अपने बच्चों के लिए सही स्कूल कैसे चुने? स्कूल की जांच की जाने वाली आठ बातें | Baccho ke liye school ka chunab

बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होने लगता है। उसके लिए अच्छी शिक्षा का प्रबंध माता-पिता करने लगते हैं। उसका दाखिला एक अच्छे स्कूल में करने का प्रयास करते हैं। जिससे शुरुआत से ही बच्चे की शिक्षा बहुत अच्छी रहे और वह अपने जीवन में नए-नए मुकामों को हासिल कर सके। परंतु एक स्कूल में क्या-क्या अच्छी चीज होनी  (Baccho ke liye accha school) चाहिए इसके विषय में हमें जानकारी नहीं होती। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको स्कूल में दाखिला कराने से पहले जांच की जाने वाली (Jach karne yogya baten) चीजों के विषय में बताएंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

अपने बच्चों के लिए सही स्कूल कैसे चुनें?

बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत होने के बाद (Baccho ke liye sahi school ka chunab) जैसे ही एक अच्छे स्कूल का चुनाव होने लगता है। तो हमारे मन में यह बातें आती है कि एक अच्छा स्कूल किसे कहा जाता है। एक अच्छा स्कूल वह नहीं होता।।

baccho-ke-liye-school-ka-chunab-2481836

जिसमें एक अच्छी बिल्डिंग या एयर कंडीशन रूम होते हैं बल्कि एक अच्छा स्कूल वह है। जिसमें शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा है जहां पर पढ़ने वाले टीचर बहुत अनुभवी और बच्चों को समझने वाले हैं। 

बच्चों को एक ऐसा माहौल प्रदान किया जाता है जिससे बच्चा अपनी पढ़ाई को बहुत अच्छे तरीके से संपन्न कर पाए। बच्चों को हमेशा मोटिवेट रखने की कोशिश की जाती है उसे एक अच्छा स्कूल माना जाता है।  अच्छे स्कूल में और क्या-क्या विशेषताएं होती हैं उसके विषय में जानकारी नीचे पॉइंट्स के माध्यम से स्पष्ट की गई है। 

1.स्कूल घर से नजदीक में ही हो :

जब पहली बार बच्चे का स्कूल में (Baccho ke school chunaab me jachne yogya baten) दाखिला होता है। तब वह स्कूल जाने से डरता और कतराता है। यदि स्कूल दूर हो तब तो बच्चा और भी परेशान होने लगता है और स्कूल जाना पसंद नहीं करता स्कूल जाने से पहले बहुत रोता है। 

इन सारी दिक्कतों से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है कि आप अपने आसपास के जितने स्कूल हैं। उन सभी स्कूलों की एक लिस्ट तैयार करें इस लिस्ट में मौजूद सारे स्कूलों के विषय में जानकारी जो टाइम उनके विषय में जाने की वहां की शिक्षा का स्तर कितना अच्छा है। 

स्कूल की शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा है तथा जहां पर बहुत सारे अनुभवी टीचर बच्चों को पढ़ाते हैं। अपने बच्चों के लिए इस स्कूल का चुनाव करें।  क्योंकि यदि आप अपने नजदीक में बच्चों को स्कूल भेजेंगे तो बच्चा स्कूल जाने से डरेगा नहीं और रोज-रोज आपको उसको स्कूल भेजने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। 

2.अपनी क्षमता के बराबर स्कूल चुने :

माता-पिता को अपने बच्चों का दाखिला ऐसे स्कूलों में करना चाहिए जो माता-पिता की क्षमता के अनुसार हूं। बच्चे का दाखिला ऐसे स्कूलों में कभी ना कारण जिसमें बहुत सारे अमीर बच्चे पढ़ते हो। अमीर बच्चों के स्कूल में दाखिला कराने का परिणाम आपके बच्चे के दिमागी हालत पर गलत गलत असर डाल सकता है। 

आमिर बच्चों की बातें उनके शौक उनके अंदाज सब अलग होते हैं बच्चा जब उन अमीर बच्चों को देखेगा तो उसके मन में एक हीन भावना जागृत होगी। और उसे यह महसूस होने लगेगा कि उसके पास संसाधनों की कमी है। यदि वह अपने ही स्तर के बच्चों के बीच में बैठेगा और पड़ेगा। 

