शिशु के लिए मिल्क पाउडर के नुकसान और हेल्थ रिस्क

छोटे बच्चों के लिए डॉक्टर के द्वारा मां का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। मां के दूध में जरूरी पौष्टिक आहार पाए जाते हैं जो उसके शरीर को मजबूत करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करते हैं। परंतु कई बार मां के अंदर किसी परेशानी के कारण मिल्क का प्रोडक्शन नहीं होता इसलिए मजबूरी में बच्चों को मिल्क पाउडर या फॉर्मूला मिल्क पिलाने की शुरुआत की जाती है परंतु मिल्क पाउडर के बच्चे के अंदर (Bacho me milk powder) नुकसान होते हैं। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शिशु के लिए मिल्क पाउडर के नुकसान (Bacho me milk powder ke nuksan) के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

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शिशु के लिए मिल्क पाउडर क्या है विकल्प? 

कई बार मां के अंदर (Bacho me milk powder kya hai? )परेशानी होने के कारण वह मिल्क का प्रोडक्शन नहीं कर पाती हैं। और विकल्प के तौर पर बच्चों का पेट भरने के लिए और उसको पोषक तत्व देने के लिए मिल्क पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। परंतु क्या केवल मिल्क पाउडर एक विकल्प होता हैं।

शिशु के लिए मिल्क पाउडर के नुकसान और हेल्थ रिस्क

 इसके अलावा हम अपने बच्चों को क्या और कोई चीज नहीं मिला सकते या पिला सकते। जिससे उसे हेल्दी पोषक तत्व मिल जाए और उसका शारीरिक विकास अच्छी तरीके से हो उसके लिए हम आपको बता दें। कि यह एक कृत्रिम प्रकार का मिल्क पाउडर होता हैं।

 इसमें विटामिन और मिनरल्स को बच्चों के शरीर में पोषक तत्व की पूर्ति के लिए मिलाया जाता हैं। परंतु यह मां के दूध जितना अच्छा नहीं होता जिसके कारण इसके प्रतिकूल प्रभाव बच्चों के शरीर में देखने को मिलते हैं। मिल्क पाउडर या फॉर्मूला मिल्क कितने तरीके का होता है उसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है। 

शिशु के लिए मिल्क पाउडर के प्रकार

बच्चों के लिए मिल्क पाउडर(Bacho ke milk powder ke types) या फॉर्मूला मिल्क के कई प्रकार होते हैं। इसमें प्रोटीन विटामिन मिनरल्स फैटी एसिड आदि तरीके के पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो बच्चे के शरीर में पोषक तत्व की पूर्ति करते हैं। मिल्क पाउडर के कितने प्रकार होते हैं उसके विषय में नीचे पॉइंट्स के माध्यम से बताया गया है। 

  • गाय के दूध से बना हुआ मिल्क पाउडर भी बच्चों के लिए अच्छे विकल्प होता है गाय का दूध पाचन में भी अच्छा होता है और बच्चे के पाचन तंत्र को ठीक करता है। 
  • हाइड्रोलाइज्ड मिल्क पाउडर
  • सोया फॉर्मूला मिल्क
  • हाइपर एलर्जिक फॉर्मूला मिल्क
  • स्पेशलाइज्ड फॉर्मूला मिल्क

शिशु के लिए फॉर्मूला मिल्क के हेल्थ रिस्क

जब माता में किसी(Bacho me milk powder ke health risk) शारीरिक कमी की वजह से वह दूध का प्रोडक्शन नहीं कर पाती और हमें अपने बच्चों को फॉर्मूला मिल्क देना पड़ता है। तो यह एक ऑप्शन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता हैं। इसके अलावा हमारे पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं होता बच्चे का पेट भरने के लिए और उसे पोशाक तत्व प्रदान करने के लिए फॉर्मूला मिल्क सबसे इंपॉर्टेंट हो जाता है। परंतु यह मां का दूध नहीं होता इसलिए इसके कुछ नुकसान  बच्चों के अंदर देखने को मिलते हैं इसके विषय में नीचे आपको जानकारी प्रदान की गई है। 

