बच्चों की सबसे पहली पसंद चॉकलेट होती है परंतु ज्यादा चॉकलेट खाना भी बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। अधिक चॉकलेट खाने से बच्चों के दांत जल्दी खराब होने लगते हैं। बच्चों के पेरेंट्स हमेशा बच्चे की अधिक चॉकलेट खाने की आदत से परेशान और चिंतित रहते हैं। शिशुओं को चॉकलेट खाने की सही उम्र इसके नुकसान बा सावधानियों (Bachon ke chocolate khilane ki sahi umar, nuksaan, savdhaani) के विषय में माता पिता को अवश्य पता होना चाहिए।
इस आर्टिकल में हम आपको शिशुओं को चॉकलेट खिलाने की सही उम्र नुकसान व सावधानियों (Bachon ke chocolate khilane ki sahi umar, nuksaan, savdhaani)के विषय में जानकारी प्रदान करेंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
क्या छोटे बच्चों का चॉकलेट खाना सुरक्षित है?
छोटे बच्चों को चॉकलेट खिलाना सुरक्षित होता (Baccho ko chocolate khilane ki suraksha) है। चॉकलेट एक एनर्जेटिक स्टफ के रूप में कार्य करता है जिसके सेवन से शरीर को एनर्जी मिलती है परंतु अधिक चॉकलेट नहीं खाना चाहिए। हफ्ते में सिर्फ एक बार ही चॉकलेट खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। परंतु यदि चॉकलेट का सेवन अधिक किया जाता है तब यह स्वास्थ्य पर उल्टा प्रभाव डालता है और स्वास्थ्य को नुकसान देने लगता है।
शिशु को चॉकलेट खिलाना कब शुरू करें?
शिशु को चॉकलेट खिलाना कब शुरू (Bachon me chocolate khilane ki shuruat)करना चाहिए। इसके विषय में एक अध्ययन से यह बताया गया है कि 2 साल से कम उम्र के सिसुओ को चॉकलेट नहीं देना चाहिए।
2 साल से बड़ी उम्र के बच्चों को जब चॉकलेट देने की शुरुआत करनी चाहिए। तब उन्हें हमेशा छोटे-छोटे टुकड़ों में और सीमित मात्रा में ही चॉकलेट खिलानी चाहिए जिससे बच्चे को चॉकलेट की आदत ना लगे और चॉकलेट के अधिक खाने से वह अपने स्वास्थ्य को नुकसान ना पहुंचाएं।
छोटे बच्चे को चॉकलेट खाने के फायदे
छोटे बच्चों को चॉकलेट खाना (Bachon me chocolate khane ke fayde) पसंद होता है एवं सीमित मात्रा में चॉकलेट का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए क्या फायदे प्रदान करता है। इसके विषय में नीचे पॉइंट्स में जानकारी दी गई है।
एनर्जी के लिए :
चॉकलेट मीठा होने के कारण उसमें ग्लूकोज अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ ही सौ ग्राम चॉकलेट में लगभग 3770 किलोकैलोरी एनर्जी पाई जाती है। चॉकलेट में थिअब्रोमाइन कंपाउंड मौजूद होता है जो शरीर को एनर्जी दिलाने में मदद करता है। शरीर को ऊर्जावान रखने के लिए चॉकलेट का सेवन अवश्य करना चाहिए। परंतु यह ध्यान रखना चाहिए कि सपने में सिर्फ एक बार ही चॉकलेट का सेवन किया जाए।
याददाश्त बढ़ाने के लिए :
बच्चों की याददाश्त बढ़ाने के लिए चॉकलेट एक बहुत बेहतर विकल्प है। खासकर डार्क चॉकलेट की मदद से याददाश्त बनाने में मदद मिलती है। एक शोध के अनुसार यह पता लगा है कि डार्क चॉकलेट में फ्लेवोनोइड्स पाए जाते हैं। जो मस्तिष्क को विकसित करने तथा शरीर को ऊर्जावान रखने में मदद करता है।
