दिवाली क्यों मनाई जाती है? कारण, महत्व, इतिहास और दिवाली कैसे मनाएं?

हमारे भारतवर्ष में तरह-तरह के त्योहारों को मनाया जाता है लेकिन इन सभी त्योहारों में दिवाली का सामाजिक एवं धार्मिक दोनों दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है। इस पर्व को हिंदुओं के अतिरिक्त सिख बौद्ध एवं जैन धर्म के लोग भी बड़ी धूमधाम से बनाते हैं. दिवाली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है परंतु अधिकांश लोग दिवाली क्यों मनाई जाती है, इसका महत्त्व क्या है? (Diwali kyon Manayi jaati hai, iska mahatva kya hai?) के बारे में नहीं जानते हैं।

असल में जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में तथा सिख समुदाय बंदी छोड़ दिवस के रुप में मनाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार दिवाली के दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास व्यतीत करने के पश्चात अयोध्या वापस लौटे थे तो उस रात सघन काली अमावस्या थी श्री राम के अयोध्या वापस आने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने घी के दिए जलाए थे जिसकी वजह से अमावस की काली रात दीपक के उजालों से जगमग उठी थी तब से ही हमारे देश में हर साल दिवाली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

दिवाली की तैयारी घरों में कई सप्ताह से ही शुरू हो जाती है इस पर्व के आने से पहले लोग अपने घरों दुकानों की सफाई मरम्मत और रंग कराने लगते हैं। यही कारण है कि दिवाली त्योहार के पहले से भारत देश के अधिकतर गली मोहल्ला की रौनक अलग ही दिखाई देती है। अगर आप भी जानना चाहते हैं दिवाली का महत्व क्या है? (What is the significance of Diwali?) तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

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दीपावली क्या है? What is Diwali?

आप सभी यह बात जानते हैं कि भारतवर्ष में अलग-अलग समुदाय एवं वर्ग के लोग निवास करते हैं जिसकी वजह से यहां प्रतिवर्ष कई त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाते हैं लेकिन इन सभी त्योहारों में दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसे हर एक समुदाय कब व्यक्ति अपने परिवार के साथ बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है दीपावली त्यौहार शरद ऋतु में मनाया जाने वाला एक प्राचीन सनातन त्यौहार है जिसे कार्तिक अमावस्या की काली रात में मनाया जाता है। आध्यात्मिक रूप से दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है।

दिवाली क्यों मनाई जाती है? कारण, महत्व, इतिहास और दिवाली कैसे मनाएं?

दिवाली के संबंध में लोगों के बीच कई सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं कुछ लोगों का मानना है कि यह त्योहार भगवान श्री राम के वापस अयोध्या आने के उपलक्ष में मनाया जाता है तथा कुछ लोगों के बीच यह जानना है कि भगवान श्री कृष्ण के द्वारा नरकासुर वध किए जाने की खुशी में लोग इसे मनाते है। दीपावली के दिन सभी लोग अपने परिजनों के साथ मिलकर खरीदारी करते हैं और एक दूसरे को उपहार मिठाइयां वितरित करते हैं तथा रात के समय तेल अथवा घी के दीए जलाकर लक्ष्मी माता की आराधना करते हैं।

लोगों का ऐसा मानना है कि इस दिन समृद्धि की देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर का पूजन करने पर परिवार में धन आता है ऐसे बहुत से लोग हैं जो दिवाली का इतिहास और इसके महत्व के बारे में अधिक नहीं जानते हैं इसलिए आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको Diwali manane ke mahatva aur iske itihaas से जुड़ी हर एक जानकारी प्रदान करेंगे।

दीपावली का इतिहास क्या है? (What is the history of Diwali?)

दीपावली एक ऐसा पर्व है जो रामायण काल से संबंध रखता है माना जाता है कि जब भगवान श्री राम चन्द्र जी ने माता सीता को रावण की कैद से छुटवाया था, जिसके बाद माता सीता ने अग्नि परीक्षा लेकर 14 वर्ष के उपरांत भगवान राम माता सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आए थे जिसके उपलक्ष में अयोध्या में निवास करने वाले लोगो ने दीपक जलाए। परंतु क्या आप जानते है कि अयोध्या में दिवाली का त्यौहार केवल 2 वर्ष तक ही मनाना गया।

जिसके बाद दीपावली का उल्लेख पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में मिलता है लोगो के मातो के अनुसार सूर्य प्रकाश और ऊर्जा का आलौकित स्त्रोत माना जाता है जो कि हिंदू कैलंडर के अनुसार कार्तिक माह में अपनी स्तिथि बदलता है। भारत में कुछ ऐसे भी क्षेत्र है जहां दीपावली को भगवन यमराज और नचिकेता की कथा जो सही बनाम गलत, ज्ञान बनाम अज्ञान, सच्चा धन बनाम क्षणिक धन आदि के बारे मे दर्शाता है

और लोगो को एक दूसरे के साथ जोड़ाता है। यह एक ऐसा त्योहार हैं जिसमें लोग अपने घरों में साफ सफाई करने के साथ घरों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते है। यही कारण है कि दीपावली से कुछ दिन पहले ही लोगो के घरों में बहुत अधिक रौनक देखने को मिलती है।

