बच्चों को बुखार होना एक आम समस्या है। छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिसके कारण उनके अंदर संक्रमण का स्तर ज्यादा होता है। इसलिए बच्चों को सामान्यता बुखार होने की समस्या होती रहती है। परंतु कुछ माता-पिता बच्चों के बार बार बुखार आने से परेशान होने लगते हैं और उन्हें बच्चे के बुखार का इलाज भी नहीं मालूम होता। (Bachon Ke Bukhar Ka Ilaj)
किस आर्टिकल के माध्यम से हम आप को बच्चों के बुखार का कारण इलाज और उपायों Bachon Ke Bukhar Ka karan, illaj, upay)के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
बच्चे के शरीर का सामान्य तापमान क्या होता है?
शिशु के शरीर का सामान्य (Sisu ke sharir ka samanya tapman) तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है। यह तापमान समय के अनुरूप चेंज होता रहता है। सुबह से दोपहर तक के समय में शरीर का तापमान कम रहता है। दोपहर से शाम तक के समय में शरीर का तापमान बढ़ने लगता है क्योंकि दोपहर के बाद गर्मी अधिक होती है। अधिक कपड़े पहना देने से भी शरीर का तापमान बढ़ने लगता है।
बच्चों में तापमान की जांच कैसे करें?
जैसा कि हमने बताया है कि बच्चे के शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है। परंतु यदि शरीर का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है। तो यह मान लेना चाहिए कि बच्चे को तेज बुखार है। बच्चे का बुखार मापने के बहुत सारे तरीके ( Baccho me Fever check karne ke tarike) हैं। इनमें से कुछ तरीकों के विषय में हमने आपको जानकारी प्रदान कि है।
1.रेक्टल टेस्ट
बच्चे की मलाशय में रेक्टल थर्मामीटर डालकर उसके बुखार की जांच की जाती है। रेक्टल थर्मामीटर अलग से मंगाया जाता है। और इसमें इस बात का पूर्णता ध्यान रखा जाता है कि बच्चे को किसी भी प्रकार की तकलीफ ना हो। यह जांच विषम परिस्थितियों में की जाती है इस तरह की जांच घर पर नहीं करनी चाहिए।
2.एक्सिलरी टेस्ट
एक्जिलेरी टेस्ट बुखार को मापने का सबसे आसान तरीका है। इस तरीके में थर्मामीटर को बगल में 5 से 6 मिनट बात कर बुखार की जांच की जाती है। शरीर का तापमान शर्मा मीटर में कैच कर लिया जाता है और यह पता लग जाता है कि बच्चे को बुखार है या नहीं।
3. ओरल (मुह)
ओरल टेस्ट में बच्चे के जीप के नीचे थर्मामीटर को रखकर 5 से 6 मिनट इंतजार किया जाता है। इसके पश्चात बुखार का टेस्ट किया जाता है। ओरल टेस्ट 6 वर्ष से ऊपर के बच्चों का ही संभव हो पाता है यह भी बुखार को मापने का एक सरल तरीका है।
4.टेम्परल आर्टरी (माथा)
टेंपल आर्टरी थर्मामीटर में बुखार को नापने के लिए फोरहेड स्ट्रिप थर्मामीटर आते हैं। इसे सिर्फ 1 मिनट तक माथे पर लगा कर रखना होता है। इसके पश्चात यह शरीर का टेंपरेचर बता देता है।
बच्चों में बुखार के कारण
इस आर्टिकल में हमने आपको पहले ही बताया है कि छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। जिसके कारण उन्हें संक्रमण की समस्या जल्दी होती है। बुखार आने की कुछ अन्य कारण भी हैं जिसके विषय में जानकारी नीचे प्रदान की गई है।