1.मिल्क पाउडर पचाने में होता है मुश्किल

जितना हल्का गुदकारी और सरदार मां का दूध होता है उतना ज्यादा गुदकारी मिल्क पाउडर नहीं होता। मिल्क पाउडर में जरूरी पोषक तत्व तो दिए जाते हैं। जिससे बच्चे का पेट भर जाता है परंतु इसमें पोषक तत्वों की मात्रा हैवी रूप में डाली जाती हैं। शुरुआती समय में बच्चों का डाइजेस्टिव सिस्टम कमजोर होता हैं। 

उसे हल्की चीज खिलाने की आवश्यकता होती हैं। जिससे उसका डाइजेस्टिव सिस्टम पर ज्यादा प्रेशर ना पड़े और वह आसानी से चीजों को बचा पाए परंतु मिल्क पाउडर में एक हैवी प्रोटीन कशन पाया जाता हैं। जिसे पाचन तंत्र को पचाने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता हैं।

 यदि यह ठीक तरीके से नहीं पचता तब भी बच्चों के शरीर में इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। शुरुआत में ही यदि हम बच्चे के पाचन तंत्र पर ज्यादा लोन डाल देते हैं। तो इससे उसका डाइजेशन खराब हो सकता है। और इसके प्रतिकूल प्रभाव बच्चों की सेहत पर भी देखने को मिलते हैं। 

2.मिल्क पाउडर बनता है एलर्जी का कारण

मिल्क पाउडर के कारण बच्चों के अंदर एलर्जिक रिएक्शंस भी देखने को मिल सकती हैं। बहुत सारे बच्चे फॉर्मूला मिल्क को आसानी से बचा जाते हैं। बहुत और उन्हें इसको पचाने में किसी प्रकार की समस्या भी नहीं होती। परंतु बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं जिन्हें गाय के दूध से सेंसिटिविटी होती हैं।

 गाय के दूध से सेंसिटिविटी के कारण उन्हें इसमें विकार नजर आता है और ऐसे बच्चों में मिल्क पाउडर से भी सेंसिटिविटी हो सकती है। इसलिए डायरेक्ट हमें अपने बच्चों को मिल्क पाउडर नहीं देना चाहिए।

 पीडियाट्रिशियन से पहले जांच पड़ताल करने के बाद हमें अपने बच्चों को मिल्क पाउडर पिलाना चाहिए। जिससे उसे एलर्जी रिएक्शंस ना हो और उसके शरीर पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े। 

जब पहली बार आप अपने बच्चों को मिल्क पाउडर का सेवन कर रहे हैं तो उसके एलर्जिक रिएक्शंस का हमें 1 से 2 दिन तक इंतजार करना चाहिए। यदि शरीर में किसी प्रकार के एलर्जिक रिएक्शंस नहीं हो रहे हैं या बच्चे को पटी या स्टोर्स की समस्या नहीं है। तो हम मिल्क पाउडर को आगे कंटिन्यू कर सकते हैं परंतु यदि बच्चे को परेशानी हो रही है तो हमें इसे आगे कंटिन्यू नहीं करना चाहिए। 

3.मिल्क पाउडर बनता है एनवायरमेंटल प्वाइजनिंग का कारण :

मां के दूध में जो गडकरी तत्व पाए जाते हैं वह और किसी दूध में नहीं पाए जाते मां के दूध में ऐसे जरूरी प्रोटीन होते हैं। जो बच्चे के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। और उसके दिमागी रूप से भी मजबूत बनाते हैं जो फॉर्मूला मिल्क बाहरी रूप से बच्चे को दिया जाता हैं।

