बच्चों के जन्म के बाद मां अपने बच्चों को बिल्कुल सवार कर सुधार कर रखती है। वह अपने बच्चों को हर पौष्टिक आहार देने का प्रयास करती है और उसे सुंदर दिखना पसंद करती है। उसे इसलिए वह हमेशा उसे तैयार रखती है इसके अलावा मां एक और काम करती है। वह अपने बच्चों को आंखों में काजल या सुरमा अवश्य लगती है बच्चे की आंखों में काजल लगाना कितना सेफ होता है (Baccho ke ankh me kajal ki safety) इसके विषय में अक्सर माता को जानकारी नहीं होती।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके बच्चों की आंखों में काजल या सुरमा लगाने के कारण (Baccho ke ankh me kajal ke reason) और उसके प्रभावों के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
काजल क्या है?
काजल एक सौंदर्य प्रसाधन (Kajal kya hai?)की वस्तु है जिसे आंखों में लगाया जाता है। जिसे लगाने से आंखें बड़ी और सुंदर दिखाई देते हैं। हर व्यक्ति के चेहरे पर काजल सुंदर लगता है इसलिए लड़कियां ज्यादातर इस लगाना पसंद करते हैं। यह धुएं की कालिक में घी की कुछ बूंदें मिलाकर बनाया जाता है।
आजकल मार्केट में काजल के बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हो गए हैं विभिन्न विभिन्न कंपनियां अपने अनुसार विभिन्न विभिन्न प्रकार के काजल बनती हैं।
बेबी की आंखों में काजल लगाना सुरक्षित है? | Baccho Ka Kajal Lagana
बीवी की आंखों में काजल लगाना (Baccho ke ankh me kajal ki safety)कितना सुरक्षित है या नहीं। इसके विषय में सबके अलग-अलग विचार हैं। वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि बच्चे की आंखों में काजल लगाने से बच्चे की आंखें खराब होती हैं।
परंतु भारत में पुराने जमाने से ही बच्चों की आंखों में कार्य लगाने की प्रथा है। उनका ऐसा माना जाता है की काजल लगाने से बच्चा सुंदर दिखाई देने लगता है और उसकी आंखें भी स्वस्थ रहती हैं।
परंतु इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि कार्य लगाने से आंखें स्वस्थ रहती हैं। इसके उलट वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है। की लगातार बच्चों की आंख में काजल लगाने से बच्चे की आंखें खराब हो सकती हैं इसलिए बच्चों की आंखों में काजल नहीं लगना चाहिए।
शिशुओं के लिए काजल अच्छा क्यों नहीं है?
बच्चों की आंखों में काजल (Baccho ke ankh me kajal kyun lagayen)लगाना अच्छा क्यों नहीं है। उसके विषय में हमने आपको नीचे जानकारी प्रदान की है। जिसके माध्यम से आप यह पता लगा सकते हैं कि बच्चों की आंखों में काजल क्यों नहीं लगाया जाता।
- जो काजल बाजार में उपलब्ध होता है उसे काजल मैं शिसा मिलाया जाता है। जिसके कारण यह बच्चों की आंखों के द्वारा उनके मस्तिष्क में पहुंच जाता है।
- और बच्चे की आंखों और मस्तिष्क को प्रभावित करता है इसलिए बाजार में उपस्थित काजल को नहीं खरीदना चाहिए।
- बच्चों की आंखों में काजल लगाने के दौरान यदि आप गंदे हाथों से बच्चों की आंखों में काजल लगाते हैं।तो आपके हाथों में लगे हुए बैक्टीरिया या वायरस बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
- और उसे नुकसान पहुंच जाते हैं यदि आप अपनी उंगलियों से बच्चे की आंखों में काजल लगा रहे हैं तो बच्चे की आंख में चोट भी लग सकती है।
- नहाने के दौरान अक्सर आप देखते हैं कि बच्चे की आंखों का काजल बहने लगता है। आंखों का काजल बहने से वह नाक की नदियों में आ सकता है । और यह शरीर के अंदर हानिकारक प्रभाव उत्पन्न कर सकता है इसलिए बच्चों की आंखों में काजल नहीं लगना चाहिए।
- काजल लगाने से बच्चों की आंखों में खुजली लगती है उन्हें किराहट महसूस होती है। इसलिए बच्चों की आंखों में काजल लगाने से बचना चाहिए क्योंकि काजल लगाने से उनकी आंखों में दर्द होता है।
क्या घर का बना काजल शिशुओं की आंखों के लिए सुरक्षित है?
