शिशु कब बोलना शुरू करते है व शिशुओं को बोलना सीखाने के टिप्स | Bache Ko Bolna Sikhane Ke Tips

शिशु जब बोलने की शुरुआत करता है माता-पिता तब से ही उसे नए-नए शब्दों को सिखाने का प्रयास करते हैं। शिशु बोलना कब शुरू करते हैं ब शिशु को बोलना कैसे सिखाया (Bache ko Bolna kaise sikhaye) जाए यह काफी जटिल कार्य है क्योंकि शिशु के मामले में ज्यादातर पेरेंट्स को यह मालूम नहीं होता कि बच्चे की भाषा का विकास कैसे करें।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि शिशु कब बोलना शुरू करते हैं ब शिशु को बोलना कैसे सिखाया (Bache ko Bolna kaise sikhaye) जा सकता हैं। यदि आप भी अपने शिशु को बोलना सिखाना (Baccho ko bolna kaise sikhaye) चाहते हैं तो आप हमारे आर्टिकल को पढ़कर इस विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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शिशु के बोलने की उम्र क्या है? ( Bache Kab Bolna Shuru Karte Hai) 

विशेषज्ञों के अनुसार बच्चा माता के गर्भ में ही भाषा का संचार करना शुरू कर देता है इसलिए माता को गर्भ के दौरान ही बच्चे से बात करनी चाहिए बच्चा 4 महीने में बोलने का प्रयास करने लगता है।

बच्चे को किसी भी शब्द को बोलने से पहले उसे कई बार सुनना पड़ता है। इसके पश्चात ही वह धीरे-धीरे तुतला कर बोलने की शुरुआत करता है।

शिशु कब बोलना शुरू करते है व शिशुओं को बोलना सीखाने के टिप्स | Bache Ko Bolna Sikhane Ke Tips

छोटे बच्चे कब और कैसे बोलना सिखते है?

बच्चे बोलना कब शुरू करते हैं (Bacche Bolna kab shuru krte hai) इसकी जानकारी रिसर्च के माध्यम से यह प्रदान की गई है कि बच्चा 12 से 18 महीने में अपना पहला शब्द बोलना शुरू करता है। बच्चे की बढ़ती उम्र के शुरुआती 5 सालों में बच्चे के अंदर भाषा का विकास होता रहता है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि किस उम्र में बच्चे कितना बोल सकते हैं।

जन्म का शुरुआती 3 महीना

इस उम्र में जिस आवाज को लगातार सुनता रहता है उसे पहचाने लगता है। 3 महीने की उम्र में जब बच्चे को प्यार से या डांट कर बोला जाता है तो उसे वह समझ आने लगता है और वह उस पर प्रतिक्रिया भी देने लगता है। बच्चा अपनी मां के अलावा आसपास के लोगों की आवाज भी पहचानने लगता है।

3 से 6 महीने

3 से 6 महीने के बीच में बच्चा सुनी हुई आवाज पर प्रतिक्रिया देने का प्रयास करता है। वह हंसकर, खिलखिला कर ,चीख कर या बड़बड़ा कर अपनी  प्रतिक्रिया को स्पष्ट करना चाहता है।

6 से 12 महीने

इस उम्र के दौरान बच्चा विभिन्न आवाजों जैसे फोन की आवाज या दरवाजे की आवाज को पहचानने लगता है। इसके साथ ही वह नाना, बाबा, पापा जैसे सरल शब्दों का इस्तेमाल करने लगता है।

12 से 15 महीने

इस उम्र के दौरान बच्चा संगीत की ओर अपना ध्यान आकर्षित करने लगता है। बच्चे को संगीत में सॉफ्ट म्यूजिक पसंद आने लगता है ब मां के द्वारा सुनाई जाने वाली लोरी भी उसे समझ आने लगती है।

15 से 18 महीने

इस उम्र में बच्चा इशारों को समझने लगता है उदाहरण के लिए बच्चा पास आने, चुप होने, सो जाने, पानी पीने जैसे इशारों को समझ कर उन पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है। इस उम्र में बच्चा दूसरों की तरह बोलने की नकल करने का प्रयास करता है।

18 महीने से 2 वर्ष

सुंदर का बच्चा अधिकतर निर्देशों को समझकर उन्हें बोल भी सकता है। वह एक अच्छी प्रतिक्रिया भी दे सकता है इस उम्र में बच्चा 2 से 3 शब्दों को मिलाकर भी बोलना शुरू कर देता है।

2 से 3 वर्ष

इस उम्र में बच्चे आसानी से चित्रों को देखकर बातचीत करना शुरू कर देते हैं। वह 4 से 5 शब्दों को जोड़कर आराम से बातचीत कर सकते हैं तथा वह माता-पिता के द्वारा दिए गए निर्देशों को भलीभांति समझते हैं उन्हें पूर्ण करने का प्रयास करते हैं।

