पीलिया एक ऐसी समस्या होती है जिसमें बच्चे का शरीर और उसकी आंखें पीली हो जाती हैं। यह एक हैरान करने वाली बात है की जन्म के समय अक्सर अधिकांश बच्चों में पीलिया के लक्षण पाए जाते हैं। बच्चों के अंदर पीलिया के क्या-क्या कारण (Baccho me jaundice) होते हैं और उन्हें कैसे ठीक किया जाता है। इसके विषय में जानकारी जुटाना के अलावा माता-पिता बच्चों की पीलिया से घबरा जाते हैं।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको नवजात शिशु में पीलिया के कारण (Baccho me jaundice ke reason and treatment) और उसके इलाज के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
बच्चों के शरीर के अंदर (Baccho me jaundice ke reason) पीलिया के लक्षण इसलिए दिखाई देते हैं। क्योंकि उनके शरीर में बिलीरुबिन नामक प्रोटीन बढ़ जाता है॥ बिलीरुबिन प्रोटीन के कारण बच्चे का शरीर और उसकी आंखें पीले दिखाई देती हैं।
छोटे बच्चों में इस प्रोटीन को रेगुलेट करने की शक्ति नहीं होती जिसके कारण नवजात शिशु में अक्सर पीलिया दिखाई देने लगती है। बच्चों के जन्म के 24 घंटे बाद पीलिया साफ-साफ से दिखाई देती है। और तीन-चार दिन के बाद यह और भी बढ़ जाती है बच्चों के अंदर पीलिया आमतौर पर एक सप्ताह तक रहती है।
नवजात शिशुओं में कितनी (Bacho me jaundice ki manyata)मात्रा में पीलिया पाया जाता है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। कि 10 में से 6 बच्चों को पीलिया के लक्षण दिखाई देते हैं।
इनमें से 8 बच्चे ऐसे होते हैं जिनका जन्म समय से पहले हुआ होता है और इनमें से सिर्फ 20 में से 6 बच्चों को ही इलाज की आवश्यकता होती है। बाकी बच्चे आराम से खुद से ही पीलिया को ठीक कर देते हैं।
नवजात बच्चों में पीलिया (Baccho me jaundice ke reason) के क्या-क्या कारण हो सकते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।
1.अविकसित लीवर :
बच्चों का लीवर ए विकसित होता है जिसके कारण शरीर में बिलोविन नाम के प्रोटीन की अधिकता हो जाती है। लिवर हमारे खून से बिलीरुबिन प्रोटीन को साफ करने में मदद करता है।
नवजात शिशु का लीवर आवश्यक होने के कारण यह प्रोटीन अधिक मात्रा में शरीर में उपस्थित हो जाती है। जिसके कारण बच्चे का शरीर और उसकी आंखें पीले दिखाई देने लगते है। लिवर में कमी होने के कारण वह खून को ठीक प्रकार से फिल्टर नहीं कर पाता और बच्चे का शरीर पीला दिखाई देने लगता है।
2.प्रीमेच्योर बेबी :
प्रीमेच्योर बेबी का लीवर और भी ज्यादा आवश्यक होता है जिसके कारण भी बच्चे को लीवर के कारण पीलिया होने की समस्या होती है। शरीर में बिल रुबान की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि अक्सर प्रीमेच्योर बेबी को पीलिया होना आम बात हो जाती है।
3.ठीक से स्तनपान न करना :
यदि बच्चे को ठीक से स्तनपान नहीं कराया जाता तो भी बच्चे को पीलिया जैसी समस्या हो जाती है। स्तनपान करने से बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।
क्योंकि उसमें एंटीबॉडीज पाई जाती हैं जो बच्चे के शरीर को मजबूत करने में मदद करती हैं। यदि बच्चे को स्तनपान में कमी की जाती है तो भी उसे पीलिया हो जाती है।
4.बेस्ट मिल्क के कारण :
ब्रेस्ट मिल्क में भी कुछ ऐसे तत्व कभी-कभी पाए जाते हैं जो बिलीरुबिन को रोकने वाले तत्व को में बाधा उत्पन्न करते हैं। इसलिए ब्रेस्ट मिल्क को कुछ समय के लिए रोक देना चाहिए।
जिससे शरीर में ब्लू रॉबिन अच्छे प्रकार से फिल्टर हो पाए और बच्चे को पीलिया की समस्या ना हो। यदि विल्रोमीन ज्यादा मात्रा में शरीर में उपस्थित हो जाता है तो यह लीवर को डैमेज करने लगता है।
5.रक्त संबंधी कारण :
जब बच्चे का ब्लड ग्रुप और मां का ब्लड ग्रुप अलग-अलग होता है तो मां के रक्त से ऐसी एंटीबॉडीज निकलते हैं। जो बच्चे की लाल रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचती हैं।
