जब बच्चे थोड़े बड़े होने लगते हैं एवं कुछ बातों को समझने लगते हैं तो बच्चे खेलकूद करना एवं शरारत करना भी शुरू कर देते हैं। बच्चों को खेलता देख उनके माता-पिता को बहुत आनंद आता है तथा शारीरिक क्रिया करने के लिए माता पिता एवं परिवार के लोग बच्चे को और प्रोत्साहित करते हैं। जब बच्चा थोड़ा बोलना शुरू करता है।
तब बच्चे के आसपास रहने वाले सभी लोग बच्चे को बार बार बुलवाने का प्रयास करते हैं क्योंकि बच्चे की बोली एवं उसकी नासमझ भाषा सभी को पसंद आती है। बच्चा अपनी क्रियाओं से पूरे परिवार के चेहरे पर खुशी लाता रहता है इससे पूरे परिवार में खुशी रहती है परंतु अगर बच्चा इस खेलकूद करने की उम्र में अगर गुस्सा करने लगता है। तो उसे समझा पाना बहुत ही मुश्किल होता है इससे परिवार भी परेशान रहता है और उन्हें यह चिंता रहती है कि बच्चे का चिड़चिड़ापन किसके कारण है।
इस आर्टिकल में हम आपको बच्चों का गुस्सा कम करने के 10 जरूरी एवं उपयोगी टिप्स बताने वाले हैं। इन टिप्स के द्वारा अगर आपके बच्चे में भी गुस्से के लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो उसे कैसे कंट्रोल किया जा सकता है। इसकी जानकारी प्राप्त होगी अगर आपके घर में भी कोई छोटा बच्चा है और आप उसके गुस्से से परेशान है तो आपको हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ना चाहिए। इससे आपको जानकारी मिलेगी कि आप अपने बच्चे के गुस्से को कैसे कंट्रोल कर सकते हैं।
बच्चों को गुस्सा क्यों आता है? | Bachon Ko Gussa Kyun Aata Hai
बच्चे नासमझ होते हैं बच्चों की बुद्धि का विकास पूरी तरीके से नहीं आता उनका शरीर एवं उनका दिमाग विकास की प्रक्रिया में होता है इसलिए उन्हें यह समझ नहीं आता कि उन्हें किस चीज पर गुस्सा करना चाहिए किस चीज के लिए नाराज होना चाहिए इसलिए कभी-कभी बच्चों का गुस्सा करना माता-पिता को परेशान भी कर देता है स्कूल जाने वाले बच्चे अधिकतर गुस्सा करते हैं गुस्सा आना एक सामान्य प्रक्रिया है नीचे हम आपको बताएंगे कि बच्चों को गुस्सा क्यों आता है।
बच्चे को जब उसके मन का काम नहीं करने दिया जाता एवं जबरदस्ती उससे कोई दूसरा काम करवाया जाता है तब चुनाव होने के कारण वह गुस्सा करता है। स्कूल जाने वाले बच्चों में सामान्यता यह देखा गया है कि बच्चे को खेलकूद करना ज्यादा पसंद है। परंतु माता-पिता के दबाव के कारण यदि बच्चे को खेलकूद के समय जबरदस्ती पढ़ाई करने के लिए बताया जाता है। तो बच्चा अपने माता-पिता पर बहुत गुस्सा करता है। दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि बच्चा किसी चीज को लेने की जिद करता है परंतु माता-पिता को यह पता है कि यह बच्चे की सेहत के लिए ठीक नहीं है और वह उससे उस चीज को नहीं दिलवा दे इस कारण भी बच्चा गुस्सा कर सकता है।
2. पेरेंट्स का गुस्सैल व्यवहार
बच्चे के अंदर बच्चे का रंग रूप उसके अंदर की कुछ आदतें अपने माता-पिता से ही आती हैं। यह एक जेनेटिक प्रभाव होता है। कुछ परिवारों में बच्चे के पेरेंट्स गुस्सैल होते हैं तथा वह अपने बच्चे के सामने ही लड़ाई झगड़ा करते रहते हैं बच्चा सीखने की उम्र में होता है और वह अपने माता-पिता को लड़ाई झगड़ा करते देख उसे सीख जाता है जिस कारण बच्चा भी लड़ाई झगड़ा करना शुरू कर देता है।
