गर्मियों में शिशु की देखभाल के लिए 20 जरूरी टिप्स

माता-पिता के जीवन में शिशु एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बच्चे के माता पिता अपने बच्चे को बहुत प्रेम करते हैं तथा उन्हें हर जरूरी सुविधा प्रदान करने का प्रयास करते हैं। जिससे वह किसी भी प्रकार से परेशानी का सामना ना कर पाए एवं उन्हें किसी भी प्रकार की बीमारी ना लगे क्योंकि बहुत सारी दुआओं के बाद माता पिता को संतान की प्राप्ति होती है। सिसु का शरीर कोमल होता है तथा उन्हें बहुत ज्यादा सतर्कता के साथ पालने की आवश्यकता होती है। बच्चों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है जिस कारण उन्हें बीमारियां जल्दी पकड़ लेती हैं।

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गर्मियों के लिए 20 आवश्यक बेबी केयर टिप्स | (Baby Care Tips In Summer )

 गर्मियों का मौसम बड़े-बड़े लोगों तक के लिए इतना कष्टकारी होता है जिसमें विभिन्न प्रकार की बीमारियां होने लगती हैं गर्मियों में चलने वाली लू एवं तापीस शरीर को बेजान बना देती है एवं सही में विभिन्न प्रकार की कमियां ला देती है। इसी कारण शिशुओं का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है। गर्मियों में डायरिया आदि की समस्याएं शिशु में अधिक होती है उनकी त्वचा कोमल तथा इम्यूनिटी कमजोर होती है। जिस कारण उन्हें बीमारियां जल्दी कहती हैं और बीमारी होते ही बच्चे अंदर से कमजोर हो जाते हैं।

गर्मियों में शिशु की देखभाल के लिए 20 जरूरी टिप्स

 इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको यह बताएंगे कि गर्मियों में शिशु की देखभाल कैसे की जा सकती है। यदि आपके घर में भी कोई शिशु हो तथा आप भी उसकी देखभाल करने के विषय में सजग हैं तो हमारा आर्टिकल आपको आपके शिशु की देखभाल के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करेगा आर्टिकल के विषय में पूरा जानने के लिए इसे पूरा पढ़ें।

1. सही कपड़े (Comfortable clothes)

गर्मियों में गर्मी से बचने का सबसे प्रथम उपाय कपड़ों का चुनाव है। यदि कपड़ों का चुनाव सही है तो गर्मियां आराम से कटती है परंतु आपकी यदि आपको कपड़े के विषय में जानकारी नहीं है तो गर्मियां बहुत कष्टकारी हो सकते हैं। आपको अपने शिशु को हमेशा सूती वस्त्र ही पहनाने चाहिए। सूती वस्त्र हल्के होते हैं तथा वह शरीर के भीतर से उत्पन्न होने वाली गर्मी को शरीर के बाहर निकालने में सहायक होते हैं।

 यदि गर्मी के समय कोई मोटा कपड़ा अपने शिशु को पहन आते हैं तो वह शरीर से उत्पन्न होने वाली गर्मी को शरीर के बाहर नहीं भेज पाता। जिस कारण शरीर में ओवरहीटिंग हो जाती है। और त्वचा की विभिन्न प्रकार की समस्याएं गर्मियों में होने लगती है जैसे फुडिया फुंसी दाने आदि आपको अपने शिशु को हमेशा हल्के रंग के कपड़े की पहनाने चाहिए जिससे वह धूप से होने वाली तपिश को ज्यादा अवशोषित ना कर पाए एवं शरीर को ज्यादा गर्म ना रख पाए। यदि शिशु को आप गहरे कलर के कपड़े पहन आएंगे तो वह धूप की गर्मी को अधिक ग्रहण करेगा एवं शरीर को और ज्यादा गर्म करेगा।

