बच्चों में मिर्गी के लक्षण और उसको ठीक करने के उपाय

माता-पिता अपने बच्चों को बहुत प्रेम करते हैं। वह चाहते हैं कि उनका बच्चा हमेशा स्वस्थ रहे वह अपने बच्चों को एक अच्छी डाइट प्रदान करने का प्रयास करते हैं। जिससे उनके बच्चे के शरीर में कभी भी किसी प्रकार की बीमारी ना लगे। और उनका बच्चा हमेशा पोषक तत्वों से भरपूर रहे। जिससे उसका शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से हो परंतु कई बार बच्चों को बहुत सारी बीमारियां लग जाती हैं उनमें से एक है मिर्गी यानी कि (Epilepsy kya hai) एपिलेप्सी। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपके बच्चों में मिर्गी के लक्षण (Epilepsy ke symptoms,upchaar)और उसको ठीक करने के उपाय के विषय में बताएंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

मिर्गी या एपिलेप्सी क्या है? 

मिर्गी चौथे नंबर का सबसे बड़ा (Epilepsy kya hai? )न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हैं। यह बच्चों से लेकर वयस्क या बूढ़े किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। जब व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ता है। तब उसकी सोचने समझने की क्षमता खत्म हो जाती है। और उसके पूरे शरीर की मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है। 

बच्चों में मिर्गी के लक्षण और उसको ठीक करने के उपाय

हर बच्चे में मिर्गी के दौरे के लक्षण और उसका प्रभाव अलग-अलग होता हैं। हर बच्चे को यह अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है और अलग तरीके से ही बच्चों के अंदर उसके असर देखने को मिलते हैं। जिस हिसाब से बच्चे की उम्र होती है उसे हिसाब से इसके इफेक्ट बच्चों के अंदर आते हैं।

 मिर्गी को दवा के माध्यम से आसानी से ठीक किया जा सकता है और उसको कंट्रोल में लाया जा सकता है। जब व्यक्ति को मिर्गी का दौर आता हैं। तब वह गिर सकता है या उसके मुंह से झाग आने लगते हैं। कभी-कभी मिर्गी का दौरा आने पर बच्चों का शरीर बुरी तरीके से झटका करने लगता है। 

मिर्गी के लक्षण क्या है? 

मिर्गी के क्या-क्या लक्षण होते हैं (Epilepsy ke symptoms)और इसे कैसे पहचाना जा सकता हैं। उसे नीचे पॉइंट्स के माध्यम से स्पष्ट किया गया है। 

  • जब बच्चा किसी एक दिशा में टकटक की निगाह से देखा है तो यह मिर्गी का एक लक्षण होता है। 
  • बच्चों के शरीर की मांसपेशियों में दर्द होता है। 
  • बच्चों के शरीर में सरसराहट होती है। 
  • वस्तु की पहचान में मुश्किल डिप्रेशन
  • भावनात्मक परिवर्तन सांस लेने में समस्या। 
  • ऐसी गंध महसूस करना जो वास्तविकता में नहीं है
  • समझने में परेशानी त्वचा के रंग में बदलाव
  • बोलने में परेशानी

बच्चों में मिर्गी का दौरा पड़ने के कारण

बच्चों में मिर्गी का दौरा पड़ने के (Bacho me Epilepsy ke reason)कई कारण हो सकते हैं। इनमें से एक मुख्य कारण अनुवांशिक हो सकता है या फिर बच्चों के शरीर में कोई ऐसी कमी होती हैं। जिसके कारण उसे मिर्गी के दौरे आते हैं बच्चों में मिर्गी के डोरो के कुछ कर्म के विषय में नीचे स्पष्ट किया गया है। 

  • बच्चों के सिर में चोट लगाना
  •  मस्तिष्क के आकार में बदलाव होना
  •  संक्रमण होना 
  • ब्रेन ट्यूमर
  •  स्ट्रोक 
  • ऑटिज्म 
  • जन्म से पहले की चोट 
  • आनुवांशिक कारण 
  • विकास संबंधी दोष