तो उसे कभी भी उच्च नीच की भावना मन में नहीं आएगी उदाहरण के लिए यदि छुट्टियों में आमिर बच्चे विदेश घूमने जाते हैं और आपका बच्चा भारत में ही या घर के आसपास ही किसी स्थान पर घूमने जाता है।  स्कूल में आने के बाद आमिर बच्चे विदेश के बारे में बातें करते हैं। तो आपके बच्चे के मन में एक भावना जागृत हो जाती है कि उसके पास संसाधन कितने कम है। 

3.स्कूल में पढ़ाई अच्छा हो :

अपने बच्चों का दाखिला कराने से पहले इस बात को सुनिश्चित अवश्य कर लेना चाहिए कि आप जिस स्कूल में अपने बच्चों का दाखिला कर रहे हैं। उसमें पढ़ाई अच्छी है या नहीं क्योंकि यदि आपका बच्चा स्कूल पढ़ने भी जा रहा है। 

और उसे पढ़ाई के रूप में कुछ भी ग्रहण नहीं कर पा रहा है तो यह समय की बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं है।इसलिए अपने बच्चों का नामांकन करने से पहले इस बात की जांच पड़ताल सुनिश्चित कर लें कि उसे स्कूल में पढ़ाई का स्तर कितना अच्छा है। अपने आप इस स्कूल में जाकर वहां की कक्षाओं का हाल देखें वहां के बच्चों से मिले और उनके ज्ञान का स्तर चेक करें। उसके बाद ही अपने बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाना चाहिए। 

4.शिक्षक अनुभवी और सरल हो :

जिस स्कूल में आप अपने बच्चों का दाखिला कर रहे हैं। वहां इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जो शिक्षक उसे स्कूल में पढ़ा रहे हैं। वह बहुत ज्यादा अनुभवी हो और जिन्हें खुद भी उन विषयों का ज्ञान हो अनुभवी शिक्षक होना। 

इसलिए आवश्यक है क्योंकि उन्हें यह तरीका पता होता है कि बच्चों को वह कैसे पढ़ा और सीख सकते हैं। अनुभवी शिक्षक बच्चों को समझते हैं उसकी मनोदशा को समझते हैं और उसे उसी तरीके से पढ़ने का प्रयास करते हैं। 

ज्ञान सभी के पास होता है परंतु उसे किस तरीके से दूसरे को समझाया जाता है। यह सिर्फ अनुभवी शिक्षकों को ही मालूम होता है। बच्चे को सरल तरीके से कैसे पढ़ाई। जिससे उसकी आसानी से समझ आ जाए उसके विषय में जानकारी एक अनुभवी और सरल शिक्षक को ही होती है। 

5.Activity पर भी ध्यान दिया जाता हो :

आप अपने बच्चों को यदि स्कूल में दाखिला कर रहे हैं। तो आप उसकी अच्छी शिक्षा के साथ-साथ यह भी चाहते हैं कि उसका मानसिक और शारीरिक विकास भी अच्छी तरीके से हो। 

इसके अलावा उसके अंदर अनुशासन और नैतिकता का भी विकास हो बच्चे के अंदर छुपी हुई प्रतिभा भी बाहर निकाल कर आए। आज के युग में पढ़ाई के अलावा ऐसी बहुत सारी एक्टिविटीज हैं। जिसमें बच्चा अच्छी तरीके से ज्ञान अर्जित करके अपना कैरियर बन सकता है और एक अच्छा मुकाम हासिल कर सकता है। 

इसलिए बच्चों के अंदर के टैलेंट को निखारने के लिए स्कूल एक बहुत अच्छा साधन है। स्कूल में विभिन्न प्रकार की एक्टिविटीज कराई जाती है। बच्चे का जी एक्टिविटी में इंटरेस्ट है उसमें वह पार्टिसिपेट करता है। और धीरे-धीरे उसमें ज्ञान अर्जित करके एक प्रांगण व्यक्ति हो जाता है। इसलिए ऐसे स्कूल का चुनाव करना चाहिए जिसमें शिक्षा के साथ-साथ एक्टिविटीज पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है। 

6.स्कूल में एक सभासद(Councilor) की व्यव्स्था हो :

बच्चों के मन की बात जाना और उसे सुलझाना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि बच्चे के मन में क्या-क्या है। यदि बच्चा बताता नहीं तो वह अपने मन में रखता है और उसकी समस्याओं को सुलझा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। 