 उसमें पोषक तत्व तो मौजूद होते हैं परंतु यह बच्चे के इम्यून सिस्टम को मजबूत नहीं करते। जो बच्चे मन का दूध पीते हैं वह एनवायरमेंट में हो रहे पॉल्यूशन और उसके टॉक्सिन से अच्छी तरीके से कप कर पाते हैं। परंतु जिन बच्चों को मां का दूध नहीं मिलता और जो बच्चे फॉर्मूला मिल्क का सेवन करते हैं। 

वह बच्चे एनवायरमेंट पॉल्यूशन और एनवायरमेंट से होने वाली दिक्कतों से जल्दी ग्रसित हो जाते हैं। ऐसे बच्चों का शरीर और दिमाग ज्यादा मजबूत नहीं होता। यह मानसिक रूप से भी पीड़ित हो जाते हैं। ऐसे बच्चों के अंदर एनवायरमेंटल प्वाइजनिंग ज्यादा देखने को मिलती है जो बच्चे मन का दूध नहीं पीते उन बच्चों को एनवायरमेंट से होने वाली दिक्कतों से बहुत ज्यादा बचाने की आवश्यकता होती है। 

4.फॉर्मूला मिल्क बढ़ता है डायबिटीज और क्रॉनिक डिजीज से खतरा

यदि शिशु ज्यादा समय तक फॉर्मूला मिल्क का सेवन करते हैं। या ज्यादा समय तक उन्हें मिल्क पाउडर का इस्तेमाल करवाया जाता है तो बच्चे क्रॉनिक डिजीज या टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित हो सकते हैं। फॉर्मूला मिल्क का सेवन करने वाले बच्चों के अंदर हेवी पोशाक तत्व पहुंचते हैं।

 जिन्हे उन्हें डाइजेस्ट करने में परेशानी होती है जिसके कारण उन्हें पेट की समस्याएं भी होने लगती जिस है। जिसके कारण बच्चों के अंदर क्लिक डिजीज और इन्फोमेट्री बबल डिजीज आम तौर पर देखी जाती हैं।

 इसलिए माता-पिता को यह कोशिश करनी चाहिए। कि वह अपने बच्चों को फॉर्मूला मिल्क या मिल्क पाउडर को कम से कम ही पिलाएं। इससे ही बच्चे को फायदा है वह कोशिश करें कि मां का दूध जितना निकले उतना बच्चों को पिलाने का प्रयास करें। 

5.फॉर्मूला मिल्क से बढ़ती है अस्थमा की शिकायत

जो बच्चे शुरुआत से ही फॉर्मूला मिल्क का सेवन करते हैं और लंबे समय तक मिल्क पाउडर का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। उन्हें ब्रीदिंग प्रॉब्लम्स हो सकती हैं या उन्हें अस्थमा की शिकायत हो सकती है। ऐसा ज्यादातर बच्चों में देखा गया है कि जो बच्चे फार्मूला मिल का सेवन कर रहे हैं।

 वह सांस की समस्या से ज्यादा पीड़ित है परंतु जो बच्चे लगातार अपनी मां का दूध पीते हैं और हमेशा उसी का सेवन करते हैं। उन बच्चों में ब्रीदिंग प्रोबलम से अस्थमा की समस्या कम देखी जाती है। ब्रेस्ट मिल्क में जो पोशाक पाए जाते हैं वह हमें और हमारे बच्चे को कहीं और से प्राप्त नहीं हो सकते। ब्रेस्ट मिल्क के जरिए बच्चों का इम्यून सिस्टम हर दिन विकसित होता रहता है। 

उसके शरीर में एंटीबॉडीज का निर्माण ब्रेस्ट मिल्क के द्वारा तेजी से होता है। जिसके कारण उसके शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता फॉर्मूला मिल्क पीने वाले बच्चों से ज्यादा होती है। इसलिए बच्चे लाइफ़स्टाइल डिसीसिस से हमेशा लड़ने के लिए तैयार होते हैं। 

जो पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए मिल्क पाउडर का चयन करते हैं उन बच्चों के शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति सही तरीके से नहीं हो पाती। और उनका शारीरिक और मानसिक विकास अच्छा नहीं हो पता। 

