बच्चों को कैसे पढ़ाएं? छोटे बच्चों को पढ़ाने के 32 तरीके

बच्चे जैसे-जैसे बड़े होने लगते हैं माता-पिता को उनके पढ़ाई की चिंता सताने लगती है। वह बच्चे को ऐसी पढ़ाई देना चाहते हैं जिससे उनके बच्चे अपने जीवन में सारी उपलब्धियां को हासिल कर पाए और अच्छा मुकाम हासिल करें। वह बच्चे को पढ़ने के विभिन्न विभिन्न तरीके अपनाते हैं बच्चे को अच्छा पढ़ने का तरीका बच्चों की पढ़ाई पर बहुत अच्छा प्रभाव डालता है। परंतु बच्चों को कैसे सही पढ़ना चाहिए (Baccho ko kaise padhaye) इसके विषय में अक्सर उन्हें जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके बच्चे को कैसे पढ़ाया जाए (Baccho ko padhane ke tarike) इसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

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बच्चों को कैसे पढ़ाएं?

बच्चे बिल्कुल कोमल होते हैं (Baccho ko kaise padhaye?)उन्हें अभी किसी बात का ज्ञान नहीं होता। इसलिए बच्चों को पढ़ते समय कभी भी इस बात की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि आपके बच्चे से कुछ आंसर मिलेगा बल्कि आपके बच्चे को हर छोटी से छोटी बात बतानी चाहिए। और उसे यह समझना चाहिए कि दुनिया कितनी बड़ी है और उसे जानने के लिए बच्चों को हमेशा उत्सुक रहना चाहिए।

बच्चों को कैसे पढ़ाएं जाने छोटे बच्चों को पढ़ाने के 32 तरीके

छोटे बच्चों को पढ़ाने का तरीका (Padhane ke tarike)

1. बच्चों को दोस्त बनाएं :

बच्चों को पढ़ते समय हमेशा उसके दोस्त जैसा व्यवहार करना चाहिए। आप अगर बच्चे को दोस्त बनेंगे तो वह कभी भी अपने मन की आशंकाओं को आपसे पूछने से नहीं डरेगा।

उसके मन में जो भी सवाल होंगे वह आसानी से आपसे पूछेगा और अपने कंफ्यूजन को सही कर पाएगा। बच्चों का झिझक पढ़ना उसकी पढ़ाई के लिए बहुत अच्छा तरीका होता है।

2. बच्चों की पढ़ाई में मदद करें :

बच्चों को पढ़ाई में हमेशा मदद करनी चाहिए जो भी विषय बच्चों को समझ में नहीं आ रहा उसे विषय में बच्चों की मदद करें। जो कॉन्सेप्ट बच्चों को होमवर्क में दिए गए हैं उन्हें भली-भांति प्रकार से आपको उसे बच्चों को समझना चाहिए।

जिससे बच्चों को उसकी समझ हो जाए और वह आसानी से उसे याद कर पाए बच्चों की पढ़ाई में मदद करने से बच्चे को पढ़ाई करना आसान लगने लगता है।

3. पढ़ाई के महत्व को बताएं :

माता-पिता को बच्चों को पढ़ के महत्व के विषय में बताना चाहिए की पढ़ाई जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है। और पढ़ाई के माध्यम से बच्चा अपने जीवन में किन-किन मुकाम को हासिल कर सकता है उसे पढ़ ना करने के नुकसान भी समझने चाहिए। यदि बच्चा पढ़ाई के महत्व को समझ जाएगा तो वह मन लगाकर पढ़ाई करने का प्रयास करेगा।

4. माहौल का ध्यान रखें :

बच्चों को पढ़ने लिखने के लिए माहौल की बहुत आवश्यकता होती है। एक अच्छा माहौल बच्चों की पढ़ाई पर बहुत प्रभाव डालता है। इसलिए बच्चों की पढ़ाई के समय बहुत अच्छा माहौल माता-पिता को बनाना चाहिए। जिससे बच्चे की पढ़ाई में किसी भी प्रकार की विघ्न न पड़े बच्चों को एक ऐसा माहौल प्रदान करना चाहिए जो पढ़ाई के लिए बच्चों को उन्मुख करें।

5. किताबों से दोस्ती कराए :

