माता-पिता शुरुआत से ही बच्चे को अनुशासन में रहने का प्रयास करते हैं। वह हर वह कोशिश करते हैं जिससे उनका बच्चा दूसरों के प्रति रिस्पेक्टफुल हो और एक सभ्य समाज का हिस्सा बने। कोई भी पेरेंट्स यह नहीं चाहता कि उनका बच्चा किसी का भी अपमान करें या उनके बच्चे का नेचर अच्छा ना हो बचपन से ही वह उसे अच्छे इंसान बनने के तरीकों को सिखाने लगते हैं। परंतु बच्चों को अनुशासन कैसे सिखाया (Baccho ko discipline) जा सकता है उसके विषय में अक्सर पेरेंट्स को जानकारी नहीं होती।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके बिना हाथ उठाया बच्चों को अनुशासन कैसे सिखाएं? (Baccho ko discipline kaise sikhaye)उसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
1.बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए खुद बने रोल मॉडल :
यदि आप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहते हैं तो यह जरूरी है कि खुद भी आप उनके एक रोल मॉडल के रूप में कार्य करें। कभी भी बच्चों के सामने यह ऐसे कार्य न करें जिससे बच्चा आपसे देखकर गलत चीजों को सीखें।
बच्चों के सामने हमेशा सही चीजों को करने का प्रयास करें। रोल मॉडल वह व्यक्ति होता है। जिसको देखकर बच्चा चीज सीखना है और उन्हीं की तरह बनना चाहता है। यदि बच्चा अपने पिता में किसी भी तरीके की कमी नहीं देखेगा और सबका आदर सम्मान करते हुए पाएगा।
तो वह भी हमेशा सम्मान करने का प्रयास करेगा। पिता को पहले अपने इमोशंस पर कंट्रोल रखना जरूरी होता हैं। किसी भी तरीके के रिएक्शन देने से पहले यह जरूरी है कि थोड़ा कूल हो जाए और गहरी सांस लेकर शांत रहने का प्रयास करें ना कि उत्तेजित हो।
2. बच्चों को अनुशासन सीखने के लिए भावनाओं से सहानुभूति व्यक्त करें :
बच्चों के साथ हमेशा हमें एक फ्रेंकली बिहेवियर रखना चाहिए। यदि बच्चे के साथ हम पूरी तरीके से फ्रैंक है तो बच्चा हमारे साथ खोल मिल जाएगा और अपनी किसी भी बात को शेयर करने से नहीं हिचकी जाएगा। बच्चों के साथ हमें दोस्ताना व्यवहार रखना जरूरी होता है।
यदि हम बच्चे के साथ हमेशा कड़क बने रहते हैं। और उसे उसकी बात कहने का मौका नहीं देते तो बच्चा अपनी बात को कभी भी स्पष्ट तरीके से अपने पेरेंट्स से नहीं कहेगा।
यदि आप अपने बच्चों को अनुशासन सीखने के लिए भावनाओं में सहानुभूति व्यक्त कर रहे हैं। तो धीरे-धीरे आपका बच्चा खुद ही अनुशासित होने का प्रयास करेगा और आपके विषय में सोचेगा।
3. बच्चों को आज्ञाकारी बनने से पहले उसे सपोर्ट करें :
बच्चों को आज्ञाकारी बनने के लिए यह सबसे ज्यादा जरूरी है कि पहले आप अपने बच्चों को सपोर्ट करें आप जो भी चीज अपने बच्चों को सीखना चाहते हैं। उसे चीज में आपको खुद रुचि लेनी होगी और बच्चे के साथ बैठकर उसे कार्य को संपूर्ण करने का प्रयास करना होगा।
यदि बच्चा आपको उसे काम में रुचि लेते हुए देखेगा तभी वह भी उसे कार्य को करने का प्रयास करेगा। हमें ऐसा नहीं करना चाहिए कि बच्चों को कुछ भी सीखने के लिए उसे पर प्रेशर डालना चाहिए। या उससे गलत तरीके से कार्य को सीखने का प्रयास करना चाहिए।
