बच्चों की मालिश कैसे की जाती है? | Baby Ki Malish Kaise Kare?

जितना फायदेमंद और जरूरी मां का दूध बच्चे के लिए होता है। उतनी ही जरूरी बच्चे के लिए शरीर की मालिश होती है शरीर की मालिश करने से बच्चा एक्टिव रहता है। उसके अंदर फुर्ती रहती है और उसके खून का दौरान अच्छा बना रहता है। पेरेंट्स अपनी समझ के हिसाब से बच्चे की मालिश करने का प्रयास करते हैं परंतु बच्चे की सही ढंग से मालिश कैसे की जाती है (Baby ki malish kaise karen) इसके विषय में उन्हें जानकारी नहीं होतीं।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको यह जानकारी देंगे कि बच्चे की मालिश कैसे की जाती है।(Baby ki malish ka sahi tareeka) यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़ें।

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शिशु की मालिश क्या है? | What is baby massage?

शिशु की मालिश उसके माता के द्वारा या परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा की जाती है।(Baby ki malish kya hai) शिशु की मालिश में शिशु के लिए बनाया गया तेज या लोशन का इस्तेमाल करके शरीर पर उसे सह लाया जाता है। शिशु के शरीर की एक्सरसाइज कराई जाती है। मालिश से शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास होता है। साथ-साथ उसका उसके पेरेंट्स के साथ तालमेल अच्छा रहता है।

बच्चों की मालिश कैसे की जाती है Baby Ki Malish Kaise Kare

शिशु की मालिश करने से क्या लाभ होता है?

शिशु की नियमित रूप से मालिश करने से कई लाभ होते हैं।(Baby me malish ke Benefits) जिनके विषय में नीचे पॉइंट में जानकारी प्रदान की गई है।

1. बच्चे को अच्छी नींद आती है :

बच्चे को सोने से पहले उसके शरीर में मालिश करने से शरीर में मेलाटोनिन पिगमेंट का उत्सर्जन होता है। जिससे शरीर को आराम मिलने में मदद मिलता है और बच्चे को बहुत अच्छी नींद आती है।

2.मांसपेशियों को आराम मिलता है और तनाव कम होता है :

शिशु की नियमित मालिश करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है। नियमित रूप से मालिश करने से शरीर में खुशी प्रदान करने वाले ऑक्सीटॉसिन हार्मोन का उत्सर्जन होता है। यह हार्मोन तनाव को कम करने में मदद करता है इससे बच्चा खुश रहता है और शरीर मजबूत बना रहता है।

3. सामाजिक और मानसिक विकास में सहायक :

शिशु की नियमित मालिश करने से शिशु का शारीरिक सामाजिक और मानसिक विकास होता है। शिशु का शरीर स्वस्थ रहता है शिशु बिल्कुल एक्टिव रहता है।

4. तंत्रिका तंत्र का उत्तेजित होना :

शिशु की नियमित रूप से मालिश करने से शिशु का तंत्रिका तंत्र उत्तेजित रहता है। उसकी मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के बीच तालमेल अच्छा रहता है। बच्चे का शरीर ठीक प्रकार से कार्य करता है।

5. पाचन रक्त संचार और सांस लेने में फायदा :

शिशु की मालिश करने से वह खुश रहता है और उसका रक्त संचार पाचन तंत्र सही बना रहता है। जिससे शिशु अंदर से स्वस्थ महसूस करता है। शिशु की मालिश करने से उसे कब्ज और गैस संबंधी समस्याएं नहीं होती। इसके अलावा उसे स्वास्थ्य सांस लेने में भी कोई तकलीफ नहीं होती।

शिशु की मालिश कब शुरू करें?

विशेषज्ञों की मानें तो शिशु की मालिश उसके जन्म के 4 सप्ताह बाद करना शुरू किया जा सकता है।( Baby ki malish kab shuru karen) 4 सप्ताह के बाद सूखी त्वचा अच्छे से विकसित हो जाती है। उसका नाभि तंत्र भी टूटकर सही हो जाता है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारी तंत्र जब तक पूरी तरह सही ना हो तब तक पेट की मालिश नहीं करनी चाहिए।

शिशु की मालिश करने का सबसे अच्छा समय

  • शिशु की मालिश का सबसे अच्छा समय में है। जब वह भूखा ना हो या वह थका हुआ ना हो। यदि दोनों परिस्थितियों में वह ठीक है तो वह अपनी मालिश को अच्छे से एंजॉय कर पाएगा।

 शिशु की मालिश दिन में किसी भी समय की जा सकती है। उसके स्तनपान मालिश नहलाने आदि के समय को फिक्स कर लेना चाहिए।

