कितने उम्र के बाद बच्चों को हमें अंडे खिलाने चाहिए?

 जब बच्चे छोटे होते हैं तब डॉक्टर के द्वारा उन्हें सिर्फ स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर के द्वारा यह बताया जाता है कि जब तक बच्चे 6 महीने के नहीं हो जाते तब तक बच्चों को कोई भी ठोस पदार्थ नहीं देना चाहिए। 6 महीने के बात बच्चे को ठोस पदार्थ बहुत हल्की मात्रा में दिए जाते हैं। बच्चों को अंडे हमें कितनी उम्र के बाद खिलाने चाहिए (Baccho ko  eggs) उसके विषय में अक्सर पेरेंट्स को जानकारी नहीं होती। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको यह जानकारी देंगे कि आप अपने बच्चों को अंडे कितनी  (Baccho ko eggs khilane ki shi age) )उम्र के बाद खिला सकते हैं। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

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क्या छोटे बच्चों को अंडे खाना सुरक्षित है? 

छोटे बच्चों के लिए उसे देखभाल  (Baccho ke eggs khane ki suraksha)की आवश्यकता होती है। वैसे तो अंडा वयस्क लोगों के लिए बहुत सुरक्षित होता है। इसमें कैल्शियम भारी मात्रा में पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है।

 परंतु हम अपने बच्चों को अंडे खिलाने की शुरुआत कब से कर सकते हैं और यह हमारे बच्चे के लिए कितना सुरक्षित है इसके विषय में ही हमने आपको इस लेख में जानकारी दी है। 

वैसे हमें अपने छोटे बच्चों को अंडे ज्यादा मात्रा में नहीं देने चाहिए। 6 महीने के बाद चार्ट हम जो भी ठोस पदार्थ बच्चों को दे रहे हैं। वह बहुत हल्का-फुल्का होना चाहिए।

 हमारा बच्चा जब डेढ़ साल का हो जाए तब तक हमें उसे अंडे नहीं खिलते चाहिए। डेढ़ साल के बाद हम उसे थोड़े बहुत अंडे खिलाने की शुरुआत कर सकते हैं। 

बच्चे अंडे कब खा सकते हैं? 

एंड बहुत ही गुडकरी होते हैं इसमें  (Baccho ke eggs kab se khilayen)बहुत ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बच्चे के शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। वैसे तो यह बताया गया है कि जब बच्चा 7 महीने का हो जाए तो हम अपने बच्चों को अंडे का पीला भाग खिलाने की शुरुआत कर सकते हैं।

 परंतु जब पहली बार अपने अपने बच्चों को अंडा खिलाया है तो उसके एलर्जिक रिएक्शंस का हमें इंतजार करना चाहिए। यदि एंड के द्वारा बच्चों के शरीर में कोई एलर्जी नजर आती है तो हमें बच्चों को अंडा नहीं खिलाना चाहिए। यदि बच्चा बिल्कुल नॉर्मल है तो हम बच्चे को अंडा आगे कंटिन्यू कर सकते हैं। 

जब तक बच्चा 12 महीने का हो जाए तो उसे पीला भाग खिलाने की शुरुआत करते हैं। परंतु जब तक वह 1 साल का हो नहीं जाता तब तक उसे सिर्फ पीला ही भाग खिलाना चाहिए।

 12 महीने के बाद उसे सफेद भाग खिलाने की शुरुआत भी की जा सकती हैं। यह बच्चे के शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति अच्छी तरीके से करता है। 

अंडे में पोषक तत्व :

एंड बहुत गुडकरी होते हैं इसमें (Egg me nutrients) प्रोटीन भारी मात्रा में पाया जाता है इसमें और भी कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें विटामिन, आयरन, तांबा  जस्ता कैल्शियम, सेलेनियम आदि खनिज पदार्थ पाए जाते हैं। 

इसके अलावा इसमें कोलेस्ट्रॉल, फैटी एसिड, बसा, विटामिन डी, विटामिन B12, विटामिन ई, कॉलिन और फोल्ड भी पाए जाते हैं। यह सभी पोषक तत्व बच्चों को यदि पर्याप्त मात्रा में एंड खिलाने पर प्रधान होते हैं। तो यह बहुत गुड कारी साबित हो सकता है और बच्चे के लिए बहुत लाभदायक भी हो सकता है। 

अंडे में कालीन पाया जाता है यह कॉलिंन पाया जाता है यह लीवर को मजबूत करने में मदद करता है। इसके अलावा यह पोषक तत्व को शरीर के बाकी हिस्सों में पहुंचने के लिए सहायक होता हैं। यह बच्चों की याददाश्त को बनाए रखने में भी मदद कर होता है। 

बच्चों के लिए अंडे के फायदे

मानव दूध में प्रोटीन की उच्चतम  (Baccho ke eggs ke fayde)गुणवत्ता पाई जाती है। मां के दूध में इलेक्ट्रा एल्बम में नाम का प्रोटीन पाया जाता है। जो प्रोटीन की गुणवत्ता में सबसे उच्च होता है। इसके अलावा प्रोटीन का दूसरा सबसे उच्चतम स्त्रोत अंडा होता है।