आजकल के पेरेंट्स की समस्या का सबसे बड़ा कारण यही है कि उनके बच्चे उनकी बात नहीं सुनते और ना ही उनसे कुछ सीखने का प्रयास करते हैं। इसके लिए आपको मेहनत करनी होगी पहले उन्हें सपोर्ट करने का प्रयास करें। उसके बाद ही वह आपकी आज्ञा का पालन करना शुरू करेंगे।
4. बच्चों को सही आदत सीखने से पहले उससे जुड़े :
बच्चों को यदि आप कोई भी चीज सीखना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको उसके साथ अंदरूनी तौर पर जोड़ना होगा और उसकी फिलिंग्स को फुल करने का प्रयास करना होगा। समानता ऐसा देखा जाता है कि बच्चा तभी मिस बिहेव करता है। जब उसका मन परेशान हो या वह अपने पेरेंट्स से दूर हो यदि बच्चों के पेरेंट्स बच्चों की मन की भावनाओं को समझ ही नहीं पाते। तो वह कभी भी यह नहीं जान पाएंगे कि वह किस प्रकार से अपने बच्चों को कुछ भी अच्छा सीख सकते हैं।
सबसे पहले भावनात्मक रूप से अपने बच्चों से कनेक्ट होने की आवश्यकता होती है। जब पेरेंट्स अपने बच्चों से पूरी तरीके से कनेक्ट हो जाते हैं तो उन्हें अपने बच्चों को किसी भी तरीके की चीज़ सीखने में समस्या नहीं होती। और बच्चे भी उसे हमेशा सीखने के लिए तत्पर रहते हैं।
5. बच्चों के अच्छे व्यवहार के लिए उसे प्रोत्साहित करें :
बच्चों के अच्छे व्यवहार के लिए हमेशा बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए। यदि बच्चा कुछ अच्छा कार्य करता है या अपने आप से ही किसी भी व्यक्ति के विषय में अच्छा सोचता हैं। तो हमेशा हमें अपने बच्चों का सपोर्ट करना चाहिए और उसकी थिंकिंग की रेस्पेक्ट करनी चाहिए।
यदि हम उसके व्यवहार को इंपॉर्टेंस देते हैं और उसे अच्छे व्यवहार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। तभी वह अपने जीवन में अच्छे कामों को करने के लिए मोटिवेट होता हैं। इसलिए हमें अपने बच्चों को अच्छे कामों के परिणाम के विषय में भी बताना चाहिए। कि किस प्रकार अच्छे कार्य करके वह समझ में अपनी ख्याति उत्पन्न कर सकता है और एक रिस्पेक्टफुल इंसान बने की तरफ अग्रसर हो सकता हैं। बच्चों के अच्छे व्यवहार पर उसकी तारीफ करनी चाहिए।
6. बच्चों को अनुशासन सीखने के लिए जिम्मेदारी सौंपे :
बच्चों को हमेशा यह नहीं सोचना चाहिए कि वह भी छोटा है और उसे कुछ भी कार्य करना नहीं आता। उसे अनुशासन सीखने के लिए यह जरूरी है कि आप उसे छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देना शुरू करें। बच्चे को ऐसे कार्य करवाने चाहिए जो वह कर सकता है।
बच्चे को छोटी-छोटी बातों की रिस्पांसिबिलिटी देनी चाहिए जिसको मैं फोन कर सकता है। ऐसा करने से धीरे-धीरे बच्चों को अपनी जिम्मेदारियां का एहसास होने लगता है और किसी भी कार्य को पूरा कैसे करना है। उसके विषय में उसे ज्ञान प्राप्त होने लगता है। इसके विषय में एक्सपीरियंस उसे बचपन से ही दिया जाने चाहिए।
