दोस्तों, बारिश का मौसम तो हर किसी को पसंद होता है। हर कोई बारिश के मौसम में अपने घर के अंदर बारिश का आनंद उठाते हुए पकौड़े खाने का इच्छुक होता है। बारिश का मौसम जितना खूबसूरत होता है, उतनी ही अधिक बीमारियां भी अपने साथ लाता है। यही कारण है कि हम सभी को बारिश के मौसम में अपना बहुत ख्याल रखना होता है। ताकि हम विभिन्न प्रकार की बीमारियों से खुद का बचाव कर सकें। यही कारण है कि हम आप सभी को इस लेख में Barish ke mausam me apna khyaal kaise rkhe? इसके बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं।
बारिश के मौसम में बहुत से लोग नहाना पसंद करते हैं। परंतु वह इस मौसम में बहुत अधिक लापरवाह हो जाते हैं। तापमान के कम होने के कारण और वातावरण में नमी और उमस होने के कारण बीमारियां उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया बहुत अधिक पनपते हैं। साथ ही इस मौसम में यह बहुत अधिक फैलने भी हैं। यही कारण होता है की बारिश के मौसम में अधिकतर लोग बीमार पड़ जाते हैं क्योंकि वह अपना ख्याल अच्छे से नहीं रखते हैं। हमारे द्वारा आप सभी को नीचे How to do take care of yourself? के बारे में बताया जा रहा है। यदि आप इससे संबंधित अधिक जानकारी को प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
बारिश के मौसम में अपना ख्याल कैसे? (How to take care of yourself in rainy season?)
दोस्तों, यह तो आप सब जानते हैं की बारिश के मौसम इंफेक्शन, सर्दी, जुखाम, एलर्जी, डायरिया, फ्लू और वायरल जैसी बीमारियां बहुत तेजी से बढ़ती हैं। परंतु बारिश का मौसम इतना सुहाना होता है कि हम उस मौसम में अपना ख्याल नहीं रखते हैं तथा उस मौसम का खुल के लुफ्त उठाते हैं। परंतु अपनी देखभाल नहीं करते है, जिस कारण हम बहुत अधिक बीमार पड़ जाते हैं। परंतु बारिश के मौसम में अपना ख्याल रखना बहुत आवश्यक है। ताकि आप बीमार ना पड़े।
परंतु बहुत से लोग यह नहीं जानते कि उन्हें बारिश के मौसम में अपना ख्याल कैसे रखना है? यदि आप सभी लोग चाहते हैं कि आप बारिश के मौसम में बीमार ना पड़े। तो आपको अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने हेतु अपने खान-पान व साफ सफाई का बहुत अधिक ध्यान रखना होता है। जिससे बारिश के मौसम में पनपने वाले बैक्टीरिया और वायरस से हमारे शरीर की एंटीबॉडीज लड़ सके और हमें बीमारियों से बचा सके।
बारिश के मौसम में होने वाली बीमारियां? (Diseases occurring in the rainy season?)
