शिशु को बूस्टर खुराक खिलाना क्यों आवश्यक है? ( Babies me booster dose) 

बच्चे कमजोर होते हैं बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत वीक होती हैं। जिसके कारण उन्हें बहुत सारी बीमारियां ग्रसित कर देते हैं। डॉक्टर के द्वारा बचपन से ही बच्चे को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए बूस्टर खुराक डलवाने की सलाह दी जाती है। जिससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो और वह बहुत सारी बीमारियों से बच सके परंतु बूस्टर खुराक क्या है (Booster dose kya hai?)इसके विषय में अक्सर माता-पिता को जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शिशु को बूस्टर खुराक खिलाना क्यों आवश्यक (Babies me booster dose ki need) है उसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

बूस्टर खुराक क्या है? 

बूस्टर खुराक शिशु के (Booster dose kya hai?)प्राथमिक टीकाकरण के बाद की खुराक होती है। बूस्टर खुराक में शिशु का जो प्राथमिक टीकाकरण किया जाता है। उसे तक से मिलने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता समय के साथ काम होने लगती हैं।

शिशु को बूस्टर खुराक खिलाना क्यों आवश्यक है ( Babies me booster dose) 

 तब दोबारा रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए बूस्टर खुराक का उपयोग किया जाता है। बूस्टर खुराक बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने में मदद करती है। इसके अलावा बूस्टर खुराक बच्चों को बहुत सारी बीमारियों से सुरक्षित व संरक्षित करने में भी मदद करती है।

 बूस्टर खुराक शरीर की रोग प्रतिरक्षण प्रणाली को यह याद दिलाती है कि बच्चों को बीमारियों से बचाना कितना आवश्यक हैं। और रोग प्रतिरोधक क्षमता का क्या कार्य होता है।

बच्चों को बूस्टर खुराकर दिलवाना क्यों जरूरी है? 

बच्चों को बूस्टर खुराक (Booster dose ki need) दिलवाना क्यों जरूरी होता है। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। जिसके माध्यम से आप बूस्टर खुराक के महत्व को अच्छे से समझ सकते हैं।

1. जब शिशु को खसरे का टीका कंठ माला के रोग का टीका रूबेला जैसे रोगों के लिए एमआर का टीका लगाया जाता हैं। तो यह सभी तक बच्चों को सुरक्षित रखने में सफल हुए हैं।और उन्होंने अपना कार्य ठीक ढंग से किया है। इसलिए बच्चों को बूस्टर खुराक दिलवाना जरूरी होता है जिससे उन्हें ऐसी बीमारियों से बचाया जा सके।

2. शिशु को बहुत सारी बीमारियों का प्राथमिक टीका लगवाने के बाद भी ऐसे बहुत सारे बच्चे होते हैं। जिनके अंदर यह बीमारियां फिर से जन्म लेने लगती हैं। क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जो धीरे-धीरे कम होने लगती है और इन बीमारियों को होने का खतरा बढ़ जाता है। बहुत सारे बच्चे इस बीमारी से ग्रसित भी हो जाते हैं परंतु इसके चांस बहुत ही काम रहते हैं। प्राथमिक टीकाकरण में ही बच्चों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। परंतु यदि फिर प्राथमिक टीकाकरण कार्य नहीं करता तो बूस्टर डोज का लगवाना आवश्यक होता है।

3. यदि निर्धारित समय पर बूस्टर डोज नहीं लिया जाता तो कुछ बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म भी होने लगती है। इसलिए निर्धारित समय पर बूस्टर डोज लेना बहुत ज्यादा आवश्यक होता है।

4. इसीलिए बच्चों को बूस्टर खुदा कर दी जाती हैं। ताकि जिन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो पाई है या फिर उनकी रोक प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगी है। तो बूस्टर खुराक के द्वारा उसे दोबारा डेवलप किया जा सके। और बच्चों को बीमार पड़ने से बचाया जा सके बूस्टर खुराक बहुत ही असरदार होती हैं और यह बच्चे को बहुत जल्दी सुरक्षा प्रदान करने में मदद करती हैं।

5. कुछ बीमारियों से बचाव के लिए शिशुओं को समय-समय पर टीके लगवाने की आवश्यकता होती है। समय-समय पर टीके लगवाने से किसी एक पार्टिकुलर बीमारी से शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। और यह शरीर में जीवन पर्यटन बूस्टर प्रदान करता है। जिससे दोबारा कभी भी इस प्रकार की बीमारियां शरीर में नहीं लगती जिसका टीका हमें एक बार लग जाता है। इसलिए समय-समय पर टीके लगवाने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है।

6. कुछ टिकों की प्राथमिक दो से ही शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। और इसे दोबारा लेने की आवश्यकता नहीं होती परंतु कुछ टिकों में प्राथमिक दोष के बाद उसकी बूस्टर डोज लेना आवश्यक होता है। क्योंकि जो कर कार्य प्राथमिक टीका नहीं कर पाता।