घर पर बना काजल बच्चों (Baccho ke ankh me ghar ke kajal ki safety)की आंखों के लिए सुरक्षित है हम इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं। पुराने जमाने के बड़े बुजुर्ग लोगों इस बात को मानते थे कि घर पर बना हुआ काजल बच्चों की आंखों में लगाने से बच्चे की आंखें सुरक्षित रहती है।
परंतु इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है घर पर बना हुआ काजल बच्चों की आंखों के लिए सुरक्षित है। या नहीं उसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है।
- बुजुर्गों का ऐसा मानना है कि बच्चे की आंखों में काजल लगाने से बुरी नजर उससे दूर भागती है। और बच्चे को नजर लगने से बचाती है।
- बड़े बुजुर्ग ऐसा मानते हैं की आंखों में काजल लगाने से बच्चे सुरक्षित रहते हैं और उनकी आंखें चमकीली दिखाई देने लगते हैं।
- वह ऐसा मानते थे की आंखों में काजल लगाने से आंखें आराम महसूस करती हैं। इसलिए काजल का इस्तेमाल रोजाना करना चाहिए।
- बड़े बुजुर्गों के द्वारा दिया गया एक पुराना मित्र की यह भी है कि काजल को लगाने से बच्चे अधिक देर तक सोते हैं।
क्या बाजार में बिकने वाला काजल इस्तेमाल करना सुरक्षित है?
बाजार में उपलब्ध काजल भी (Baccho ke ankh me market ke kajal ki safety)बच्चों की आंखों के लिए सुरक्षित नहीं होता यह वैज्ञानिकों के द्वारा प्रमाणित किया गया है।
बाजार में उपलब्ध काजल में लेड पाया जाता है जो यदि गलती से भी व्यक्ति की आंखों में नाक के जरिए या मुंह के जरिए प्रवेश कर जाता है। तो यह शरीर को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। बाजार में बिकने वाले काजल कितने सुरक्षित हैं और उनसे क्या-क्या बीमारियां होती हैं उसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है।
- मस्तिष्क और अस्थि मज्जा (Bone Marrow) से जुड़ी समस्या
- एनीमिया
- किडनी डैमेज
- हृदय रोग
- न्यूरोलॉजिकल डैमेज (कोमा और मौत)
- रक्त कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकता है
शिशु के लिए काजल का क्या विकल्प है?
शिशु को आंखों में काजल लगाने के अलावा आप उसके हाथ के तलवे में या पर के तलवे में काजल लगा सकते हैं। पुराने बड़े बुजुर्गों कैसा मानना होता है कि बच्चों को काजल लगाने से उसकी बुरी नजर से बचाया जा सकता है।
और हमेशा सुरक्षित रखा जा सकता है यदि आप बड़े बुजुर्गों क्यों बातों में विश्वास रखते हैं। तो आप अपने बच्चों को आंखों में काजल न लगाकर उसके पैर के तलवे में काजल लगा सकते हैं जिससे उसे बुरी नजर से बचाने में मदद मिलती है।
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
Q. घर में बना हुआ काजल किस चीज से बनाया जाता है?
घर में बना हुआ काजल कालिक और देसी घी को मिलाकर बनाया जाता है।
Q. मार्केट में उपस्थित काजल में क्या हार्मफुल पदार्थ उपस्थित होता है?
मार्केट में पाए जाने वाले काजल में लेड पाया जाता है जो शरीर को नुकसान पहुंचता है
Q. काजल बच्चों की आंखों को किस प्रकार प्रभावित करता है?
काजल बच्चों की आंखों में इरिटेशन का उसे करता है और आंखों को नुकसान पहुंचता है।
Q. बड़े बुजुर्ग काजल के विषय में क्या जानकारी रखते हैं?
बड़े बुजुर्गों का ऐसा मानना है कि काजल लगाने से बच्चे की आंखें चमकीली और सुंदर दिखाई देती हैं।
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल माध्यम से हमने आपको क्या शिशु को काजल या सुरमा लगाना चाहिए ?(Baccho Ka Kajal Lagana) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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