गर्मियों में हमेशा शिशु को ढीले कपड़े पहनाने चाहिए तथा यदि शिशु घर में है तो उसे आधी बाजू या बिना बाजू के कपड़े पहनाने चाहिए जिससे अंदर उत्पन्न होने वाली गर्मी बाहर जा सके। यदि आप शिशु को बाहर लेकर जा रहे हैं तो उसे पूरी बाजू के कपड़े पहनाने चाहिए। जिससे उसे मक्खियां मच्छर से बचाया जा सके गर्मियों में मच्छर की समस्या बहुत होती है। जिस कारण हमेशा अपने शिशु को मच्छरदानी के भीतर ही सुलाना चाहिए किसी भी प्रकार के जहरीले पदार्थों का इस्तेमाल बच्चों के शरीर पर नहीं करना चाहिए इससे उनकी स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है। इस कारण मच्छरों से बचाने का सबसे सही उपाय मच्छरदानी है।

2. बच्चों को हाइड्रेट रखें (Hydrate your child)

गर्मी के मौसम में शरीर के भीतर हाइड्रेशन की समस्या बहुत ही सामान्य है। हाइड्रेशन (Hydration is loss of water from the body) की समस्या कम पानी पीने के कारण होती है क्योंकि गर्मियों में पसीना बहुत अधिक आता है। जिससे शरीर का पानी सारा पसीने के माध्यम से बाहर निकल जाता है एवं शरीर में पानी की कमी हो जाती है। पानी की कमी के कारण डायरिया जैसी समस्याएं बच्चों तथा बढ़ो दोनों में होने लगती हैं बच्चों की पानी की आवश्यकता  बड़ों से भिन्न है बच्चों में शरीर से पानी निकलने की मात्रा बड़ों से अधिक होती है। क्योंकि वह बार-बार मल के माध्यम से अपने शरीर से पानी को निकालते रहते हैं।

 इस कारण बच्चों को बार बार पानी पिलाना बहुत आवश्यक है 6 माह से अधिक के शिशुओं को पानी की कमी अधिक हो जाती है इस कारण माता-पिता को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने शिशु को बार-बार पानी पिलाएं।

बच्चों में हाइड्रेशन की समस्या का दूसरा कारण यह भी है कि वह यह बताने में असमर्थ होते हैं कि उन्हें प्यास लगी है कभी-कभी माता-पिता की लापरवाही के कारण बच्चे पूरे दिन पानी नहीं पीते और उन्हें विभिन्न प्रकार की दिक्कतें होने लगती हैं कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें पानी में स्वाद ना होने के कारण पानी पसंद नहीं होता और वे उसे पीना नहीं चाहते पानी की कमी के कारण उल्टी, दस्त जैसी समस्याएं बच्चों के भीतर होने लगते हैं ऐसी बीमारियों से बच्चों को बचाने के लिए बच्चे को अधिक से अधिक पानी का सेवन कराना आवश्यक है।

3. बच्चों का आहार (Diet of child)

बच्चों का आहार उनके स्वास्थ्य के लिए अति महत्वपूर्ण है बच्चे का स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है उसका आहार क्या है तथा उसने कितनी मात्रा में उसे ग्रहण किया है क्योंकि कई बार बच्चों को यह नहीं पता होता कि उन्हें कितना खाना है। इस कारण माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अपने बच्चे को एक संतुलित आहार प्रदान करें बच्चों के आहार के विषय में कुछ जरूरी टिप्स हमने नीचे पॉइंट्स में साझा किए हैं।