बारिश के मौसम में विभिन्न प्रकार की बीमारियां होती हैं। परंतु सामान्य तौर पर होने वाली बीमारियों के बारे में आप सभी को जानना चाहिए। साथ ही यह भी पता करना चाहिए, कि यह बीमारियां आपको कैसे होती हैं और आप इन सभी बीमारियों से कैसे बच सकते हैं? आप सभी को यह सब जानकारी प्रदान करने के लिए हमारे द्वारा नीचे Disease in Rainy season? के बारे में विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है। यह संपूर्ण जानकारी निम्न प्रकार है-
1. सामान्य बुखार तथा जुकाम (General fever and chills)
दोस्तों, बारिश के मौसम में लगातार बारिश होने के कारण तापमान बहुत जल्दी गिर जाता है। जिससे मौसम ठंडा हो जाता है। इस कारण सामान्य बुखार एक वायरल बुखार का रूप धारण कर लेता है और सभी को समय-समय पर यह बुखार आता है। वैसे तो हमें किसी भी मौसम में बुखार और जुखाम हो सकता है, परंतु बारिश के मौसम में यह बीमारी आम बन जाती है क्योंकि इस बीमारी से हर कोई संक्रमित होता है।
कभी-कभी यह सामान्य बुखार जुकाम भी हमारे लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। बदलते मौसम के लिए हमें हमेशा अपने शरीर को होने वाले रोगों से लड़ने के लिए तैयार करना होता है। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो हमें यह बीमारियां बहुत जल्दी पकड़ लेती हैं। इसीलिए हम सब को समय से पहले ही अपने ऊपर ध्यान देना चाहिए और बदलते मौसम में सावधानियों को बरतना चाहिए।
दोस्तों, बदलते मौसम में यदि हम लोगों ने सर्दी, जुकाम जैसी कोल्ड बीमारियों से खुद को नहीं बचाया। तो हम इन बीमारियों से बहुत अधिक समय तक संक्रमित रह सकते है। जिससे हमारी जान का खतरा भी हो सकता है क्योंकि अधिक समय तक बुखार और जुखाम का रहना हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक होता है।
सर्दी जुकाम होने के कारण? (Due to having a cold?)
दोस्तों, सर्दी जुखाम होने के तो विभिन्न प्रकार के कारण हो सकते हैं। यह आपके खान – पान, व्यवहार आदि पर निर्धारित होता है। लेकिन मौसम के बदलने पर हम सबको सर्दी, जुखाम आवश्यक तौर पर होता है। लेकिन मौसम के बदलने पर यह रोग हमें हमारी लापरवाही के कारण होते है। हमारे द्वारा आप सभी को नीचे कुछ विशेष कारण बताए गए हैं। जिनकी वजह से हमें सर्दी जुखाम होता है, यह जानकारी निम्न प्रकार है-
- विभिन्न प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया से संक्रमित होने पर।
- किसी भी प्रकार का दूषित भोजन करने पर।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम हो जाने पर।
- ठंडी चीजों का अधिक सेवन करने से।
- सर्दी में सर्दी से बचाव ना करने पर।
- बदलते मौसम में मौसम के अनुसार ख्याल ना रखने पर।
- किसी भी प्रकार की एलर्जी होने के कारण।
सर्दी जुकाम के लक्षण? (Symptoms of cold and flu?)
दोस्तों, सर्दी जुकाम होने के आपको विभिन्न प्रकार के लक्षण देखने को मिल जाएंगे। परंतु यदि आप प्रमुख लक्षणों के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा आप सभी को नीचे सर्दी जुखाम के विशेष लक्षणों के बारे में जानकारी दी गई है। यह संपूर्ण जानकारी निम्न प्रकार है-
- लगातार बिना रुके छींक आना
- गले में खराश तथा दर्द का होना
- बदन तथा सर में दर्द होना
- नाक बहने तथा बंद होने की समस्या का होना
- बहुत अधिक थकान महसूस होना
- शरीर का गर्म होना
- सर में दर्द होना
सर्दी जुकाम से कैसे बचें? (How to avoid cold and flu?) –
दोस्तों, यदि आप सभी लोग सर्दी जुकाम से परेशान है क्योंकि यह एक आम बीमारी है। जिससे ज्यादातर लोग परेशान होते हैं। बरसात के मौसम में यदि आप लोग सर्दी जुकाम से बचाव करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा आप सभी को नीचे कुछ सावधानियां के बारे में जानकारी दी गई है। यदि आप इन सभी सावधानियों को बरतते हैं तथा नीचे दी गई संपूर्ण टिप्स का प्रयोग करते हैं। तो आवश्यक तौर पर बरसात के मौसम में सर्दी और जुकाम से बचाव पा सकते हैं। यह जानकारी निम्न प्रकार है-