  • अगर पेरेंट्स को संभव हो तो वह अपने शिशु की दैनिक क्रिया का एक क्रम बना सकते हैं। उदाहरण के लिए पहले बच्चे की मालिश करके उसे नहलाने के बाद उसे सुला सकते हैं। यह क्रम उसे याद हो जाता है और इसी दिनचर्या के अनुसार वह कार्य करने लगता है।
  • शिशु की मालिश की प्रक्रिया लंबी है इसलिए उसे बीच में ही भूख लग सकती है। शिशु की मालिश और उसे नहलाने के अंतराल का समय कम रखना चाहिए।

 जिससे उससे बीच में भूख ना लगे रात को सोने से पहले भी बच्चे की मालिश की जा सकती है। इससे बच्चे की थकान दूर हो जाएगी और वह आराम से सो पाएगा।

शिशु की मालिश कैसे करनी चाहिए? | Baby Ki Malish Kaise Kare

शिशु की मालिश करना देखने में आसान ललगता हैं परंतु बच्चों की त्वचा कोमल होती है। जिसके कारण शिशु की मालिश में सतर्कता बरतनी आवश्यक है। शिशु की मालिश कैसे करनी चाहिए (Baby Ki Malish Kaise Kare) इसके विषय में नीचे टॉपिक में जानकारी दी गई है।

स्टेप 1- शिशु को मालिश के लिए तैयार करें

सबसे पहले शिशु को मालिस के लिए तैयार करना होगा क्योंकि यदि मैं मालिश के लिए तैयार नहीं है तो वह रो-रोकर आपको अच्छी मालिश नहीं करने देगा।

शिशु की मालिश करने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शिशु बिल्कुल शांत हो और उसका पेट भरा हुआ सबसे पहले सिसु की हथेली उसके कानो पर तेल लगाना चाहिए। अगर इस दौरान में रोने लगे तो यह समझ जाना चाहिए कि वह मालिश के लिए तैयार नहीं है। यदि वह शांत रहता है तो बच्चे की मालिश करनी चाहिए।

स्टेप 2- शिशु के पैरों की मालिश

  • शिशु की मालिश की शुरुआत पैरों से करनी चाहिए। सबसे पहले आप अपने हाथों में हल्का तेल लगाने इसके पश्चात शिशु के तलवों पर तेल को हल्के हल्के मिलना चाहिए। शिशु की उंगलियों के बीच में तेल को मिलना चाहिए उसकी पैर के जोड़ को हल्के हल्के घुमाना चाहिए।
  • शिशु के तलवे के नीचे और ऊपर तेल की मालिश हल्के हाथों से करनी चाहिए।
  • एक पैर को ऊपर उठाएं और टखने पर हल्के-हल्के हाथ फेरें। फिर हाथ को जांघों पर ले जाएं। ऐसे ही आप दूसरे पैर पर भी मालिश करें।
  • हाथों से हल्के हल्के  जांघों को दबाना चाहिए।
  • शिशु की टांगों को हल्के हाथों से घुटनों तक होना चाहिए। इससे शिशु का पेट की एक्सरसाइज होती है और उसके पेट की गैस बाहर निकल आती है।

स्टेप 3- शिशु के हाथों की मालिश

  • सिसु के हाथों की मालिश करने के लिए हाथों पर तेल लगाकर शिशु की हथेली पर हल्के हल्के  मलना चाहिए।
  • अब तेल से उसकी हथेलियों से लेकर उंगलियों के पोरों तक हल्की मालिश करें।
  • अब धीरे से बच्चे के हाथों को मोड़ें और धीरे-धीरे उसके हाथ के पिछले हिस्से से कलाई तक मालिश करें।
  • अब कलाई पर हाथों को गोल-गोल घुमाते हुए मालिश करें।

स्टेप 4- शिशु के सीने और कंधों की मालिश

  • सिसु की सीने और कंधे की मालिश करने के लिए हाथों में तेल लगाकर कंधों से सीने तक तेल को मलना चाहिए।
  • इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराना चाहिए।
  • हल्के हाथ से सीने के बीच हाथ रख के नीचे की ओर ले जाना चाहिए इससे सीने की मालिश अच्छे से हो पाती है।

स्टेप 5- शिशु के पेट की मालिश

  • शिशु का पेट नाजुक होता है इसलिए पेट पर दबाव नहीं डालना चाहिए। शिशु के पेट की मालिश करने के लिए पीने के लिए से पेट की मालिश नीचे तक करनी चाहिए।
  • फिर हल्के हाथों से पेट और नाभि के बीच हाथों को घुमाना चाहिए इससे पेट की मालिश अच्छी होती है।