मूड में सुधार करने के लिए :
बच्चे का मूड ठीक करने के लिए या बच्चे को खुश करने के लिए चॉकलेट है। सबसे बेहतर विकल्प है बच्चों में सबसे ज्यादा पसंदीदा चीज चॉकलेट है जिसे वह सबसे अधिक खाना पसंद करते हैं। चॉकलेट की मदद से बच्चे के मूड में सुधार लाया जा सकता है। चॉकलेट बच्चों को खुश कर देती है इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि चॉकलेट बच्चे का मूड सुधारने में उनकी मदद करती है।
पोषक तत्वों से परिपूर्ण :
डार्क चॉकलेट में बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को ऊर्जावान बनाने में शरीर की मदद करते हैं। डार्क चॉकलेट में पाए जाने वाले कुछ पोषक तत्व जैसे : प्रोटीन, विटामिन बी1, विटामिन बी 2, विटामिन बी 3, विटामिन बी9, विटामिन के, कैल्शियम, फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस, मैंगनीज, सेलेनियम, आयरन, पोटेशियम, कॉपर और जिंक आदि है ।
सर्दी जुकाम में फायदेमंद :
डार्क चॉकलेट की मदद से सर्दी जुकाम से छुटकारा पाया जा सकता है। एक शोध से यह पता चला है कि डार्क चॉकलेट बच्चों का सर्दी जुकाम ठीक करने में मदद करता है परंतु इस बात पर पुष्टि होना अभी बाकी है।
डार्क चॉकलेट में पाए जाने वाले पोषक तत्व गर्म होते हैं और वह शरीर के अंदर बहुत सारे लोगों को ठीक करते हैं इसलिए डार्क चॉकलेट शरीर के लिए फायदेमंद होता है।
क्या छोटे बच्चों को चॉकलेट से एलर्जी हो सकती है?
छोटे बच्चों में बहुत सारे प्रकार की एलर्जी पाई (Bachon me chocolate se allergy) जाती हैं। हर बच्चे के अंदर अलग तरीके के जीन का प्रभाव होता है। इसलिए किसी भी बच्चे को चॉकलेट खिलाने से पहले बच्चे के अंदर खाने से होने वाली एलर्जी के विषय में डॉक्टर से अवश्य परामर्श लेना चाहिए जिससे बच्चों में एलर्जी का पता चल सके एलर्जी संबंधित समस्याओं से सतर्कता बरतनी चाहिए।
शिशु को चॉकलेट खिलाने से क्या परेशानियां हो सकती हैं?
शिशु को सीमित मात्रा में चॉकलेट खिलाने के बहुत सारे फायदे (Bachon ko chocolate khilane ke fayde) हैं क्योंकि चॉकलेट में बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। परंतु यदि चॉकलेट की मात्रा अधिक हो जाती है तब चॉकलेट परेशानियों का कारण बन जाता है।
शिशु को चॉकलेट खिलाने से क्या परेशानी हो सकती हैं। इसके विषय में नीचे पॉइंट्स में जानकारी दी गई है।
- डार्क चॉकलेट में थिअब्रोमाइन कंपाउंड पाया जाता है। अधिक मात्रा में डाक चॉकलेट के सेवन से सिर दर्द की समस्या उत्पन्न करता है।
- अधिक मात्रा में मीठा खाने या चॉकलेट खाने से मोटापे की समस्या बढ़ती है जो एक स्वस्थ शरीर के लिए हानिकारक है।
- अधिक चॉकलेट खाने से सीने में जलन की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।
- अधिक मात्रा में चॉकलेट खाने से मुंह पर मुंहासे आने लगते हैं और चेहरा दानों से भर जाता है।
शिशु को कब चॉकलेट नहीं खाने देनी चाहिए?
