बच्चे का जन्म होने के पश्चात माता पिता को बड़ा करने में लग जाते हैं। बच्चे की एक-एक गतिविधि को माता बिल्कुल ध्यान पूर्वक देखती रहती है जब बच्चा अपने माता-पिता की उंगली पकड़कर चलना सीखता है तो माता-पिता को एक सुखद अनुभव होता है। जो लोग पहली बार मां-बाप बनते हैं उन्हें यह अनुभव बहुत अलग होता है। लेकिन बच्चे को चलना कैसे सिखाएं (Babies ko chalana kaise sikhaye) इसके विषय में अक्सर जानकारी नहीं होती।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चे को चलना कैसे और कब सिखाएं (Babies ko chalana kab aur kaise sikhaye) इसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल के अंत तक पढ़ें।
बच्चा कब चलना शुरू करता है? | Bacha Kab Chalna Shuru Karta Hai
बच्चा 8 से 18 महीने की भी चलना (Babies Kab Chalna Shuru Karte Hai) शुरू कर देता है। जल्दी चलने वाले बच्चे आठवें महीने में चलना शुरू कर देते हैं परंतु देर से चलने वाले बच्चे 18 महीने में चलना शुरू करते हैं। जब भी बच्चे चलना शुरू करें बच्चों के पैरों की मसाज लगातार करती रहना चाहिए। इससे बच्चों के पैर मजबूत होते हैं और चलते समय पैरों को मजबूती मिलती है।
बच्चे कैसे चलना सीखते हैं?
बच्चे के बड़े होने की प्रक्रिया (Babies kaise chalna shuru karte hai) विकास का एक दौर होता है जिसमें वह हर गतिविधि से कुछ ना कुछ सीखता है। हर दिन भर चलने का प्रयास करता है और धीरे-धीरे वह चलना प्रारंभ कर देता है। बच्चे को चलना कैसे सिखा सकते हैं इसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।
1.सिर को ऊपर उठाने की कोशिश (Pushing up):
जन्म के कुछ महीनों के पश्चात बच्चे लेटे-लेटे अपने स्तर को उठाने का प्रयास करते हैं। जब बच्चे अपने पेट के बल से सपने लगते हैं। तब वह सर के साथ अपने सीने को भी उठाने का प्रयास करते हैं और चलने की कोशिश करते हैं। बच्चे सपना से ऊपर उठाकर अलग-अलग चीजों को देखने का प्रयास करते हैं।
2.रोलिंग (Rolling :
जब बच्चा तीन चार महीने का हो जाता है तो वह आगे की ओर रोल करने का प्रयास करता है। अभी बच्चे को सामने पड़ी हुई खिलाने या कोई चीज चाहिए तो वह कोशिश करके आगे रोल करता है। उसके कुछ समय के पश्चात ही बच्चा पीछे की तरफ रोल करना भी शुरू कर दे वह अपनी पसंद की विभिन्न चीजों को रोल करके लेना शुरू कर देता है। जो उसके चलने के प्रयासों की तरह एक महत्वपूर्ण कदम होता है।
3.बैठने की कोशिश (Sitting Up) :
जब बच्चा 6 महीने का हो जाता है तब बैठने का प्रयास करने लगता है। बच्चा कुछ देर बैठता है और फिर गिर जाता है ऐसा करके धीरे-धीरे बच्चा बैठने लगता है। बैठने की कोशिश करने से बच्चे को अपने शरीर का बैलेंस बनाना आता है और वह धीरे-धीरे करके खड़ा होने लगता है।
4.क्रॉलिंग (Crawling) :
बच्चा 7 से 8 महीने के बीच अपने हाथों और घुटनों के बल चलना शुरू करता है। जब बच्चा घुटनों के बल चलना शुरू करता है उसके अंदर और उत्सुकता होती है। वह घुटनों के बल चलते अपने घुटने तक चोटिल कर लेता है। बच्चा अलग-अलग चीजों को अपने घुटनों के बल इकट्ठा कर लेता है 8 महीने में घुटनों के बल चलने को क्राउलिंग कहा जाता है।
5.शरीर को ऊपर की ओर खींचने की कोशिश (Pulling up) :
बच्चा घुटनों के बल चलने के बाद धीरे-धीरे खड़ा होने के लिए सहारा देखने लगता है। जैसे ही उसे कोई सहारा मिलता है बच्चा उसी सहारे के साथ खड़ा हो जाता है। आमतौर पर जब बच्चे 7 से 8 महीने के होते हैं तब शरीर के आंखों पर खींचने का प्रयास करते हैं और धीरे-धीरे सहारे के साथ खड़े होने लगता है।
6.मदद से चलना (Cruising) :