i) ठंडी चीजों का सेवन करने से बचें:- यदि आपको सर्दी या ज़ुकाम है। तो आपको ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। सर्दियों में विशेषकर आपको ठंडी चीजों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही सर्दी होने पर गुनगुना पानी और गर्म सूप आदि का सेवन करते रहना चाहिए। ताकि सर्दी आपको जल्दी ना लगे और आपका शरीर गर्म बना रहे।
ii) अदरक की चाय का सेवन करें:- दोस्तों, आप सब जानते हैं कि सर्दी लगने पर उसके बचाव हेतु अदरक बहुत अधिक फायदेमंद होती है। साथ ही यदि सर्दियों में आपको जुखाम या सर्दी होती है, तो आप अदरक की चाय पी सकते हैं। अदरक की चाय ज्यादातर लोगों को बहुत अधिक पसंद होती है। यदि वह अदरक का सेवन करते हैं, तो उन्हें सर्दी से बहुत राहत मिलती है।
iii) नमक का गरारा करें:- यदि आपकी नाक बंद है तथा आपके गले में खराश व दर्द है। तो आपको गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करना चाहिए। यदि आप दिन में तीन से चार बार यह गरारा करते हैं, तो बहुत जल्द आपके गले का दर्द व खराश ठीक होती है। साथ ही साथ आपको सर्दी में भी बेहद आराम देखने को मिलता है।
iv) गंदे स्थान में जाने का संक्रमित होने से बचें:- दोस्तों, गंदे स्थानों पर ही सर्दी व जुखाम के वायरस और बैक्टीरिया बहुत अधिक होते हैं। यदि आप गंदे स्थानों पर जाते हैं। तो आप लोग इन से जल्दी संक्रमित होते है। यदि किसी व्यक्ति को जुखाम है और वह किसी गंदे स्थान पर जाता है। तो वह बहुत जल्दी संक्रमित होता है और उसे बुखार आने की बहुत अधिक संभावना होती है। इसलिए आपको गंदे स्थानों पर जाने से बचाव करना चाहिए। साथ ही साथ आपको गंदे कपड़ों का भी इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। साथ में आपको ध्यान रखना होगा कि आप किसी भी जुकाम या सर्दी ग्रसित व्यक्ति के कपड़ों, चीजों का इस्तेमाल ना करें तथा उसके संपर्क में अधिक ना आए।
v) खानपान का रखें ख्याल:- यदि आपको जुकाम व सर्दी है और आपका खाना खाने का दिल नहीं करता है फिर भी आपको अपने खाने-पीने का बहुत अधिक ध्यान रखना चाहिए और हमेशा कुछ ना कुछ खाते रहना चाहिए। यदि आप अपने खाने पीने का ध्यान नहीं रखेंगे, तो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाएगी। जिससे आप बहुत देर में ठीक होंगे।
बीमारी में आपको हल्का खाना लेना चाहिए। साथ ही आपको गर्म तथा ताजा भोजन ग्रहण करना चाहिए। अपने भोजन में आप को तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ानी होंगी जुखाम में आपको खट्टे फलों जैसे:- नींबू, संतरा और मौसमी आदि का सेवन करना चाहिए, परंतु ध्यान रहे आपको इन फलों को फ्रिज में नहीं रखना है। आप सोते समय पर हल्दी वाला दूध अवश्य ग्रहण करें क्योंकि यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बहुत अधिक बढ़ाता है।
2. डायरिया (Diarrhea):-
बारिश के मौसम में डायरिया बहुत अधिक देखने को मिलता है क्योंकि बारिश के मौसम में नदी नाले उफान पर होते हैं और हर जगह नदी नाले के गंदे पानी की गंदगी जम जाती है। जिस कारण डायरिया का विषाणु हर जगह पाया जाता है और यह अधिक से अधिक लोगों को संक्रमित करता है। बारिश के मौसम में यदि आप लोग अतिरिक्त सावधान नहीं रहे, तो आपको डायरिया जैसी बीमारी बहुत ही आसानी से हो सकती है। आप लोगों को बारिश में नहाने तथा मिट्टी में खेलने से बचना चाहिए क्योंकि इन स्थानों पर डायरिया का विषाणु बहुत जल्दी पनपता है, जो आपको संक्रमित कर सकता है।
डायरिया के प्रकार (Types of Diarrhea) –
दोस्तों, डायरिया मुख्यतः तीन प्रकार के वायरस से होता है। रोटा वायरस नोरो वायरस और एडिनो वायरस। डायरिया नामक रोग मानव शरीर में ऊपर दिए गए तीनों प्रकार के वायरस के प्रवेश होने से होता है। डायरिया में नोरोवायरस और रोटोवायरस 5 साल से कम उम्र के बच्चों को बहुत अधिक संक्रमित करने में सक्षम होते हैं, परंतु ऐसा नहीं है कि यह विषाणु वयस्कों को संक्रमित नहीं कर सकता है। यह विषाणु वयस्कों को भी पूरी तरीके से संक्रमित करने में सक्षम होता है, परंतु नोरोवायरस किसी भी उम्र के व्यक्ति को संतुलित करने में सफल माना जाता है। डायरिया मुख्य दो प्रकार का हो सकता है। जो निम्न प्रकार दिया गया है-
- एक्यूट डायरिया
- क्रॉनिक डायरिया
डायरिया सबसे ज्यादा किसमें और क्यो? (Who has diarrhea the most and why?)
