बच्चों का मन बहुत ज्यादा कोमल होता हैं। वह अपने मन की कोमलता के कारण सीधी चीजों को भी एक्सेप्ट कर पाते हैं उन्हें हर चीज सीधी सीधी समझ में आती है। परंतु जब उन्हें समाज के द्वारा या अपने माता-पिता के द्वारा डांट फटकार या जानकारी दिया जाता है तो बच्चों को बहुत बुरा फील होता है और उनमें धीरे-धीरे आत्मविश्वास की कमी होने लगती हैं। कई बार माता-पिता ऐसी गलतियां (Baccho me confidence) कर जाते हैं जो बच्चे को बहुत नुकसान पहुंचती है।
माता-पिता की गलतियों के कारण बच्चों की आत्मविश्वास की कमी को कैसे सुधार (Baccho me confidence kaise sudhare)सकते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। यदि आप भी विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
बच्चों में आत्मविश्वास की कमी के कारण
बच्चों के माता-पिता की किन(Baccho me confidence ki kami ke karan) गलतियों के कारण बच्चों के आत्मविश्वास में कमी आती है और बच्चे कमजोर पड़ने लगते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई हैं। माता-पिता को नीचे बताए गए चीजों को बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि वह अपने बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करें ना कि उसकी कमी के लिए उत्तरदाई हो। आत्मविश्वास में कमी के कुछ उदाहरण नीचे स्पष्ट किए गए हैं।
1. बच्चों पर अपनी मर्जी थोपना :
कई बार माता-पिता अपने बच्चों की मां की स्थिति को नहीं समझते और बच्चों को अपनी ही बातों पर चलने और उसको फॉलो करने का प्रयास करते हैं। कई बार ऐसा होता है कि बच्चा अपने भविष्य में अपने मां का फ्यूचर चुना चाहता हैं।
परंतु किसी कारणवश या माता-पिता की मर्जी के कारण वह अपने मां के फ्यूचर को नहीं चल पाता और अपने माता-पिता के बताए गए इस रास्ते पर चलने लगता हैं। बच्चों की बात को ना सुना उसके मन में क्या है उसको ना समझना और अपनी बात बच्चों के सामने रखकर उसे फॉलो करने का आदेश देना ही अपनी मर्जी बच्चों पर ठोका कहलाता हैं।
यदि आप बार-बार अपने बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं तो धीरे-धीरे वह अपने मन से टूटने लगता है वह जो भी अपने माता-पिता की पसंद का कार्य करता हैं। उसे उसमें इंटरेस्ट नहीं आता और धीरे-धीरे वह उदास और हताश रहने लगता है।
आत्मविश्वास की कमी का असर बच्चों के दैनिक जीवन पर पड़ता हैं। वह किसी के भी सामने अपनी बात को स्पष्ट का पानी में समर्थ नहीं रहता धीरे-धीरे वह अपने मन से टूटने लगता है।
बहुत सारे माता-पिता ऐसे होते हैं जो अपने बच्चों को अपने अनुसार ही काम करता देखना पसंद करते हैं। वह नहीं चाहते कि जो उनका बच्चा चाहता हैं। वह वह करें उन्हें ऐसा लगता है कि जो वह सोचते हैं। वह उनके बच्चे के लिए अच्छा है और ऐसा करने से ही वह अपने भविष्य में अच्छा कर पाएगा।
अगर बच्चे के माता-पिता को ऐसा लगता है की पढ़ाई सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और पढ़ाई के अलावा कोई और कार्य करने से बच्चे का समय खराब होता है और उसकी पढ़ाई करने के लिए समय नहीं मिल पाता। तो वह बच्चे को ड्राइंग तक नहीं करने देते धीरे-धीरे बच्चों की विभिन्न चीजों में रुचि भी खत्म होने लगती हैं।
यदि बच्चा सिंगिंग या डांसिंग करना चाहता है तो वह अपने माता-पिता के प्रेशर के कारण ऐसा नहीं कर पाता। यदि बच्चा किसी नए काम की शुरुआत करना चाहता है तो माता-पिता को उसे सपोर्ट करना चाहिए ना कि उसे यह दर दिखाना चाहिए।
कि अगर उसका यह काम सफल हो गया तो उसका क्या अंजाम होगा। इससे बच्चा किसी भी नहीं चीज को सिखाने में और उसे करने में पहले ही हिचकिचा जाएगा।
3. दूसरों से तुलना करना :
