बच्चों पर माता-पिता के झगड़े का क्या असर पड़ता है?

बच्चे अपने माता-पिता से बहुत करीब होते हैं। वह अपने माता-पिता की सारी एक्टिविटीज को बिल्कुल करीब से देखते हैं और समझते हैं। जैसा माता-पिता व्यवहार करते हैं उसका असर बच्चों पर भी वैसा ही पड़ता है। यदि वह प्रेम से रहते हैं तो बच्चे भी प्रेम से रहते हैं। यदि माता-पिता झगड़ा करते हैं तो बच्चे पर भी उसका यही प्रभाव पड़ता है और बच्चे के दिमाग पर उसके बहुत सारे (Parents ke jhagde) प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलते हैं। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके बच्चों पर माता-पिता के झगड़े के (Parents ke jhagde ka asar)असर के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

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झगड़े का बच्चों पर प्रभाव

वैज्ञानिकों के द्वारा यह प्रमाणित (Parents ke jhagde ka prabhav)किया गया है कि जिन परिवारों में छोटी उम्र से झगड़े होते हैं और बच्चे उन झगड़े को देखते हैं। उन बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता हैं। 2012 में अमेरिकन जरनल चाइल्ड डेवलपमेंट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार छोटी उम्र में जो बच्चे झगड़ा देखते हैं।

बच्चों पर माता-पिता के झगड़े का क्या असर पड़ता है?

 उनके दिमाग पर शॉर्ट टर्म इफेक्ट पड़ सकता है और जिन बच्चों के दिमाग पर लॉन्ग टर्म इफेक्ट पड़ता हैं। वह ज्यादा खतरनाक हो सकता है। जो बच्चे छोटी सी उम्र में ऐसे झगड़े देखते हैं। उन बच्चों में थोड़े से मैच्योर हो जाने के बाद एंजायटी डिप्रैशन जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

 जिन बच्चों के परिवार में लड़ाई और कल है होती हैं। वह बच्चे सीखने और समझने की क्षमता में कमजोर होते हैं। उनको ठीक तरीके से समझने में दिक्कत आती हैं। ऐसे बच्चे इतने डिस्टर्ब होते हैं कि उनके मन में हमेशा लड़ाई झगड़े से चलने वाली बातें आती हैं। 

माता-पिता के झगड़ों का बच्चे पर असर

माता-पिता के झगड़ों का (Parents ke jhagde ka asar)असर सिर्फ बच्चों पर ही नहीं अपितु वयस्कों पर भी बहुत अधिक पड़ता है जो बच्चे टीनएजर हैं। उन पर अपने माता-पिता के झगड़ों का इतना प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है कि उनकी चीजों को ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती हैं।

 क्योंकि वह अपने घर में हो रहे झगड़ों को ही हमेशा सोचते रहते हैं माता-पिता के झगड़ों का बच्चे पर और क्या-क्या प्रभाव पड़ता हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

1.डिप्रेशन में आना :

जिन बच्चों के परिवार में हमेशा लड़ाई झगड़ा होता हैं। ऐसे बच्चों का डिप्रेशन में आना एक सामान्य सी बात है। डिप्रेशन में बच्चे इसलिए आ जाते हैं क्योंकि उन्हें अपने परिवार में कभी भी खुशनुमा माहौल नहीं मिल पाता। अगर वह किसी भी समस्या में होते हैं तो वह अपने माता-पिता को उसे स्थिति में नहीं बताते। 

जब वह अपनी बात अपने माता-पिता से शेयर कर सकें। धीरे-धीरे करके बच्चे यही सब झगड़ा की बातों को सोचता रहता है और डिप्रेशन में आ जाता हैं। बच्चों को प्यार की आवश्यकता होती है वह चाहता है की माता-पिता दोनों ही बच्चे को अटेंशन दे और उसकी जरूरत का ख्याल रखते हुए उसे बहुत सारा प्यार करें।

 परंतु यदि माता-पिता एक दूसरे से झगड़ते रहते हैं तो वह अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते। जिसके कारण बच्चों को परेशानी होती है और वह डिप्रेशन में आना शुरू हो जाता है। 

2. इज्जत ना करना :

जो माता-पिता आपस में झगड़ा करते रहते उन पेरेंट्स के बच्चे इज्जत भी नहीं करते हैं। वह अपने माता-पिता को रोजाना झगड़ा करते देखे हैं। जिसके कारण उनके अपने माता-पिता के प्रति खट्टापन उपलब्ध हो जाता है। 