बच्चों को किताबों से दोस्ती करना सीखना चाहिए। यदि बच्चा किताबों से दोस्ती करने लगेगा तो वह धीरे-धीरे अपनी पढ़ाई में भी ध्यान लगने लगेगा। बच्चों को हर सब्जेक्ट की अलग-अलग किताबें दिन किताबों में रंग-बिरंगे चित्रों को बच्चों को दिखाएं।

और उन्हें समझाएं कि यह रंग-बिरंगे चित्र किस बात का प्रतीक है। बच्चा जब चित्रों को देखकर चीजों को समझने लगेगा तो वह खुद ही किताबों को खोलकर उन्हें पढ़ने और देखने का प्रयास करेगा।

6.बच्चे को रोज नया सिखाएं :

बच्चों को रोज नया-नया सीखने का प्रयास करना चाहिए। यदि आप बच्चे को पहले जैसा पुराना बार-बार पढ़ाएंगे तो बच्चे को बोरियत महसूस होने लगेगी। यदि आप हर दिन कुछ नया बच्चों को बताएंगे तो उसके मन में एक नए प्रकार का उत्साह रहता है। उत्साह के कारण बच्चा नई-नई चीजों को सीखने के लिए उन्मुख होता है इसलिए बच्चों को नई-नई चीजों को सीखना चाहिए।

7. बच्चों को लिखना सिखाएं :

बच्चों को भली-भांति प्रकार से धीरे-धीरे लिखना सीखना चाहिए लिखने की शुरुआत धीरे-धीरे होती है। बच्चा बहुत आराम आराम से लिखने की शुरुआत करता है।

इसलिए एक-एक डंडा बनवाकर बच्चों को लिखना सीखना चाहिए धीरे-धीरे बच्चा चीजों को लिखना सीख जाता है। और एक अच्छा लिखावट बनकर तैयार करता है।

8.पढ़ाई का दबाव न बनाएं :

बच्चों पर पढ़ाई के लिए दबाव नहीं बनना चाहिए। जब भी बच्चे का मन करे तब उसे पढ़ने के लिए बैठना चाहिए। यदि जबरदस्ती आप बच्चे को पढ़ के लिए बैठा लेंगे।

तब उसके समझ में कुछ भी नहीं आएगा और वह समय इसलिए जब बच्चे का पढ़ाई का मन ना हो तब उसे खेलने के लिए बोले और उससे यह वादा लेने की खेलने के पश्चात वह पढ़ाई करेगा।

9. बच्चों के पढ़ने के तरीके को समझें :

आपके बच्चे के पढ़ने के तरीके को समझना चाहिए। हर बच्चे के पढ़ने और याद करने का तरीका अलग होता है। जैसा बच्चा कर रहा है।

उसे करने दे उसके तरीके को अपनाकर उसे उसी तरीके से पढ़ने का प्रयास करें। इससे बच्चों को जल्दी याद होता है और समझ में भी जल्दी आता है क्योंकि वह तरीका उसने खुद अपनाया है।

10.बच्चें को पढ़ाने के लिए सही समय का चुनाव करें :

बच्चों को पढ़ने के लिए सही समय का चुनाव करना चाहिए। माता-पिता को ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए कि जब उनका मन हुआ वह बच्चे को पढ़ने के लिए बैठा दे। यदि बच्चा मस्ती के मूड में है। और आप उसे पढ़ने के लिए बैठे हैं तो बच्चे को कुछ भी ना तो समझ आता है और ना ही उसे याद होता है। इसलिए पढ़ने के सही समय का चुनाव करना आवश्यक है।

एक ऐसे समय का चुनाव करें जब बच्चा पूरे पढ़ाई के मूड में होता है। रोज डेली इस समय बच्चों को पढ़ना चाहिए इससे बच्चों की पढ़ाई का स्तर बहुत अच्छा होगा।

11.अनुशासन का रखें ख्याल :

एक टीचर की है जिम्मेदारी होती है कि बच्चों को पढ़ने के साथ-साथ वह उसके अनुशासन का भी ध्यान रखें किताबों को पढ़ने के अलावा बच्चा किस प्रकार से व्यवहार कर रहा है। इसके विषय में भी ध्यान रखना चाहिए और बच्चे को पूर्णता अनुशासन में रहना सीखना चाहिए ।

12.बच्चे की गलतियाँ सुधारे :

बच्चों के स्कूल से आने के बाद उसकी कॉपी किताबों को चेक करें। उसमें होने वाली सारी गलतियों को सुधारे और बच्चे को समझाएं कि उन गलतियों को कैसे सही  किया जाता है।