  • बच्चों का आहार तैयार करते समय साफ सफाई का महत्व पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। इस्तेमाल किया जाने वाला पानी स्वच्छ एवं उबला हुआ होना चाहिए जिससे पानी के अंदर कीटाणु ना हो साफ सफाई से कीटाणुओं को बच्चों के यहां से दूर रखा जा सकता है ।साफ सफाई बच्चे के स्वस्थ होने का मुख्य कारण है। यदि बच्चे को स्वस्थ आहार नहीं दिया जाएगा तो उसके शरीर में जाने वाली गंदगी उसे बहुत तरीके से बीमार कर देगी और गर्मियों के मौसम में बच्चे को बीमारी अधिक जल्दी पकड़ती है।
  • बच्चे को हमेशा ताजा बना हुआ भोजन ही खिलाएं। स्कूल जाते समय उसका टिफिन बॉक्स तथा बोतल को साफ करके धुले एवं दोनों ही चीजों को स्टील का रखें क्योंकि प्लास्टिक के बर्तन में कीटाणु जल्दी पनपते हैं। यदि बच्चे को कुछ समय पश्चात का रखा भोजन भी खिला रहे हैं तो पहले यह जांच करें की भोजन खराब तो नहीं हो गया क्योंकि गर्मियों के मौसम में भोजन बहुत जल्दी खराब हो जाता है।
  • छोटे बच्चे बाहर का खाना अधिक पसंद करते हैं आप उन्हें अपने साथ बाहर ले जाते हैं तो वह हर चीज खाने की जिद करते हैं। उन्हें कभी भी स्ट्रीट फूड नहीं खिलाना चाहिए क्योंकि स्ट्रीट फूड में साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता एवं विभिन्न प्रकार की मक्खियां स्ट्रीट फूड पर बैठती रहती हैं। वह ज्यादा तला बना होता है जिस कारण यह पेट को भी जल्दी पचा पाना मुश्किल होता है और बच्चों को लूज मोशन की समस्या होने का खतरा रहता है।
  • बच्चे की आहार में पोषक तत्व की मात्रा सही होना बहुत आवश्यक है। जिस कारण बच्चों को एक पोषण युक्त भोजन प्रदान करें बच्चे के आहार में विटामिन मिनरल्स आदि पोषक तत्व भोजन में भरपूर मात्रा में होने चाहिए।
  • माता पिता को बच्चे की आहार की मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बच्चे को यह समझ नहीं होती उसे कितना खाना है। साथ ही साथ माता-पिता को भी बच्चे को जबरदस्ती खाना नहीं खिलाना चाहिए जितनी बच्चे को भूख है उतनी ही मात्रा बच्चे को खिलाएं जिससे बच्चे के पेट को भोजन पचाने के लिए अधिक बोझ नहीं डालना होगा।
  • बच्चे को आहार के साथ-साथ हेल्थ सप्लीमेंट भी खिलाना चाहिए यह हेल्थ सप्लीमेंट क्या-क्या हो सकते हैं। इसके लिए आप डॉक्टर से अवश्य सलाह दें हेल्थ सप्लीमेंट के द्वारा बच्चों के शरीर में भोजन से जिन चीजों की पूर्ति नहीं हो रही वह होती है तथा बच्चे का शरीर बिल्कुल स्वस्थ रहता है।
  • बच्चों को उच्च कैलोरी कुछ  बसा मीठे का नमकीन को दिन भर में हर भोजन के साथ मिलाजुला कर देना चाहिए। जिससे बच्चे को विभिन्न स्वाद भी मिले एवं बच्चे के भीतर शरीर की सारी जरूरतें भी प्राप्त हो ससके।
  • बच्चे को अधिक मीठा खिलाने से रोकना चाहिए क्योंकि मीठा बच्चों के दांतो के लिए बहुत हानिकारक होता है। तथा वह बच्चों के दांतो को पूरी तरह से खराब कर देता है छोटी सी उम्र में बच्चों के दांत में कीड़े लगना दर्द होना यह सारी समस्याएं मीठा खाने के कारण होती हैं। मीठा खाकर ना तो बच्चे अपने दांतों को साफ करते हैं ना उनका ध्यान रखते हैं जिस कारण दांतो के खराब होने का डर हमेशा अधिक मीठा खाने वालों पर होता है इसलिए अपने बच्चे को नीचे से दूर रखें।
  • बच्चे को चॉकलेट मिठाई जैसी मीठे पदार्थों से दूर रखें तथा सीजनल आने वाले मीठे फल जैसे आम तरबूज खरबूज को बच्चों को खिलाएं। इनसे स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है तथा यह दांतो को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।

4. घर के अंदर रहें (Be inside your house)

