है।

6 माह से 10 माह की उम्र तक

  • 6 से 10 माह की उम्र के बच्चे की आंखों का विकास पहले के मुकाबले और अच्छा हो जाता है।
  • शिशु चीजों को बारीकी से देखना शुरू कर देता है और उन्हें अच्छे से पहचाने लगता है।
  • इस उम्र में बच्चा छोटी से छोटी चीजों को देख सकता है और उसकी पहचान कर सकता है।
  • 6 से 10 महीने का बच्चा लोगों को पहचान कर उनके साथ जाने या ना जाने का फैसला ले सकता है। अक्सर बच्चों में आपने देखा होगा कि वह अपने परिवार के लोगों के पास जाते हैं और अनजान लोगों के पास जाने पर रोने लगते हैं।

10 माह से 2 साल की उम्र तक

  • 10 माह से 2 साल तक के बच्चे में ऑप्टिव नरम माइली नेशन पूरा हो गया होता है। इसका अर्थ है बच्चे की आंखों का पूर्णता विकास हो चुका होता है।
  • 10 महीने से 2 साल तक के बच्चे में अपनी आंखों पर पूर्णता नियंत्रण हो जाता है। वह किसी भी चीज को ध्यान से देखने पर अपनी आंखों को अच्छे से टीका के रख सकता है।
  • इस उम्र का बच्चा लोगों से अच्छी तरीके से आई कांटेक्ट करके बात कर सकता है।
  • बहुत तेजी से हिलती या जाती हुई चीजों पर भी बच्चा नजर रोक कर रख सकता है।

बच्चों में आंख और दृष्टि से जुड़ी समस्याओं के लक्षण

छोटे बच्चों में आंख्या दृष्टि से जुड़ी समस्याएं होने पर कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। (Babies me eyes problem ke symptoms) जिनको ध्यान देने पर देखने से बच्चे की समस्या का पता लगाया जा सकता है।

  • लगातार आंख रगड़ना।
  • अत्यधिक प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता।
  • नजरें केंद्रित न कर पाना।
  • ठीक तरह से आंखों का मूवमेंट न होना।
  • आंखों का लाल दिखाई देना।
  • आंखों से आंसू आना।
  • आंखों की पुतली का सफेद नजर आना।

स्कूल जाने की उम्र में बच्चों की आंख में यदि किसी प्रकार की समस्या है। तो कुछ लक्षण दिखाई देते हैं जो इस प्रकार है।

  • दूर की चीजों को न देख पाना।
  • ब्लैकबोर्ड पर लिखे शब्दों को पढ़ने में परेशानी होना।
  • टीवी को बहुत पास से बैठकर देखना।
  • किताबों पर लिखे शब्दों को न पढ़ पाना।
  • आंखों को दबाकर देखना।

प्रीमैच्योर बच्चों में दृष्टि का विकास कब होता है | Navjat Bacche Me Drishti Ka Vikas Kab Hota Hai

समय से पहले जिन बच्चों का जन्म हो (Premature baby का eyesight development) जाता उनका शारीरिक विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता। शिशु को रेटिनोपैथी ऑफ प्रीटैरिटी जैसी आंखों से जुड़ी समस्या हो सकती है।

 यह समस्या होने पर बच्चे को कम दिखाई देने की समस्या हो सकती है। यह समस्या सामान्यता 10 बच्चों में से एक बच्चे को जो समय से पहले जन्म ले लेते हैं। उन्हें होती है इसके कारण आंखों की पुतली से जुड़ी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

प्रीमेच्योर शिशु को आंखों की समस्या होने की दिक्कत आम है सामान्य समय से जन्मे बच्चे के विकास की तुलना में प्रीमेच्योर बच्चों की आंखों का विकास थोड़ा धीमी गति से हो पाता है।

बच्चों की दृष्टि में सुधार करने के टिप्स

बच्चों की दृष्टि में सुधार करने के लिए कुछ (Babies me eyesight increase karne ke tips) जरूरी टिप्स को अपनाया जा सकता है। जिनके माध्यम से बच्चे की दोस्ती को सुधारा जा सकता है।

  • बच्चे को चटक रंग वाले चित्र दिखाने चाहिए इससे बच्चों को रंगों की पहचान करने में मदद मिलती है।
  • बच्चों की दृष्टि का विकास करने के लिए बच्चों का मेलजोल लोगों से बढ़ाना चाहिए। बच्चों को पड़ोसियों से मिलाना चाहिए सुपरमार्केट ले जा सकते हैं।

और साथ-साथ चिड़ियाघर भी ऐड करा सकते हैं। लोगों से मिलवा सकते हैं और उन्हें पहचानने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

  • बच्चे को रंग बिरंगे खिलौने खरीद कर दीजिए जिससे वह विभिन्न रंग की पहचान अच्छे से कर पाए।
  • बच्चों को पर्याप्त मात्रा में माँ का दूध और जब उन्हें आहार देने लगे तो पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ देकर दृष्टि में सुधार कर सकते हैं।

डॉक्टर से कब मिलें?

बच्चों को आंखों से संबंधित समस्या का पहचान होने पर डॉक्टर (Doctor se kab mile) से अवश्य परामर्श लेना चाहिए। आप डॉक्टर से कब सलाह ले सकते हैं।

 इसके विषय में जानकारी प्रदान की गई है।

  • अगर किसी बच्चे को धुंधला दिखाई देता है या ठीक प्रकार से नहीं दिखाई देता। वह सब को पहचानने में दिक्कत कर रहा है तो आप डॉक्टर से अवश्य सलाह ले सकते हैं।
  • बच्ची की दोनों आंखों को ध्यान से देखना चाहिए। यदि बच्चे की एक आंख दूसरी आंख से दबी हुई है तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
  • यदि बच्चे को पढ़ाई करने में दिक्कत हो रही है तो विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।
  • अगर बच्चा मूविंग चीजों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है। तो यह आवश्यक है कि डॉक्टर से अवश्य परामर्श लें।
  • बच्चों की आंखों से आंसू निकलने पर डॉक्टर से अवश्य परामर्श लेना चाहिए।
  • अगर आपको बच्चे की आंखों कि दोनों पुतलियों में फर्क नजर आता है तो डॉक्टर से अवश्य परामर्श लेना चाहिए।
  • प्रकाश के प्रति आंखों का अधिक संवेदनशील होना, आंखों में पानी आना या बार-बार पलके झपकाना भी इस बात का इशारा देता है। कि आपको इस बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)

Q. जन्म के बाद बच्चा कितनी दूरी की चीजों को साफ देख सकता है?

जन्म के बाद बच्चा 8 से 12 इंच की दूरी पर रखी चीजों को साफ देख सकते हैं।

Q. कितने वर्ष के बच्चों की आंखों का विकास पूर्णता हो जाता है?

10 महीने से 2 साल तक के बच्चों का आंखों का विकास पूर्णता हो जाता है।

Q. बच्चों में रंगों को देखने की क्षमता कितनी उम्र में विकसित होती है?

4 से 5 महीने के बच्चों में रंगों को देखने की क्षमता विकसित होती है।

Q. जिन बच्चों को रंग पहचानने में परेशानी होती है उस बीमारी को क्या कहते हैं?

रंग पहचानने में परेशानी होने वाली समस्या को कलर ब्लाइंडनेस कहते हैं।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल में हमने आपको नवजात शिशु देखना कब शुरू करते है (When Do Newborn Babies Start To See) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है।

यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

Leave a Comment