स्टेप 6- शिशु के सिर और चेहरे की मालिश

  • शिशु के सिर की मालिश करने के लिए उसके सिर पर तर्जनी उंगली रखकर गोल घुमाते हुए मालिश करना प्रारंभ करना चाहिए।
  • शिशु की ढोढी से अपनी उंगलियों को गालों की ओर ले जाएं और गोल-गोल मोशन में शिशु के चेहरे की मालिश करें। इस प्रक्रिया को दो-तीन बार दोहराएं।
  • बच्चे के बालों में तेल लगाकर इस तरह मालिश करनी चाहिए जैसे कि शैंपू लगा रहे हैं। बच्चे का सिर नाजुक होता है इसलिए हल्के हाथों से मालिश करें।

स्टेप 7- शिशु की पीठ की मालिश

  • शिशु को पीठ के बल लेटाकर उसकी पीठ पर तेल लगाना चाहिए।
  • आप अपनी उंगलियों को हल्के हाथों से ऊपर से घुमाते हुए नीचे की ओर लाएं और इस प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रीड की हड्डी पर उंगलियों को ना रखें।

मुझे अपने बच्चे की मालिश कितनी बार करनी चाहिए?

कुछ परिवार अपने बच्चे की मालिश शुरुआती 3 महीनों में दो बार करते हैं परंतु यह सच्ची बता पाना मुश्किल है।  की शिशु की मालिश कितनी बार करनी चाहिए। (Baby ki malish kitni baar karni chahiye) यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास कितना समय है और शिशु को मालिश करवाने में कितना मजा आ रहा है उस हिसाब से आप अपने शिशु की मालिश कर सकते हैं।

शिशु की मालिश के लिए कुछ जरूरी टिप्स और ध्यान देने योग्य बातें

शिशु की मालिश करने से शिशु का विकास ठीक प्रकार से होता है। वह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहता है।

शिशु की  मालिश के कुछ जरूरी टिप्स और ध्यान देने योग्य (Baby ki malish ke jaruri tips) बातें नीचे पॉइंट्स के माध्यम से स्पष्ट की गई है।

  • शिशु की मालिश के लिए ठंडे तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.यदि मौसम ठंडा है तो तेल को हल्का गर्म कर लेना चाहिए।
  • मालिश करते समय आपको बच्चे की आंखों में देखना चाहिए। इससे बच्चा आपको दीजिएगा आपके प्रति उसका प्यार और बढ़ेगा।
  • तेल मालिश करने के बाद बच्चे को 10,15 मिनट बाद मिला देना चाहे ज्यादा देर तक तेल को शरीर पर नहीं छोड़ना चाहिए।
  • शिशु की मालिश करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि तेल उसकी आंखों में ना जाए आंखों में तेल जाना सिसु की आंख के लिए हानिकारक होता है।
  • शिशु की मालिश करने के पश्चात उसे गुनगुने पानी से नहलाना चाहिए। इससे उसके शरीर का तेल अच्छे से हट जाएगा।
  • शिशु के भोजन और मालिश के बीच 30 से 45 मिनट का अंतराल होना चाहिए। यदि खाने के तुरंत बाद मालिश करना प्रारंभ की जाती है तो वह उल्टी कर सकता है।
  • बच्चे को चटाई पर लिटा कर या नरम तौलिए पर लिटा कर मालिश करनी चाहिए।

बच्चों की मालिश के लिए खास तेल

शिशु की मालिश करने के लिए सही तेल का चयन करना आवश्यक है। नीचे यह जानकारी दी गई है कि शिशु की मालिश के लिए आप कौन कौन से तेल (Baby malish ka khaas oil) का इस्तेमाल कर सकते हैं।

नारियल तेल :

बच्चों की मालिश के लिए नारियल तेल एक बेहतर विकल्प है। नारियल तेल में एंटी बैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं। जो बच्चे के शरीर को माइक्रोग्यल इन्फेक्शन होने से बचाते हैं।

जैतून का तेल :

बच्चे की मालिश करने के लिए जैतून का तेल बहुत फायदेमंद है। भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी जैतून के तेल का इस्तेमाल मालिश करने के लिए किया जाता है।

बादाम का तेल :

बादाम का तेल बच्ची की मालिश के लिए फायदेमंद होता है। बादाम के तेल में विटामिन ई पाया जाता है। जो शरीर को पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करता है।

सरसों का तेल :

