बच्चों के पेट में कीड़े की दवा व उपचार | Baccho Ke Pet Ke Kide Ka Ilaj

बच्चों के पेट में अक्सर कीड़े पाए जाते हैं। दो से ढाई साल के बच्चों में ज्यादातर पेट में कीड़े पाए जाते हैं। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार भी भारत में लगभग 24 करोड़ बच्चों के पेट में कीड़े पाए जाते हैं। वह बीमार रहता है बच्चों के पेट में कीड़ों का क्या कारण (Baccho ke stomach me kide) है उसके विषय में हमें जानकारी नहीं होती। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके बच्चों के पेट में कीड़े होने की दवा व उपचार (Baccho ke stomach me kide hone ki dawa aur upchar)के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

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बच्चों के पेट के कीड़े क्या होते हैं? | Bacho Ke Pet Me Kide

बच्चों के पेट में कीड़ों का (Baccho ke stomach me kide kya hote hai? )मतलब है की परजीवियों का आंतों में होना परजीवी वह आर्गनिज्म होते हैं। जो अपने जीवन के लिए पूरी तरीके से दूसरे पर निर्भर रहते हैं। और वहीं से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। 

बच्चों के पेट में कीड़े की दवा व उपचार Baccho Ke Pet Ke Kide Ka Ilaj

यह परजीवी बच्चों की आंतों में प्रवेश कर जाते हैं और बच्चे के रक्त से अपना भोजन प्राप्त करते हैं॥ धीरे-धीरे आंतों में इनकी संख्या बढ़ जाती है। और यह हाथों को नुकसान पहुंचने लगते हैं। यह आंतों को चोट पहुंचाते हैं जिसके कारण आंतों में रक्त स्त्रावी होने लगता है। 

शिशुओं और बच्चों में पेट के कीड़े होना कितना आम है?

भारत में बच्चों के पेट (Baccho ke stomach me kide hone ki samanyata)में कीड़े होना एक बिल्कुल आम समस्या है। भारत में बहुत सारे बच्चों के पेट में कीड़े पाए जाते हैं। 

यह कीड़े बच्चों की हाथ में प्रवेश करते हैं यह समस्या सबसे ज्यादा बच्चों में और किशोर में देखी गई है। पेट में कीड़े होने के कारण बच्चों को कोशिश हो जाते हैं। और उनका शारीरिक ग्रोथ ठीक प्रकार से नहीं हो पता। एक रिपोर्ट के माध्यम से भी यह पता लगाया गया है कि विकासशील देशों में बच्चों के पेट में कीड़े होने की समस्या अधिक देखी गई है। 

बच्चों के पेट में कीड़े कितने प्रकार के होते हैं?

बच्चों के पेट में विभिन्न प्रकार (Baccho ke stomach me kide ke types) के कीड़े पाए जाते हैं। जो अपने स्तर के अनुसार बच्चों को इनफैक्ट करते हैं। और उसे बीमार करते हैं बच्चों के पेट में कितने प्रकार के कीड़े होते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

1.थ्रेडवर्म : थ्रेडवर्म बहुत छोटे परजीवी होते हैं यह 10 वर्ष से छोटी उम्र के बच्चे की आंतों में पाए जाते हैं। इनका आकार 13 मिली मीटर का होता है। 

यह आंतों के अंदर सफेद धागे से दिखाई देते हैं और यह 6 हफ्ते तक जिंदा रह सकते हैं यह बच्चे की हाथों के अंदर घुसकर उन्हें बहुत नुकसान पहुंचाते हैं

2.राउंडवॉर्म : राउंडवर्म भी एक प्रकार के परजीवी होते हैं जो मनुष्य की आंख के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। यह पेट के अंदर 10 से लेकर 24 महीने तक रह सकते हैं। यह प्रवेश करने के बाद बहुत सारे अंडाणुओं के माध्यम से डिवाइड कर जाते हैं। 