 अंडे में खनिज विटामिन और अन्य तरीके के पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो शरीर को मजबूत करने में मदद करते हैं अंडे का सफेद भाग पोटेशियम और प्रोटीन से समृद्ध होता है। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है।  बच्चों में अंडे के क्या-क्या फायदे हैं उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

1. अंडे का लाभ मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली में :

अंडे हम बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने में बहुत मदद करते हैं। इसमें आयरन सेलेनियम और जस्ता पाया जाता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करता है और बच्चे के शरीर को मजबूत बनाने में मदद करता है।

 प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित होने से बच्चों के अंदर रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाती है। अंडे में फोलेट पाया जाता है जो कोशिकाओं के निर्माण में और उसके विकास में बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाता है। इसलिए अंडे को अपने बच्चों को उसकी सही उम्र होने पर अवश्य खिलाना चाहिए। 

अंडे में जो पीले रंग का योग पाया जाता है। यह पाचन तंत्र को विकसित करने में मदद करता है और अपच आदि की समस्या बच्चों के अंदर नहीं होने देता। 

2. बच्चों के दिमागी विकास के लिए अंडे :

अंडा बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं अंडे में कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है। यह कोलेस्ट्रॉल बच्चों के मस्तिष्क विकास में बहुत मदद करता है। कॉलिंग पेट के पाचन और हार्मोन के उत्पादन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

कोलेस्ट्रॉल यदि नियमित मात्रा में हो तो यह बच्चे के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। कॉलिंग पोषक तत्व भी अंडे के अंदर पाया जाता है। जो तंत्रिका तंत्र के विकसित करने में और हृदय के समुचित विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

3. अंडे की जर्दी फायदेमंद है दिल के स्वास्थ्य में : 

अंडे की जर्दी दिल के स्वास्थ्य में बहुत महत्वपूर्ण होती है। अंडे की जर्दी में फास्फोलिपिड पाए जाते हैं। यह संवहन क्रिया को मजबूत करता है। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल प्रबंधन में यह शरीर को सहायता प्रदान करता है।

 अंडे का सेवन करने से बच्चे का दिल मजबूत होता है और दिल अच्छी तरीके से काम करता है। इसलिए यदि आप अपने बच्चों का दिल मजबूत करना चाहते हैं तो आप उसे अंडे की जरती का सेवन कर सकते हैं। 

4. अंडे का फायदा लीवर के लिए :

जब बच्चे विकास कर रहे होते हैं तब उनके अंगों का भी विकास चल रहा होता है। उनके अंगों को मजबूत करने की आवश्यकता बाहरी पोषक तत्व प्रदान करने के बाद ही पूरी होती है। यदि शरीर मैं पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व उपस्थित होते हैं।

 तो बच्चा मजबूत बना रहता है परंतु यदि पोषक तत्वों की कमी हो जाती है तो उसके शारीरिक अंग भी कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए बच्चों को फायदा पहुंचाना के लिए एंड अवश्य खिलौने चाहिए। अंदर लीवर के लिए बहुत फायदेमंद होता है यह बच्चे के लिवर को मजबूत करता है। 

5. नेत्र स्वास्थ्य में अंडे के फायदे :

अंडे में  ल्यूटिन (lutein) और ज़ेक्सैन्थिनट और बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं।  लुटिन हमारी आंखों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह आंखों मैं पहुंचने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी आंखों को बचाता हैं।

 और बहुत सारी हार्मफुल रस से आंखों को प्रोटेक्ट करने में मदद करता है। यह दोनों एंटीऑक्सीडेंट दृष्टि की हानी को रोकने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

बच्चों के लिए अंडे के जोखिम

शुरुआत के में छोटे बच्चों को अंडे देने (Baccho ko  eggs se nuksaan)की सलाह डॉक्टर के द्वारा मन कर जाता है। डॉक्टर का ऐसा मानना होता है कि छोटे बच्चों में अंडे के प्रति एलर्जिक रिएक्शंस हो सकते हैं। जिसके कारण बच्चों को जोखिम उठाना पड़ सकता है।

 इसलिए जब बच्चा 7 महीने का हो जाता है तब अंडे का सफेद भाग बच्चों को दिया जा सकता हैं। अंडे के सफेद भाग में एलर्जिक रिएक्शंस को कोप अप करने की शक्ति होती है। जो बच्चों के शरीर में एलर्जी रिएक्शंस को रोकने में मदद करते हैं इसलिए 7 महीने का होने पर बच्चों को आप अंडे का सफेद भाग खिला सकते हैं।

 परंतु जब बच्चा 12 महीने का हो जाता है तब तक उसे अंडे का पीला भाग यानी कि जल्दी नहीं खिलानी चाहिए। अंडे के पीले भाग में बहुत ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है और यह है ज्यादा एलर्जिक भी होता हैं। 12 महीने का होने के बाद बच्चों के शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती हैं।