गर्मी के मौसम में तेज लू तथा तेज धूप की समस्याएं होती हैं। जिस कारण घर से बाहर निकलना अपने शिशु को निकालना जोखिम से भरा है। यदि बच्चे को लू लग जाती है तो उसका बीमार पड़ना निश्चित है इसलिए हमारी सलाह है कि आप दोपहर के समय अपने बच्चे को घर के अंदर ही रखें यदि शाम या रात के समय भी गर्मी अधिक है तो उसे घर से बाहर ना निकालें।

गर्मियों में मक्खी तथा मच्छर भी तेजी से पनपते हैं यदि आप अपने बच्चे को घर के बाहर ले जा रहे हैं तो उसे हमेशा पूरी आस्तीन के ही कपड़े पहना कर रखें।

5. टैल्कम पाउडर  (Talcum powder) :

गर्मी के मौसम में टेलकम पाउडर बच्चों के लिए बहुत ही लाभकारी हो सकता है क्योंकि टेलकम पाउडर से शरीर में होने वाली रगड़ कम हो सकती है। एवं शरीर को तरोताजा बनाने में टेलकम पाउडर मदद करता है टेलकम पाउडर विभिन्न प्रकार के होते हैं। इसका इस्तेमाल बच्चों पर हमेशा बाल चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए टेलकम पाउडर जिसका इस्तेमाल आप अपने शिशु पर कर रहे हैं वह एंटीबैक्टीरियल होना चाहिए एवं ऐसा होना चाहिए जो बच्चे के त्वचा को नुकसान ना पहुंचाएं एवं गर्मी से उसे राहत प्रदान करें।

टेलकम पाउडर के द्वारा गर्मी में होने वाली विभिन्न प्रकार की दाद ,खाज ,खुजली जैसी समस्याओं से भी राहत प्रदान करता है एवं त्वचा को ठंडा रखता है। शिशु के परिजन को यह ध्यान रखना चाहिए कि टेलकम पाउडर लगाते समय बच्चा स्वास के माध्यम से उसे अपने अंदर ना खींच ले। इसलिए इसका इस्तेमाल बहुत सतर्कता से करना चाहिए यदि ऐसा होता है तो टेलकम पाउडर शरीर के भीतर विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा कर सकता है।

6. मच्छरों से सुरक्षा (protection from mosquito)

गर्मी के मौसम में मच्छर की समस्या एक आम समस्या है। यह हर व्यक्ति को परेशान करती है इस कारण कभी भी अपने शिशु को रात में बिना मच्छरदानी के ना सुलाये तथा यदि आप घर से बाहर जा रहे हैं। तो बच्चों के हाथ पैरों पर मच्छर लोशन का प्रयोग कर सकते हैं ज्यादा से ज्यादा यह प्रयास करें कि आप किसी भी प्रकार का केमिकल अपने बच्चे के संपर्क में ना आने दे। क्योंकि केमिकल सांस के माध्यम से बच्चे के शरीर में प्रवेश करता है एवं समस्या उत्पन्न कर सकता है इसलिए मच्छरदानी सबसे बेहतर विकल्प है ज्यादा से ज्यादा इसी का इस्तेमाल करें।

बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के लोशन इस्तेमाल किए जा सकते हैं वाल चिकित्सक से सलाह लेकर बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाले लोशन की मदद से आप अपने बच्चे को मच्छरों से बचा सकते हैं।

7. बच्चे को रोज नहलाना (Daily bath your child)

गर्मी से निजात पाने के लिए नहाना सबसे बेहतर विकल्प है। नहाने से शरीर को ठंडक मिलती है तथा धूल मिट्टी पसीने आदि समस्याओं से भी निजात होती है रोज नहाने से त्वचा में होने वाली रोग की समस्या से भी बचा जा सकता है। नहाने के बाद शरीर को एकदम तरोताजा महसूस होता है शरीर की गंदगी साफ होती है तथा विभिन्न कीटाणु जो शरीर को बीमार कर सकते हैं। उन्हें भी साबुन के द्वारा शरीर से अलग किया जा सकता है यदि बच्चे को नहीं नहलाया जाता। तो उस पर धूल मिट्टी पसीना वैसे ही चिपका रहता है और त्वचा रोग को हवा दे सकता है।