दीपावली का महत्व

दीपावली का त्यौहार केवल भारतीयो के लिए ही नही बल्कि भारत के पड़ोसी देश नेपाल के लिए भी काफी महत्पूर्ण है क्योंकि इस दिन नेपाल संवत में नया वर्ष शुरू होता है। इसके अलावा इससे बड़े शॉपिंग सीजन के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि दीपावली के समय में लोग नए वाहन, सोने के गहने, उपहार, रसोई के बर्तन आदि खरीदते है।

शॉपिंग करने के साथ ही इस दिन घर के बड़े बच्चों को अच्छाई और बुराई, प्रकाश और अंधकार के बीच हुई लड़ाई ओं की प्राचीन कहानियां कथाओं के बारे में बताते है। इसके अलावा व्यस्क बच्चे आदि आतिशबाजी का मजा लेते हैं और दूसरों की सहायता करते हैं। इसके अलावा सभी लोग अपने घरों में पूरे रीति-रिवाजों के साथ धन की देवी लक्ष्मी और कुबेर भगवान की पूजा करते है।

परंतु दीपावली को पूरे रीति-रिवाजों से बनाने के तरीके कुछ ही लोग जानते हैं इसलिए हम अपने इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से आप सभी के लिए Riti Riwajon Se Dipawali Kaise Manae? के बारे में बताएंगे।

दिवाली क्यों मनायी जाती है?

दीपावली को लेकर कई कहानियां और कथाएं लोकप्रिय है। हिंदू मान्यताओं और कथाओं के अनुसार जब भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आए थे तो उनके स्वागत में अयोध्या वासियों ने घी के दिए जलाए थे और वही कुछ कहानियों के अनुसार दीपावली एक ऐसा दिन है जब श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था हालांकि उस राक्षस का नाम नरकासुर नहीं था

लेकिन वह लोगों को ऐसी यातना देता था कि उनके जीवन को नर्क बना देता था इसलिए लोग उस राक्षस को नरकासुर के नाम से जाने लगे जब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया तो लोगों ने घी के दिए जलाकर उत्सव बनाया। और पूरे उल्लास और उत्साह के साथ पटाखे जलाएं।

इसके अलावा इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के उत्सव के रूप में भी बनाया जाता है इस दिन हमारे भारत देश में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी मेले लगते हैं और लोग एक दूसरे के साथ मिलकर दिए जलाते हैं।

दिवाली मनाने की के पीछे पौराणिक कथाएं

पूरे संसार में दिवाली से जुड़ी कई सारी पौराणिक कथाएं एवं घटनाएं मौजूद हैं जिनकी वजह से अलग-अलग समुदाय एवं देश के लोग दीपावली को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं ऐसी ही कुछ पौराणिक कथाओं के बारे में हमने नीचे बताया है जो निम्नलिखित प्रकार से नीचे बताई गई है जैसे-

दीपावली को कहा जाता है फसलों का त्यौहार

संसार के सभी लोगों के अतिरिक्त दीपावली का त्यौहार सबसे अधिक किसानों के लिए लोकप्रिय है और प्रतिवर्ष किसान इसे पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं इसका प्रमुख कारण यह है कि दिवाली के त्योहार के समय खरीफ की फसलें पूरी तरह से पक कर तैयार हो जाती हैं और इन्हें काटने का समय होता है।

 यही कारण है कि सभी किसान दीपावली को अपनी समृद्धि का संकेत मानते हैं और बड़े उत्साह के साथ अपने घरों को सजा कर लक्ष्मी माता की आराधना करते हुए दीपावली का उत्सव मनाते हैं।

सिख धर्म के लिए भी खास है यह दिन

दिवाली केवल हिंदू धर्म के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि सिख धर्म के लोगों के लिए भी एक बहुत महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि दिवाली के दिन ही मुगल बादशाह ने सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह को कैद किया था। लोगों का ऐसा मानना भी है मुगल बादशाह को किसी फकीर ने कहा था कि गुरु जी को आजाद कर दो जिसकी बात मानते हुए मुगल बादशाह ने हरगोविंद सिंह जी को आजाद कर दिया था। अपने क्षेत्र के गरीब की आजादी की खुशी में सिख समुदाय के लोग दीपावली का त्यौहार मनाते हैं

प्रकाश के पर्व में जगमगा उठता है पूरा संसार

दिवाली को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि दिवाली के दिन हर शहर कस्बा और गांव में लोग हजारों दियो को जलाते हैं जिसकी वजह से पूरा संसार जगमगाता है। दिवाली का अर्थ केवल दीए जलाकर बाहरी प्रकाश के लिए नहीं है बल्कि अंदरूनी प्रकाश होना भी बेहद आवश्यक है। और प्रकाश का सीधा अर्थ स्पष्ट का होता है बिना स्पष्टता के आप दूसरों को अपने गुणों के बारे में नहीं डरता पाएंगे जो आपके लिए बाधाएं बन सकती है।

