क्या छोटे बच्चों की लार टपकना चिंता का विषय है? | Baby Ka Lar Girna

अक्सर अपने माता-पिता को अपने बच्चों का विशेष ध्यान देते हुए देखा होगा वह अपने बच्चों को हर जरूरी सुविधा देने का प्रयास करते हैं और उन्हें स्वस्थ रखने का प्रयास करते हैं। परंतु अपने छोटे बच्चों को उनकी लार टपकती हुए देखा होगा माताएं बड़े प्यार से बार-बार अपने बच्चों की लार को साफ करती रहती है। परंतु लार टपकने के पीछे क्या कारण है (Baby ki lar girne ke reason)और उसे कैसे रोका जा सकता है उसके विषय में अक्सर पेरेंट्स को जानकारी नहीं होती। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके छोटे बच्चों की लार टपकने के कारण और उसके उपाय (Baby ki lar girne ka reason and treatment) के विषय में बताएंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

कितना आम होता है बच्चों का लार टपकाना? (Baby Ka Lar Girna) 

2 साल तक के बच्चों में लाल (Baby ki lar girne ki samanyata) टपकना एक आम बात मानी जाती है। अक्सर 2 साल तक के बच्चों में सभी में लार टपकने की समस्या पाई गई है। लार टपकना मुकता शारीरिक के मानसिक कर्ण की वजह से भी हो सकता है। 

 क्या छोटे बच्चों की लार टपकना चिंता का विषय है Baby Ka Lar Girna

परंतु इस बात की कोई ठोस प्रमाण नहीं है की लार किस वजह से टपकता है। 2 साल तक का बच्चा यदि आपका लड़ टपकता है तो उसमें कोई चिंता का विषय नहीं है। 2 साल तक के अधिकतर बच्चे के अंदर लार टपकने की समस्या पाई जाती है। 

लार टपकने का एक सबसे महत्वपूर्ण कारक है कि बच्चों के दांत निकलते हैं बच्चे के दांत निकलने पर बच्चों को बहुत सारे दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। बच्चों के दांत निकालने के समय बच्चे की लार टपकने की समस्या और ज्यादा पड़ जाती है जो कि इसका मुख्य कारण हो सकता है। 

बच्चे लार टपकाना कब शुरू करते हैं?

बच्चों में लाल टपकने की शुरुआत (Baby ki lar girne ke shuruat) अक्सर 22 में सत्य से शुरू होती है। 22 में सप्ताह के पहले बच्चों की सलाइवेरी ग्लैंड बिल्कुल भी विकसित नहीं हो पाती है। जिसके कारण उनके मुंह में सलाइवा नहीं बनता है। 

22 में हफ्ते तक बच्चों के दांत भी नहीं निकलते हैं 22 में हफ्ते तक बच्चा 5 महीने का हो जाता है। 5 महीने का होने के बाद बच्चों की सलाइवेरी ग्लैंड विकसित होने लगते हैं और उसका सलाइवा निकलने लगता है। बच्चों के मुंह में दांत ना होने के कारण सलाइवा बच्चों के मुंह से बाहर आने लगता है। 

क्योंकि बच्चे के दांत सलाइवा को रोकने के लिए विकसित नहीं हो पाते हैं। बच्चा अपने सलाइवा को निगलने के लिए भी समर्थ नहीं होता इसलिए वह अपने सलाइवा को बाहर टपकता रहता है।

 नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फोर्मेशन द्वारा इस संबंध में किए गए एक शोध में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि बच्चों में पांचवें और छठे महीने से लार आने की प्रक्रिया पहले के मुकाबले अधिक तेज हो जाती है।

 क्या लार टपकाना बच्चे के विकास में मदद करता है? 

लाल टपकना बच्चों के विकास (Baby ki lar girne se development) में मददगार है या नहीं इसके विषय में वैज्ञानिक के द्वारा कोई ठोस जानकारी प्रदान नहीं की गई है। परंतु लड़ बना बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। 

लार में ऐसे बहुत सारे न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं और एंजाइम्स पाए जाते हैं जो बच्चे के मुंह में खाने के साथ मिलकर उसके पेट में इंटर करते हैं। और खाने को पचाने में मदद करते हैं। खाना ठीक प्रकार से पचने से बच्चा बीमार काम पड़ता है। 

और खाने में उपस्थित सभी पोषक तत्व ठीक प्रकार से बच्चों के शरीर में अवशोषित होते हैं और उसे एनर्जी प्रदान करते हैं। इसके अलावा सलाइवा में बहुत सारे एंजाइम्स ऐसे होते हैं जो बैक्टीरिया को करने में भी मदद करते हैं। 

बैक्टीरिया को मुंह में ही करने से बच्चा बीमारियों से बच्चा रहता है। और बहुत सारी बीमारियां उसे पीड़ित नहीं कर पाते इसलिए सलाइवा बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परंतु लाल टपकने से बच्चों के विकास संबंधित कोई भी क्रिया संपन्न नहीं होती। 