बच्चे सहारे से खड़ा होने के पश्चात धीरे-धीरे सहारे से चलने का प्रयास करता है। बच्चा कभी दीवार को पकड़ कर चलने का प्रयास करता है। कभी अपनी माता की उंगली पकड़कर चलने का प्रयास करता है। चलने के लिए बच्चे को मदद चाहिए होती है यह आमतौर पर 8 से 10 महीने के बीच होता है। साडे 8 महीने में बच्चा आराम से अपने माता-पिता के सहारे के साथ चलना प्रारंभ कर देता है।
7.बिना मदद के खड़े होना (Standing without help):
मदद से चलने के बाद बच्चा धीरे-धीरे बिना मदद से खड़ा होना प्रारंभ कर देता है। जब बच्चा बिना मदद के खड़ा होता है तब उसके अंदर एक अलग ही उत्साह जागृत होता है। वह औरों को चलता देखकर प्रेरित होता है कि वह भी बिना सहारे के चलने लगेगा बिना सहारे के खड़े होना समानता बच्चा 10 से 12 महीने में सीखता है।
8.चलने लगना :
यह बच्चा 12 महीने में खड़ा होना सीख जाता है उसके पश्चात बच्चा धीरे-धीरे बिना सहारे के चलना भी सीख जाता है। बच्चा एक एक कदम बिना सहारे के आगे बढ़ाकर धीरे धीरे चलना से यह समानता 12 महीने में सीख जाता है। जो बच्चे देर में चलना शुरू करते हैं उन्हें 12 महीने से अधिक का भी समय लग सकता है। यह बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया है। इसमें माता-पिता को बिल्कुल भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
बच्चों को चलना कैसे सिखाएं | Bacho Ko Chalna Kaise Sikhaye
जब बच्चा चलना सीख जाता है (Bacho Ko Chalna Kaise Sikhaye) तो उसे लगातार चलने के लिए प्रेरित करना चाहिए बच्चे को लगातार चलने के लिए प्रेरित कैसे कर सकते हैं इसके विषय में नीचे स्पष्ट किए हैं।
गोद में न उठाएं :
माता-पिता को लाड प्यार के चक्कर में बच्चे को गोद में उठाकर इधर-उधर नहीं घूमना है। बच्चा कहीं जाना चाहता है तो उसकी उंगली पकड़ कर ही बच्चे को उसके स्थान तक ले जाना चाहिए। इससे बच्चे चलने के लिए भी प्रेरित होता रहेगा और वह अपने किसी भी काम के लिए अपने माता पिता पर निर्भर नहीं रहेगा।
बेबी वॉकर न दें :
बच्चे की चलने की प्रक्रिया में इससे बेबी वॉकर नहीं देना चाहिए। बेबी वॉकर तेजी से चलना सीखने वाले बच्चों की गति को धीमा कर देता है। बेबी वॉकर पर निर्भर होने वाले बच्चे उससे चलने वाले बच्चों की तुलना में देर में चलना शुरू करते हैं क्योंकि उन्हें बेबी वॉकर का सहारा लेते हैं। बहुत सारे ऐसे देश है जिन्होंने बेबी वॉकर पर बैन लगा दिया है। बेबी वॉकर से दुर्घटनाएं होने की संभावना भी बहुत रहती है।
मैदान या खाली फर्श पर चलने दें :
बच्चे को एक कमरे में बंद करके सिर्फ खिलौने से खेलने की वजह उसे खाली मैदान में खिलौने फैलाकर खेलने देने का प्रयास करना चाहिए। एक कमरे में ही खेलता रहेगा तो उसके चलने की गति भी बहुत सीमित होगी परंतु जब बच्चा एक बड़े मैदान में खेलता है तो उसके चलने का दायरा बढ़ जाता है। जिससे मैं चलने के लिए और प्रेरित होता है। इसलिए माता-पिता की निगरानी में बच्चे को ज्यादा से ज्यादा एक बड़े ग्राउंड में खिलाने का प्रयास करना चाहिए।
बच्चों को पुश टॉय यानी धकेलने वाले खिलौने दें :
बच्चों के खिलौने देनी चाहिए अकेले वाले खिलौने बच्चे के संतुलन शक्ति बढ़ाने में मदद करते हैं। पुश खिलौने के माध्यम से बच्चा एक संतुलित रवैया सीखता है। चीजों को कैसे संतुलन में लाया जाता है। उसके विषय में ज्ञान प्राप्त करता है इसलिए बच्चे को टॉय यानी धकेलने वाले खिलौने खेलने के लिए देनी चाहिए।
बच्चों को खाली पैर चलने दें :
बच्चे को खाली पैर ही चलने देना चाहिए बच्चे खाली पर चलते हैं तो उनके पैर के लिगामेंट और टिशू को ताकत मिलती है। इससे पैर की आज की ताजा बढ़ती है और शरीर की स्थिति के अनुसार पैर में जागरूकता और ऊर्जा का निर्वहन होता है।
बच्चे का चलना सीखने के बाद क्या?