ऐसा देखा जाता है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चे डायरिया अधिक संक्रमित होते हैं क्योंकि वयस्कों की तुलना में बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही अधिक संवेदनशील होती है। यदि आप अपने बच्चों के खान-पान और साफ सफाई का ध्यान नहीं रखते हैं, तो उन्हें बहुत जल्दी डायरिया होता है। बच्चों के बाद बुजुर्ग डायरिया की चपेट में अधिक आते हैं। सबसे पहले स्थान पर बच्चों को डायरिया सबसे अधिक होता है। उसके बाद बुजुर्गों को डायरिया अपनी चपेट में लेता है। बुजुर्ग और बच्चों की तुलना में वयस्कों को बहुत कम डायरिया होता है।
डायरिया के प्रमुख कारण? (Causes of Diarrhea?) :-
डायरिया होने के प्रमुख कारण हो सकते हैं। इसके बारे में हमारे द्वारा आप सभी को नीचे जानकारी दी गई है-
- प्रदूषित खाने का सेवन करना जैसे:- बासी व खराब खाना
- आसपास चल रहे वायरल संक्रमण
- प्रदूषित पानी के ग्रहण करने से
- शरीर में पानी की कमी होने से
- पाचन शक्ति के कमजोर होने के कारण
- आंतों में वायरल संक्रमण व किसी भी प्रकार की बीमारी से आंतों के कमजोर हो जाने के कारण
डायरिया के लक्षण? (Symptoms of diarrhea?)-
डायरिया के कुछ मुख्य लक्षण होते हैं। जिनसे आप पता लगा सकते हैं कि आपको डायरिया है या नहीं। यदि आप इन लक्षणो की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। तो इसकी जानकारी नीचे दी गई है-
- बार-बार दस्त का आना
- आंतों में मरोड़ तथा पेट के नीचले हिस्से में दर्द का उठना
- बुखार तथा उल्टी का आना
- डायरिया के जल्दी ठीक ना होने पर डिहाइड्रेशन की स्थिति का उत्पन्न होना
- बहुत अधिक कमजोरी महसूस
डायरिया के उपचार (Diarrhea treatment):-
यदि आप सब लोग डायरिया से बचाव करना चाहते हैं या फिर डायरिया के उपचार हेतु जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा आप सभी को डायरिया के उपचार के बारे में निम्न प्रकार जानकारी दी गई है-
- डायरिया होने पर संक्रमित व्यक्ति को ओ.आर.एस का घोल, नींबू पानी या एक गिलास पानी में नमक और थोड़ी सी शक्कर मिलाकर बार-बार पीना चाहिए। इससे डायरिया के समय पर होने वाली डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) व्यक्ति को नहीं होगी तथा उसकी जल्दी ठीक होने की संभावना बढ़ जाएगी।
- संक्रमित व्यक्ति को फलों का जूस पीना चाहिए। परंतु यह फलों का जूस बाज़ार का नहीं होना चाहिए। साथ ही साथ आप सभी को दूध तथा दूध से बनी चीजों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
- डायरिया से संक्रमित होने पर आप सभी को मिर्च मसाले से बने पदार्थ का सेवन करने से बचना चाहिए।
- डायरिया होने पर ठंडे पानी का सेवन ना करें, बल्कि उबले हुए पानी को ठंडा करके पिए।
- डायरिया के समय पर खाना खाना बंद ना करें। साथ ही भूख लगने पर मूंग दाल की खिचड़ी या फिर साबूदाने का सेवन करें।
- इस प्रकार के संक्रमित रूप में आपको हल्का खाना ग्रहण करना चाहिए।
- डायरिया में आप केले तथा सेब का अधिक से अधिक सेवन करें।
डॉक्टर के पास जाना कब जरूरी है? (When is it necessary to see a doctor?) –