क्योंकि उनके अंदर रक्त की विभिन्न नेता पाई जाती है इसके कारण भी बच्चों के अंदर बिलीरुबिन नाम के प्रोटीन में अधिकता आ जाती है। यह एक बहुत बड़ा कारण होता है जिससे बच्चों को पीलिया होती है।
नवजात बच्चों में पीलिया (Baccho me jaundice ke lakshan)के लक्षण होना खतरनाक नहीं है। परंतु बच्चों में पीलिया के लक्षण क्या-क्या हैं।उसके विषय में नीचे जानकारी है प्रदान की गई है।
- पीलिया होने का सबसे पहला लक्षण होता है कि बच्चे का पूरा शरीर पीला दिखाई देने लगता है। उसका हाथों का रंग पीला दिखाई देने लगता है।
- और उसकी आंखें भी पीली पीली दिखाई देती हैं बच्चों की छाती पेट पर सारी शरीर पर पीलापन दिखाई देता है।
- बच्चों को पीलिया होने पर उसकी आंखों का सफेद भाग भी पीला दिखाई देता हैं। इसलिए भी पहचान लगाई जा सकती है कि बच्चा पीलिया से पीड़ित है।
- इसके अलावा भी बच्चों के अंदर पुलिया के बहुत सारे लक्षण दिखाई देते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।
- अगर शिशु की भूख खत्म होने लगे।
- अगर वो आपको सुस्त दिखाई देने लगे।
- अगर वो बहुत तेज-तेज रोता रहे।
- अगर उसे 100 डिग्री से ज्यादा बुखार हो।
- अगर उसे उल्टी-दस्त या दोनों ही लगे हों।
- शिशु को गहरे पीले रंग का पेशाब और फीके रंग का मल आए।
- इसके अलावा, अगर शिशु को सात दिन का हो जाने के बाद पीलिया हुआ हो, तो यह चिंता का विषय बन सकता है।
शिशु में पीलिया के लिए उपचार
बच्चों की पीलिया का उपचार (Baccho me jaundice ke treatment)किस प्रकार से किया जा सकता है। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान किए गए हैं जिसके माध्यम से आप यह पता लगा पाएंगे की पीलिया को कैसे ठीक किया जा सकता है।
1.फोटोथैरेपी :
फोटोथेरेपी पुलिया के उपचार के लिए एक बहुत जाना माना तरीका है। इस थेरेपी में बच्चों को वेवलेंथ की रोशनी के नीचे लेताया जाता है। यह रोशनी वेवलेंथ क्रिएट करती है जो बच्चे के ऊपर पड़ती हैं।
इस ट्रीटमेंट को तीन से चार घंटे दिया जाता है और हर एक घंटे के बाद आधे घंटे का रेस्ट दिया जाता है। जिससे बच्चों के शरीर को आराम मिल सके इस प्रक्रिया के दौरान मां अपने बच्चों को अपना दूध पिला सकती है।
और उसका डायपर भी बदल सकती है फोटो थेरेपी पीलिया का उपचार करने के लिए एक बहुत बेहतर तरीका होता है। जिसके माध्यम से पीलिया को अच्छे प्रकार से ठीक किया जा सकता है।
2.इम्यूनोग्लोबुलीन इन्जेक्शन :
यह इंजेक्शन बच्चों को तब लगाया जाता है। जब माता का और बच्चे का ब्लड ग्रुप अलग-अलग होता है। मां और बच्चे के ब्लड ग्रुप में विभिन्नता होने के कारण बच्चों के अंदर एंटीबॉडीज का स्तर दूसरा होता है।
यह इंजेक्शन बच्चों के अंदर और एंटीबॉडीज का प्रोडक्शन कम कर देता है। जिसकी वजह से बच्चे को पीलिया कम ग्रसित करती है। यदि माता और बच्चे का ब्लड ग्रुप से होता है तो यह इंजेक्शन इस्तेमाल नहीं किया जाता।
3.शिशु का रक्त बदलना :
यह प्रक्रिया बहुत विषम स्थितियों में अपनाई जाती है। यह प्रक्रिया तब अपनी जाति है जब बाकी सारे उपचार काम करना बंद कर देते हैं। इस प्रक्रिया में शिशु के रक्त को दाता के रक्त से समय समय पर बदल जाता है और यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है। जब तक शिशु के शरीर से बिलीरुबिन नाम की प्रोटीन में कमी नहीं आ जाती और बच्चे की पीलिया ठीक नहीं हो जाती।
4.बिली ब्लैंकेट :
बिलीव ब्लैंकेट एक ऐसा कर होता है जो बच्चे की पुलिया ठीक करने में मदद करता है। इस पूरे ब्लैंकेट में एलईडी लाइट्स लगी होती है जिसे बच्चे को उड़ाया जाता है।
और यह बच्चे को दोनों तरफ से कर कर लेता है यह बच्चे की पुलिया को ठीक करने में मदद करता है। इस प्रक्रिया को डॉक्टर की निगरानी में दोहराया जाता है। घर पर इस प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और डॉक्टर के परामर्श के बाद ही इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करना चाहिए।