3 से 4 वर्ष

3 से 4 वर्ष के बच्चे 6 वाक्यों को एक साथ बोल सकते हैं। इस उम्र के बच्चे किसी वाक्य को एक बार में सुनकर भी उसे दोबारा दोहराने का प्रयास करने लगते हैं।

4 से 5 वर्ष

इस उम्र में घर में बोले जाने वाली किसी भी भाषा का उपयोग बच्चे आसानी से करने लगते हैं तथा यदि आप बच्चे को किसी दूसरी भाषा में ट्रेनिंग देना चाहते हैं तो यह उम्र सबसे सही है। इस उम्र में बच्चे को किसी दूसरी भाषा को आसानी से सिखाया जा सकता है।

छोटे बच्चे को बात करना कैसे सिखाएं? (Bache Ko Bolna Kaise Sikhaye) 

छोटे बच्चे बात करना कैसे सीखते हैं  (Bache Ko Bolna Kaise Sikhaye) इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको यह जानकारी प्रदान की है। नीचे दिए गए टिप्स को फॉलो करके आप अपने बच्चे को बोलना सिखा सकते हैं।

1.बच्चे से इशारों में बात करना

माता-पिता बच्चे से इशारे में बात करने की शुरुआत कर सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि वह चाहते हैं कि बच्चा अपनी भूख को खुद बताएं तो ने बच्चे को दूध पिलाते समय यह समझाना चाहिए कि भूख लगने पर बच्चे को क्या इशारे करने हैं या किस भाषा का प्रयोग करना है।

इन बातों को समझाने से बच्चे को समझ आ जाएगा कि भूख लगने पर उसे अपनी मां से किस तरह दूध मांगना है।

2. लोरी सुनाना

लोरी सुनने से बच्चा आसानी से भाषा सीखने के लिए प्रेरित होता है। माता के द्वारा सुनाई जाने वाली लोरी को जब बच्चा बार बार सुनता है तो वह उसी भाषा की नकल करने का प्रयास करता है। इससे बच्चा बोलने की शुरुआत कर सकता है। 

3. कहानी सुनाना

बच्चे को कहानी सुना कर भी बोलने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। चित्रों के माध्यम से बच्चे को एक कहानी को बार-बार सुनाना चाहिए जिससे वह कहानी उसे याद हो जाएगी और जब अगली बार आप उसे कहानी सुनाएंगे तो वह खुद ही उसे दोहराएगा ।

कहानी सुनाने से बच्चे को बोलना सिखाया (Bacche ko Bolna sikhaye) जा सकता है

4.बच्चे को प्रोत्साहित करें

बच्चे के साथ खेलते समय से बोलने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यदि बच्चा एक शब्द का उपयोग कर रहा है तो उसे दो तीन शब्दों को रिपीट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए इससे बच्चे का विकास तेजी से हो पाएगा।

5. बच्चे को बता कर कार्य करें

यदि आप बच्चे के साथ कोई दैनिक क्रिया कर रही है जैसे आप उसे नहला रही हैं या खाना खिला रही हैं तो उससे इस बात की जानकारी दें कि आप उसे नहला रही हैं। इससे बच्चे को नए नए शब्दों को जानने का मौका मिलेगा।

धीरे- धीरे बच्चा भी इन्हीं शब्दों का उपयोग अपने दैनिक क्रिया के दौरान करने लगी है जिससे उसकी भाषा का विकास होगा।

6. बच्चे की नकल करें

यदि बच्चा अपनी तोतली आवाज में कुछ बोलता है तो माता-पिता को उसकी नकल करनी चाहिए। नकल करने से बच्चा शब्दों को बार-बार बोलता है जिससे धीरे-धीरे बच्चे की भाषा का विकास होने लगता है।

शिशु को बोलना सिखाते वक्त ध्यान रखने योग्य बातें

हर बच्चे की शारीरिक संरचना विभिन्न होती है हर बच्चे में थोड़ा बहुत अंतर उसकी विकासात्मक स्थिति में अवश्य पाया जाता है। कुछ बच्चे बोल ना जल्दी शुरू कर देते हैं तथा कुछ बच्चों को बोलने में समय लगता है। इसलिए बच्चे को बोलना सिखाते समय पेरेंट्स को निम्न बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए।

ऊंचे स्वर में बोले

बच्चा जब बोलेंगे शुरुआत करता है तो उसे सुनने में कोई ना कोई समस्या हो सकती है इसलिए बच्चे से बात करते समय सामान्य से थोड़ा ऊंचे स्वर में बोलना चाहिए जिससे बच्चा आपकी बात को साफ-साफ सुन ले।