यदि छोटे बच्चे और बुजुर्ग को डायरिया हो, तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए तथा डॉक्टर की सलाह से उपचार करना चाहिए। परंतु यदि व्यस्क को डायरिया होता है, तो उसका आप घरेलू उपचार कर सकते है। लेकिन यदि वयस्क का डायरिया भी घरेलू उपचार से ठीक नहीं होता है, तो आपको जल्दी से जल्द डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
3. स्वाइन फ्लू (Swine flu) –
स्वाइन फ्लू H1N1 एक प्रकार का संक्रमण होता है, जो इनफ्लुएंजा ए वायरस के कारण फैलता है। इनफ्लुएंजा ए वायरस सुअरों में पाया जाता है। स्वाइन फ्लू का अधिकतर खतरा बरसात व सर्दियों के मौसम में होता है क्योंकि उस समय यह वायरस बहुत तेजी से फैलता है।
स्वाइन फ्लू से खतरा (Swine flu threat) :-
वैसे तो स्वाइन फ्लू एक रोग है, जो किसी को भी हो सकता है। इसलिए इस वायरस से हर किसी को खतरा है। परंतु स्वाइन फ्लू से मुख्य तौर पर सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों व बुजुर्गों को होता है क्योंकि छोटे बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है। परंतु जो व्यक्ति पहले से बीमार होता है उसे इनफ्लुएंजा ए वायरस बहुत जल्दी संक्रमित करता है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण? (Symptoms of swine flu?)
यदि आप स्वाइन फ्लू के लक्षण के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। तो हम आपको बता दें कि सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के लक्षण एक जैसे होते हैं। जो कि निम्न प्रकार दिए गए हैं-
- संक्रमित व्यक्ति के मांसपेशियों में दर्द
- शरीर में थकान का महसूस होना
- सर में दर्द होना
- नाक का लगातार बहना, नाक का जाम होना और छींक आना आदि
- दवा खाने के तत्पश्चात बुखार का बढ़ना
- कफ़ और कोल्ड का होना
- लगातार खांसी तथा गले में खराशों का होना
स्वाइन फ्लू का उपचार (Treatment of Swine flu) :-
यदि आप लोग जानना चाहते हैं कि स्वाइन फ्लू होने के बाद आप कौन से उपचार कर सकते हैं। जिससे स्वाइन फ्लू जल्दी ठीक हो जाए, तो हमारे द्वारा आप सभी को नीचे स्वाइन फ्लू के उपचार के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। यह संपूर्ण जानकारी बिंदुओं के माध्यम से निम्न प्रकार दी गई है-
- फ्लू से संक्रमित व्यक्तियों को खासते व सीखते समय अपने मुंह पर टिशु का इस्तेमाल आवश्यक तौर पर करना चाहिए। साथ ही इस्तेमाल के बाद उसे टिशु को डस्टबिन में फेंक देना चाहिए।
- संक्रमित व्यक्ति को अपने हाथ लगातार धुलने चाहिए साथ ही साथ दूसरी अधिक से अधिक चीजों को छूने से बचना चाहिए।
- स्वाइन फ्लू के दौरान संक्रमित व्यक्ति को पानी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।
- साथ ही स्वाइन फ्लू के दौरान डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए तथा डॉक्टर के द्वारा बताई गई दवाइयां का सेवन करना चाहिए और उनकी सलाह को मानना चाहिए।
बारिश के मौसम में अपना ख्याल कैसे रखें? इससे संबंधित प्रश्न व उत्तर (FAQs)
Q:- 1. बारिश के मौसम में अपना ख्याल कैसे रखें?
