शिशुओं के लिए चीकू खिलाने के फायदे, नुकसान व रेसिपी | Chikoo (Sapota) For Baby

सभी पेरेंट्स अपने बच्चों के खानपान एवं आहार का पूरा ध्यान रखते हैं। वह पूरा प्रयास करते हैं कि उनका बच्चा स्वस्थ रहे और उसके शरीर में किसी भी प्रकार के पौष्टिक आहार की कमी ना हो पेरेंट्स अपने बच्चों को हर बीमारी से बचाने का प्रयास करते हैं। बच्चों को विभिन्न फलों का सेवन कराया जाता है जिसमें एक चीकू भी है परंतु शिशुओं के लिए चीकू फायदेमंद है (Chikoo ke fayde)या नहीं इसके विषय में जानकारी सामान्यता नहीं होती।

किस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शिशु के लिए चीकू के फायदे, नुकसान ब उसकी रेसिपी (sapota ke Fayde,Nuksan, Recipe) के बारे में बताएंगे। यदि (benefits of chiku) आप भी  टॉपिक के विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

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क्या छोटे बच्चों को चीकू दिया जा सकता है ?

चीकू में बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। चीकू में विटामिन कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शिशु को पौष्टिकता प्रदान करते हैं। एक रिसर्च के अनुसार 6 महीने से ऊपर के शिशु को विटामिन युक्त फलों का सेवन कराना चाहिए।

शिशुओं के लिए चीकू खिलाने के फायदे, नुकसान व रेसिपी Chikoo (Sapota) For Baby

 इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि छोटे बच्चों को चीकू खिलाना बिल्कुल सुरक्षित है।(Sapota ki suraksha) यह बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

शिशु के आहार में चीकू कब शामिल कर सकते हैं?

जब शिशु की उम्र 6 माह से ऊपर हो जाती है (sapota sevan ki  sahi age) तब उसे मां के दूध के अलावा अन्य पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। जिन्हें ताजे रंगीन फलों को खिलाकर या अन्य पौष्टिक चीजों को फैलाकर पूरा किया जाता है।

 चीकू में बहुत सारे पौष्टिक आहार पाए जाते हैं जिन्हें खिलाकर शिशु के शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है। इसलिए 6 महीने से ऊपर के बच्चों को चीकू खिलाना प्रारंभ कर देना चाहिए।

चीकू में पोषक तत्व

प्रति 100 ग्राम चीकू में पोषक तत्वों की मात्रा –

  • प्रति 100 ग्राम चीकू में 78 ग्राम पानी, 83 केसीएएल ऊर्जा, 0.44 ग्राम प्रोटीन, 1.1 ग्राम टोटल फैट, 20 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 5.3 ग्राम फाइबर होता है।
  • मिनरल्सकी बात करें, तो 100 ग्राम चीकू में 21 मिलीग्राम कैल्शियम, 0.8 मिलीग्राम आयरन, 12 मिलीग्राम मैग्नीशियम, 12 मिलीग्राम फास्फोरस, 193 मिलीग्राम पोटेशियम, 12 मिलीग्राम सोडियम, 0.086 मिलीग्राम कॉपर और 0.1 मिलीग्राम जिंक भी होता है।
  • इसके अलावा, 100 ग्राम चीकू में विभिन्न विटामिन भी होते हैं। इसमें 14.7 मिलीग्राम विटामिन सी, 0.2 मिलीग्राम नियासिन, 14 माइक्रोग्राम फोलेट, 34.4 मिलीग्राम कोलीन, 60 IU विटामिन ए और 0.037 मिलीग्राम विटामिन बी6 होता है।
  • वहीं, 100 ग्राम चीकू में 0.194 ग्राम सैचुरेटेड फैटी एसिड, 0.521 ग्राम मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड और 0.011 ग्राम पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड भी होते हैं।

शिशु को चीकू खिलाने के फायदे | Chikoo Benefits For Baby

चीकू के क्या-क्या फायदे हैं (sapota ke fayde)तथा इसमें कितने पौष्टिक आहार की पूर्ति होती है। इसके विषय में नीचे पॉइंट्स के माध्यम से जानकारी दी गई है।

स्वस्थ शरीर के लिए –

शिशु को मां के दूध के अलावा 6 महीने के पश्चात अन्य पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है जो उसके शरीर को जरूरत है जिसकी पूर्ति के लिए विभिन्न पौष्टिक आहार का सेवन कराया जाता है ।

इनमें फल भी शामिल है इन्हीं पौष्टिक आहार की पूर्ति के लिए चीकू का सेवन कराना आवश्यक है। चीकू में एंटी ऑक्सीडेंट मिनरल विटामिन डाइटरी फाइबर पाए जाते हैं जो शिशु के शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं और एक स्वस्थ शरीर का निर्माण करते हैं।

कब्ज से बचाए –

छोटे बच्चों का पाचन तंत्र कमजोर होता है इसके कारण उन्हें अक्सर कब्ज की समस्या होती है। कब्ज की समस्या सही करने के लिए डाइटरी फाइबर की आवश्यकता होती है डाइटरी फाइबर चीजों में पाया जाता है।