यदि आप अपने बच्चे को ठंडक पहुंचाने के लिए उसे बार-बार मना रहे हैं। तो सिर्फ एक बार ही साबुन का इस्तेमाल करें बार बार साबुन का इस्तेमाल करने से बच्चे के कोमल शरीर की त्वचा को नुकसान हो सकता है एवं उसकी त्वचा खराब हो सकती है इसलिए सिर्फ पानी के लिए बच्चे को बार बार नहला सकते हैं।

8. गर्मियों में डायपर (Diaper in summers)

गर्मियों में बच्चों को अधिक डायपर नहीं पहनाने चाहिए। तथा हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि गीला होने पर आप उसे तुरंत निकाल दें ।क्योंकि अधिक की डायपर  काफी देर तक रहने से बच्चे के जननांग मैं दाने ,रगड़ तथा लाल पड़ने जैसी समस्याएं हो जाती हैं क्योंकि अधिक गीला रहने से उतनी त्वचा ढीलेपन की चपेट में आ जाती है। अधिक देर तक गीला डायपर रहने से बच्चे का जननांग कट सकता है एवं उसमें खुजली हो सकती है। इस प्रकार की समस्या में बहुत अधिक दर्द होता है इस कारण बच्चे को सूती लंगोट ही पहनाए।

शिशु के परिजन को यह ध्यान रखना चाहिए कि जो लंगोटे पहना रहे हैं वह गीली हो एवं सूती कपड़े की बनी हो जिससे शरीर की हवा एवं गर्मी बाहर निकल सके सूती कपड़े से दाने आदि की दिक्कत नहीं होती। एवं कभी-कभी यह प्रयास करें कि उसे कुछ ना पहनाए एवं कुछ समय के लिए जननांग को हवा के लिए छोड़ दें क्योंकि हमेशा कवर रहने के कारण त्वचा को नुकसान पहुंचता है। एवं इससे बच्चे को बहुत अधिक दिक्कत हो सकती है इसलिए गर्मियों में कम से कम डायपर का इस्तेमाल करें।

9. गर्मियों में मालिश  (massage in summers)

बच्चे की मालिश करना बहुत अधिक आवश्यक होता है। क्योंकि मालिश के द्वारा बच्चे के हाथ पर स्वस्थ रहते हैं मालिश तेल के द्वारा की जाती है। इस कारण जब भी आप बच्चे को मालिश के बाद बाद महिलाएं तो यह ध्यान रखें कि बच्चे के शरीर से सभी प्रकार का तेल बाहर निकल जाए

यदि त्वचा पर तेल रह जाता है तो उसमें धूल मिट्टी चिपकने का डर रहता है। एवं धूल मिट्टी से फोड़े एवं फुंसी बहुत अधिक निकलते हैं इस कारण बच्चे की मालिश के बाद उसके शरीर से तेल को अच्छी तरह से निकाल दें जिससे बैक्टीरिया एवं वायरस कंपन पर एवं बच्चे के बीमार होने का डर कम हो।

10. बच्चों के लिए कमरे का तापमान  (Room temperature for child)

बच्चों के लिए कमरे का तापमान गर्मी के हिसाब से होना चाहिए सोते समय बच्चों को हल्के  गर्माहट की आवश्यकता होती है। परंतु ऐसा ना हो कि बच्चे के कमरे में बहुत अधिक करनी हो जिससे वह सो भी ना पाए। यदि आप बच्चे के लिए पंखे का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखेंगे पंखे की हवा बच्चे पर सीधे ना जाए।

बल्कि किसी अन्य माध्यम से या थोड़ा हटकर बच्चे का विस्तर लगाएं। यदि आप ऐसी का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कमरे का तापमान 18 डिग्री से 27 डिग्री के बीच ही रखें यह एक सामान्य तापमान होता है तथा इस में बच्चे को ना ज्यादा गर्मी होगी ना ज्यादा सर्दी लगेगी। बच्चे को ठंडक पहुंचाने वाले यंत्र जैसे पंखा कूलर एसी आदि के संपर्क में सीधे ना आने दे इससे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है तथा गर्मी के मौसम में भी उसे सर्दी का सामना करना पड़ सकता है तथा कोशिश करें कि वह हर समय इन्हीं चीजों के सामने ना बैठा रहे।