Ans:- 1. बारिश के मौसम में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचने हेतु आप सभी को अपने खाने पीने का बहुत ध्यान रखना होगा। साथ ही आपको अपने घर, कपड़ों आदि में साफ सफाई रखनी होगी। ताकि आप किसी भी प्रकार के वायरस से संक्रमित ना हो। साथ ही बारिश के मौसम में आपको मिट्टी व पानी में खेलने से बचना चाहिए।
Q:- 2. बारिश के मौसम में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता क्यों होती है?
Ans:- 2. बारिश के मौसम में बहुत सारे बैक्टीरिया और वायरस अधिकार मात्रा में पनपते हैं। साथ ही बहुत ही जल्दी एक स्थान से दूसरी स्थान तक स्थानांतरित होते हैं। यदि आप बारिश के मौसम में सावधानी नहीं बरतेंगे। तो आपको बीमारी होने की अधिक संभावना होती है। इसीलिए आपको बारिश के मौसम में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
Q:- 3. बारिश के मौसम में कौन सी बीमारियां अधिक होती है?
Ans:- 3. बारिश के मौसम में बैक्टीरिया और वायरस बहुत अधिक अनुकूल स्थिति में होते हैं। इसीलिए बैक्टीरिया व वायरस के द्वारा होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे:- सामान्य जुकाम, बुखार खराशें, डायरिया और स्वाइन फ्लू आदि बारिश के मौसम में अधिक होती हैं।
Q:- 4. स्वाइन फ्लू क्या है और कौन से वायरस से होता है?
Ans:- 4. स्वाइन फ्लू H1N1 एक प्रकार का संक्रमण होता है। इसके लक्षण बिल्कुल सामान्य फ्लू के लक्षण के समान होते हैं। स्वाइन फ्लू इनफ्लुएंजा ए वायरस के कारण होता है। यह वायरस सुअरों में अधिक मात्रा में पाया जाता है। जो बारिश के मौसम में एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरित होता है।
Q:- 5. डायरिया सबसे अधिक किसे प्रभावित करता है?
Ans:- 5. डायरिया सबसे अधिक 5 वर्ष के बच्चों को संक्रमित करता है। इसके पश्चात यह बुजुर्गों को अपनी चपेट में लेता है,परंतु ऐसा नहीं है कि वयस्कों को डायरिया नहीं होता है, लेकिन बुजुर्गों और बच्चों की तुलना में वयस्कों को बहुत कम डायरिया होता है।
Q:- 6. डायरिया कौन कौन से वायरस से होता है तथा डारिया कितने प्रकार का होता है?
Ans:- 6. डायरिया मुख्य प्रकार से तीन वायरस से होता है। रोटावायरस, नोरोवायरस और एडिनोवायरस। एडिनोवायरस किसी भी उम्र के व्यक्ति को डायरिया करने में सक्षम होता है। इन तीनों प्रकार के वायरस से मुख्य दो प्रकार के डायरिया होते हैं- एक्यूट डायरिया और क्रॉनिक डायरिया।
निष्कर्ष (Conclusion):- आज हमारे द्वारा आप सभी को इस लेख में How to do take care of yourself in rainy season? के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। साथ ही साथ बरसात के मौसम में होने वाली बीमारियों के लक्षणों उनके विचारों के बारे में भी जानकारी दी गई है। हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी का प्रयोग करके आप बहुत सारी बीमारियों से बचाव कर सकते हैंम हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप सभी को हमारी यह जानकारी फायदेमंद लगी हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताइए। साथ ही इस लेख को अपने सभी दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ अवश्य शेयर करें। इससे संबंधित और अधिक जानकारी को प्राप्त करने के लिए हमारी वेबसाइट के साथ जुड़े रहिए।