एक महिला जब पहली बार मां बनती है तब उसके लिए मातृत्व का भाव बिल्कुल नया होता है। उसे हर एक मातृत्व की भावना बिल्कुल नहीं लगती है और अपने बच्चे की देखभाल करना उसके लिए एक सुखद अनुभव होता है। बच्चे को स्तनपान कराना माता का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है। परंतु जब एक महिला पहली बार मां बनती है तब उसे इसके बारे में ज्ञान नहीं होता कि वह अपने बच्चे को कैसे स्तनपान(Baby ko stanpan kaise karaye) करा सकती है।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चे को स्तनपान कराने के तरीकों(Stanpan karane ke tarike) के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
क्या मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम है?
मां के दूध में एंटीबॉडीज पाई जाती है(Baby ko stanpan ki sarvochata) जो शिशु के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में उसकी मदद करती हैं। बच्चे को अंदर से मजबूत बनाते हैं और उसे विभिन्न तरीकों के रोगों से लड़ने में मदद करती हैं। इसलिए मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम होता है।
मां को 6 महीने तक अपने बच्चे को सिर्फ अपना ही दूध पिलाना चाहिए।मां के दूध में पाए जाने वाले गुड फार्मूला मिल्क में नहीं पाए जाते। इसलिए मां को अपना दूध पिलाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए।
स्तनपान शुरू करने का सही समय क्या है?
वर्तमान समय में डिलीवरी नॉरमल और सिजेरियन दो प्रकार की होती है। इन दोनों ही अवस्था में हम आपको बता रहे हैं कि स्तनपान शुरू करने का सही समय (Stanpan suru karne ka sahi samay) क्या है।
1. नॉर्मल डिलीवरी
नॉर्मल डिलीवरी में शिशु को पहले घंटे के अंदर ही स्तनपान कराया जा सकता है। नॉर्मल डिलीवरी में माता की स्थिति भी बिल्कुल सही रहती है।
2. सिजेरियन डिलीवरी
सिजेरियन डिलीवरी में मां के होश में आने के पश्चात और उनके स्थित होने के पश्चात ही शिशु को दूध पिलाना संभव हो पाता है। जब तक माता अस्पताल में रहती है तब तक अस्पताल की नर्स बच्चे को दूध पिलाने में उनकी मदद करती है।
मां को स्तनपान के लाभ | benefits of breastfeeding to mother
स्तनपान शिशु के लिए बहुत लाभकारी होता है परंतु स्तनपान माता के लिए भी बहुत लाभकारी(Maa me Stanpan ke laabh) माना जाता है। माता को स्तनपान के कुछ लाभ नीचे पॉइंट के माध्यम से स्पष्ट किए गए हैं।
- जो महिलाएं अपने शिशु को स्तनपान कराती है वह जल्दी स्वस्थ हो जाती हैं।
- स्तनपान के दौरान निकलने वाले हार्मोन से गर्भाशय से अपने निश्चित आकार में आ जाता है।
- प्रसव के बाद गर्भाशय में होने वाली ब्लीडिंग कम हो जाती है।
- स्तनपान से स्तन और ओवेरियन कैंसर की आशंका कम हो जाती है।
- स्तनपान से टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और ज्यादा कोलेस्ट्रॉल की समस्या कम हो सकती है।
- स्तनपान से मां और शिशु के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत होते हैं। मां और शिशु का प्यार और गहरा होता है और मां तनाव से दूर होती है।
- स्तनपान कराने वाली महिला को अपना वजन बढ़ाने या घटाने में मदद मिलती है।
- स्तनपान कराना बहुत आसान होता है। फॉर्मूला मिल्क की तरह इसे बनाने या बोतल साफ करने का कोई झंझट नहीं होता।
- जब शिशु को भूख लगी हो तब आप तुरंत स्तनपान करा सकते हैं।
बच्चे को स्तनपान के लाभ | benefits of breastfeeding to baby