और पेट के अंदर बहुत सारे हो जाते हैं जिसके कारण यह पेट में बहुत नुकसान पहुंचते हैं। यह परजीवी गंदे वाले इलाकों में पाए जाते हैं। और इनसे होने वाले संक्रमण को एस्कोरोसिस कहा जाता है। 

3.टेपवर्म : टेपवर्म भी एक प्रकार का परजीवी होता है जो शरीर के अंदर अध्यापक के मांस या गंदे पानी के माध्यम से प्रवेश करता है। यह शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचता है। 

परंतु इसका इलाज किया जा सकता है यह ज्यादा गंभीर नहीं होता लेकिन टेबल के द्वारा होने वाला संक्रमण। यदि ज्यादा बढ़ जाता है तो यह शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाने लगता है। इसलिए डॉक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिए। 

4.व्हिपवॉर्म : वही वर्ण भी एक प्रकार का परजीवी होता है। इन परजीवियों को सॉइल ट्रांसमिटेड हेल्मिन्थस भी कहा जाता है। 

यह परजीवी दूषित मिट्टी के जरिए इंसानी शरीर में दाखिल हो जाते हैं। व्हिपवॉर्म बड़ी आंत में रहते हैं और इसके अंडे संक्रमित व्यक्ति के मल से दूसरे व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं। 

5.हुकवर्म : हुकुम एक प्रकार का परजीवी होता है यह साहिल ट्रांसमिटेड हेलमिन्थेस की श्रेणी में आता है। यह दुष्ट मिट्टी और माल के जरिए व्यक्ति को संक्रमित करता है। 

यह परजीवी छोटी आंत में रहते हैं और यह संक्रमित व्यक्ति के माल से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करते हैं इसलिए यह बहुत खतरनाक होते हैं। 

बच्चों और शिशुओं में पेट के कीड़े से जुड़ी जटिलताएं

बच्चों के अंदर बड़ों से ज्यादा पेट की समस्याएं रहती हैं इसलिए बच्चों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। यह बच्चों की हाथों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं और उनके शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं। 

इसलिए बच्चों का ठीक प्रकार से विकास नहीं हो पता। बच्चों के पेट के अंदर बढ़ रहे कीड़ों के कारण बच्चों को बहुत सारी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे कर्मियों की वजह से होने वाला कुपोषण 

  • आंत में सूजन
  • हेपेटाइटिस
  • एनीमिया कीड़ों के कारण होने वाली है सबसे गंभीर समस्या है इसमें शरीर में खून की कमी हो जाती है। 

बच्चों के पेट में कीड़े होने के कारण

बच्चों के पेट में कीड़े होने के (Baccho ke stomach me kide ka reason)बहुत सारे कारण होते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। जिसकी जानकारी प्राप्त करके आप अपने बच्चों को कीड़े होने से बचा सकते हैं। 

  • यदि आपका बच्चा अनजाने कारण की वजह से घास पर नंगे पैर चलता है। तो उसको कीड़ों से संक्रमण हो सकता है। क्योंकि पैरों से कीड़े उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। 
  • बच्चे शैतान होते हैं और वह ज्यादातर मिट्टी में खेलते हैं। संक्रमित मिट्टी में कीड़ों के अंडे मौजूद होते हैं। 
  • जो बच्चे के मुंह के द्वारा उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और बच्चे को संक्रमण का शिकार होना पड़ता है। 
  • सोच के बाद बच्चे का हाथ ना धोना या दुष्ट पानी का प्रयोग करना भी बच्चों को संक्रमण का शिकार कर सकता है। 
  • दूषित पानी के द्वारा बच्चों के शरीर में कीड़े के अंडे प्रवेश कर जाते हैं जो बड़े होकर और डिवाइड होकर बच्चे की आंख को संक्रमित करते हैं। 
  • फल व सब्जियों को अच्छी तरीके से धोकर ना खाने से संक्रमण हो सकता है। 
  • बाहर बनने वाले भोजन में स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा जाता विक्रेता साफ पानी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। जिसके कारण उसमें बहुत सारे कीड़े मकोड़े के अंडे उपस्थित होते हैं। 
  • यदि बच्चे को शुरुआत से ही बाहर का भोजन कराया जाता है तो बच्चे के पेट में कीड़े होना आम बात हो जाती है। 
  • आधे सादे फलों का सेवन करना या ठीक से ना पैक मास का सेवन करने से भी पेट में कीड़े हो जाते हैं। 