सरसों का तेल भी मालिश करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। सरसों का तेल गर्म होता है और यह शरीर पर अधिक चिकनाहट पैदा कर सकता है। इसलिए किसी और तेल में मिलाकर और सरसों के तेल से मालिश कि जा सकती हैं ।

अरंडी का तेल :

अरंडी का तेल शिशु के शरीर का रूखापन दूर करने में मदद करता है। इसलिए मैं लाने से पहले अरंडी का तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।

तिल का तेल :

तिल का तेल शिशु के लिए फायदेमंद होता है। तिल के तेल से शरीर की मालिश करना शिशु के शरीर को बहुत सारे रोगों से दूर रखता है।

सनफ्लावर ऑयल :

अगर आपके शिशु की त्वचा बहुत साफ है तो आप अपने शिशु की त्वचा के लिए सनफ्लावर ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। सनफ्लावर ऑयल की मालिश करने से शरीर में विटामिन डी और फैटी एसिड प्राप्त होता है जो शरीर को पोषण प्रदान करने में मदद करता है।

टी ट्री ऑयल :

टी ट्री ऑयल उन बच्चों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिनके शरीर की त्वचा बहुत कोमल होती है। टी ट्री ऑयल में जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं और यह रोगों से शरीर को बचाने में मदद करता है।

बेबी ऑयल:

मार्केट में उपलब्ध विभिन्न तरीके के विभिन्न ऑयल का इस्तेमाल करके भी बच्चे के शरीर की मालिश की जा सकती है।

शिशु की मालिश कब नहीं करनी चाहिए?

यदि शिशु के शरीर बारिश हो रही है (Baby ki malish kab nahi karni chahiye) तो शिशु की मालिश नहीं करनी यदि तेल के इस्तेमाल से शिशु के शरीर पर दाने देखा जा रहे हैं। तो ऐसे तेल का इस्तेमाल तुरंत रोक देना चाहिए। क्योंकि यह शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

 डॉक्टर के परामर्श के बाद ही शिशु की मालिश का तेल इस्तेमाल करना चाहिए। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यदि शिशु को बुखार की तकलीफ है तो उसके शरीर पर मालिश नहीं करनी चाहिए।

 बल्कि डॉक्टरों का कहना है कि हल्का बुखार होने पर शरीर की मालिश करने से शरीर के दर्द कम होते हैं। इसलिए शिशु का स्वास्थ्य खराब होने पर क्या उसे दर्द होने पर डॉक्टर की सलाह के बाद ही उसकी मालिश करें।

मुझे बच्चे की मालिश कब बंद करनी चाहिए?

शिशु के शरीर की मालिश कब बंद होनी चाहिए। (Baby ki malish kab band karen) इसका कोई निश्चित समय नहीं है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि शिशु मालिश का कितना आनंद उठा पा रहा है।

यदि आपके पास समय है और शिशु मालिश का आनंद ले रहा है तो आप अधिक समय तक शिशु के शरीर की मालिश कर सकता है। कुछ परिवारों में शिशु के 5 साल का हो जाने के बाद भी मालिश करना बंद नहीं होता।

 ऐसे बच्चों की सप्ताह में 3 से 4 बार मालिश की जाती है इसलिए यह बात परिवार पर निर्भर करती है कि वह अपने शिशु की मालिश कब तक करना चाहते हैं।

क्या सोते हुए बच्चे की मालिश करना सही है?

सोते समय बच्चे की मालिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि यदि बच्चे की नींद टूट जाती है तो वह चिड़चिड़ा हो सकता है और परेशान हो सकता है। इसलिए जब बच्चा अच्छे मूड में हो और उसका पेट भरा हुआ हो तभी बच्चे की मालिश करना सही विकल्प होगा।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)

Q. शिशु के शरीर की मालिश कितनी बार करना उचित रहता है?

शिशु के शरीर की मालिश शिशु की मालिश का आनंद लेने और आपके पास समय होने पर निर्भर करता है।

Q. शिशु को भोजन कराने और उसकी मालिश के बीच कितने समय का अंतराल होना चाहिए?

शिशु को भोजन कराने और मालिश के बीच 30 से 35 मिनट का अंतराल होना चाहिए।

Q. शिशु की मालिश के लिए कौन से तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है?

शिशु की मालिश के लिए बेबी ब्वॉय, अरंडी ऑयल, टी ट्री ऑयल, नारियल तेल सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

Q. सिसु मालिश के बाद उसे कितनी देर में नहला देना चाहिए?

शिशु की मालिश के बाद उसे 15 मिनट के बाद नहला देना चाहिए।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों की मालिश कैसे की जाती है (Baby Ki Malish Kaise Kare) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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