 चीकू खिलाने से शिशु के अंदर समानता पाई जाने वाली कब्ज की समस्या सही हो जाती है एवं शरीर में अन्य पौष्टिक आहार की भी पूर्ति होती है।

सर्दी-खांसी के उपचार में –

छोटे शिशु का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है जिसके कारण किसी प्रकार का संक्रमण उन्हें जल्दी ही प्रभावित कर जाता है। वयस्क बच्चों के मुकाबले में छोटे बच्चों के अंदर सर्दी खांसी की समस्या आम देखी जाती है।

 चीकू खिलाने से बच्चों की सर्दी खांसी में आराम मिल सकता है। चीकू मैं एंटी बैक्टीरियल एंटी वायरल गुण पाए जाते हैं जो शिशु को सर्दी खांसी से बचाने में मदद करते हैं।

दस्त के इलाज में –

चीकू में फाइबर के गुण पाए जाते हैं। यदि बच्चे को भाई डायरिया या दस्त की समस्या बन जाती है। तो चीकू का काढ़ा पिलाने से यह समस्या कम होने में मदद मिल सकती है चीकू में एंटी डाय रियल गुण पाए जाते हैं।

 चीकू फाइबर युक्त होता है जिसके कारण यह पेट के पाचन तंत्र को सही बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए सही मात्रा में चीकू का सेवन करने से पेट संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

इम्युनिटी बढ़ाए –

छोटे बच्चों इम्यून सिस्टम कमजोर होता है छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। चीकू शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है और शरीर को विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने में मदद करता है।

 एक शोध के अनुसार भी यह साबित हो चुका है कि चीकू शरीर की इम्यूनिटी बनाए रखने में मददगार है। इसलिए छोटे बच्चों को चीकू का सेवन अवश्य कराना चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए –

बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए एक बहुत कारगर उपाय हो सकता है। छोटे बच्चों में छोटी-छोटी समस्याओं के कारण उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ सकती है। इस को स्थिर एवं स्वस्थ बनाए रखने के लिए चीकू का सेवन करना चाहिए।

चीकू का सेवन करने से आनंद या एनएसआईटी जैसी समस्याओं में कमी पाई जाती है इसलिए चीकू का सेवन मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है।

लिवर स्वास्थ्य के लिए –

लिवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए चीकू एक बहुत पौष्टिक आहार माना जाता है। यह लीवर में पाई जाने वाली सारी कमियों को दूर करता है। चीकू में फ्लेवोनॉयड्स, कैरेटोनाइट्स व एस्कॉर्बिक एसिड जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स से समृद्ध होता है, जो हेपेटोप्रोटेक्टिव प्रभाव प्रदर्शित करते हैं।इसलिए लीवर स्वस्थ बनाए रखने के लिए चीकू का लगातार सेवन करते रहना चाहिए।

एनर्जी –

चीकू मैं हाई एनर्जी पाई जाती है शरीर को एलर्जी की आवश्यकता होती है। बिना एनर्जी के शरीर पर जान प्रतीत होता है चीकू में केले के बराबर  केलरीज पाई जाती हैं जो शरीर को अंदर जाते बनाने में मदद करती हैं।

 चीकू का लगातार सेवन करने से शरीर में किसी भी प्रकार की एनर्जी  कमी नहीं होती।

छोटे बच्चों में चीकू खाने के नुकसान

छोटे बच्चों को हर चीज का सेवन सीमित मात्रा में कराना चाहिए। यदि किसी चीज का सेवन बच्चों को ओवर करा दिया जाता है तो वह बच्चे के शरीर को नुकसान (sapota sevan ke nuksaan) पहुंचा सकता है।

नीचे पॉइंट के माध्यम से चीकू खाने के कुछ नुकसान  के विषय में बताया गया है।

  • चीकू में शुगर की मात्रा अधिक होती है। बच्चों का इन्सुलिन लेवल सही बनाए रखने के लिए चीजों का सेवन सीमित मात्रा में कराना चाहिए।
  • चीकू के बीच में सपोटेनिं नामक केमिकल पाया जाता है। जो पेट के दर्द की समस्या का कारण होता है इसलिए ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा कभी भी चीकू का बीज ना निगले।
  • चीकू में लेटेक्स और टेनिन की मात्रा पाई जाती है जिसके कारण चीकू खाने से मुंह का स्वाद कड़वा हो जाता है।
  • कच्चा चीकू खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। कच्चा चीकू खाने से अस्थमा या सांस की समस्या होने का खतरा होता है।
  • चीकू में सपोनिन कंपाउंड पाया जाता है जिसके कारण मुंह का स्वाद ड्राइ हो जाता है।
  • कच्चे चीकू के सेवन से मुंह में अल्सर और गले में खुजली हो सकती है। इसलिए कच्चे चीकू का सेवन कम से कम करना चाहिए।
  • चीकू में कैलरी की मात्रा अधिक होती है इसलिए अधिक चीकू का सेवन करने के कारण वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है।
  • कच्चा चीकू खाने से दस्त एवं त्वचा में जलन हो सकती है।