बच्चा स्कूल से आने के पश्चात इसकी दैनिक दिनचर्या पर भी ध्यान रखें। यदि दिन भर में वह कुछ गलत कार्य कर रहा है। तो उसे समझना चाहिए और उसे कार्य को करने से रोकना चाहिए।

13.सफलता और विफलता में अंतर को बताएँ :

माता-पिता को अपने बच्चों को सफलता और सफलता दोनों के विषय में बताना चाहिए। बच्चों को सफलता के महत्व बताने के साथ-साथ यह भी समझना चाहिए कि कभी भी सफलता से ना डालें। यदि सफलता आपके सामने आए तो उसे डटकर सामना करें और फिर सफल होने का प्रयास करना शुरू कर दें।

14.बच्चे को डांटने से बचे :

माता-पिता को बच्चों को डांटना से बचना चाहिए। यदि वह बात-बात पर बच्चों को डांटना लगेगा तो बच्चा अपने मन की आशंकाएं और अपने मन में उम्र रहे सवालों को कभी भी अपने माता-पिता से नहीं पूछ पाएगा।

यदि माता-पिता उसके साथ व्यवहारिक हैं और उसे नहीं डांटे हैं। तो वह वह जिसके आसानी से अपने माता-पिता से कोई भी सवाल पूछ लेगा। इसलिए बच्चों को डांटना से हमेशा बचना चाहिए।

15. नई-नई बातें बताएं :

बच्चों को नई-नई बातों को बताना चाहिए जिससे उन्हें पढ़ाई में इंटरेस्ट आना शुरू हो जाए। पढ़ाई के साथ-साथ पढ़ाई से संबंधित एवं उसकी दैनिक दिनचर्या से संबंधित बातें बच्चों को बचाना चाहिए।

जिससे वह रिलेट कर पाए यदि रिलेटेड चीजों के विषय में बच्चों को नई-नई जानकारियां प्राप्त होगी। तो उसे पढ़ाई में रुचि आना शुरू हो जाएगी।

16.बच्चों को उत्साहित करें :

बच्चों को हमेशा कवि कक्षा के सामने या स्कूल के सामने कविता या कहानी कहने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यदि बच्चा ऐसा नहीं कर रहा है। तो उसे प्रेरणा दे और दूसरे बच्चों से कविता या कहानी सुनाने के लिए कहें। दूसरे बच्चों का उदाहरण देकर उसे बच्चों के लिए भी कविता या कहानी कहने के लिए प्रेरित और उत्साहित करना चाहिए।

17. बच्चों के पसंद के विषय पूछे :

हर बच्चे की पसंद अलग-अलग होती है। बच्चों को जो विषय पसंद होता है। वह उसी के विषय में याद करना और उसी का जवाब देना पसंद करते हैं।

बच्चे की पसंद को जानकर उसके पसंद के विषय के विषय में ही पूछना चाहिए। इससे बच्चों के अंदर कॉन्फिडेंस आता है और वह चीजों को और भी अच्छे से याद करने के लिए प्रेरित होता है।

18.मार्क्स का दबाव ना बनाएं :

बच्चों पर कभी भी मार्क्स का दबाव नहीं बनना चाहिए। यदि बच्चे की पढ़ाई और नॉलेज अच्छी होगी तो बच्चे के मार्क्स अपने आप अच्छे आ जाएंगे। यदि आप बच्चे पर मार्क्स का दबाव बनाते हैं

 तो बच्चा टेंशन में आ सकता है और दबाव में आकर वह अपनी पढ़ाई भी खराब कर सकता है इसलिए बच्चे पर मार्क्स का दबाव कभी ना बनाएं।

19. बच्चों की मनोरंजन का रखें ख्याल :

पढ़ाई करने के साथ-साथ बीच में बच्चों के मनोरंजन का भी खास ख्याल रखना चाहिए। यदि बच्चा लगातार पढ़ाई करता रहेगा तो वह बोर महसूस करने लगेगा।

इसलिए बच्चों के मनोरंजन के साथ पढ़ाई करवाने से बच्चे को चीजों की समझ बहुत अच्छी होने लगती है। और उसकी पढ़ाई में भी बहुत अच्छा ज्ञान आने लगता है।

20.खेलने से न रोकें :