वायरल संक्रमण :
अक्सर चलने वाले वायरल संक्रमण बच्चे के बुखार का कारण बन सकते हैं। इसलिए वायरल के दौरान बच्चे का लगातार डॉक्टर से चेकअप कराते रहना चाहिए।
बैक्टीरियल संक्रमण :
बच्चे छोटे जीवाणु के संपर्क में आने के कारण बैक्टीरियल संक्रमण होने का खतरा रहता है। बैक्टीरियल संक्रमण से बच्चे को बहुत सारी दिक्कतें होने की समस्या हो सकती है। जैसे यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन, रक्त संक्रमण, मस्तिष्क एवं रीड की हड्डी में संक्रमण।
टीकाकरण :
अक्सर यह देखा गया है कि टीकाकरण के बाद बच्चों को बुखार आता है। और बुखार के कारण वह बहुत परेशान रहते हैं। टीकाकरण के बाद बुखार आना टीकाकरण के कुछ दुष्प्रभाव के रूप में देखा गया है।
ओवर ड्रेसिंग :
बच्चों को ज्यादा कपड़े पहनाने के कारण भी बच्चे को बुखार आने की समस्या होती है। क्योंकि उसका अंदरूनी तापमान बाहर के एनवायरमेंट से मैच नहीं कर पाता।
निर्जलीकरण :
निर्जलीकरण डायरीया उल्टी के कारण शरीर से अधिक तरल पदार्थ के निकलने के कारण होता है। डायरिया में शरीर में पानी की कमी हो जाती है और बुखार होने की समस्या सामान्य होने लगती है।
नए दांत आना :
नए दांत आने के कारण भी बच्चे को बुखार की समस्या होती है। अक्सर बच्चों में नए दांत आने पर डायरी आया बुखार की समस्याएं देखी गई है। नए दांत आने पर बच्चा बुखार की चपेट में आ सकता है।
बच्चों में बुखार के लक्षण
बच्चों की बुखार की पहचान कैसे की जा सकती है। इसके कुछ लक्षणों (Baccho me Fever ke symptoms) को नीचे पॉइंट में स्पष्ट किया गया है।
- माथा और गले का अत्यधिक गर्म होना।
- कंपकंपी होना।
- चेहरा लाल हो जाना।
- दांत कटकटाना।
- पसीना आना।
- बच्चा के चेहरे पर थकावट दिखना आदि।
बच्चों के बुखार का इलाज | Bachon Ke Bukhar Ka Ilaj
बच्चों में बुखार पहचानने के बाद बुखार का इलाज कराना बहुत (Bachon Ke Bukhar Ka Ilaj) आवश्यक है। क्योंकि यदि शरीर में लगातार बुखार रहता है तो यह बच्चे के लिए घातक हो सकता है। बुखार के कुछ इलाज और सावधानी के विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।
- बच्चे को ज्यादा कपड़े नहीं पहने चाहिए और ना ही ज्यादा मोटे कंबल से ढकना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से बुखार में कमी भी आ सकती है और वह बढ़ भी सकता है बच्चे को हमेशा हल्के कपड़े पहनाए और हल्की चादर से शरीर को ढके।
- बच्चे को टाइलेनॉल’ और ‘इबुप्रोफेन’ दवा दे सकते हैं। यह दवा देने से पहले डॉक्टर से अवश्य परामर्श ले लेना चाहिए।
- बच्चे को हमेशा गुनगुने पानी से रहना चाहिए या स्पंज बाथ करानी चाहिए। बच्चे को बुखार में कभी भी ठंडे या बर्फ के पानी से स्नान नहीं कराना चाहिए। यदि बच्चा बुखार की दवाई ले रहा है तो गुनगुने पानी से स्नान करने से उसका बुखार कम हो सकता है।
- बच्चे को समय-समय पर पानी पिलाते रहना चाहिए जिससे बच्चा हाइड्रेट रहे।
- यदि बच्चा 3 महीने से कम उम्र का है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना आवश्यक है ।