देवी शक्ति ने धारण किया था महाकाली का रूप

जब संसार में राक्षसों का आतंक बढ़ गया था तब माता शक्ति ने राक्षसों कब बंद करने के लिए महाकाली का रूप धारण किया था। महाकाली ने राक्षसों का विनाश किया लेकिन उसके बाद भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ जिसकी वजह से पूरे संसार में खलबली मच गई थी जिसके बाद भगवान शंकर ने माता महाकाली का क्रोध शांत करने के लिए उनके सामने लेट गए थे जब महाकाली ने भगवान शिव के ऊपर अनजाने में अपना पैर रखा तो महाकाली का क्रोध शांत हो गया जिसकी वजह से दिवाली के त्यौहार को शांत रूप से माता लक्ष्मी का पूजा करके भी मनाया जाता है तथा इसी पौराणिक कथा के आधार पर दीपावली अधिकतर लोग अपने घरों में माता सती के रौद्र रूप महाकाली की पूजा करते है।

दीपावली के दिन हुआ था राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक

राजा विक्रमादित्य का नाम आप सभी ने जरूर सुना होगा क्योंकि यह चीन भारत के महान सम्राटों में से सबसे आदर्श राजा थे यह एकमात्र ऐसे सम्राट हुए हैं जो लोगों के बीच अपनी उदारता साहस और विद्वानों के संरक्षण के लिए जाने जाते थे। कहा जाता है कि जब राजा विक्रमादित्य का राज अभिषेक हुआ था तो उस दिन कार्तिक माह की अमावस्या थी यानी कि दीपावली का दिन था। इसलिए राजा विक्रमादित्य के राज्य अभिषेक होने पर लोगों ने भी अपने घरों में दिए जलाकर बहुत खुशियां मनाई थी और आज भी दीपावली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।

दीपावली से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण

  • दिवाली के दिन सभी लोग अपने घरों में माता लक्ष्मी और कुबेर तथा गणपति महाराज की स्थापना कर पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं।
  • लोगों के द्वारा ऐसा भी कहा जाता है कि अगर कोई सच्चे मन से दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करता है तो उसके घर में धन की कभी कमी नहीं होती है।
  • दिवाली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष में पूरे संसार में मनाया जाता है।
  • यह महोत्सव लोगों को स्मरण दिलाता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों ना हो लेकिन  सच्चाई और अच्छाई की हमेशा जीत होती है.
  • इस दिन लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं तथा मिठाइयां खिलाकर खुशियां बांटते हैं।
  • कार्तिक पूर्णिमा की अमावस्या को मनाए जाने वाले इस पर्व की रात लोग दिए जलाते है और आतिशबाजी करते हैं।

Diwali kyon Manayi jaati hai Related FAQs

दीपावली क्यों मनाई जाती है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम के 14 वर्ष वनवास पूरे करने के बाद अयोध्या वापस आने के उपलक्ष में दीपावली मनाई जाती है हालांकि अलग-अलग धर्मों में इसकी अलग-अलग धारणाएं हैं।

दिवाली पर क्या होता है?

पानी पर लोग अपने घरों की साफ-सफाई करके उन्हें रंगबिरंगा सजाते हैं और रात के समय दिए जलाकर अपने दोस्तों एवं परिजनों के साथ आतिशबाजी करते है।

दिवाली पर किस भगवान की पूजा की जाती है?

दिवाली के शुभ अवसर पर समृद्धि की देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर, गणेश भगवान और माता सती के रौद्र रूप महाकाली की पूजा की जाती है।

दीपावली का दिन सिख धर्म के लोगों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

सिख समुदाय के लोगों के लिए दीपावली का दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस मुगल बादशाह ने के छठवें गुरु गोविंद सिंह को अपनी कैद से आजाद किया था जिसके बाद सिख समुदाय के लोगों ने अपने गुरु की आजादी के उपलक्ष में दीपावली का उत्सव मनाया।

निष्कर्ष

आज हमने आप सभी के लिए अपने इस आर्टिकल के माध्यम से दीपावली क्या है? दीपावली का महत्व इत्यादि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान कर दी है आशा करते हैं कि अब आप दीपावली के महत्व और दीपावली पर्व किस लिए मनाया जाता है? के संबंध में हर एक जानकारी प्रदान कर चुके हैं अगर अभी भी आपके मन में दीपावली से संबंधित कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं हम आपके सभी प्रश्नों का जवाब जल्दी प्रदान करेंगे तब तक आप हमारी वेबसाइट के साथ बने रहे।

Mukesh Chandra

मुकेश चंद्रा ने बीटेक आईटी से 2020 में इंजीनियरिंग की है। वह पिछले 5 साल से सामाजिक.इन पर मुख्य एडिटर के रूप में कार्यरत हैं, उन्हें लेखन के क्षेत्र में 5 वर्षों का अनुभव है। अपने अनुभव के अनुसार वह सामाजिक.इन पर प्रकाशित किये जानें वाले सभी लेखों का निरिक्षण और विषयों का विश्लेषण करने का कार्य करते है।

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