बच्चों को कभी भी खेलने से नहीं रोकना चाहिए। बच्चों को खूब खेलने दे और अपने आस पड़ोस के लोगों से मिलने दे जब वह अपने दुनिया में लोगों से मिलेगा तो उसे चीजों की समझ और बेहतर होती जाएगी। खेलने से बच्चे का शारीरिक कौशल विकसित होगा और बच्चा स्वस्थ बना रहेगा।

21.बच्चों को समय का महत्व बताएं  :

बच्चों को समय के महत्व के विषय में बताना चाहिए कि समय कितना महत्वपूर्ण है और इसे बर्बाद करना कितना नुकसानदायक हो सकता है। बच्चे को यह बताना चाहिए कि जो समय चल रहा है।

यदि वह चला गया तो कभी वापस नहीं आएगा और पढ़ाई का समय भी निकल जाएगा। पढ़ाई का समय बच्चों के जीवन में बहुत महत्व रखता है। इसलिए बच्चों को समय का सदुपयोग करना सीखना चाहिए।

22.किताब पढ़ना सिखाएं :

जब बच्चे को पढ़ना की बात आती है तो सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चों को आप किताबें पढ़ना जरूर सिखाएं बहुत सारे मामलों में ऐसा देखा गया है कि बच्चों को सारा कुछ आता है। परंतु उसे किताबें पढ़ने नहीं आते। इसलिए बच्चों को शुरुआत से ही किताब पढ़वाएं इससे किताबों के प्रति समझ बच्चों की और अच्छे से विकसित होगी।

23. महत्वपूर्ण बिंदुओं को बताएं :

हर व्यक्ति के याद करने की क्षमता कुछ हद तक होती है। कोई भी बच्चा सब कुछ याद नहीं कर सकता।इसलिए बच्चों को महत्वपूर्ण बिंदुओं के विषय में समझना चाहिए।

महत्वपूर्ण बिंदुओं को ज्यादा याद करवाना चाहिए जिससे जो इंपॉर्टेंट पॉइंट है वह बच्चे से ना छूटे और पूरी तरीके से वह सारे इंपॉर्टेंट पॉइंट बच्चों को याद हो जाए।

24.टेस्ट जरूर लें :

जो अपने बच्चों को  पढ़या या सिखाया है।वह बच्चे को कितना समझ में आया है और उसे कितना याद हुआ है इसके विषय में जानकारी हमें तभी प्राप्त होती है। जब हम बच्चे का टेस्ट लेते हैं। टेस्ट से हमें बच्चों के दिमाग में क्या-क्या चीज बस गई है।

उसके विषय में जानकारी मिलती है इसलिए बच्चे का साप्ताहिक टेस्ट अवश्य लेना चाहिए। जिससे बच्चों को भी अपने विषय एवं कॉन्सेप्ट की अच्छी समझ हो और माता-पिता को भी बच्चों के विक पॉइंट के विषय में जानकारी मिल पाए।

25.बच्चों को नैतिकता सिखाए :

बच्चों को पढ़ के साथ-साथ नैतिकता सीखना भी बहुत आवश्यक है। यदि बच्चा पढ़ा लिखा है समझदार है परंतु उसके अंदर नैतिकता नहीं है। तो यह एक अच्छा नागरिक नहीं माना जाता इसलिए बच्चों को नैतिकता सिखाना माता-पिता की जिम्मेदारी है।

26.बच्चे को रोज याद करने के लिए देते रहें :

बच्चों को रोजाना कुछ ना कुछ याद करने के लिए अवश्य देते रहें। यदि आप बच्चे को लगातार याद करने के लिए देते रहेंगे। तो उसकी याद करने की क्षमता का विकास होगा और वह अच्छे से चीजों को याद कर पाएगा। इसलिए कभी भी याद करने के विषय में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। और लगातार बच्चों को याद करने को देते रहना चाहिए।

27.इतिहास की जानकारी दें :

सिर्फ किताबी ज्ञान देना बच्चों के जीवन के लिए महत्वपूर्ण नहीं होता। इसके अलावा इतिहास में ऐसे बहुत सारे तत्व एवं बातें हैं जो बच्चे को एक अच्छा जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। और चीजों की समझ विकसित कर सकती हैं इसलिए बच्चों को इतिहास के विषय में अवश्य बताना चाहिए