दूसरा कारण यह भी है कि अगर पेरेंट्स गुस्सैल व्यवहार के हैं और वह अपने बच्चे को हमेशा डांटते रहते हैं तो बच्चा कभी ना कभी तनाव में आकर अपने माता-पिता से भी गलत व्यवहार कर सकता है और नाराज हो सकता है। इसलिए बच्चे के परिवार वालों को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे के सामने अधिक लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए एवं बच्चे को हर समय डांटना फटकारना नहीं चाहिए।
3. व्यवहार संबंधी समस्या होने पर
कुछ बच्चों का बहुत गुस्सैल होना या कभी-कभी अपना आपा खो देना व्यवहार संबंधी समस्या हो सकती है। Centre for disease prevention and control के अनुसार यदि बच्चा जरूरत से अधिक गुस्सा करता है और गुस्से के कारण वह अपना आपा खो देता है। तो डॉक्टर से तुरंत परामर्श करना चाहिए अगर इसमें देरी की गई तो यह बच्चे के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है।
4. भावनाओं पर नियंत्रिण न होना
छोटे बच्चे नासमझ होते हैं। उन्हें किसी भी प्रकार का ज्ञान नहीं होता। वह किसी भी बेकार की चीज पर गुस्सा करने लगते हैं और किसी भी चीज को देखकर खुश होने लगते हैं। बच्चों में यह समझ पाना मुश्किल है कि उन्हें क्या पसंद आएगा, क्या नहीं। छोटे बच्चे अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते क्योंकि वह सीखने की उम्र में होते हैं।
इसलिए कभी-कभी वह गलत चीजों की मांग करने को लेकर भी गुस्सा हो जाते हैं। या कोई सही बात भी उनके मन को बहुत ठेस पहुंचा जाती है जिससे वह अपनी भावनाएं नियंत्रित नहीं कर पाते बड़े बच्चे समझदार होते हैं एवं उन्हें इस बात की समझ होती है कि क्या उनके लिए ठीक है और क्या गलत इसलिए बच्चों के साथ उनकी उम्र को देखकर बर्ताव करना ठीक रहता है।
5. पीयर प्रेशर (peer pressure)
पीयर प्रेशर का मतलब हमउम्र बच्चों का प्रभाव पढ़ना होता है। बच्चे के हम उम्र साथी यदि किसी बात को लेकर बच्चे को कम समझते हैं या बच्चे के मन में यह भावना होती है कि वह अपने साथियों से कपड़ों ,गैजेट, पढ़ाई, खेल आदि में किसी भी प्रकार से कम है तो बच्चे के अंदर निराशा की भावना उत्पन्न हो जाती है। जिस कारण बच्चा गुस्सा होने लगता है।
छोटे बच्चों के अंदर अपने साथ में रहने वाले बच्चों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए छोटे बच्चों पर माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनके हमउम्र साथी अच्छे हो तथा उनका व्यवहार सरल हो किसी बच्चे के अंदर दूसरे बच्चे को नीचा दिखाने वाली भावनाएं ना हो सबके मन में प्रेम भाव हो ।
6. उदास होने पर
बच्चा अगर किसी कारणवश दुखी है और उसका मन उदास है यह भी गुस्से का कारण हो सकता है। बच्चे का उदास होना घर में किसी तरीके के लड़ाई झगड़े होने से या अपने प्रिय मित्र से अलग होने से, शरीर में किसी प्रकार की बीमारी होने से या पढ़ाई लिखाई के अधिक दबाव की वजह से हो सकता है।
यह सभी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अंदर उदासी के ठोस कारण हो सकते हैं। उदासी की वजह से बच्चे के अंदर चिड़चिड़ापन हो जाता है और गुस्सा सामने वाले पर निकलता है। यह एक सामान्य परेशानी होती है। इसमें परिवार वालों को बच्चे से बात करनी चाहिए एवं उसके गुस्से का कारण भी पूछना चाहिए।
7. तंग किये जाने पर (Bullying)
स्कूली बच्चों पर अक्सर यह घटनाएं सुनने को मिलती रहती हैं ।बुल्लिंग (Bullying)वह है जिसमें सहपाठी या बड़े बच्चों के द्वारा बच्चे को परेशान किया जाता है। उसे विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी जाती हैं इससे बच्चा स्कूल जाने से डरने लगता है एवं मन से परेशान होने लगता है। सहपाठी बच्चे, बच्चे को इस प्रकार से परेशान करते हैं कि बच्चा अपनी परेशानी को अपने माता-पिता को भी ठीक से नहीं बता पाता। वह मन ही मन उदास होने लगता है इसी उदासी के कारण उसे गुस्सा आता है और वह सब पर अपना गुस्सा निकालता है।