कुछ माता-पिता अपने ज्ञान की कमी के कारण अपने अपने बच्चों की तुलना किसी और बच्चे से करने लगते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि अगर वह ऐसा करेंगे तो उनका बच्चा आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित होगा। परंतु यह जरूरी नहीं है कि दूसरों की तुलना अपने बच्चों से करने से आपका बच्चा आगे करने के लिए प्रेरित हो उसके मन में यह भावना भी जागृत हो सकती हैं।
कि वह पढ़ाई लिखाई या किसी भी कार्य में कितना खराब है या फिर वह दूसरों से कितना काम काबिल है। इसलिए माता-पिता को कभी भी ऐसा नहीं करना चाहिए कि हमेशा अपने बच्चों की तुलना दूसरे से करें। कई बार आत्मविश्वास में कमी होने के कारण बच्चा स्कूल के खेलों और आदर प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अपने आप को कम अपने लगता हैं।
और दूसरों से कम समझने लगता है इसलिए हमें अपने बच्चों को अच्छी तरीके से शिक्षा देकर और समझ कर आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए ना कि अपने बच्चों की तुलना दूसरे लोगों से कर कर उसके मन को और ठेस पहुंचाने चाहिए। और उसे पीछे के लिए धकेल चाहिए।
4. बच्चों का मजाक ना बनाएं :
बहुत बार माता-पिता मजाक मजाक में यह दूसरों के बीच मजाक करते हुए अपने बच्चों का भी मजाक बनाने लगते हैं। माता-पिता के लिए यह एक मजाक का विषय हो सकता हैं। परंतु बच्चा छोटा होता हैं। उसे वह अपनी तरीके से सोचता है और यह मजाक बच्चों के दिल को ठेस पहुंचा सकता है या उसके मन में गलत प्रभाव डाल सकता हैं।
उसे ऐसा लग सकता है कि उसके माता-पिता ही उसे पर विश्वास नहीं करते तो बाकी लोग क्यों करेंगे। इसलिए हमें अपने बच्चों की दूसरों के सामने मजाक नहीं बनानी चाहिए। यदि हमें अपने बच्चों की कोई आदत खराब लगती है तो हमें उसे अकेले में उसकी गलतियों को समझना चाहिए।
गलतियों को समझाते समय भी हमें उसकी खूबियों के विषय में बताना चाहिए। यदि आप सबके सामने बात बात पर बच्चों का मजाक बनाने लगेंगे तो यह बच्चे के लिए बहुत-बहुत कष्टकारी हो जाएगा कि वह अपने ऊपर विश्वास कर पाए और दूसरों के सामने अपने आप को रिप्रेजेंट कर पाए।
यदि आप बच्चे को प्रोत्साहित करते हैं। और समय-समय पर उसकी खूबियों को बताते रहते हैं तो वह गलतियां करने से नहीं डरेगा और अपनी गलतियों के माध्यम से सीखेगा और बहुत कुछ अच्छे करने का प्रयास करेगा।
5. बच्चों को पीटना ठीक नहीं :
कई बार माता-पिता अपनी बात मनवाने के लिए या अपने बच्चों के मन में अपना डर बैठने के लिए उनसे बात बात पर मारपीट करना शुरू कर देते हैं। वह चाहते हैं कि उनका बच्चा उनकी हर बात माने और उनकी किसी भी बात को टालने की बच्चों में हिम्मत ना हो इसलिए वह मारपीट का इस्तेमाल करने लगते हैं।
धीरे-धीरे करके बच्चा अपने माता-पिता से डरने लगता है। वह अब किसी भी कार्य को आत्मविश्वास के साथ नहीं बल्कि डर के कारण करने लगता हैं। किसी भी कार्य को करते समय वह अपना शॉप प्रतिशत उसे कार्य में नहीं दे पाता बच्चा अपने माता-पिता से इतना डरने लगता है कि यदि उसके मन में कोई बात है।
कोई शंका है या वह कुछ सोच रहा है तो वह डर के कारण इन सभी चीजों को अपने माता-पिता के सामने स्पष्ट नहीं कर पाता जो बच्चा अपने मन की समस्याओं को अपने माता-पिता के सामने स्पष्ट नहीं कर पा रहा हैं। तो वह किसी के भी सामने अपनी मां की व्यथाओं को नहीं समझ पाएगा और अंदर ही अंदर घटा रहेगा।
इसलिए माता-पिता को कभी भी बच्चों के ऊपर थप्पड़ आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे बच्चों के दिमाग पर बहुत ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के तरीके
बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के क्या-क्या(Baccho me confidence badane ke tarike) तरीके हैं। यह किस प्रकार से किन चीजों को करके हम अपने बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं।उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।