शब्दों को तोड़कर बात करें

बच्चा भाषा सीखने में बिल्कुल नया होता है। यदि जटिल शब्दों का प्रयोग उसके सामने बहुत तेजी में किया गया तो वह उस भाषा को समझ नहीं पाता इसलिए बच्चे के सामने हमेशा बोलने की स्पीड को कम रखना चाहिए। बच्चे के सामने हमेशा शब्दों को तोड़कर बोलना चाहिए जैसे आ-ह-आ-न-ई, प-आ-न-ई।

बातों को दोहराएं

बच्चे से बात करते समय एक बात को बार-बार दोहराना चाहिए। बातें द्वारा ने से बच्चे को शब्दों का ज्ञान हो जाएगा तथा धीरे-धीरे बच्चा भी उन्ही शब्दों का इस्तेमाल करना शुरू कर देगा।

चिल्लाए नहीं

बच्चे के सामने बात करते समय कभी भी उसे चिल्लाना नहीं चाहिए। ऐसा करने से बच्चा डर  सकता है और दोबारा किसी शब्द को बोलने से पहले उसके मन में यह डर रहेगा। 

 तुतलाएं नहीं

कभी-कभी बच्चे से प्यार जताने के चक्कर में माता-पिता भी बच्चे की तरह तोतला कर बोलना शुरू कर देते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए जब बच्चे की भाषा का विकास होना शुरू हो जाए तो बच्चे से  हमेशा सामान्य पूर्वक बात करनी चाहिए।

यदि बच्चे से तोतला कर बात की जाएगी तो बच्चा भी वैसे ही भाषा की ओर प्रेरित होगा।

क्या होगा अगर आपका बच्चा बात करना शुरू नहीं कर रहा है? 

हां बच्चे की संरचनात्मक स्थिति विभिन्न होती है। कुछ बच्चे जल्दी बात करना शुरू करते हैं तथा कुछ देरी से बात करने की शुरुआत करते हैं। परंतु पेरेंट्स को इस बात की चिंता होने लगती है कि उनका बच्चा बोल भी पाएगा या नहीं। वैसे तो यह सामान्य समस्या है परंतु कुछ परिस्थितियों में यह गंभीर हो सकती है। ऐसी गंभीर परिस्थितियों को नीचे पॉइंट के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।

बहरापन

बच्चे की भाषा का विकास ना होने का एक कारण बहरापन भी हो सकता है। यदि बच्चा कुछ सुने नहीं पाएगा तो उसकी भाषा का विकास ठीक ढंग से नहीं हो पाएगा। बहरापन हल्का भी हो सकता है या ज्यादा भी हो सकता है इसलिए समय रहते इस समस्या को डॉक्टर से परामर्श करनी चाहिए।

विकास में देरी और बौद्धिक अक्षमता

यदि बच्चे की भाषा का विकास अधिक समय तक नहीं होता तो यह बच्चे के विकास में बाधा डाल सकता है। यह बच्चे में बौद्धिक अक्षमता काफी जन्म कर सकता है। ज्यादातर बच्चों में यह देखा गया है जो बौद्धिक रूप से कमजोर होते हैं उनकी भाषा का विकास भी बहुत कम होता है।

ध्यान में कमी

ध्यान में कमी के दो कारण हो सकते हैं या तो बच्चा सामाजिक गतिविधियों की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है। यह बच्चे को जरूरत से अधिक प्रतिबंधित वातावरण प्रदान किया जा रहा है। ऑटिज्म इन्हीं कारणों के कारण जन्म लेता है। ऑटिज्म में बच्चे का विकास दर तथा उसकी भाषा का विकास बहुत कम हो सकता है इसका कारण सामाजिक गतिविधियां में भी है।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्त

Q. बच्चे किस उम्र में बोलना शुरू करते हैं? 

बच्चे 4 महीने की उम्र में बोलना शुरू करते हैं।

Q. बच्चा भली-भांति अपनी भाषा भाषा का विकास किस उम्र तक कर पाता है?

बच्चा 6 वर्ष की उम्र तक अपनी भाषा का विकास ठीक प्रकार से कर लेता है और भाषाओं को समझने लगता है।

Q. बच्चे का भाषा विकास ना होने के क्या कारण हो सकते हैं?

बच्चे का भाषा विकास ना होने का कारण बहरापन बौद्धिक  अक्षमता व ध्यान में कमी हो सकता है।

Q. 3 से 6 महीने के बीच बच्चा अपनी भाषा का विकास कितना कर पाता है? 

3 से 6 महीने के बीच बच्चा हंसकर खिलखिला कर अपनी भाषा को स्पष्ट करना चाहता है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको शिशु का बोलना सीखते हैं तथा शिशु को बोलना सिखाने के टिप्स (Bache Ko Bolna Sikhane Ke Tips)  के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। 

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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