8. असफल होने पर
जिन चीजों में बच्चों को रुचि होती है। उन चीजों को बच्चे पूरे मन के साथ करते हैं एवं यह आशा रखते हैं की वह अपने दोस्तों साथियों से उस कार्य में सबसे अव्वल रहे। छोटा बच्चा प्रतिदिन सभी से कुछ ना कुछ सीखता रहता है। स्कूल में अध्यापकों से, खेल में सहपाठियों से, माता-पिता से घर में, विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को ध्यान में रखकर उसे अपने आप भी दोहराने का प्रयास करता है।
परंतु अगर वह किसी कार्य में असफल होता है तो उसमें असहजता की भावना आ जाती है और वह मन में गुस्सा करने लगता है। उदाहरण के लिए यदि किसी बच्चे के कक्षा में अंक अपने साथी से कम आए हैं। तब बच्चा अपने आप को अपने साथी से कमजोर समझने लगता है और गुस्सा कर सकता है।
बच्चे में क्रोध की समस्या के लक्षण (symptoms of anger)
बच्चों में क्रोध का सबसे बड़ा लक्षण बच्चों का क्रोधित होना है। इसके अलावा बच्चों के क्रोधित होने के अन्य लक्षण बच्चे के पाचन तंत्र का ठीक ना हो पाना है। यदि बच्चा क्रोधित होता है तो उसके शरीर से अधिक मात्रा में स्ट्रेस हार्मोन (stress hormone) का स्त्राव होता है स्ट्रेस हार्मोन बच्चे के विभिन्न अंगों को ठीक प्रकार से काम नहीं करने देता एवं बच्चे के पाचन तंत्र को सही नहीं रखता।
यदि बच्चे में क्रोध की समस्या इससे भी अधिक पड़ जाती है तो बच्चे में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं
- सिरदर्द होना
- पेट दर्द जैसी अन्य पाचन समस्याएं
- अनिद्रा की शिकायत
- ज्यादा चिंता करना
- अवसाद होना
- उच्च रक्तचाप
- त्वचा की समस्याएं, जैसे एक्जिमा (खुजलीदार लाल त्वचा) होना
- दिल का दौरा या स्ट्रोक आना
- हृदय की बढ़ी हुई गति
- अचानक से शारीरिक ऊर्जा में तेजी आना
- बच्चे के मन में आत्महत्या का विचार आना
- दूसरे लोगों के प्रति उसका हिंसक व्यवहार
बच्चे में गुस्से की समस्या को कैसे नियंत्रित करें? | Bachon Mein Gusse Ko Control Karne Ke Tips
गुस्सा करना एक सामान्य घटना है। बड़े एवं समझदार लोग किसी अर्थ की बात पर गुस्सा करते हैं एवं उस बात का समाधान होने पर उनका गुस्सा शांत हो जाता है लेकिन बच्चे नासमझ होते हैं उन्हें यह नहीं पता होता कि उन्हें किस बात पर गुस्सा करना है।
वह बात बात पर एवं बहुत जल्दी जल्दी गुस्सा करने लगते हैं और रोने लगते हैं जिस कारण माता-पिता को बच्चे की इस हरकत से बहुत परेशानी होती है। यदि बच्चे का गुस्सा बढ़ जाता है तो वह हिंसक भी हो सकता है इस कारण अगर माता-पिता को इन परेशानियों से बचना है तो बच्चे में गुस्से की समस्या को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है इसके विषय में जरूर पता करना चाहिए।
गुस्से का कारण समझें
सबसे पहले माता पिता को बच्चे के गुस्सा करने का कारण जानना चाहिए। यह पता लगाना चाहिए कि बच्चा किस बात पर गुस्सा है बच्चे की गुस्सा होने का कारण जान लेने पर बच्चे के गुस्से को आसानी से शांत किया जा सकता है।उदाहरण के लिए यदि बच्चे को भूख लगी है और मां को इस बात का आभास हो जाता है कि बच्चा भूखा है तो मां तुरंत उसे दूध पिलाती है और बच्चे का गुस्सा शांत हो जाता है ऐसे तरीकों के माध्यम से बच्चे का गुस्सा तुरंत शांत किया जा सकता है।
बच्चे से बात करें –