बच्चे को स्तनपान कराने से बहुत लाभ है।(Babies me stanpan ke laabh) बचपन से ही जो लोग बच्चे को स्तनपान कराते हैं। उनका बच्चा बीमार कम होता है और उसमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। स्तनपान के कुछ लाभ नीचे स्पष्ट किए गए हैं।
- मां के दूध में बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसे पचाना शिशु के लिए आसान होता है।
- स्तनपान से शिशु कई प्रकार के संक्रमण जैसे आंतों के संक्रमण या फेफड़ों के संक्रमण से बचा रहता है।
- शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, जिस कारण आंत्रशोथ, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, कान में संक्रमण, मोटापा, एक्जिमा व डायरिया जैसी बीमारियों से बचाव होता है।
- मां के दूध में अनसैचुरेटेड फैटी एसिड पाया जाता है जो शिशु की दिमागी विकास में मदद करता है।
- जो मा अपने शिशु को शुरुआत से स्तनपान कराती है। उनके बच्चे को 6 महीने तक बीमारी होने पर जल्दी ठीक होने की संभावना रहती है।
- स्तनपान से शिशु को जरूरी बैक्टीरिया मिलते हैं। जो शिशु के आत में आने वाली सूजन या संक्रमण को बचाने में मदद करते हैं।
- मां वीरेंद्र चीजों का सेवन करती है। इस कारण स्तनपान में मां के दूध का स्वाद अलग अलग होता है। बच्चे को अलग अलग स्वाद के दूध पीने की आदत हो जाती है।
जब 6 महीने के पश्चात उसे ठोस पदार्थ का सेवन कराया जाता है तो उसे वह चीजें खाने में परेशानी नहीं होती ।
स्तनपान कराने की सही अवस्था
शिशु को स्तनपान कराने के बहुत सारे तरीके हैं।(Babies me stanpan ke tarike) पहले मां को विभिन्न तरीकों को अपनाकर देखना चाहिए। जो तरीका उन्हें आरामदायक लगी उस तरीके से ही शिशु को स्तनपान कराना चाहिए। नीचे पॉइंट के माध्यम से स्तनपान कराने के असली तरीकों के विषय में जानकारी प्रदान की गई है।
1.क्रैडल होल्ड
क्रेडल गोल्ड शिशु को दूध पिलाने का एक बहुत अच्छा तरीका है। इसमें सबसे पहले मां जिस भी तरफ से बच्चे को दूध पिला रही है। उस हाथ से बच्चे के शरीर और कमर को अच्छे से सहारा देना चाहिए।
इसके लिए मां कुर्सी या दीवाल का सहारा लेकर बैठ सकते हैं।जब मैं दूसरी तरफ से बच्चे को दूध पिलाओ तब भी उन्हे यही अब तरीका अपनाना चाहिए।
2.क्रास क्रैडल होल्ड
इस पोजीशन में स्तनपान कराना एक बिल्कुल अलग तरीका है। आप जिस तरफ से शिशु को स्तनपान करा रहे हैं उसके अपोजर्स हाथ से शिशु के गर्दन खरीद और कमर को सहारा देना चाहिए। मां को अपने दूसरे हाथ को निप्पल को बच्चे के मुंह तक ले जाने में मदद करनी चाहिए।
इस पोजीशन में बच्चे के मुंह से निप्पल नहीं हटती है और बच्चे को दूध पिलाने में आसानी होती है।इस पोजीशन में यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को अच्छे से सास आ रही है। यदि आपका बच्चा प्रीमेच्योर पैदा हुआ है तो यह तरीका उसके लिए बहुत लाभदायक है।
3.फुटबॉल होल्ड
यह तरीका क्रैडल गोल्ड तरीके के समान है। इस तरीके में आप बच्चे को जिस हिस्से से दूध पिला रहे हैं। उसी हाथ से गर्दन रीड तथा कमर को सहारा देना चाहिए।
बच्चे की पीठ के नीचे तकिया रख देना चाहिए। मां को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की नाक ना दबे और उसे अच्छी सी सांस आती रहे ।
4. लेट कर दूध पिलाना
शिशु को आप लेट कर भी दूध पिला सकते हैं। माता जिस तरफ से लेटी हुई है। उस तरफ से लेकर ही किसी को दूध पिला सकती हैं और शिशु के गर्दन और पीठ को सहारा दे सकते हैं।
5.रिक्लाइनिंग पॉजिशन
इस पोजीशन को बायोलॉजिकल नर्चरिंग कहते हैं। इस पोजीशन में माता को अपने सिर, कंधे, पीठ और पैरों के सहारे तकिया लगा कर ले जाना चाहिए। अपने शिशु को पेट पर लिटा कर अपने स्तन तक ले जाना चाहिए और उसे दूध पिलाना चाहिए जिन महिलाओं को पीठ में समस्या रहती है वह इस तरीके को अपना सकते हैं।