1. बच्चों को हर तरीके की नई नई चीज़ सीखने का मौका देना चाहिए। यदि बच्चा कुछ नई चीज ट्राई कर रहा है तो उसे कभी भी नहीं रोकना चाहिए। एक बार वह गलती करेगा और दोबारा उसे वह चीज अच्छी तरीके से संपन्न हो पाएगी। बच्चों को ज्यादा से ज्यादा नई चीजों को ट्राई करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
2. हमें अपने बच्चों को म्यूजिक डांस ड्राइंग या एक्स्ट्रा करिकुलर जैसी एक्टिविटीज के विषय में बताना चाहिए और ऐसी चीजों में ज्यादा से ज्यादा पार्टिसिपेट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इसे हमें अपने बच्चों की क्रिएटिविटी के विषय में पता लगेगा और हम यह समझ पाएंगे कि हमारा बच्चा कितना आत्मविश्वासी है। और कितनी अच्छी तरीके से वह इन एक्टिविटीज को परफॉर्म कर पता है।
3. हमें अपने बच्चों के साथ बच्चा बनने की आवश्यकता होती है। कभी भी हमें अपने बच्चों के साथ बड़ों के जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। कभी-कभी हमें अपने बच्चों से बच्चों की तरह प्रश्न पूछने चाहिए। ऐसा करने से बच्चे अपने कल्पनाओं में खो जाते हैं। और नई-नई चीजों को सीखने के लिए इस दिशा में सोचने लगते हैं। वह अपने माता-पिता के साथ अटैचमेंट महसूस करते हैं और उन्हें मानसिक रूप से समझते हैं और उनसे प्रेम करते हैं।
4. बच्चों को मारने दांतों की जगह हमें उन्हें सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यदि सीखने के चरण में बच्चे पहली बार गलतियां करते हैं तो यह बच्चे के सीखने का प्रथम चरण होता यदि बच्चों के मन में हमेशा नई-नई चीजों को सीखने के लालसा रहेगी। तो वह दुनिया में होने वाले सभी चीजों को सीखने का प्रयास करेंगे।
और मार डांटकर यदि पहले ही आप अपने बच्चों को सीखने से रोक देते हैं तो यह बच्चे के लिए बहुत कष्टकारी हो जाता हैं। कि वह नई चीज को सीखने का प्रयास करें। क्योंकि ऐसा करने से उसमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। इसलिए नई चीजों को सीखने के लिए हमेशा बच्चों को प्रोत्साहित करें।
5. हमें अपने बच्चों को हमेशा इस बात का विश्वास दिलाना चाहिए कि आपके बच्चे में कोई भी कमी नहीं है और यदि कोई कमी है। भी तो वह अपनी मेहनत से उसे सुधार सकता है बच्चे को बार-बार यह याद दिलाना चाहिए की माता-पिता के लिए उनका बच्चा कितना महत्वपूर्ण है।
और वह सारी खूबियां से परिपूर्ण है बच्चों के अंदर कभी भी उसे यह एहसास ना दिलाए की कोई भी कमी हैं। यदि आप बार-बार अपने बच्चों को कमी का एहसास दिलाते हैं तो उसका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है। बल्कि उसे हमेशा एक परफेक्ट बच्चा होने का एहसास दिलाते रहे इससे बच्चे का आत्मविश्वास और बढ़ता हैं। और वह अच्छे से अच्छे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित होता है।
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
Q. आत्मविश्वास क्या होता है?
बच्चों का अपने ऊपर विश्वास और अपने कार्य को करने की शत प्रतिशत क्षमता को आत्मविश्वास कहते हैं।
Q. बच्चों में आत्मविश्वास की कमी क्यों हो जाती है?
माता-पिता के ज्यादा दांतों से बच्चे की मजाक बनाने से अपनी मर्जी बच्चे पर ठोकने से उसमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती हैं।
Q. बच्चों को हमें क्यों नहीं पीटना चाहिए?
यदि हम अपने बच्चों को पीटने लगेंगे तो वह हमसे डरने लगेगा और कभी भी अपनी बात को स्पष्ट नहीं कर पाएगा।
Q. बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के क्या तरीके हैं?
बच्चों की तारीफ करके उन्हें नई चीजों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करके उनका आत्मविश्वास बढ़ाया जा सकता है।
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको माता-पिता की गलतियों के कारण बच्चों में आत्मविश्वास (Baccho me confidence) की कमी को कैसे सुधारे? के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है।
यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।