वह मन ही मां अपने माता-पिता से घृणा करने लगते हैं और उन्हें तर्क वितर्क करते हुए उन दोनों के लिए बच्चों के मन में इज्जत बिल्कुल खत्म हो जाती है। जिस उम्र में बच्चा यह चाहता है। 

कि उसे अपने पेरेंट्स का प्यार मिले उसे उम्र में अगर वह बहुत सारे झगड़ा देखा है तो वह चाहता है कि वह अपने पेरेंट्स से दूर रहे या कभी भी उनके बारे में सोचे ही ना। 

3. डर में जीते हैं :

ऐसे पेरेंट्स जो अपने बच्चों के सामने गाली गलौज करते रहते हैं। ऐसे पेरेंट्स यह भूल जाते हैं कि यह सब करने से उनके बच्चे के मन में क्या असर पड़ेगा। धीरे-धीरे बच्चों के मन में अपने माता-पिता के प्रति डर बैठ जाता है। 

उसे ऐसा प्रतीत होने लगता है कि यदि माता-पिता आपस में इतनी ज्यादा क्रूर हो सकते हैं। तो वह बच्चों के लिए भी वैसे ही कुर्ता दिखा सकते हैं जिसके कारण बच्चों के मन में यह डर हो जाता है। 

और वह अपने माता-पिता से बात करने में भी डरने लगता है। वह अपने मन की बात को अपने माता-पिता से नहीं का पता और हमेशा शांत रहने का प्रयास करता है। 

4. मानसिक परेशानी :

जिन बच्चों के मन में लगातार यही बातें चलती रहती हैं कि उनके माता-पिता हमेशा झगड़ते रहते हैं और बच्चे पर ध्यान नहीं देते। ऐसे बच्चों के मन में मानसिक परेशानी डिप्रैशन एंजायटी जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगते हैं। बच्चों की इस प्रकार की समस्याओं का कारण है कि वह सिर्फ एक ही तरीके की बातों पर फोकस करते हैं। 

उनके जीवन में कोई भी ऐसा खुशनुमा माहौल नहीं है। जब भी वह अपने घर में रहते हैं तब अपने माता-पिता को सिर्फ झगड़ते हुए देखते हैं। ऐसा करने से धीरे-धीरे बच्चा दिमागी रूप से कमजोर होने लगता है। 

उसमें अपने मन की भावनाओं को नियंत्रित करने की ताकत खो जाती है। इस प्रकार के बच्चे का जीवन चिंता और रोते हुए ही निकलता है। ऐसे बच्चे अपने परिवार की परेशानियों में इतनी ज्यादा ली हो जाते हैं। कि वह अपनी पढ़ाई पर भी फोकस नहीं कर पाते और अपने भविष्य को भी ठीक तरीके से नहीं सवार पाते। 

5. संस्कारों में कमी आना :

जिन बच्चों के परिवार में कभी भी गाली गलौज या मारपीट का इस्तेमाल नहीं किया जाता। सभी लोग बहुत सभ्यता पूर्वक रहते हैं और सभ्यता पूर्वक ही एक दूसरे से बात करते हैं। ऐसे परिवारों को बच्चों पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। 

और वह सभ्यता और संस्कारों से पर पूर्ण होते हैं। परंतु जिन बच्चों के परिवार में हमेशा गाली-गलौज और मारपीट होती रहती है। ऐसे बच्चों के परिवार में बच्चे बहुत जल्दी गली सीख जाते हैं और उनके संस्कारों में कमी आने लगती है। 

जैसे वह अपने माता-पिता को लड़ता झगड़ता देखते हैं। धीरे-धीरे उनके अंदर भी वही चीज आने लगते हैं और वह भी आपस में लड़ाई करना शुरू कर देते हैं। इसलिए माता-पिता को ध्यानपूर्वक अपने बच्चों के सामने कभी भी नहीं लड़ना चाहिए। 

6. बॉन्डिंग अच्छी नहीं होती :

जिन परिवारों में लगातार पेरेंट्स के बीच में झगड़ा होता रहता है। ऐसे परिवारों में बच्चों के साथ माता-पिता की बॉन्डिंग बहुत ज्यादा कमजोर हो जाती है। आपस में हमेशा झगड़ा करते करने के कारण वह अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देते। 

वह ना तो अपने बच्चों से प्रेम करते हैं और ना ही अपने बच्चों को समझने का प्रयास करते हैं। उससे ना तो बात करने का प्रयास करते हैं। उसकी मां की व्यथा को समझने का भी प्रयास नहीं करते। जिस कारण माता-पिता से बच्चे की बॉन्डिंग बहुत ज्यादा वीक हो जाती है। 