छोटे बच्चों को चीकू देते समय बरती जाने वाली सावधानियां

छोटे बच्चों को चीकू खिलाना एक पौष्टिक आहार माना जाता है परंतु चीकू खाते समय कुछ सावधानियां बरतने (sapota sevan me savdhani) की आवश्यकता है। यदि यह सावधानियां नहीं बढ़ती जाती तो चीकू नुकसानदायक भी हो सकता है।

 नीचे पॉइंट के माध्यम से कुछ जरूरी चीजों को ध्यान में देने की आवश्यकता की जानकारी दी गई है।

1. बच्चे को हमेशा पक्का चीकू खाने को देना चाहिए चीकू खिलाने से पहले उसे अच्छे से धो लेना चाहिए और उसका  छलका एवं बीज निकालकर बच्चे को मैच करके चीकू देना चाहिए।

2. अगर बच्चे के दांत नहीं आए हैं तो बच्चे को फ्यूरी बनाकर बच्चे को अच्छे से खिला सकते हैं।

3. हमेशा ताजा जी को ही खरीदना चाहिए यदि चीकू में किसी प्रकार के दाग हैं.या वह आपको हल्का खराब मालूम पड़ रहा है तो उसे कभी भी नहीं खरीदना चाहिए।

4. अगर चीकू सूंघने पर उसमें अजीब प्रकार की दुर्गंध या या बदबू आती है तो ऐसे चीकू का कभी भी सेवन नहीं करना चाहिए।

5. बच्चे की आहार में सीमित मात्रा में चीकू शामिल करना चाहिए यदि बच्चे को चीकू से एलर्जी है तो कभी भी उसे चीकू नहीं खिलाना चाहिए।

6. चीकू का बीज निकालकर ही बच्चे को खाने को देना चाहिए। अगर गलती से भी बच्चे ने चीकू का बीज निकाल लिया तो उसे पेट संबंधी समस्या हो सकती है और उसकी तबीयत खराब हो सकती है।

शिशुओं के लिए चीकू की रेसिपी

चीकू को फल के रूप में खाने पर यदि किसी को पसंद नहीं आ रहा है तो इसके उपाय के रूप में हमने आपको चीकू की तीन रेसिपीज (Sapota ki recipes)के विषय में जानकारी दी है।

 चीकू को बताए गए स्टेप्स में पकाकर आप चीकू को और स्वादिष्ट बना सकते हैं।

1.चीकू प्युरी

सामग्री:

1 या 2 ताजा व पका हुआ चीकू

आधा कप दूध (इच्छानुसार)

बनाने की विधि:

  • चीकू को धोकर छील लें।
  • फिर इसके बीज निकालकर अच्छे से मैश करें और प्यूरी बना लें।
  • अब इसे थोड़ा पतला करने के लिए इसमें दूध मिला सकते हैं।
  • बस तैयार है बच्चे के लिए चीकू प्यूरी

2. चीकू मिल्क शेक

सामग्री:

1 ताजा व पका हुआ चीकू

आधा कप दूध

आधा छोटा चम्मच चीनी

बनाने की विधि:

  • चीकू मिल्क शेक रेसिपी के लिए चीकू को धोकर छील लें।
  • फिर उसके बीज निकालकर गूदा अलग कर लें।
  • अब मिक्सर में चीकू का पल्प, दूध और इच्छानुसार चीनी मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें।

3. चीकू केला शेक

सामग्री:

1 ताजा व पका हुआ चीकू

1 पका हुआ ताजा केला (छोटे टुकड़ों में कटा हुआ)

एक कप दूध

बनाने की विधि:

  • चीकू को धोकर छील लें और बीज निकालकर छोटे टुकड़े में काटें।
  • अब इसमें कटे हुए केले के छोटे टुकड़े मिलाएं।
  • इसके बाद दूध मिलाकर अच्छे से मैश कर लें।
  • फिर इसे किसी कटोरी या ग्लास में निकाल लें।
  • बस तैयार है चीकू केला मैश।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)

Q. चीकू को कितने उम्र से बड़े बच्चों को खिलाना शिशु के लिए फायदेमंद होता है?

6 माह से बड़े शिशुओं को चीकू खिलाना फायदेमंद होता है।

Q. चीकू में कौन-कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?

चीकू में प्रोटीन विटामिन फैट मिनरल्स पोटेशियम मैग्नीशियम फाइबर से पोषक तत्व पाए जाते हैं।

Q. चीकू किन-किन चीजों के लिए लाभकारी है?

चीकू लिवर को स्वस्थ रखने में मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में एनर्जी देने में दस्त के इलाज आदि बहुत सारी चीजों में लाभकारी माना जाता है।

Q. चीकू के क्या क्या नुकसान हो सकते हैं?

चीकू में गैलरीज पाए जाते हैं जिसके कारण यह भजन बढ़ाता है कच्चा चीकू पेट के लिए हानिकारक होता है।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको शिशुओं के लिए चीकू के फायदे, नुकसान व रेसिपी Chikoo (Sapota) For Baby के विषय में जानकारी प्रदान की है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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