11. धूप के चश्मे का प्रयोग (Use sun glasses)

गर्मियों में धूप का चश्मा बहुत लाभकारी होता है धूप के चश्मे से सूर्य का प्रकाश सीधे आंखों पर नहीं पड़ता सदा धूप से निकलने वाली खतरनाक अल्ट्रावायलेट (sun glasses. Protect eyes from UV rays) करने आंखों को नुकसान नहीं पहुंचा पाती 3 साल से ऊपर के बच्चे धूप के चश्मे का इस्तेमाल ठीक तरीके से कर सकते हैं जिसमें चस्मे शिशु के परिजन अपने बच्चे के लिए करवा रहे हैं। वह चश्मा ब्रांडेड होना चाहिए तथा उसकी है गारंटी होनी चाहिए कि वह धूप से आंखों को बचा सके बच्चों की ज़िद पर कभी भी खेलने वाले चश्मे को बच्चों को नहीं दिलाना चाहिए क्योंकि यह सादा चश्मे बच्चे की आंखों को धूप से नहीं बचा सकते।

धूप का चश्मा लगाने से बच्चे की आंखें सीधे धूप के संपर्क में आने से बचेंगे। जिससे आंखों की बीमारी जैसे कम दिखाई देना, आंखों में बीमारी होने वाली समस्याएं बहुत कम हो जाएंगे क्योंकि आजकल छोटे-छोटे बच्चों को दूर का दिखाई देना बंद हो गया है। तथा उन्हें नजर के चश्मे का इस्तेमाल करना पड़ रहा है इसलिए अपने शिशु की आंखों पर ध्यान रखना बहुत अधिक आवश्यक है। आंखों को धूप से बचाने के लिए टोपी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है इससे सिर पर भी धूप नहीं लगेगी तथा आंखें भी धूप सीधे संपर्क में आने से बचेंगे।

12. बच्चों को कैप लगाएं (use cap for child)

बच्चों को बाहर धूप में ले जाते समय हमेशा उनके सिर पर कैप लगाने चाहिए। इससे बच्चों को धूप कम लगती है वैसे तो बच्चे कैप लगाने से कतराते हैं एवं उसे बार-बार निकाल कर फेंकने का प्रयास करते हैं। (use cap while going outside in sun) जिस कारण कुछ माता पिता टाइट प्लास्टिक के माध्यम से बच्चे के सिर पर कैप को रोकने का प्रयास करता है। यह बच्चे के लिए बहुत कष्टकारी हो जाता है। क्योंकि टाइट प्लास्टिक से शरीर पर एक गहरा निशान बन जाता है तथा यह बच्चे को हमेशा चुभता रहता है इसलिए कैप का इस्तेमाल ऐसी करें जो लाभकारी हो।

13. घमौरिया से बचाव (protect from prickly heat)

गर्मी के दौरान अधिक पसीना आता है एवं सही कपड़ा ना पहनने के कारण पसीना शरीर पर ही मरता रहता है। शरीर पर पसीना मरने के कारण छोटे छोटे लाल दाने बच्चे के शरीर पर हो जाते हैं जिन्हें घमौरियां कहते हैं। यह पूरे शरीर पर होते हैं तथा इन में जलन तथा खुजली होती रहती है। जिस कारण यह बच्चे को बहुत परेशान कर देते हैं (prickly heat is small races on skin) घमौरियों से बचने के लिए बच्चे के परिजन को हमेशा सूती वस्त्र का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे वह पसीने को सुख ले तथा शरीर पर पसीने को ना मरने दे। शरीर पर पसीना रह जाने से त्वचा को बहुत अधिक नुकसान पहुंचता है शिशु की त्वचा कोमल होती है इस कारण उसमें पीड़ा भी अधिक होती है इसलिए बच्चे की घमौरियों ना हो पाए इस बात का विशेष ध्यान रखें।