पेरेंट्स को कभी भी हमेशा अपने बच्चों को बच्चा नहीं समझना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि बच्चे बोर हो रहे होते हैं तो उन्हें किसी पार्टिकुलर जिम्मेदारी को साफ कर वह काम करने को कहना चाहिए। इससे बच्चे अनुशासन सीखेंगे और जिम्मेदार बनेंगे।
7. बच्चों के अच्छे व्यवहार के लिए अच्छा माहौल बनाएं :
यह जरूरी है कि यदि आप अपने बच्चों से अच्छा व्यवहार करवाना चाहते हैं तो पहले उसे अच्छे माहौल को देने की आवश्यकता होती है। यदि बच्चा हमेशा अपने आसपास गलत चीजों को दिखेगा या एक दूसरे के साथ गलत बर्ताव करते हुए देखेगा।
तो वह उन्हीं चीजों को सीखेगा और आगे वही चीज करने का प्रयास करेगा। यदि वह अपने आसपास सभी को अनुशासन में देखा है और सभी के साथ रिस्पेक्टफुल बिहेवियर देखा है। तो उसके मन में भी है।
इच्छा जागृत होती है कि वह भी अपने सामने वाले व्यक्ति की तरह बिल्कुल सभ्य बने और सभी का चाहिता रहे। इसलिए बच्चों को अच्छे व्यवहार सीखने के लिए उसे अच्छा माहौल प्रदान करें। ऐसी जगह जहां पर बच्चों के हिसाब का माहौल नहीं है उसे जगह पर बच्चों को ज्यादा देर नहीं रखना चाहिए।
बच्चों को अनुशासन करने के आसान तरीके
बच्चों को अनुशासन में कैसे रखना (Baccho ko discipline sikhane ke tareeke)है।
उसके विषय में नीचे कुछ टिप्स बताए गए हैं जिससे आप अपने बच्चों को अनुशासन में रख सकते हैं।
1.नजर अंदाज करें :
कभी भी हमें अपने बच्चों की गलत जिद को ज्यादा इंपोर्टेंस नहीं देनी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि बच्चे किसी अपनी बात को मनवाने के लिए रोते हैं। जिद करते हैं और खाना नहीं खाते।
यदि आपका बच्चा भी ऐसे ही बर्ताव कर रहा है तो आपको अपने बच्चों को एंटरटेन नहीं करना है या उसकी बात को इंपॉर्टेंस नहीं देना हैं। आपको उसके कमरे से निकलकर अपने काम में व्यस्त हो जाना हैं।
जब आपके बच्चे को यह प्रतीत होता कि उसके पेरेंट्स उसकी जिद को नहीं मान रहे हैं या उसे पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। तो थोड़ी देर बाद वह खुद ही नॉर्मल हो जाएगा और अपनी जिद छोड़ देगा।
ओवरटॉक ना करें :
कभी भी बच्चों के सामने ज्यादा ओवर टॉक नहीं करनी चाहिएt बहुत सारे समय ऐसा होता है। जब बच्चा गुस्से में होता हैं। गुस्से में वह किसी की भी बात को सुनने का प्रयास नहीं करता और अगर कोई भी उससे कुछ कहता है तो वह हमेशा उसका उल्टा ले जाने का प्रयास करता है।
इसलिए जब अपने अपने बच्चों को डांटा है यह वह गुस्से में है तो उसकी गलतियों को हमें उसे नहीं बताना चाहिए। गुस्से में बच्चों को उसकी गलतियां बताना बिल्कुल व्यर्थ होता हैं। क्योंकि उसे समय वह किसी भी चीज को समझने की स्थिति में नहीं होता जब बच्चा बिल्कुल शांत हो जाए। तब हमें उससे बात करनी चाहिए ना की गुस्से में उसको कुछ भी समझने या बताने का प्रयास करना चाहिए।
उसे फील कराये कि वह परिवार के लिए कितना जरूरी है :
यदि आपका बच्चा बहुत जिद्दी है और हमेशा दूसरों से बुरा व्यवहार करता है तो आपको हमेशा उसे डांटना फैट करने की आवश्यकता नहीं हैं। जब वह कोई अच्छा कार्य करता है या किसी भी अच्छे काम में भाग लेता है तो हमें उसकी तारीफ भी करनी चाहिए।