यदि आपका बच्चा भी बहुत गुस्सैल है और वह बात बात पर गुस्सा करता है तो बच्चे का गुस्सा शांत हो जाने के बाद बच्चों से बात करनी चाहिए। माता-पिता को बच्चे का अच्छा मूड देखकर उसे यह समझाना चाहिए कि बच्चे को अगर कोई बात बताई जा रही है तो वह उसकी भलाई के लिए है। पहले उसे अपने से बड़ों की पूरी बात सुननी चाहिए और अगर उस पर कोई प्रतिक्रिया देनी है तो उसे शांत स्वभाव से पर बात करनी चाहिए। किसी भी व्यक्ति की आधी बात सुनकर उस पर गुस्सा करना एक बेवकूफी की घटना होती है माता-पिता को बच्चे को समझदार बनाना चाहिए।
स्थिति को पहचाकर दूर करें –
यदि बच्चे के जीवन में कोई ऐसी घटना है जो बच्ची को बार-बार गुस्सा दिलाती है। तो माता-पिता को ऐसी स्थिति को बार-बार आने से रोकना चाहिए एवं प्रयास करना चाहिए कि बच्चा ऐसी स्थिति से उबर पाए। उदाहरण के लिए यदि बच्चा पढ़ाई में कमजोर है या वह मैथ के सब्जेक्ट में कमजोर है एवं परीक्षा के बाद मैथ में नंबर कम आने के कारण उसे निराशा होती है एवं वह गुस्सा करता है तो माता-पिता को इस बात को समझना चाहिए। बच्चे की मैथ में मदद करनी चाहिए मैथ की अलग से ट्यूशन लगानी चाहिए जिससे बच्चा मैथ को अच्छे से समझ पाए और उसमें अच्छे अंक प्राप्त कर पाए जिससे दोबारा ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो।
यदि बच्चे के परिवार में हमेशा तनावपूर्ण माहौल रहता है तो बच्चा गुस्सैल एवं चिड़चिड़ा हो सकता है। इसलिए परिवार के लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि अपने घर के झगड़े बच्चे के सामने नहीं जाने चाहिए। इससे बच्चे के मन में तनाव उत्पन्न हो सकता है और उसका व्यवहार गुस्सैल हो सकता है।
सामने वाले की भावना के बारे में बताएं –
यदि बच्चा गुस्सा होने के कारण सामने वाले को अपशब्द बोलता है एवं हिंसक रवैया अपनाता है तो बच्चे का गुस्सा शांत होने के बाद माता-पिता को उसे यह समझाना चाहिए कि सामने वाला उसको जो समझा रहा था वह उसके भले के लिए ही था। सामने वाले की बात को ठीक से सोचे समझे बिना ही उस पर गुस्सा करना सही व्यवहार नहीं है बच्चे को यह बताना चाहिए कि जिस तरीके का व्यवहार उसने सामने वाले के साथ किया है। यदि वही व्यवहार वह आपके साथ करें तो आपको कैसा लगेगा।
बच्चे को गुस्सा शांत होने के बाद इन बातों का स्मरण कराना चाहिए यदि गुस्से के समय आप बच्चे को डांट आएंगे या धमका आएंगे तो हो सकता है। बच्चे का गुस्सा और बढ़ जाए इसलिए बच्चे को यह बताएं की सोच समझकर एवं सामने वाले की भावनाओं का ध्यान रखकर ही उसके साथ कोई रवैया अपनाना चाहिए।
उल्टी गिनती करना –
यदि बच्चे को बहुत गुस्सा आता है तो माता-पिता को उसे गुस्सा कंट्रोल करने के कुछ टिप्स के विषय में सिखाना चाहिए। जैसे यदि वह चाय तो 10 से 1 तक उल्टी गिनती करना लंबी सांसे भरकर अपने आप को शांत करना आदि तरीके बहुत ही सामान्य है। यह बात रिसर्च से भी बताई गई है की 10 से 1 तक की उल्टी गिनती करने पर गुस्सा शांत हो जाता है यदि बच्चे को गुस्सा आए तो उसे लंबी सांसें भरने को कहें एवं उल्टी गिनती बोलने के लिए कहना चाहिए।
समझौता कराएं –
यदि बच्चे का उनके साथियों, दोस्तों या सहपाठियों के साथ किसी तरीके का मनमुटाव या झगड़ा हो गया है और आपको इस बात की जानकारी है तो जल्दी से जल्दी बच्चे के बीच में मनमुटाव को खत्म कर आना चाहिए। मनमुटाव की वजह से बच्चों के भीतर दूसरे को नुकसान पहुंचाने की भावना जागृत होती है एवं अपने मन में भी हीन भावना का विकास होता है। इसलिए दोनों बच्चों को यह समझाएं कि आपस के रवैए की वजह से दोनों के मन में कितनी ठेस पहुंची है और दोबारा इस प्रकार की गलती ना करने के लिए चेतावनी दे। दोनों को समझाएं कि आपस में मिलजुल कर प्रेम भाव से रहना चाहिए।