घमौरियों से बचने के लिए कुछ घरेलू उपचार भी किए जा सकते हैं जैसे  ओटमील स्नान, एलोवेरा जेल की कोमल मालिश, बेकिंग सोडा, चंदन पाउडर या मुल्तानी मिट्टी का लेप। नीम के पानी को वालकर बच्चे को नहलाना चाहिए इससे घमौरियों से होने वाली दिक्कत कम हो जाती है यदि घरेलू उपचार से घमोरियां ठीक नहीं हो रही है तो डॉक्टर का परामर्श लेना चाहिए तथा जिस हिसाब से डॉक्टर सलाह देता है उस प्रकार से घमौरियों का इलाज करना चाहिए।

14. बच्चे को गाड़ी में न छोड़ें (Don’t kept  child in car during summer):

गर्मी हो या सर्दी बच्चे को कभी भी गाड़ी में अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। गर्मी के मौसम में यदि आप गाड़ी को धूप में खड़ा कर देते हैं तो गाड़ी के अंदर और हीटिंग हो जाती है जिस कारण गाड़ी के भीतर का तापमान बहुत अधिक होता है। ऐसी स्थिति में बच्चे को गाड़ी में छोड़ना खतरे से खाली नहीं है।

एसी ऑन करके भी बच्चे को गाड़ी में नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि यह विभिन्न प्रकार के स्त्रोत को अंजाम दे सकता है। बंद गाड़ी में बच्चे को  हीटस्ट्रोक, डिहाइड्रेशन या मृत्यु के उच्च जोखिम में डाल सकता है। गर्मी हो या सर्दी कभी भी इस प्रकार के जोखिम को नहीं उठाना चाहिए एवं अपने बच्चे को अकेले गाड़ी में नहीं छोड़ना चाहिए।

15. सूरज से बचाव (सन प्रोटेक्शन) (protection from sun)

सूरज की किरणों में अल्ट्रावायलेट रे होती हैं यदि यह अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा के सीधे संपर्क में (UV rays harm skin and cause cancer) आती हैं। तो यह करना किरणें त्वचा के भीतर क्रिया करती हैं एवं कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां उत्पन्न कर सकते हैं। इसी कारण बच्चे हो या शिशु या जवान सभी लोगों को धूप में जाते समय शरीर को कपड़े से ढकना चाहिए यदि कोई खुला भाग  है तो उसे एसपीएफ सनब्लॉक क्रीम से त्वचा को प्रोटेक्ट करना चाहिए।

यह क्रीम में त्वचा को सूरत से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती हैं एवं शरीर में मेलानिन को बनने से रोकते हैं बच्चों को सूरज से बचाने के लिए उसके सर पर हमेशा कैप लगाने चाहिए 4 साल से ऊपर के के शिशु के चेहरे पर सनब्लॉक क्रीम का इस्तेमाल करना चाहिए जिसकी एसपीएफ 15 हो यह बच्चे को काला होने से भी बचाता है एवं सूरज की खतरनाक किरणों से बचाता है।

16. अगर बच्चों को पसीना आए

अधिक गर्मी होने के कारण यदि बच्चे को पसीना आ रहा है तो उसे तुरंत पंखा एसी की हवा में नाम हो जाए थोड़ी देर बच्चे के शरीर के तापमान को सामान्य होने दें एवं बच्चे के पसीने को मुलायम तौलिए से आराम से पोछे। सब बच्चे का शरीर सामान्य हो जाए तो उसे बाद में पंखे आए थे कि हवा में ले जाएं यदि आप पसीने से सीधे बच्चे को हवा में ले जाते हैं। तो ठंडा गरम होने के कारण बच्चों की त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है एवं घमौरियों की दिक्कत या खुजली आदि की समस्या हो सकती है।