बच्चा चलने की सीखने के (Babies ko chalna sikhane ke baad ki process) बाद कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को धीरे-धीरे सीखने का प्रयास करता है। बच्चे के चलने के प्रयासों के विषय में कुछ अन्य जानकारी नीचे प्रदान की गई है ।
1.खड़े होना :
बच्चा खुद से चलने के बाद एक जगह पर बहुत देर खड़े होने और पीछे मुड़कर चलने या नीचे बैठ कर खुद से उठने जैसी आदि चीजों को भी सीखने लगता है। वह इन चीजों को धीरे-धीरे प्रयासों के माध्यम से सिखता है ।
2.स्थिरता से चलना:
बच्चा चले सीखने के बाद धीरे-धीरे स्थिरता से चलना भी सीख जाता है। लड़खड़ाते हुए चलने के बाद जब बच्चा 19 महीने में होता है। तब वह धीरे-धीरे अपने शरीर का बैलेंस बनाना सीख जाता है। मैं अपने पैरों का बैलेंस बनाने के लिए पैरों को दूर-दूर रखकर चलना सीखता है जो कि बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया है।
3. सीढ़ियां :
जब बच्चा 19 में से 23 में महीने के बीच होता है तो वह चीज सीढ़ियां चढ़ना और उतरना सीख जाता है। दिन में कई बार वह सीढ़ियां उतरता और चढ़ता है। सीढ़ियां चढ़ना बच्चे के लिए बिल्कुल नया और उत्साह पूर्वक कार्य होता है इसलिए बच्चा सीढ़ियां उतरता और चढ़ता है। लेकिन सीढ़ियां चढ़ते समय पेरेंट्स को बच्चे पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि सीढ़ियों से बच्चे को चोट भी लग सकती है।
4. किक मारना :
सीढ़ियां चढ़ने उतरने के पश्चात बच्चे को किक मारना भी पसंद आने लगता है बच्चा फर्नीचर पर चढ़ता उतरता है। फर्नीचर को केक मारता है। जब बच्चा बड़े लोगों को फुटबॉल खेलते हुए देखता है और उसके सामने कोई भी फुटबॉल आ जाती है। तो वह फुटबॉल को तेज से किक मारने का प्रयास करता है।
5. जंपिंग :
जब बच्चा 1923 में महीने के बीच होता है तो वह बार-बार कूदने का भी प्रयास करता है। कूदने के प्रयासों से बचा धीरे-धीरे जंपिंग सीख जाता है। जंपिंग एक उत्सुकता पूर्वक कार्य होता है वह और बच्चों को देखकर जंपिंग करना सीखता है। ऐसा करने से बच्चा तेजी से विकसित होता है।
नोट :
हर बच्चे के शारीरिक विकास की दर अलग-अलग होती है। उसके शारीरिक अंग कब विकसित होते हैं। उसमें थोड़ा बहुत फर्क मालूम पड़ता है क्योंकि हर बच्चे में अपने खुद की भिन्नता ए पाई जाती हैं। इसलिए यदि बच्चे एक समय पर चलना नहीं सीख रहा है तो माता-पिता को ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं। जिनमें डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है। जिसके विषय में नीचे हमने आपको जानकारी प्रदान कर दी है।
अगर आपका बच्चा नहीं चल रहा है, तो क्या करें?
यदि आपका बच्चा 18 महीने का है (Babies ke na chalne par kya karen) और वह बिल्कुल ही नहीं चल पा रहा है तो आपको तुरंत इस के विषय में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यदि आपके बच्चे ने शुरुआत में चलने का प्रयास किया था परंतु अब वह चलने में उत्सुकता नहीं दिखा रहा है तो आप बच्चे को प्रेरित करने के लिए बच्चे को लाइट शूज या म्यूजिक शूज का इंतजाम कर सकते हैं।
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
Q. क्या बच्चे के लिए बेबी वॉकर खरीदना सुरक्षित होता है?
बच्चे के लिए बेबी वॉकर नहीं खरीदना चाहिए ऐसे बच्चे के चलने की गति धीमी पड़ जाती है।
Q. हम बच्चे को जूते कब पहना सकते हैं?
जब बच्चा ठीक प्रकार से चला प्रारंभ कर देता है तो उसे जूते पहना सकते हैं।
Q. बच्चा कितने महीने का होने पर चलना प्रारंभ करता है?
जब बच्चा 12 महीने का होता है तब वह ठीक प्रकार से चलना प्रारंभ करता है।
Q. कितनी उम्र तक यदि बच्चा नहीं चले तो डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक होता है?
यदि बच्चा 18 महीने का हो गया है और बिल्कुल ही चलना शुरू नहीं कर रहा तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों को चलना कैसे और कब सिखाएं (Bacha Kab Chalna Shuru Karta Hai) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है।यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।