नवजात बच्चे में पीलिया के (Baccho me jaundice ke gharelu upchar)क्या-क्या घरेलू उपचार हो सकते हैं।उसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है। इससे हम यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि हम नवजात बच्चे की पुलिया को घर पर ही कैसे ठीक करें।
धूप में रखें :
डॉक्टर फोटोथेरेपी का ट्रीटमेंट बच्चों की पुलिया को ठीक करने के लिए करते हैं। परंतु डॉक्टर फोटो थेरेपी की जगह बच्चे को धूप में रखने के लिए वह कह सकते हैं।
धूप में रखने से बच्चे की पुलिया ठीक होने में मदद मिलती है। परंतु डॉक्टर के परामर्श के बिना बच्चों को अधिक देर तक धूप में नहीं रखना चाहिए। बच्चों के अंदर धूप के कारण और भी बुरे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
स्तनपान कराएं :
यदि आपका बच्चा पीलिया से ग्रसित है तो उसे दिन में 10 बार स्तनपान अवश्य करना चाहिए। स्तनपान में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो बच्चे के शरीर में ब्लू रूबेन प्रोटीन को कम करने में मदद करते हैं। और उसकी पीलिया को घटाने में मदद करते हैं इसलिए बच्चों को लगातार स्तनपान कराते रहना चाहिए।
सप्लीमेंट्स :
कई बार किसी परेशानी के कारण मां स्तनपान कराने में असमर्थ होती है। यदि आपके साथ भी ऐसा ही है। और आप अपने बच्चों को जरूरी पोषक तत्व नहीं दे पा रहे हैं। तो आप डॉक्टर के परामर्श पर बच्चों को मां के दूध का सप्लीमेंट या फॉर्मूला मिल्क भी पिला सकते हैं।
जूस :
यदि आपके बच्चे ने ठोस पदार्थ को लेना शुरू कर दिया है तो अपने बच्चों को जूस का सेवन कर सकते हैं। जूस पीने से बच्चे की पुलिया कम होने में मदद मिलती है।
आप अपने बच्चों को गाजर मूली और व्हीटग्रास का जूस पिला सकते हैं। पीलिया को कम करने के लिए शरीर का ताकतवर होना और पोषक तत्वों से भरपूर होना जरूरी होता है।
शिशुओं में पीलिया को कैसे रोकें?
शिशु के अंदर पीलिया (Baccho me jaundice ko kaise roken)होने का वैसे तो कोई बाहरी कारण नहीं होता अंदरूनी फैक्टर के कारण ही बच्चे को पीलिया से ग्रसित होना पड़ता है।
परंतु यदि फिर भी आप अपने बच्चों को पीलिया से बचना चाहते हैं। तो इसके लिए आप बच्चों के आसपास साफ सफाई रखकर बच्चों को कुछ हद तक पुलिया से बचा सकते हैं।
ज्यादातर नवजात बच्चों में पीलिया पाई जाती है इसके लिए गर्भवती महिला को जरूरी पोषक तत्व खिलाने की आवश्यकता होती है। जिससे बच्चों के अंदर भी सभी न्यूट्रिएंट्स सही मात्रा में प्रजेंट रहे और वह किसी भी तरीके से बीमारी से पीड़ित ना हो।
गर्भवती महिला के आसपास भी साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और गर्भवती महिला को खुद भी साफ रहना चाहिए। जिससे उनके द्वारा जन्म लेने वाला बच्चा किसी भी तरीके की बीमारी से पीड़ित ना हो।
पीलिया होने पर यदि डॉक्टर ने आपको नवजात बच्चे को धूप में रखने की सलाह दी है। तो आप अपने बच्चों को दिन में दो बार 10-10 मिनट के लिए धूप में रख सकते हैं।
आप अपने बच्चों को ऐसे स्थान पर धूप में रखें जहां हल्की धूप आती हो जैसे की खिड़की से बच्चे को आप धूप दिखा सकते हैं। परंतु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पीलिया होने पर बच्चों को धूप में देखना कोई मेडिकल उपचार नहीं है इसके लिए डॉक्टर की सलाह आवश्यक होती है।
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
नवजात बच्चों में जन्म लेने वाला 10 में हर 6 बच्चे पीलिया से ग्रसित होते है।
Q. बच्चों के अंदर पीलिया किस कारण होती है?
बच्चों के अंदर बिलीरुबिन प्रोटीन में अधिकता हो जाने के कारण बच्चे पुलिया से ग्रसित हो जाते हैं।
Q. बिलीरुबिन प्रोटीन शरीर मैं किसके द्वारा रेगुलेट की जाती है?
बिलीरुबिन प्रोटीन शरीर में लीवर के द्वारा रेगुलेट की जाती है।
पीलिया होने पर नवजात बच्चे को दिन में 10-10 मिनट के लिए धूप में रखना चाहिए।
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको नवजात शिशु में पीलिया (जॉन्डिस) (Bachon Me Piliya Ke Lakshan) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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