बच्चे के अच्छे व्यवहार की प्रशंसा करें –
यदि बच्चा कोई नया आया अच्छा कार्य करता है तो माता-पिता या पेरेंट्स को बच्चे की तारीफ तुरंत करनी चाहिए। एक स्टडी के माध्यम से यह प्रूफ हो चुका है कि यदि कोई बच्चा कोई अच्छा कार्य करता है और उसके माता-पिता उस बच्चे की तारीफ करते हैं तो बच्चे के अंदर उत्पन्न होने वाले नकारात्मक विचार कम हो जाते हैं और बच्चा खुश रहने लगता है। एवं अन्य अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित होता है इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की तारीफ इतनी भी नहीं करनी चाहिए कि बच्चा घमंडी हो जाए।
गुस्सा का कारण व्यक्त करना सिखाएं –
यदि किसी बच्चे को बहुत अधिक गुस्सा आता है तो माता-पिता को उन्हें यह समझाना चाहिए कि गुस्सा आना एक सामान्य घटना है। गुस्सा आना भी भावनात्मक विकास का एक अंग है माता-पिता को बच्चे को यह समझाना चाहिए कि गुस्से को कभी भी अपने मन में नहीं रखना चाहिए। अपने माता-पिता से अपने गुस्सा आने का कारण व्यक्त करना चाहिए। जिससे वह बच्चे की परेशानी को समझ सके और उसे सही करने का प्रयास कर सकें यदि बच्चा अपने गुस्से को मन में रखता है तो माता-पिता को कभी भी उसकी परेशानी का कारण नहीं समझ में आएगा।
जब भी बच्चा अपने माता-पिता को अपने भावों के विषय में बताएं तो माता-पिता को सहजता पूर्वक बच्चे की बात को ध्यान से सुनना चाहिए और उसकी भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। यदि ऐसा होता है तो बच्चा दोबारा अपनी मन की बात बताने में नहीं कतराते और खुले विचारों से अपने मन के विचार अपने माता-पिता के सामने स्पष्ट करते रहते हैं।
थेरेपी –
यदि बच्चे का बार-बार गुस्सा करना व्यवहार संबंधी समस्या के कारण है तो माता-पिता को तुरंत इसके विषय में डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। सही थेरेपी का इस्तेमाल करके बच्चे के गुस्से को कंट्रोल किया जा सकता है। थैरेपिस्ट बच्चे के गुस्से का कारण और लक्षण को समझ कर उसे सही परामर्श देंगे और उसके गुस्से को कंट्रोल करने का तरीका समझाएंगे।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चे के गुस्सा होने के विभिन्न कारण गुस्सा होने के लक्षण एवं गुस्से को कंट्रोल करने के विभिन्न तरीके बताए हैं। अगर आपके घर में भी कोई बच्चा है और उसके गुस्से होने की वजह से आप बहुत परेशान हैं। तो इस आर्टिकल के माध्यम से आप उसके गुस्से का कारण भी जान सकते हैं और उसको कैसे कंट्रोल करना है इसका उपाय भी समझ सकते हैं।
माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे का गुस्सा बढ़ती उम्र के साथ पढ़ना नहीं चाहिए और गुस्सा करना उसकी आदत नहीं बननी चाहिए। गुस्सैल व्यक्ति से कोई भी व्यक्ति बात नहीं करना चाहता और ना ही उससे संबंध रखना चाहता है। इसलिए यदि इस प्रकार की कोई भी आशंका लगे तो तुरंत बाल मनोवैज्ञानिक से संपर्क करना चाहिए।
हमने आपको आर्टिकल के विषय में संपूर्ण जानकारी प्रदान की है। यदि आर्टिकल से संबंधित किसी भी विषय में आपको जानकारी चाहिए या कोई भी प्रश्न आपके मन में है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं। हमें आपका उत्तर देने मैं हर्ष होगा हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।