नई मां के लिए स्तनपान करवाने के जरूरी टिप्स | Important breastfeeding tips for new moms
नई माताओं को स्तनपान कराने संबंधी कुछ जरूरी टिप्स(Stanpan karane के jaruri tips) आपको प्रदान किए गए हैं। जो आपके काम आ सकते हैं।
पहचानें बच्चा भूखा है या नहीं :
- अगर शिशु अपना हाथ या आसपास का समान चाटने लगे।
- अगर शिशु कुछ चूसने लगे, तो भी वह भूखा हो सकता है।
- अगर शिशु आपके कंधे पर अपना सिर ऊपर नीचे करने लगे।
- अगर शिशु जोर-जोर से रोए, तो यह भी भूखे होने का संकेत हो सकता है।
बच्चे को स्तनपान कराने के लिए लेटना या बैठना :
- जब भी आप अपने शिशु को दूध पिलाया तब आपको आरामदायक स्थिति में रहना चाहिए।
- आप अपने शिशु को ऐसी अवस्था में लेकर बैठना जिसमें आपकी पीठ और कमर में दर्द ना हो।
- आप अर्थ लेटी हुई अवस्था में रहकर भी शिशु को दूध पिला सकते हैं। इसके लिए आपको आधा लेट कर शिशु को दूध पिलाना होगा इससे माता-पिता बच्चे दोनों को आराम है।
- आराम के लिए आप तकिए का सहारा ले सकते है ।
- शिशु को गोदी में लेकर दूध चलाया जा सकता है। इसलिए आप अपनी गोदी में तकिया रखकर आराम से उसमें शिशु को लेटा कर कर दूध पिला सकते हैं।
शिशु मुंह से स्तनों को ठीक से पकड़े :
- ध्यान दें कि शिशु के मुंह में निप्पल आराम से चले जाएं।
- इससे शिशु आसानी से दूध पी सकेगा।
स्तनों को सपोर्ट करना :
- अगर किसी के दूध पीने पर आपको दर्द हो रहा है तो आप अपने हाथ का सहारा लेकर शिशु को दूध पिला सकते हैं।
- इससे सिसु निप्पल को आराम से पकड़ लेगा और उसे दूर करने में भी आसानी होगी।
शिशु के होंठ की पॉजिशन :
- शिशु का मुंह मां के स्तन के पास होना चाहिए इससे शिशु को दूध पीने में आसानी होती है।
बच्चे को कब और कितना दूध पिलाना चाहिए?
शिशु के जन्म के बाद पहले 4 हफ्ते में उसे 24 घंटे में 10 से 12 बार भूख लगती है। (Sisu ko doodh ki matra) जन्म के कुछ समय पश्चात पर शिशु अक्सर सोते रहते हैं। माता की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने शिशु को उठाकर उसे दूध पिलाएं पहले उसे एक स्तन से दूध पिलाना चाहिए।
जब वह पीना बंद कर दे तब दूसरे स्तन से दूध पिलाना चाहिए। यदि वह भूखा रह जाता है तो वह दूसरे स्तन से अवश्य दूध पिएगा। शिशु एक बार में कम से कम 40 से 45 मिनट तक दूध पी सकता है।
कैसे पता करें कि आपका शिशु पर्याप्त दूध पी रहा है?
किसी भी मां के लिए यह बहुत असमंजस की स्थिति होती है कि उन्हें यह मालूम नहीं होता कि उनका सिसु भूखा है या नहीं। नीचे ईसी के विषय में कुछ जानकारी प्रदान की गई है ।
नरम स्तन:
यदि शिशु को दूध पिलाने के बाद आपको अपने स्तन नरम प्रतीत होते हैं। तो आपको यह समझ जाना चाहिए कि शिशु ने दूध पी लिया है।
शांत शिशु :
स्तनपान के बाद अगर आपका शिशु शांत है, तो आप समझ जाएं कि उसका पेट भर चुका है।
डायपर :
अगर 1 दिन में आपका शिशु 10 से 12 बार डायपर को भी ला कर रहा है तो आपको यह समझ जाना चाहिए कि सुश्री का पेट भरा हुआ है।
बजन :
यदि जन्म के पश्चात हर हफ्ते शिशु का वजन 200 ग्राम तक बढ़ रहा है तो यह समझ जाना चाहिए कि शिशु को पर्याप्त दूध मिल रहा है।
मल त्याग :
जन्म के बाद शिशु 1 दिन में कम से कम 3 से 4 बार मल त्याग करता है। 7 से 8 दिन होने के पश्चात शिशु के मल का रंग पीला होने लगता है। जैसे-जैसे सिसु बड़ा होता जाता है उसके मल त्याग की कैपेसिटी कम होने लगती है।
स्तनपान के दौरान महिलाओं को होने वाली परेशानी?