उसे यह फुल करना चाहिए कि अपने पेरेंट्स के लिए उनका बच्चा कितना इंपॉर्टेंट है। धीरे-धीरे बच्चों को यदि रिलाइज हो जाएगा कि उसके पेरेंट्स से कितना प्यार करते हैं तो वह अपनी सारी जिद और गलतियों को भूल जाएगा और एक अच्छा इंसान बनने का प्रयास करेगा। परंतु यदि आप कभी भी उसकी तारीफ नहीं करेंगे या उससे प्रेम नहीं करेंगे तो उसके मन में हीन भावना धीरे-धीरे और जागृत हो जाएगी।
बच्चों का अनुशासन के साथ सम्मान सीखना भी जरूरी
बच्चों को अनुशासन में रहने के अलावा (Baccho ko discipline aur respect kaise sikhayen)वह अपने बड़ों का सम्मान किस प्रकार से कर सकता हैं। उसके विषय में भी नीचे टिप्स दिए गए हैं।
- कई बार बच्चों को अनुशासन सीखने में हम यह भूल जाते हैं कि उसे बड़ों का सम्मान सीखना भी जरूरी होता है। हमें अपने बच्चों को यह समझना चाहिए कि बड़ों का सम्मान करने से उसे कितनी संतुष्टि मिल सकती है।
- बच्चों को यह समझाने का प्रयास करना चाहिए कि यदि वह बड़ों का सम्मान करेंगे। तो बड़ों से हमेशा उसे लाड प्यार और दुलार मिलेगा।
- यदि बच्चा बड़ों का सम्मान करता है तो वह हमेशा बड़ों का चहिता रहता है और बड़ों के द्वारा दी गई दुआएं उसे हमेशा प्राप्त होती रहती हैं।
- यदि बच्चा अपनों से बड़ों का कभी भी दुर्व्यवहार नहीं करता तो बच्चे की ख्याति समाज में और बढ़ती हैं। और उसकी तारीफ हर जगह होती है उसे एक अच्छे इंसान के रूप में गिना जाता है।
- बच्चों को बड़ों से दूर व्यवहार के विषय में भी बताना चाहिए। कि यदि वह बड़ों का अपमान करता है तो वह किस तरीके के परिणाम भुगत सकता है।
- बच्चों को उसकी उम्र के हिसाब से जिम्मेदारियां को सपना चाहिए। यदि बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार जिम्मेदारियां दी जाती हैं।
- तो वह उन्हें ठीक तरीके से निभाने में अपना पूरा सहयोग दे पता है और धीरे-धीरे वह जिम्मेदार होने की और अग्रसर होता रहता है।
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) \
Q. अच्छे संस्कार बच्चों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
बच्चों के अंदर यदि अच्छे संस्कार होते हैं तो वह एक शब्द समाज का हिस्सा बनता हैं और सभी उसे प्रेम करते हैं।
Q. बच्चों को अनुशासन में रहने के लिए क्या किया जा सकता है?
बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए हमें उन्हें दंड नहीं देना चाहिए। बल्कि उन्हें समझाने का प्रयास करना चाहिए।
Q. आप किस प्रकार अपने बच्चों को संस्कार सीख सकते हैं?
आप अपने बच्चों के रोल मॉडल बनाकर उसको संस्कार सीख सकते हैं।
Q. बच्चों के व्यवहार पर माहौल का कितना फर्क पड़ता है?
बच्चा माहौल से बहुत कुछ सीखना है जिस माहौल में बच्चा रहता है वह वैसे ही बन जाता है।
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बिना हाथ उठाए बच्चों को अनुशासन कैसे सिखाएं? (Baccho ko discipline) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।