- यदि बच्चा सुस्त दिख रहा है या वह समय से खाना नहीं खा रहा है या उससे मल मूत्र की समस्या हो रही है तब तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
बच्चे को बुखार की दवा | Bacho Ki Bukhar Ki Dawa
बच्चे को बुखार के दौरान आप बच्चे को निम्न दवाइयां (Bacho Ki Bukhar Ki Dawa) दे सकते हैं।
- बच्चे को बुखार के दौरान आप बच्चे को पेरासिटामोल या इबूप्रोफेन नाम की दवाइयां डॉक्टर के परामर्श पर दे सकते हैं।
- यदि बच्चे को जीवाणु संक्रमण पाया गया है तो आप डॉक्टर के परामर्श पर बच्चे को एंटीबायोटिक दवाइयां दे सकते हैं। परंतु एंटीबायोटिक का इस्तेमाल सिर्फ डॉक्टर के परामर्श पर ही करना चाहिए।
- किसी भी दवाई के इस्तेमाल से पहले बच्चे को लेकर क्लीनिक अवश्य जाना चाहिए और उसकी जांच करानी चाहिए।
- बच्चे को बुखार आने पर कुछ घरेलू उपचार (Bacho ko Bukhar me gharelu upchar) किए जा सकते हैं। जिनकी मदद से बच्चे का बुखार ठीक किया जा सकता है। कुछ चुनिंदा नुश्खे के नीचे पॉइंट के माध्यम से स्पष्ट किए गए है।
- बच्चे की बुखार को कम करने के लिए एक साफ तौलिए को ठंडे पानी में भिगोकर बच्चे के सर पर थोड़ी थोड़ी देर के लिए रखना चाहिए। इससे बच्चे के शरीर का तापमान कम होगा बुखार में बच्चे को हल्के कपड़े पहनाने चाहिए।
- और आसपास की खिड़की और दरवाजे खोल देना चाहिए जिससे ताजी हवा बच्चे के शरीर को लगती रहे।
- गुनगुने पानी से भीगी 2 साफ तौलिया को बच्चे के दोनों पैरों पर लपेट देना चाहिए। इसके पश्चात दोनों पैरों को सूखे कपड़े से ढक देना चाहिए। 10,20 मिनट तक तौलीयों को पैर से बांधे रखना चाहिए इस प्रक्रिया से बच्चे का बुखार उतरने में मदद मिल सकती है।
नोट :
अगर बुखार के दौरान बच्चे का शरीर ठंडा रहता है तो ऊपर दिए हुए उपाय को नहीं करना चाहिए।
- बच्चे को पानी पिलाते रहना चाहिए जिससे बच्चा हाइड्रेट रहे क्योंकि डिहाइड्रेशन के कारण भी बच्चे को बुखार हो सकता है।
- बच्चे को ज्यादा से ज्यादा आराम कर आना चाहिए कुछ ऐसा नहीं करना चाहिए। जिससे बच्चा असहज महसूस करें।
बुखार वाले बच्चे को क्या खिलाएं | Bache Ko Bukhar Me Kya Khilaye
बुखार के दौरान शरीर में उर्जा बनाए रखने के लिए बच्चे को संतुलित आहार देना बहुत आवश्यक है जिससे बच्चा बुखार की पीड़ा को अच्छे से झेल पाए। नीचे जानकारी दी गई है कि आप बुखार से पीड़ित बच्चे को क्या-क्या खिला (Bache Ko Bukhar Me Kya Khilaye) सकते हो।
- बच्चे को आप रोज की तरह साधारण भोजन खिला सकते हैं। यदि बच्चे का खाने का मन नहीं है तो उससे जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।
- बच्चे को ज्यादा फल नहीं खिलाने चाहिए और ना ही ज्यादा जूस पिलाना चाहिए। बच्चे को आधा गिलास जूस आधे गिलास पानी में मिलाकर पिलाना चाहिए।
- यदि बच्चे को बुखार के दौरान उल्टी आ रही है तो आप बच्चे को जिलेटिन पदार्थ खिला सकते हैं।
- आप बच्चे को आटे से बना प्रोडक्ट बनाकर खिला सकते हैं। ओट मिल भी बच्चे के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
बच्चों को बुखार से कैसे बचाएं?