बच्चों के चॉकलेट खाने का कोई समय (Bachon ko chocolate kab nahi khilane chahiye) नहीं होता बच्चे जब मन करता है तब वह चॉकलेट की जिद करने लगते हैं। परंतु माता-पिता को इस विषय में जानकारी होनी चाहिए ठीक कब बच्चे को चॉकलेट खिला ना उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके विषय में जानकारी नीचे पॉइंट्स में दी गई है।
सोने से पहले :
बच्चों को कभी भी सोने से पहले चॉकलेट नहीं खिलानी चाहिए। चॉकलेट में कैफीन और थिअब्रोमाइन पाया जाता है जो बच्चे की नींद को प्रभावित कर सकता है। कैफीन नींद को भगाने का एक कारक है इसलिए सोने से पहले कभी भी बच्चों को चॉकलेट नहीं देनी चाहिए।
इरीटेबल बाउल सिंड्रोम :
इस सिंड्रोम के दौरान बच्चे को चॉकलेट खाने की सलाह नहीं दी जाती। इरीटेबल बाउल सिंड्रोम मैं यदि बच्चा चॉकलेट खाता है तो यह सिंड्रोम और अधिक प्रभावित होकर बच्चे के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालता है। इसलिए इस सिंड्रोम के दौरान बच्चे को चॉकलेट नहीं खिलाना चाहिए।
गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स (जीईआरडी) :
अधिक चॉकलेट खाने से बच्चों में एसिडिटी की समस्या बढ़ सकती है। इसलिए बच्चों को कभी भी अधिक चॉकलेट का सेवन नहीं कराना चाहिए।
हाई ब्लड शुगर लेवल :
कुछ बच्चों में हाई ब्लड शुगर लेवल की समस्या होती है। चॉकलेट खाने से ब्लड शुगर लेवल और बढ़ जाता है जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसलिए डॉक्टरी परामर्श के बाद ही बच्चे को चॉकलेट खिलाना चाहिए।
बच्चों को चॉकलेट देने का सबसे अच्छा तरीका क्या है?
बच्चों को चॉकलेट देने का सबसे अच्छा तरीका क्या है। (Bachon ko chocolate khilane ka sahi tareeka) इसके विषय में हमें जानकारी नहीं होती। कभी कभी बच्चे चॉकलेट की जिद करने लगते हैं और उन्हें चुप कराना बहुत मुश्किल हो जाता है। इन परिस्थितियों में बच्चे को चॉकलेट देने का सबसे अच्छा तरीका क्या है इसके विषय में जानकारी प्रदान की गई है।
- जब बच्चों को चॉकलेट देने की शुरुआत की जाती है। तब बच्चे चॉकलेट का टुकड़ा ही देना चाहिए और 2 दिन तक की है इंतजार करना चाहिए कि बच्चा चॉकलेट को ठीक तरीके से पचा पा रहा है या नहीं। यदि बच्चा चॉकलेट को ठीक से बचा रहा है तब उससे आगे चॉकलेट देना जारी रखना चाहिए।
- चॉकलेट के छोटे टुकड़े ही खिलाने चाहिए क्योंकि चॉकलेट गले में चिपकने का डर रहता है इसलिए चॉकलेट के छोटे टुकड़े खिलाने चाहिए।
- बच्चे को चॉकलेट दूध में मिलाकर देने का दूध में मिलाकर चॉकलेट देना एक सबसे बेहतर विकल्प होता है तथा यह स्वास्थ्यवर्धक भी है।
- चॉकलेट में एसिड और शुगर पाया जाता है। यदि चॉकलेट का सेवन अधिक किया जाता है तब यह दोनों तत्व बच्चे के स्वास्थ्य के लिए गलत प्रभाव डालते हैं और उसकी स्वास्थ्य को खराब कर सकते हैं।
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
Q. शिशु को चॉकलेट खिलाना कब शुरू करना चाहिए?
शिशु को चॉकलेट खिलाना 2 वर्ष के बाद शुरू करना चाहिए।
Q. सौ ग्राम चॉकलेट में कितनी एनर्जी पाई जाती है?
सौ ग्राम डार्क चॉकलेट में 3770 किलोकैलोरी एनर्जी पाई जाति है।
Q. चॉकलेट के हानिकारक प्रभाव क्या है?
चॉकलेट में कैलोरीज होती है जिसके कारण मोटापा बढ़ता है तथा सिंड्रोम मैं चॉकलेट का सेवन बहुत हानिकारक होता है।
Q. शिशु को चॉकलेट खिलाने की शुरुआत किस प्रकार करनी चाहिए?
शिशु को चॉकलेट छोटे-छोटे टुकड़ों में खिलाना चाहिए।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको शिशुओं को चॉकलेट खिलाना : सही उम्र, नुकसान व सावधानियां (Bachon Ka Chocolate Khana) के विषय में जानकारी प्रदान की है।यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।