बच्चे की मां की बात वही जा सकता है जिससे बच्चा बिल्कुल नहीं डरता और बेझिझक सब कुछ बात पता है। अक्सर बच्चे अपने माता-पिता से घर पर या स्कूल में शिक्षक से अपने मन की बात बताने में डरते हैं। 

ऐसे बच्चों के लिए एक काउंसलर होना बहुत आवश्यक है काउंसलर एक ऐसा व्यक्ति होता है। जिससे बच्चा बेझिझक अपने मन की बात शेयर कर पता है और अपनी समस्या का समाधान ग्रहण कर पता है। काउंसलर बच्चों को मोटिवेट करता है और उसकी समस्याओं के समाधान में उसकी मदद करता है। 

इसके अलावा एक अच्छे विद्यालय में एक अच्छे पुस्तकालय की व्यवस्था भी होनी चाहिए। वैसे तो हर विद्यालय में पुस्तकालय होता है। परंतु एक अच्छा पुस्तकालय वही है। यहां पर पढ़ाई का अच्छा माहौल हो और बच्चा अच्छे से पढ़ाई कर पाए। 

7.बच्चे के साथ-साथ अभिभावक का भी विकास होता हो :

बच्चों के साथ-साथ अभिभावक का विकास होना भी बहुत ज्यादा आवश्यक है। अभिभावक का विकास होने का मतलब यह नहीं कि अभिभावक को दोबारा पढ़ाई करनी होती है। 

बल्कि अभिभावक के विकास का मतलब यह है कि जब भी मासिक रूप से अभिभावक और शिक्षक की मीटिंग होती है।  तो उसमें अभिभावक अपने बच्चों की सारी समस्याओं का समाधान करने के लिए स्कूल में आए और अपने बच्चों की कमियों को स्कूल में शिक्षकों के साथ शेयर करें। 

इसके अलावा शिक्षक भी बच्चों के बारे में सारी दिक्कतें या परेशानी या उसकी तारीफ के विषय में जो भी बातें करनी हो। वह अभी आपको से बात पाए अभिभावकों के विकास का मतलब यह भी है। की बच्चों को जो भी ग्रह कार्य दिया जा रहा है। अभिभावक उसे भली- भांति समझकर उसका गृह कार्य करवाने में उसकी मदद करें। 

8.बच्चों को बिना किसी दबाव के पढ़ाया जाता हो :

एक अच्छा स्कूल वही है जहां पर बच्चों को बिना दबाव के शिक्षा दी जाती है। बहुत सारे स्कूल अपना नाम कमाने के चक्कर में बच्चों को अच्छे ग्रेड लाने के लिए दवाब बनाते हैं। 

जिसके कारण बच्चा तनाव में आने लगता है और धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। बच्चे को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जिसमें बच्चा दबाव में नहा कर पूरे इंटरेस्ट के साथ अपनी पढ़ाई करें और अच्छे से अपने कार्यों को सरल तरीके से कर पाए। 

आप अपने बच्चों के लिए ऐसे स्कूल का चुनाव करें जहां पर आपके बच्चे को मोटिवेट करके पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए। ना कि उसे पर दबाव बनाकर पढ़ने के लिए प्रेरित करें।  बच्चों को एक अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए अच्छे स्कूल के शिक्षक हमेशा प्रयासरत रहें जिससे उन्हें अच्छे से अच्छी शिक्षा प्रदान हो सके। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए कब भेजना चाहिए? 

जब बच्चे 3 साल के हो जाते हैं तब उन्हें स्कूल पढ़ने के लिए भेजना चाहिए। 

Q. बच्चों के लिए एक अच्छा स्कूल कौन सा होता है? 

जिस स्कूल में शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा होता है वह स्कूल बच्चों के लिए बहुत अच्छा होता है। 

Q. बच्चों के लिए काउंसलर की आवश्यकता क्यों? 

बच्चों के लिए काउंसलर की आवश्यकता इसलिए है। जिससे बच्चा बेझिझक अपने मन की बात काउंसलर से कर पाए। 

Q. क्या बच्चे को एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करना चाहिए? 

बच्चों को स्कूल में होने वाली एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करना चाहिए। इससे बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा निकल कर आती है। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको अपने बच्चों के लिए सही स्कूल कैसे चुने? (Baccho ke liye school ka chunab) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

Leave a Comment