बच्चों के पेट में कीड़े होने के लक्षण

बच्चों के पेट में कीड़े होने के (Baccho ke stomach me kide ke symptom)क्या-क्या लक्षण होते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

थ्रेडवर्म

  • सोने में तकलीफ
  • पेट के नीचे खुजली
  • लड़कियों में योनी के आसपास लाल निशान, खुजली या सूजन
  • भूख न लगना
  • चिड़चिड़ापन
  • मल त्याग के दौरान कीड़े निकलना

राउंडवॉर्म

  • खूनी बलगम (निचले वायुमार्ग द्वारा बलगम निकलता है)
  • खांसी, घरघराहट
  • कम श्रेणी बुखार
  • मल में कीड़े गुजरना
  • साँसों की कमी
  • त्वचा के लाल चकत्ते
  • पेट दर्द
  • उल्टी या खांसी के कीड़े
  • नाक या मुंह के माध्यम से शरीर को छोड़ने वाले कीड़े

टेपवर्म

  • जी-मिचलाना
  • कमजोरी या थकान
  • दस्त
  • पेट में दर्द
  • भूख न लगना
  • वजन घटना
  • विटामिन और मिनरल्स की कमी 
  • गंभीर दौरे आना (न्यूरोसिस्टेरिसोसिस नामक मस्तिष्क संक्रमण की वजह से)।

गंभीर स्थितियों में निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं :

  • बुखार
  • अल्सर
  • एलर्जी
  • सिरदर्द, चक्कर आना या दौरे पड़ना।

व्हिपवॉर्म

  • मल त्याग में तकलीफ (मल के साथ खून, पानी या बलगम आना)
  • डायरिया
  • मानसिक विकास में बाधा

हुकवर्म

  • गुदे के आसपास खुजली और लाल चकत्ते
  • डायरिया
  • थकना
  • एनीमिया
  • पेट में दर्द
  • वजन घटना
  • मानसिक और शारीरिक विकास में बाधा

पेट के कीड़ों का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं?

पेट के कीड़ों का पता लगाने के (Baccho ke stomach me kide ka test)लिए कौन-कौन से टेस्ट किए जाते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

मल की जांच : पेट में कीड़े होने पर माल की जांच के द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि पेट में किस प्रकार के कीड़े हैं यह परजीवी डायरिया पेट में सूजन आंत में सूजन पेट में दर्द आदि तरीके की समस्या उत्पन्न करते हैं। 

रक्त की जांच : रक्त की जांच करके भी यह पता लगाया जा सकता है की बच्चों के पेट में कीड़े हैं या नहीं यदि बच्चों के पेट में परजीवी होते हैं तो उनके शरीर में खून की कमी हो जाती है। 

बच्चों के पेट में कीड़े होने का घरेलू उपचार

बच्चों के पेट में कीड़े होने के क्या-क्या (Baccho ke stomach me kide ke gharelu upchaar)घरेलू उपचार किया जा सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

पपीता : पपीता एक गुणकारी फल होता है इसमें बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें कृमि नाशक गुण उत्पन्न होते हैं। 

जो परजीवियों को हमारे शरीर से बाहर करने में मदद करते हैं पपीते का इस्तेमाल लगातार करने से पेट में परजीवी होने की समस्या नहीं होती। 

लहसुन : पेट में कीड़ों को करने के लिए लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है। लहसुन का इस्तेमाल करने से जानवरों के साथ-साथ इंसानों के पेट में भी कीड़े को m में मदद मिलती है। 

अजवाइन : बच्चों के पेट में परजीवियों को करने के लिए अजवाइन का इस्तेमाल किया जाता है। अजवाइन एक कम विनाशक होता है। जो पेट को ठीक रखने में मदद करता है। 