 जिससे वह एलर्जी को दूर कर लेता है इसलिए जब तक बच्चा 12 महीने से ऊपर करना हो जाए। तब तक उसे हमें अंडे का पूरा भाग नहीं देना चाहिए। 1 साल होने के पश्चात आप उसे अंडे का पूरा भाग खिला सकते हैं। 

डॉक्टर के द्वारा यह माना जाता है कि जब बच्चे 4 से 6 महीने के बीच होते हैं और उन्हें अंडे खिलाए जाते हैं। तो यह बच्चे के लिए बहुत नुकसान पहुंचता हैं। इसलिए 7 महीने का होने तक बच्चों को अंडे देने के लिए मना ही हैं। 7 महीने के बाद बच्चे को आप अंडे का सफेद भाग खिला सकते हैं। 

बच्चों में अंडे से एलर्जी होने के संकेत

शुरुआत में बच्चों की रोक प्रतिरोधक (Baccho ko eggs se allergy symptoms)क्षमता विकसित नहीं हो पाती इसलिए उन्हें नए तरीके की प्रोटीन के प्रति एलर्जिक रिएक्शंस हो सकते हैं। अंडे के सफेद भाग में बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोटीन पाया जाता हैं।

 और इस अचानक बच्चों के शरीर में एंट्री करने पर बच्चों का शरीर एलर्जिक रिएक्शंस में उसके शरीर पर दाने या लाल चकत्ते जैसे एलर्जिक रिएक्शंस दिखा सकता हैं।

 बच्चों के अंदर अंडे खाने से और कौन-कौन से एलर्जी के संकेत हो सकते हैं। उसके विषय में नीचे पॉइंट्स के माध्यम से आपको जानकारी प्रदान की गई है। 

  • सुजन 
  • एक्जिमा 
  • दस्त लगना 
  • मालती या उल्टी 
  • दर्द महसूस होना 
  • मुंह के आसपास खुजली होना 
  • घर-घरहट होना 
  • नाक बहना 
  • सांस लेने में परेशानी होना 
  • दिल की धड़कन में तेजी 
  • निम्न रक्तचाप और दिल की समस्या

बच्चों को अंडा कैसे खिलाएं? 

डॉक्टर के द्वारा यह रिकमेंड किया (Baccho ko eggs kaise khilaye)जाता है कि एक साल से छोटे बच्चों को पूरा अंडा नहीं खिलाना चाहिए। जब बच्चा 1 साल से बड़ा हो जाए तब आप उसे पूरा अंडा खिला सकते हैं। 1 साल से बड़े बच्चों को आप आमलेट बनाकर उबला हुआ अंडा तला हुआ अंडा बनाकर खिला सकते हैं। 

जवाब अपने बच्चों को अंडा पहली बार मिला रहे हैं तो उसे एक ही तरीके का थोड़ा अंडा खिलाकर देखना चाहिए। उसके बाद माता-पिता को 3 से 4 दिन का इंतजार करना चाहिए और यह अब्जॉर्ब करना चाहिए। कि बच्चों के शरीर के अंदर कोई एलर्जिक रिएक्शंस तो देखने को नहीं मिल रही।

कितने उम्र के बाद बच्चों को हमें अंडे खिलाने चाहिए?

यदि ऐसा नहीं है तो हम दोबारा बच्चों को अंडा खिला सकते हैं और यह उसके लिए सुरक्षित भी होता है। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को अच्छी तरीके से उबला अंडा ही खिलाए। 

कच्चे अंडे खिलाने का प्रयास बच्चों को ना करें। एक साल तक के बच्चे को भी अंडे को डाइजेस्ट करने में और उसको अपने शरीर के साथ मैच करने में परेशानी हो सकती हैं। इसलिए बच्चों को अंडा अच्छी तरीके से पका कर ही खिलाना चाहिए। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. हम अपने बच्चों को अंडा पूरी तरीके से कब खिला सकते हैं? 

जब बच्चा 1 साल का हो जाए उसके बाद हम उसे अंडा खिला सकते हैं। 

Q. अंडा बच्चों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? 

अंडे में बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं और यह बच्चे के प्रति रक्षा प्रणाली को विकसित करने में मदद करता है। 

Q. बच्चों के अंदर अंडे की क्या जोखिम हो सकते हैं? 

बच्चों के अंदर अंडे के एलर्जिक रिएक्शंस देखने को मिल सकते हैं इसलिए पहली बार इसका सेवन करने के बाद पेरेंट्स को वेट करना चाहिए। 

Q. अंडे में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं? 

अंडे में विटामिन आयरन तांबा जस्ता कैल्शियम सेलेनियम आदि तरीके के पोषक तत्व पाए जाते हैं। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको कितने उम्र के बाद बच्चों को हमें अंडे खिलाने (Baccho ko eggs)चाहिए के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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