 वह बूस्टर डोज कर सकता है और बूस्टर डोज शरीर में अधिक मात्रा में बीमारियों से बचने की रोग प्रतिरोधक क्षमता या एंटीबॉडीज को विकसित कर सकता है। इसलिए टिकों का प्रकार अलग-अलग होता है। और उन्हें प्रकारों के हिसाब से हमें टिकों को प्राथमिकता देनी चाहिए और उसके बूस्टर डोज भी अवश्य लेने चाहिए।

7. कई बार बूस्टर डोज लगवाना इसलिए भी जरूरी हो जाता हैं। क्योंकि हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षण प्रणाली को यह याद दिलाना जरूरी होता हैं। कि उसे किस बीमारी से बचने के लिए टिका लगवाया गया था। क्योंकि हमारे योग प्रतिरक्षण प्रणाली यह बोलने लगती है कि उसे किसी प्रकार की बीमारी से हमारे शरीर को बचाना है। इसलिए बूस्टर डोज बहुत आवश्यक हो जाती है और इसे लगातार लगाया जाता है। उदाहरण के लिए एंटी टेटनेस का इंजेक्शन हर 10 साल में दोबारा लगवाना जरूरी हो जाता है।

बच्चों को कौन से टीके की बूस्टर खुराक देनी चाहिए? 

भारत में बच्चों को कौन-कौन (Babies me teeke ki booster dose) सी बूस्टर खुदा कर दी जाती हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। जिसके माध्यम से आप यह पता लगा सकते हैं कि आप अपने बच्चों को कौन-कौन सी बूस्टर खुराक लगवा सकते हैं।

  • आईपीवी बूस्टर – पोलियो का टीका
  • डीटीपी बूस्टर – खसरा (मीजल्स), मम्प्स (कंठमाला का रोग), रुबेला (जर्मन खसरा) का टीका
  • एचआईबी बूस्टर – हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी का टीका
  • टीसीवी बूस्टर – मोतीझरा (टाइफाइड) संयुग्म (कॉन्जुगेट) टीका
  • एमएमआर बूस्टर – खसरा (मीजल्स), मम्प्स (कंठमाला का रोग), रुबेला (जर्मन खसरा) का टीका
  • पीसीवी – न्यूमोकोकल संयुग्म (कॉन्जुगेट) टीका (वैकल्पिक)

इंडियन एकेडमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स के अनुसार जिन बच्चों को शुरुआती आईबीपी की खुराक दी गई है। उन बच्चों को दोबारा आईवीपी की खुराक देना आवश्यक होता है। 

टीकाकरण समिति की भी यही सलाह होती है कि बच्चों को आईबीपी की खुराक एक बार देने के बाद उसे इधर खुराक द्वारा आवश्यक दे।

यदि आपको शिशु के टीकाकरण से संबंधित यदि कोई भी प्रश्न आपके मन में है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके इस विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। और डॉक्टर से सारणी प्राप्त करके उसी हिसाब से अपने बच्चों का टीकाकरण करवा सकते हैं।

 और उसे बूस्टर डोज दिलवा सकते हैं इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि डॉक्टर के द्वारा बनाई गई सारणी और जरूरी बताए गए ठीक को हमें नहीं बोलना चाहिए। और उन सभी टिकों को बच्चों को अवश्य लगवाना चाहिए।

अगर बच्चे को बूस्टर खुराक लगवाना चुक जाए तो क्या करें? 

वैसे तो माता-पिता को अपने बच्चों की हर जरूरत का हमेशा ध्यान रहता है। वह उन्हें समय पर दवाई देने का काम अवश्य करते हैं और उनका टीकाकरण कभी नहीं बोलते डॉक्टर के द्वारा बनाई गई सारणी का समय पर बच्चों का टीकाकरण करवाना बहुत आवश्यक होता है।

 यह बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है परंतु यदि किसी कारण बस आप अपने बच्चों का टीकाकरण करवाना भूल गए हैं। तो जब भी याद आए तो आप इसके विषय में डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें और इसके विषय में अवश्य बात करें।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. टिकों का क्या कार्य होता है? 

पीके बच्चों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। यह शरीर में पहले ही रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर देते हैं।

Q. बूस्टर खुराक क्या होती है? 

प्राथमिक टीकाकरण के बाद जो दूसरी खुराक बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली को बूस्ट करने के लिए लगाई जाती है उसे बूस्टर खुराक कहा जाता है।

Q. बच्चों का टीकाकरण किस हिसाब से करवाना चाहिए? 

बच्चों का टीकाकरण डॉक्टर के द्वारा बनाई गई समय सारणी के हिसाब से करवाना चाहिए।

Q. पोलियो के टीकाकरण के लिए कौन सा डोज लगवाना आवश्यक होता है? 

पोलियो के टीकाकरण के लिए डीपी का बूस्टर डोज लगवाना आवश्यक होता है।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको शिशु को बूस्टर खुराक खिलाना क्यों आवश्यक है? (Babies me booster dose ki need) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है।यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

Leave a Comment