अपने माता-पिता से बॉन्डिंग उन बच्चों की ज्यादा बेहतर होती है। जो पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ बातचीत करते हैं उनके साथ टाइम स्पेंड करने का प्रयास करते हैं। 

7. बचपन की मस्ती खो जाना :

जिन परिवारों में बचपन से ही पेरेंट्स के बीच में झगड़ा होता रहता है। ऐसे परिवारों के बच्चों के मन में हमेशा चिंता बनी रहती है। चिंता के कारण वह ना तो अपना शारीरिक विकास और ना ही मानसिक विकास ठीक ढंग से कर पाते हैं। 

वह हमेशा इसी चिंता में डूबे रहते हैं कि वह कैसे अपने पेरेंट्स के बीच की परेशानी को ठीक कर सकते हैं। यदि बच्चे का पालन पोषण एक हेल्दी एनवायरमेंट में होता है तो वह अपने बचपन में जो एक बच्चे को करना चाहिए। 

वह सब कुछ कर पता है परंतु यदि उसे वह एनवायरमेंट ही नहीं मिलता। तो उसके बचपन की मस्ती पूरी तरीके से खो जाती है। उसे हमेशा यह सोच विचार में ही समय बिताना पड़ता है कि उसके परिवार की समस्याएं कैसे ठीक है बच्चा अपना बचपन ठीक तरीके से नहीं जी पता। 

बच्चों के सामने झगड़ते समय इन पांच बातों का ध्यान रखें :

शादीशुदा जीवन में अक्सर (Parents ko jhagde me savdhaani)एक कपल के बीच किसी बात पर सहमति होने के कारण झगड़े होते ही रहते हैं। परंतु आपस में झगड़ते समय किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

पेरेंट्स का हमेशा एक साथ होना :

बच्चों को हेल्दी एनवायरमेंट प्रदान करने के लिए और उसका अच्छी तरीके से पालन पोषण करने के लिए यह जरूरी है कि बच्चों के दोनों पेरेंट्स बच्चों के साथ रहे और हमेशा एक साथ रहे।

 वह बच्चे की हर परेशानी को तुरंत महसूस करें और उसको हल करने का प्रयास करें। बच्चे को कभी भी यह नहीं लगना चाहिए कि उसके पेरेंट्स झगड़े में है या एक दूसरे से अलग-अलग हैं।

चाहे पीछे वह कितना ही झगड़ा करें परंतु बच्चों के सामने उन्हें हमेशा प्यार से रहना चाहिए। 

एक दूसरे को गलत ना समझे :

पेरेंट्स को आपस में झगड़ने समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि एक दूसरे को कभी भी अपशब्द नहीं बोलनी चाहिए। यदि आपकी सारी बातें बच्चा सुन रहा है तो उसे पर बहुत ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

 आपको झगड़े के रूप में अपना पक्ष रखना चाहिए और अपने पार्टनर का पक्ष भालीवती पूर्वक सुनना चाहिए। किसी भी प्रकार के आप शब्द का प्रयोग करने से कभी भी किसी समस्या का हल नहीं होता। इसलिए आराम से अपनी बात को बातचीत करके सुलझाने का प्रयास करना चाहिए ना की लड़ाई झगड़ा या मारपीट करके। 

गलत शब्द न चुने :

पेरेंट्स को कभी भी अपने पार्टनर से लड़ाई झगड़ा करते समय गलत शब्द का चयन नहीं करना चाहिए। यदि आप गलत शब्द का चयन करते हैं तो आपके बच्चे के मन में आपके प्रति सम्मान कम हो सकता हैं। और वह भी आपके लिए गलत शब्द का प्रयोग कर सकता हैं।

इसलिए आपको कभी भी अपने पार्टनर से गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि एक बार बच्चों के मन में आपके प्रति सम्मान कम हो गया तो आप उसे कितना भी डांट डपट ले। 

बच्चे के मन में कभी भी आपके प्रति वह सम्मान जागृत नहीं हो पाएगा इसलिए आपस में झगड़ते समय भी हमेशा सही शब्दों का चयन करें। 

एक दूसरे के प्रति सहमति जताए :

पेरेंट्स को हमेशा अपने बच्चों की कही गई किसी भी बात पर सहमति जलाने की आवश्यकता होती है। यदि आप हमेशा एक दूसरे की बातों पर ए सहमति जताएंगे। तो धीरे-धीरे करके आपके बच्चों को यह समझ में आ जाएगा कि आपके पैरेंट्स एक मत नहीं है। 