17. आइसक्रीम और कोल्डड्रिंक

अधिक गर्मी मैं जब गला सूखता है तो बच्चे हो या बड़े सभी को कुछ ठंडा पीने का मन करता है। उसमें एक ही विकल्प होता है कि या तो वह आइसक्रीम ले या कोल्ड ड्रिंक परंतु शिशु के लिए या छोटे बच्चों के लिए जिनकी उम्र 12 साल से कम हो उन्हें कभी भी आइसक्रीम या कोल्डड्रिंक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए यह वैज्ञानिकों का शोध है कि यदि इस उम्र से कम बच्चे आइसक्रीम में कोल्ड ड्रिंक का इस्तेमाल करते हैं।

तो इन पर पदार्थों में अधिक शुगर होने के कारण बच्चे के दांत खराब हो सकते हैं। तथा इसमें विभिन्न प्रकार के केमिकल मिलाए जाते हैं जिससे शरीर में बहुत सारी बीमारियां उत्पन्न हो सकती है। 6 महीने से कम के शिशु को कभी भी इन ठंडे पेय पदार्थों को नहीं देना चाहिए इन बच्चों के लिए मां का दूध पर्याप्त है। यदि आप अपने शिशु को किसी ठंडे पेय पदार्थ का सेवन करवाना चाहते हैं तो आप घर में बने हुए जलजीरा आम रस आदि पदार्थों से संतुष्ट कर देना चाहिए।

18. गर्मियों के लिए हेयर कट (hair cut in summer)

गर्मियों के समय बच्चों का हेयर कट हमेशा छोटा होना चाहिए क्योंकि अधिक बाल होने के कारण पसीना अधिक आता है। और वह गले के अंदर ही मरता रहता है (haircut should always small so that sweat didn’t die and races should not occur) जिस कारण गले पर बहुत अच्छा घमोरियां हो सकते हैं। एवं खुजली लग सकती है परंतु यदि आप छोटे बाल नहीं करवा सकते तो बालों को ठीक तरीके से बांधकर रखना एक कारगर उपाय हो सकता है बालों को बांधकर रखने से गर्मी बहुत कम लगती है एवं तरोताजा महसूस किया जा सकता है।

19. गर्मियों में बच्चों का बिस्तर

गर्मियों में जिस बिस्तर पर बच्चे सोते हैं उस पर मोटे गद्दे का इस्तेमाल ना करें गर्मियों में विस्तर हमेशा पतला एवं दड़ी नुमा होना चाहिए। जिससे नीचे विषय हुए विस्तर से गर्मी ना निकले अगर बिस्तर गर्म बिछा हुआ है। तो ऊपर से मिलने वाली ठंडक भी काम नहीं करेगी एवं बच्चे की त्वचा को रगड़ के कारण त्वचा की समस्याएं उत्पन्न होंगी।

20. गर्मी में स्वास्थ्य का ध्यान रखें (health in summers)

गर्मी में स्वास्थ्य से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याएं हो जाती हैं इसलिए माता-पिता को अपने फेसबुक पर स्वास्थ्य एवं उसके हाइड्रेशन का बहुत ध्यान रखना चाहिए शिशु को किसी भी प्रकार की बीमारी का सामना ना करना पड़े गर्मी में होने वाली दिक्कतें निम्न है

लू लगने (हीट स्ट्रोक) के लक्षण (symptoms of loo)

  • शरीर का उच्च तापमान (high temperature)(103°F या इससे अधिक)
  • गर्म, लाल, सूखी त्वचा
  • धड़कन तेज (fast heart beat) होना
  • जी मिचलाना
  • उलझन या झुंझलाहट
  • बेहोशी

सन बर्न या धूप में झुलसने के लक्षण

  • त्वचा का लाल होकर जलन होना
  • त्वचा पर फफोले पड़ना

निष्कर्ष

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको गर्मियों के मौसम में शिशु को किस प्रकार स्वस्थ रखा जाता है। इनके छोटे-छोटे बिंदुओं के विषय में बात की है हमने दिए हुए आर्टिकल में यह बताया है। कि अपने शिशु को भीषण गर्मी एवं लू की चपेट से कैसे बचाया जा सकता है एवं उसे स्वस्थ रखा जा सकता है।

यदि आपको आर्टिकल के विषय में किसी भी प्रकार की समस्या है। तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं हमें आपका उत्तर देने में बहुत खुशी होगी।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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