स्तनपान के दौरान महिलाओं को कई प्रकार की परेशानियों का(Stanpan sehone wali paresaani) सामना करना पड़ता है जिसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है ।
स्तन में दर्द :
कुछ महिलाओं को स्तनपान कराने के दौरान स्तन में दर्द होता है। यदि स्तनपान के बाद आपको निप्पल में दर्द है तो आपको अपने स्तनपान कराने की पोजीशन को बदल लेना चाहिए।
निप्पल फटना :
पहले हफ्ते में स्तनपान कराने के दौरान कई महिलाओं को निप्पल फटने की समस्या होने लगती है। उन्हें निप्पल में दर्द होता है और उससे खून भी आ सकता है। यह हार्मोन अल बदलाव सावन के उपयोग या स्तनपान के कारण हो सकता है
इसलिए निप्पल फटने कोई चिंता का विषय नहीं है माता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह निप्पल पर दूध सूखने ना दें।
स्तनों में ज्यादा दूध :
कई परिस्थितियों में ऐसा होता है जब बच्चा या तो दूध पी नहीं पाता या मां की सेहतमंद होने के कारण दूध का उत्सर्जन अधिक होता है। ऐसी स्थिति में मां के स्तनों में अधिक दूध हो जाता है इस समस्या को सही करने के लिए आप निप्पल को हल्के हल्के दबाकर ज्यादा दूध को बाहर निकाल सकते हैं।
बच्चे का सो जाना :
स्तनपान के दौरान अक्सर बच्चे सो जाते हैं और उन्हें दूध पिलाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए माता को शिशु को एक निप्पल की वजह दोनों निप्पल से बदल बदल कर दूध पिलाना चाहिए। इससे सिसु जल्दी सोएगा नहीं और वह आराम से दूध पी पाएगा।
स्तन में दूध न बनने की समस्या :
कई महिलाएं इस बात से चिंतित रहते हैं कि उनके स्तन में दूध नहीं बन पाता और उनका बच्चा भूखा रह जाता है। यह सब कुछ काश्तकारों की कमी के कारण होता है। इसलिए महिलाओं को संतुलित एवं पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए।
कामकाजी महिलाएं कैसे अपने बच्चे को स्तनपान कराना जारी रख सकती हैं?
कामकाजी महिलाएं अपने शिशु को दूध कैसे पिलाये सकती हैं। इसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।
- पंप के माध्यम से शिशु को एक जगह दूध खट्टा करके भेज सकती हैं। या ऑफिस में एक प्राइवेट रूम लेकर शिशु को दूध पिला सकते हैं।
- अगर आप शिशु को अपने साथ ऑफिस लेकर जाती हैं। तो काम से टाइम मिलने पर एक शांत वातावरण में बैठकर आपसे दूध पिला सकते हैं।
बेहतर स्तनपान अनुभव के लिए आवश्यक चीजों की सूची
- कम से कम दो नर्सिंग ब्रा खरीदें, जो आपके नाप की और आरामदायक होनी चाहिए।
- नर्सिंग ब्रा में लगे फ्लैप पूरी तरह से खुलने वाले होने चाहिए। अगर यह पूरी तरह से नहीं खुलेंगे, तो स्तनों पर दबाव पड़ सकता है और नसों में रुकावट आने से मास्टिटिस की समस्या हो सकती है।
- कभी-कभी स्तनों से रिसाव हो सकता है, इसलिए अपने पास हमेशा ब्रेस्ट पैड (डिस्पोजेबल) रखें।
- रात में सोने के हिसाब से हल्की नर्सिंग ब्रा भी खरीदें, ताकि आप सोते समय उसमें ब्रेस्ट पैड लगाकर सो पाएं।
- अगर आप अपने स्तनों से दूध निकालकर शिशु को पिलाना चाहती हैं, तो आपको ब्रेस्ट पंप खरीदना होगा।
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
Q. क्या स्तनपान के दौरान शिशु को गाय का दूध पिलाया जा सकता है?
स्तनपान के दौरान शिशु को सिर्फ मां का दूध पिलाना चाहिए गाय का दूध नहीं पिलाना चाहिए।
Q. स्तनपान कराने वाली महिलाओं को धूम्रपान करना सही है?
स्तनपान कराने वाली महिलाएं धूम्रपान करने से अपने बच्चे को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।
Q. क्या शिशु को लेट कर दूध पिलाना सुरक्षित है?
हां शिशु को लेटकर दूध पिलाया जा सकता है यह बिल्कुल सुरक्षित तरीका है।
Q. क्या नॉर्मल डिलीवरी के तुरंत बाद मां दूध पिला सकती है?
नॉर्मल डिलीवरी के 1 घंटे बाद मां अपने बच्चे को दूध पिला सकते हैं।
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चे को स्तनपान कराने के तरीके (Baby Ko Stanpan Karane Ke Tarike) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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