लार में एंटीबैक्टीरियल गुड़ पाए जाते हैं जो बहुत सारे, बैक्टीरिया और वायरस को करने में मदद करते हैं और बच्चे को बीमारियों से बचते हैं। बच्चा 5 महीने की उम्र में सो सिर्फ दूध पीता है। 

लार में ऐसे बहुत सारे एंजाइम्स पाए जाते हैं जो दूध को पचाने में मदद करते हैं। इसके अलावा बच्चा यदि किसी ठोस पदार्थ का सेवन भी करता है। तो सलाइवा उन सारे एंजाइम्स को पचाने में भी मदद करता है और बच्चे को स्वस्थ रखता है। 

जब बच्चा ठोस पदार्थ का सेवन करता है तो ठोस पदार्थ बच्चों की लार के साथ मिलकर उसे निकालने में आसानी प्रदान करता है। लार में चिकना पदार्थ पाया जाता है जो खा गए भोजन को चिकन बना देता है। और उसे आसानी से निकलने में मदद करता है। 

यह शरीर में पोषक तत्वों का अवशोषण कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है। 

बच्चों के लार टपकने के क्या-क्या कारण है? 

बच्चों के लार टपकने के और क्या-क्या (Baby ki lar girne ke reason) कारण हो सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। जिसके पता लगाने पर आप अपने बच्चों को लार टपकने की समस्या से बचा सकते हैं। 

1.सामान्य कारण :

सलाइवा ग्लैंड का विकसित होना : सलाइवा ग्लैंड का विकसित होना भी लाल टपकने का एक मुख्य कारण हो सकता है। जैसा कि हमने आपको पहले बताया है कि पांचवे महीने में बच्चों की सलाइवेरी ग्लैंड विकसित होने लगती है। और बच्चे का सलाइवा निकलने लगता है। 

परंतु शारीरिक एवं मानसिक विकास की कमी के कारण बच्चा सलाइवा अपने मुंह में नहीं रोक पाता जिसके कारण वह उसे अपने मुंह से बाहर निकलता रहता है। और यह बच्चे के सलाइवा टपकने का मुख्य कारण होता है। 

दांत निकलना : दांत निकालने के समय बच्चों को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दांत निकालने के टाइम बच्चे का सलाइवा और तेजी से मुंह से बाहर आता है। क्योंकि सलाइवेरी ग्लैंड दांत निकालने के समय तेजी से विकसित होती है। 

और सलाइवा को ज्यादा प्रोड्यूस करती हैं सलाइवा के प्रोडक्शन के कारण बच्चा दांतों की कमी और शारीरिक अक्षमता के कारण सलाइवा को मुंह में रोकने में असमर्थ हो जाता है। और सलाइवा मुंह से बाहर आने लगता है। 

खाना- बच्चा जब किसी खट्टे या मसालेदार चीज का सेवन करता है तो उसके मुंह में लार टपकने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इसलिए बच्चों को मसालेदार भोजन का यदि आप सेवन करते हैं तो वह ज्यादा तेजी से लाल टपकता है। 

यह भी लाइट अप करने का एक मुख्य कारण होता है विभिन्न विभिन्न भोजन पर यह निर्भर करता है कि बच्चे की लार किस प्रकार से निकलती है। 

2.असामान्य कारण :

  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियों से संबंधित विकार
  • मानसिक विकास की कमी।
  • मुंह में घाव।
  • एसिडिटी।
  • कुछ विशेष दवाओं का प्रभाव।
  • रिले-डे सिंड्रोम (तंत्रिका तंत्र से संबंधित आनुवंशिक विकार)
  • विल्सन रोग (आनुवंशिक विकार, जो शरीर में कॉपर की अधिकता का कारण बनता है)
  • रेट सिंड्रोम (आनुवंशिक मस्तिष्क विकार)।
  • टॉन्सिलाइटिस (टॉन्सिल्स में संक्रमण)।
  • दांतों में कैविटी।
  • श्वसन नाली व ग्रास नाली के ऊपरी भाग (थ्रोट, लैरिंगक्स और ट्रेकिया) में संक्रमण।

क्या शिशु के ज्यादा लार टपकाने पर डॉक्टर के पास जाना चाहिए? 

जैसा कि हमने आपको इस आर्टिकल में पहले भी जानकारी दी है। कि 2 साल तक के बच्चे यदि लड़ टपकते हैं तो यह बिल्कुल सामान्य बात होती है। मैक्सिमम सभी बच्चों में लार टपकने की समस्या पाई जाती है। क्योंकि उनका शारीरिक एवं मानसिक विकास नहीं हो पाता। 

इसलिए वह लड़ को अपने मुंह में रोकने में असमर्थ होते हैं जिसके कारण उनकी लड़ सकती है। यदि आपका बच्चा 2 साल का है तो आपको फिक्र करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है। आप आराम से अपने बच्चों को बिना किसी फिक्र के बड़ा कर सकते हैं। 

इसमें आपको डॉक्टर के दिखाने की आवश्यकता नहीं है परंतु यदि बच्चा 2 साल से बड़ा हो गया है। तब भी वह लाल टपकना बंद नहीं कर रहा है या उसके मुंह में अल्सर है। तो आप डॉक्टर को अवश्य दिखा सकते हैं।  और उनसे यह परामर्श ले सकते हैं कि अब आप अपने बच्चों के लिए किस प्रकार का इलाज कर सकते हैं। 