नोट : कई बार शारीरिक समस्याओं के कारण या व्यक्तिगत परेशानियों के कारण मां मजबूरी में मिल का प्रोडक्शन नहीं कर पाती या अपने बच्चों को दूध पिलाने में असमर्थ होती है। उन्हें मजबूरी में फॉर्मूला मिल्क का चयन करना पड़ता है। आप अपने बच्चों को फॉर्मूला मिल्क तो पिलाई परंतु इसे पिलाने से पहले एक बार पीरियड ट्रेशन से आवश्यक सलाह ले लिया करें। पीडियाट्रिशियन इसके विकल्प भी हमें बताया और यह भी समझाएगा की कैसे फॉर्मूला मिल्क से होने वाले नुकसान से हम अपने बच्चों को बचा सकते हैं। 

फॉर्मूला मिल्क के कुछ फायदे

इस आर्टिकल में हमने (Bacho me milk powder ke fayde)जाना है कि फार्मूला मिलकर क्या-क्या नुकसान होते हैं। परंतु ऐसा नहीं है कि फॉर्मूला मिल्क के कोई फायदा नहीं है। फार्मूला मिलकर कुछ फायदे भी है जिसे नीचे बताया गया है। 

  • फॉर्मूला मिल्क में जरूरी पोषक तत्व ऐड किए जाते हैं। जिससे बच्चों के शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सके।  और उसके शारीरिक विकास में उसकी मदद की जा सके। 
  • फॉर्मूला मिल्क को एक ऑप्शन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता हैं। यदि फॉर्मूला मिल्क मार्केट में उपलब्ध नहीं होता तो बच्चे को पीने के लिए कोई लिक्विड उपलब्ध नहीं होता। और हमारा बच्चा भूखा रह जाता है इसलिए फॉर्मूला मिल्क बच्चे का पेट भरने में मदद करता है। 
  • फॉर्मूला मिल्क में हैवी तरीके से पोषक तत्व ऐड किए जाते हैं। जिससे धीरे-धीरे बच्चों को पोषक तत्व की पूर्ति होती रहे और उसके शरीर में ऐसे पोषक तत्वों की कमी ना हो। इसलिए अगर मां का दूध बच्चों को नहीं मिल रहा है तो हमें फॉर्मूला मिल्क लगातार बच्चों को देते रहना चाहिए। 
  • फॉर्मूला मिल्क में आर्टिफिशियल तौर पर बच्चों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने की शक्ति प्रदान की जाती हैदराबाद फॉर्मूला मिल के द्वारा बच्चों के विकास में भी मदद मिलती है। 
  • फॉर्मूला मिल्क में ऐसे जरूरी इनग्रेडिएंट ऐड किए जाते हैं। जो बच्चे के मानसिक विकास में मदद करते हैं। और उसके मानसिक विकास को तेजी से होने में सहायक बनाते हैं। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. फॉर्मूला मिल्क के क्या नुकसान है? 

फॉर्मूला मिल्क के कारण बच्चों के अंदर अस्थमा डायबिटीज, एनवायरमेंटल प्वाइजनिंग, मिल्क पाउडर को पचाने में समस्या आदि हो सकते हैं। 

Q. बच्चों के अंदर मिल्क पाउडर का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? 

जब बच्चे की माँ किसी कारणवश बच्चों को अपना दूध पिलाने में असमर्थ होती है। तब मिल्क पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। 

Q. मिल्क पाउडर में कौन सी प्रोटीन होती है जो बच्चे को डाइजेस्ट करने में समस्या होती है? 

मिल्क पाउडर में कशन प्रोटीन होती है जो उसे डाइजेस्ट करने में समस्या होती है। 

Q. फॉर्मूला मिल्क देने से पहले हमें किस से सलाह लेनी चाहिए? 

फॉर्मूला मिल्क देने से पहले हमें पीरियड रीजन से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको शिशु के लिए मिल्क पाउडर के नुकसान (Bacho me milk powder ke nuksan)के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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