 उसे यह समझना चाहिए कि व्यक्ति किस प्रकार अपनेमतलब से या दूसरे के हित में क्या-क्या कर सकता है इसकी समझ हमें इतिहास से ही मिलती है।

28.बच्चों को गणित सिखाएं :

बच्चों को गणित विषय के बारे में सीखना चाहिए। गणित विषय बहुत महत्वपूर्ण होता है। जिन बच्चों को गणित की समझ होती है। उनके अंदर रचनात्मक का विकास बहुत अधिक होता है।

वह बच्चे दिमागी रूप से बहुत तेज होते हैं उनका आईक्यू लेवल बहुत तेज होता है। बहुत सारे बच्चों में ऐसा देखा गया है क्यों उन्हें गणित कम समझ में आती है। परंतु जिन बच्चों को गणित अधिक समझ में आती है वह बहुत ही समझदार बच्चे होते हैं।

29.बच्चे को प्रतियोगिता में भाग लेने दें :

स्कूल में होने वाली विभिन्न तरीके की प्रतियोगिताओं में बच्चों को भाग लेने देना चाहिए। विभिन्न तरीके के प्रतियोगिता में यदि बच्चा भाग लेता रहेगा तो उसे नई-नई चीजों की समझ होगी। यदि बच्चा प्रतियोगिता जीत है तो उसके अंदर एक उत्साह बढ़ जाता है।

और वह दोबारा उसे प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रेरित होता है।इसलिए विभिन्न तरीके की होने वाली प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए बच्चों को उत्साहित करना चाहिए। ना कि बच्चों को प्रतियोगिता में भाग लेने से रोकना चाहिए।

30.बच्चे को लाभ –हानि बताएं :

बच्चों को लाभ हानि के सवालों के विषय में जरूर बताना चाहिए। उन्हें विभिन्न एग्जांपल लेकर लाभ हानि के सवालों को सीखना चाहिए। लाभ हानि के सवाल उत्साहित करने वाले होते हैं। और बच्चे के अंदर एक अच्छी समझ विकसित करते हैं लाभ हानि बच्चों के जीवन में भी बहुत महत्व रखती है।

31.स्कूल से प्रतिक्रिया लेते रहें :

बच्चा स्कूल में किस प्रकार प्रदर्शन कर रहा है या वह स्कूल में क्या-क्या कर रहा है। इसके विषय में स्कूल से प्रतिक्रिया लेती रहनी चाहिए बच्चों का स्कूल में किस प्रकार का प्रदर्शन है। यह इस बात की जानकारी देता है कि बच्चा पढ़ाई के प्रति कितना सजग है।

यदि बच्चे का प्रदर्शन ठीक नहीं है तो आपके बच्चे पर और ज्यादा ध्यान देना चाहिए और उसे पढ़ाई करने के लिए मोटिवेट करना चाहिए।

32.बच्चे की घर वालों से प्रतिक्रिया लें :

बच्चों को स्कूल में पढ़ने के बाद बच्चों के घर वाले से प्रतिक्रिया लेना आवश्यक है। बच्चे को पढ़ाई का माहौल मिल पा रहा है। या नहीं या बच्चा किस प्रकार से अपनी अच्छी पढ़ाई कर पा रहा है इसके विषय में घर वालों से प्रतिक्रिया अवश्य लें।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)

Q. बच्चों के लिए पढ़ाई क्यों आवश्यक है?

पढ़ाई बच्चों के जीवन में बहुत महत्व रखती है पढ़ाई के बिना बच्चों अपने जीवन में अच्छे मुकाम को हासिल नहीं कर पाता।

Q. पढ़ाई के लिए क्या आवश्यक है?

पढ़ाई के लिए बच्चों को एक अच्छा माहौल देना सुविधा देना एवं उसका ध्यान देना आवश्यक है।

Q. क्या प्रतियोगिता बच्चों के जीवन में महत्व रखती है?

स्कूल में होने वाली प्रतियोगिताएं बच्चों को नई-नई चीजों की समझ विकसित करने में मदद करती हैं।

Q. बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है?

बच्चों के लिए खेलने आवश्यक है क्योंकि इससे बच्चे का शारीरिक विकास होता है और स्वस्थ रहने में मदद करता है।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों को कैसे पढ़ाएं ? जाने छोटे बच्चों को पढ़ाने के 32 तरीके (Baccho ko padhane ke tarike) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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