और वह अपने भी डिसीजंस को आपसे पूछने में संसए करेगा उसे यह महसूस होगा कि उसके पेरेंट्स को ही यह मालूम नहीं है कि उसके लिए क्या अच्छा है। और क्या नहीं इसलिए वह कोई भी डिसीजन खुद लेने का प्रयास करेगा ना कि अपने पेरेंट्स के साथ डिस्कस करने का प्रयास करेगा। 

क्या है पेरेंट्स की जिम्मेदारी

पेरेंट्स की क्या-क्या जिम्मेदारी (Baccho ke liye parents ki responsibility) होती है। उसके विषय में पेरेंट्स पहले ही जागरूक होते हैं उनकी जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को एक स्वस्थ जीवन प्रदान करें और अपने भविष्य के लिए प्रयत्न करने को प्रेरित करें। उन्हें इस काबिल बनाए कि वह अपने जीवन में नई-नई ऊंचाइयों को हासिल कर पाए पेरेंट्स अपने बच्चों के प्रति और क्या-क्या जिम्मेदारी निभा सकते हैं। उसे नीचे बताया गया है। 

  • जो पेरेंट्स एक दूसरे को गाली देते हैं लड़ाई झगड़ा करते हैं। इससे बच्चा असुरक्षित महसूस कर सकता है इसलिए बच्चों के सामने पेरेंट्स को ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। 
  • बच्चा आपको देखकर ही हमेशा सीखता है। इसलिए आपको अपने पार्टनर की बात को प्राथमिकता देनी चाहिए और उसकी बात को सही तरीके से सुनना चाहिए। 
  • यदि गलती से आपका झगड़ा आपके पार्टनर के साथ बच्चों के सामने हो जाता है तो बाद में बच्चों से बात करनी चाहिए। और उसे समझाने का प्रयत्न करना चाहिए कि कितनी छोटी बात थी और वह ठीक हो गई है। 

लड़ने झगड़ने वाले माता-पिता के लिए टिप्स

जो पेरेंट्स अक्सर लड़ते झगड़ते (Parents ke jhagde me tips)हैं ऐसे माता-पिता के लिए नीचे टिप्स बताइए गई है। जिससे वह अपने घरेलू क्लेश को अपने बच्चों से दूर रख सकते हैं। 

  • ऐसा कोई तरीका नहीं है जो माता-पिता के बीच होने वाले झगड़ा से बच्चे को प्रभावित न करें। इसलिए माता-पिता को ज्यादा लड़ाई झगड़ा बच्चों के सामने करने से बचाना चाहिए। 
  • कभी-कभी आपस में बहस करना और एक दूसरे पर ए समिति जताना बहुत सामान्य बात होती हैं। 
  • एक दूसरे से बहस करने से बच्चा भी आपकी बहस में इंक्लूड होता है और चीजों को सुलझाने का प्रयास करता है परंतु हमें झगड़ा नहीं करना चाहिए। 
  • हर पेरेंट्स को अपनी परेशानियों को सही तरीके से हैंडल करना आना चाहिए। जिन परिवारों में ऐसे पेरेंट्स पाए जाते हैं।
  • वह परिवार अच्छी तरीके से अपने परिवारों का पालन पोषण कर पाते हैं। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. पेरेंट्स को अपने बच्चों के सामने कैसे पेश आना चाहिए? 

पेरेंट्स को अपने बच्चों के सामने सहमति पूर्वक और प्रेम से रहना चाहिए। 

Q. जिन घरों में पेरेंट्स के बीच में झगड़े होते हैं उन घरों में बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ता है? 

ऐसे परिवारों में बच्चों का दिमाग कमजोर हो जाता है और उनका दिमागी विकास ठीक प्रकाश से नहीं हो पता। 

Q. घरेलू क्लेश के कारण बच्चे पर क्या-क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं? 

घरेलू क्लेश के कारण बच्चे की बॉन्डिंग अपने पेरेंट्स से अच्छी नहीं होती उनका दिमाग विकास ठीक नहीं होता और उनका बचपन कहीं खो जाता है। 

Q. जिन घरों में झगड़े होते हैं उनके पेरेंट्स को क्या टिप्स दी जाती है? 

जिन घरों में झगड़े होते हैं वहां पर बच्चों के सामने न लड़ने की सलाह दी जाती है। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों पर माता-पिता के झगड़े (Parents ke jhagde)का क्या असर पड़ता है के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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