और पेट में उत्पन्न होने वाले परजीवियों को मारता है इसलिए अजवाइन का इस्तेमाल करते रहना चाहिए एक यह एक कृमि नाशक के रूप में कार्य करता है। 

हल्दी : हल्दी एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। हल्दी का इस्तेमाल करने से पेट ठीक रहता है और बहुत सारी बीमारियों से बचाया जा सकता है। 

हल्दी एक कम विनाशक के रूप में कार्य करता है हल्दी का सेवन करने से कृमियों को मारने में मदद मिलती है। 

नीम : यदि आपके बच्चे के पेट में परजीवी होने की समस्या है तो नीम का रस बच्चों की सेवन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। नीम के रस में क्रमिनाशक तत्व पाए जाते हैं। 

जो बच्चे के पेट में कीड़ों को करने में मदद करते हैं और शरीर को भी पोषक तत्वों से भरपूर करते हैं यदि आप अपने बच्चों को नीम का सेवन करते हैं तो यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता है। 

करेला : पेट के कीड़ों को करने के लिए करेले का इस्तेमाल किया जाता है करेले का इस्तेमाल करने से पेट में क्रमनाशक के रूप में कार्य करता है। 

बच्चों के पेट में कीड़ों की समस्या की रोकथाम

बच्चों के पेट में कीड़ों को (Baccho ke stomach me kide ki rok thaam)कैसे रोका जा सकता है। और उन्हें परजीवियों से कैसे बचाया जा सकता है। जिससे उनका शारीरिक विकास की प्रकार से हो उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

  • यदि आप कोई चीज खाने जा रहे हैं तो यह बात सुनिश्चित कर लेनी चाहिए। कि आपने अपने हाथों को ठीक प्रकार से धोया है या नहीं। सोच के बाद हाथों को धोना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। 
  • बच्चों के खाने-पीने का विशेष ध्यान देना चाहिए। स्ट्रीट फूड और अन हेल्थी जगह पर खाना खाने से बचना चाहिए। 
  • सब्जियों को अच्छी तरीके से धोकर इस्तेमाल करना चाहिए जो सब्जियां जमीन के अंदर पैदा होती हैं। 
  • उन सब्जियों को अच्छी तरीके से धोना चाहिए जैसे कि गाजर और आलू। 
  • बच्चों के आसपास की जगह को साफ रखना चाहिए और उसे खाली पर घर से बाहर नहीं घूमने देना चाहिए। बच्चों को घास में हमेशा चप्पल पहन कर घूमना चाहिए। 
  • यदि आप अपने बच्चों को पार्क में घुमाने लेकर गए हैं तो बच्चे के हाथ पैरों को साफ करके तुरंत धूल देना चाहिए। 
  • यदि आपको महसूस हो रहा है कि बच्चों के पेट में कीड़े हैं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। 
  • उपचार के समय बच्चों के अंडरवियर को हमेशा साफ रखना चाहिए और टॉयलेट सीट को साफ करते रहना चाहिए। जिससे संक्रमण का खतरा और ज्यादा ना बड़े। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. परजीवी किसे कहा जाता है? 

जो किसी अन्य जीव के अंदर रहकर उन्हें से अपना भोजन ग्रहण करते हैं उन्हें परजीवी कहा जाता है। 

Q. परजीवी कितने प्रकार के होते हैं? 

परजीवी कई प्रकार के होते हैं जैसे की टेपवर्म राउंडवर्म हुकवर्म आदि। 

Q. परजीवी शरीर को कैसे नुकसान पहुंचाते हैं? 

परजीवी बच्चों की छोटी आंत में प्रवेश कर जाते हैं और उसे नुकसान पहुंचाते हैं। 

Q. परजीवियों का खतरा ज्यादातर कितनी उम्र के बच्चों को होता है? 

परजीवियों का खतरा ज्यादातर 10 साल तक की उम्र के बच्चों को होता है। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों के पेट में कीड़े की दवा व उपचार (Baccho Ke Pet Ke Kide Ka Ilaj) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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