बच्चों के लार टपकने का इलाज

  • शुरुआत के समय में बच्चा ज्यादा लाड पकाने की समस्या होती है। इसलिए बच्चों के चेहरे के आसपास लाल चकत्ते पढ़ने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। यदि बच्चे के चेहरे पर लाल चकत्ते पढ़ने से आप बचाना चाहते हैं। तो आप बच्चों के मुंह के आसपास पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • पेट्रोलियम जेली को लगाने से बच्चे का लार से सीधा संपर्क नहीं रहता है। और वह बच्चे की त्वचा को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचते हैं। 
  • यदि लाल चकत्ते के कारण बच्चों के मुंह में जलन हो रही है तो जलन से भी आराम प्रदान करने में यह मदद करता है। 
  • यदि आप अपने बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास करें। और उन्हें सीखने की वह कैसे अपने सर को कंट्रोल कर सकते हैं या लड़ को निकाल सकते हैं। तो भी वह लार टपकने को बंद कर सकते हैं और इन सारी छोटी-छोटी बातों को सीख सकते हैं। 
  • क्या गंभीर स्थितियों में डॉक्टर ग्लाइकोप्राइरोलेट (Glycopyrrolate) और एंटीकोलिनर्जिक (Anticholinergic) (तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकार को दूर करने वाली दवाएं) दवाओं को उपयोग में ला सकते हैं।
  • बच्चों के मुंह में अधिक लार आने से माता-पिता को सर्जरी तक का सहारा लेना पड़ता है। इसलिए डॉक्टर के परामर्श के बाद ही किसी बात का ध्यान रखना चाहिए और आगे कुछ भी करने का प्रयत्न डॉक्टर के परामर्श के बाद ही करना चाहिए। 

बच्चों की लार को रोकने के घरेलू उपाय (Baccho Ki Laar Rokne Ke Upay ) 

बच्चों के लार को रोकने के क्या-क्या घरेलू (Baby ki lar girne ka gharelu treatment) उपाय हो सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

1.टीथिंग टॉय- यह एक माध्यम है जिसकी मां बलबूते पर आप अपने बच्चों की लार टपकने की समस्या को कम कर सकते हैं। परंतु यह एक पर्याप्त उपाय है या नहीं। 

उसके विषय में पर्याप्त जानकारी नहीं है इसको इस्तेमाल करने के बाद ही आप ही है पता लगा पाएंगे कि तीथिंग टॉय बच्चों की लार को रोकने का एक सही उपाय है या नहीं। 

2.बेबी टिशु : बेबी टिशु के माध्यम से आप बच्चों के मुंह से बार-बार टपकती हुई लार को साफ कर सकते हैं। एक बार साफ की हुई लार वाला टिशु द्वारा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 

क्योंकि यदि वह त्वचा के संपर्क में आएगा तो वह त्वचा को विभिन्न प्रकार की बीमारियां कर सकता है इसलिए बिल्कुल फ्रेश टिशु का इस्तेमाल करना चाहिए। 

3.मौखिक स्वास्थ्य- भारत के अधिकतर परिवारों में मौखिक स्वास्थ्य पर ज्यादातर ध्यान नहीं दिया जाता परंतु यह बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चों के दांत और मसूड़े की सफाई करना बहुत जरूरी होता है। इसलिए बच्चों के मौखिक स्वास्थ्य पर जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए। 

और लगातार उसके दांतों को साफ रखना बहुत आवश्यक है मुंह में गंदगी के कारण बहुत सारी बीमारियों से बच्चा ग्रसित हो सकता है। बच्चों के मुंह को अंदर साफ करने की जिम्मेदारी माता-पिता की है जिसका उन्हें पूरी तरीके से ध्यान रखना चाहिए। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. शिशुओं को लार टपकने की समस्या कितने समय तक रहती है? 

समानता जब बच्चा 2 वर्ष का होता है तब तक उसके लार टपकने की समस्या बनी रहती है। 2 वर्ष के बाद बच्चे की लार टपकना बंद हो जाती है। 

Q. क्या अधिक लार टपकना ऑटिज्म से जुड़ा होता है? 

वैसे तो लार टपकना ऑटिज्म का ही एक लक्षण है। परंतु हर बच्चे के अंदर लार टपकना ऑटिज्म का कारण नहीं होता। यह सामान्य वजह की वजह से भी हो सकता है। 

Q. बच्चों की लार ग्रंथियां कब विकसित होती हैं? 

जब बच्चा 5 महीने का होता है तब उसकी लार ग्रंथियां विकसित होती हैं। 

Q. क्या बच्चे का लार टपकना बिल्कुल सामान्य बात है? 

बच्चों की लार टपकना बिल्कुल सामान्य घटना होती है सामान्यत यह हर बच्चे में पाई जाती है। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको क्या छोटे बच्चों की लार टपकना चिंता का विषय है (Baby Ka Lar Girna) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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