स्वच्छता बनाए रखें :
बच्चों को अक्सर चीजें मुंह में डालने की आदत होती है। जिसके कारण विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया और वायरस मुंह के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। इसलिए नीचे पड़े सामानों को अच्छे से डिसइनफेक्टेंट से साफ करना चाहिए।
बच्चे की आसपास वातावरण को साफ रखना चाहिए और उनके इस्तेमाल की नियमित वस्तुओं को रेगुलर रूप से साफ रखना चाहिए। बच्चे को उन लोगों के पास नहीं जाने देना चाहिए जो खांसी या जुकाम के संक्रमण से पीड़ित हो।
हाइजेनिक भोजन :
बच्चे को भोजन कराने से पहले उसको दिए जाने वाले फल और सब्जियों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। बच्चे को वासी पर नहीं चलाने चाहिए हमेशा ताजी पर खिलाने चाहिए। बच्चे की हाथ और मुंह को अच्छी तरह से खाना खिलाने से पहले साफ करना चाहिए।
बच्चे को हाइड्रेट रखें :
बच्चे के शरीर में तरलता की कमी ना हो इसलिए बच्चे को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाना चाहिए। और जूस पिलाना चाहिए। बच्चे को उन फलों का सेवन कराना चाहिए जो तरल हो।
मेडिकल टेस्ट :
बच्चे का समय-समय पर मेडिकल टेस्ट कराते रहना चाहिए जिससे बच्चे के शरीर में होने वाले संक्रमण का पता लग सके।
टीकाकरण :
बच्चे को संक्रमण से बचाए रखने के लिए टीकाकरण अवश्य कराना चाहिए। टीकाकरण शरीर में एंटीबॉडीज का निर्माण करता है जो माइक्रो इंफेक्शन से शरीर को ग्रसित होने से बचाता है।
बच्चों को बार-बार बुखार क्यों आता है? | Bache Ko Bar Bar Bukhar Hona
बच्चे को बार बार बुखार होने का कारण बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना (Bache Ko Bar Bar Bukhar Hona) है। जिसके कारण शरीर में रोगाणुओं से लड़ने की ताकत कम होती है और शरीर रोगों से अधिक जल्दी ग्रस्त हो जाता है।
एक रिपोर्ट के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया है। कि शरीर के आसपास 200 से ज्यादा सर्दी जुकाम के वायरस घूमते रहते हैं जो शरीर को बहुत जल्दी बीमारी से ग्रसित कर देते हैं।
शिशु के बुखार के लिए डॉक्टर को कब बुलाएं?
अगर निम्न लक्षण बच्चे के अंदर बुखार (sisu me bukhar ke symptoms) के दिखाई दे रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
- बुखार का ज्यादा दिनों तक रहना।
- बुखार उतरने के बाद भी बुखार के लक्षण दिखना।
- रोते समय बच्चे के आंसू न निकलना।
- अगर 8 घंटे से बच्चे ने पेशाब न किया हो।
- 3 महीने से कम उम्र के बच्चे का रेक्टल तापमान 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38°C) या इससे अधिक होना।
- 3 महीने से लेकर 1 साल के बच्चे का तापमान 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38°C) या अधिक होना।
- अगर 2 साल से कम उम्र के बच्चे का बुखार 48 घंटे के अंदर नहीं उतरता है।
- बुखार का 105 डिग्री फारेनहाइट (40.5°C) से ज्यादा होना।
- एक हफ्ते तक बुखार का आना-जाना लगा रहना।
- बुखार के साथ गले में खराश, कान का दर्द, दस्त, उल्टी या खांसी जैसे लक्षण दिखना।
- बुखार के साथ गंभीर बीमारी के लक्षण जैसे हृदय की समस्या व एनीमिया आदि।
- अगर बच्चे का रोना बंद नहीं होता है।
- चलने में परेशानी होना।
- सिर दर्द की शिकायत आदि।
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
Q. शिशु के शरीर का सामान्य तापमान कितना होता है?
शिशु के शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है।
Q. एक्जिलेरी टेस्ट क्या होता है?
एक्जिलेरी टेस्ट में थर्मामीटर को बच्चे की बगल में लगाकर चार पांच मिनट के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके पश्चात शरीर का तापमान पता लग जाता है।
Q. बच्चे को बुखार से कैसे बचाया जा सकता है?
बच्चे को स्वस्थ रखकर हाइजेनिक भोजन खिलाकर, हाइड्रेट रखकर, टीकाकरण का ध्यान रखकर बुखार से बचाया जा सकता है।
Q. शरीर के आसपास कितने सर्दी जुकाम के वायरस घूमते रहते हैं?
शरीर के आसपास 200 से ज्यादा सर्दी जुकाम के वायरस घूमते रहते हैं।
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों के बुखार का इलाज (Bachon Ke Bukhar Ka Ilaj) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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