बच्चों में मिर्गी के प्रकार

बच्चों में मिर्गी के साथ प्रकार होते हैं (Epilepsy ke types)सामान्यत यह इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चों के न्यूरॉन्स उसके मांसपेशियों में कैसा सामंजस्य बैठा हुआ है। जो बच्चे को मिर्गी का दौरा पड़ता है। तब उसकी न्यूरॉन्स और मांसपेशियों में सही सामंजस्य से नहीं बैठ पाता। 

जिसके कारण बच्चों को बहुत ज्यादा समस्या हो जाती है जिस हिसाब से बच्चे का दिमाग प्रभावित होता है। उसके आधार पर इसे सामान्यकृत और आशिक भाग में बांटा गया है।

 यदि मिर्गी का दौरा किसी विशेष उम्र के आधार पर होता है। तो उसे सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। बच्चों में मिर्गी के दौर किस प्रकार के होते हैं उसके विषय में नीचे पॉइंट के माध्यम से बताया गया है।

1.सामान्य कृत दौरे : इस प्रकार के मुर्गी के बारे में बच्चों के दिमाग का सामान्य भाग संक्रमित होता है। यह एक सामान्य तरीके का दौरा होता है। इसमें बच्चों को ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। इसमें बच्चों को समानता बेहोशी होती है और उसके बाद वह सामान्य हो जाता है तो  उसे सामान्य कृत दौर कहा जाता है।

2.आंशिक दौरे : इस प्रकार की मिर्गी में बच्चों के दिमाग का सामान्य भाग ज्यादा प्रभावित नहीं होता दिमाग का भाग प्रभावित न होने के कारण बच्चा कमजोरी तो महसूस करता है। परंतु कुछ समय बाद उसे ठीक लगे लगता है उसके सोचने समझने की क्षमता प्रभावित नहीं होती। इस प्रकार की मुर्गी में बच्चों को अजीब प्रकार की गंध उसके शरीर में झनझनाहट चक्कर आना स्वाद ऐसी समस्याएं हो सकती हैं। 

3.जटिल आंशिक दौरे : इस प्रकार की मिर्गी में बच्चों की सोचने समझने की क्षमता को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है। इस मिर्गी के लक्षण यह है कि बच्चे किसी चीज को टकटकी बांधकर देखते रहते हैं। उनकी मांसपेशियों और न्यूरॉन्स में सामंजस्य नहीं बैठ पाता बच्चे एक काम को बार-बार करते हैं। किसी भी बात को कहने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। 

4.फेब्रिले मिर्गी : इस प्रकार की मिर्गी 6 महीने से लेकर 5 साल तक के बच्चे में हो सकती है। जब बच्चे के शरीर में तापमान बढ़ जाता है। जब अधिक समय तक बच्चे किसी ज्यादा गर्मी के एनवायरमेंट में रहते हैं और लगातार उनका शरीर का तापमान बड़ा रहता है। तब इस प्रकार की मिर्गी होने का कारण होता है। 

5.टेंपोरल मिर्गी : इस प्रकार की मिर्गी में व्यक्ति के दिमाग पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार का व्यक्ति इस तरीके से व्यवहार करता है। जैसे कि वह मानसिक रूप से भ्रमित है। वह किसी भी चीज को घूरता रहता है और किसी दूसरे व्यक्ति के बात करने पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देता। इससे बच्चों का मानसिक संतुलन भी बदल सकता है। 

6.मिोक्लोनिक मिर्गी : मायो क्लिनिक मिर्गी 8 साल से 25 साल के बच्चे के होने की समस्या होती है। इस प्रकार की मिर्गी में डर सुबह के समय या रात को नींद में आ सकते हैं। इसमें बच्चों के शरीर में अचानक झटका महसूस होने लगते हैं। उसका मांसपेशियों पर कंट्रोल नहीं रहता और उसे तेज झटके महसूस होते हैं। जिसके कारण उसके शरीर की सारी ताकत खींच आता है और उसे बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होने लगती है। 

7.टॉनिक मिर्गी : इस प्रकार की समस्या में बच्चों के शरीर में बहुत ज्यादा दर्द और अकड़न होती है। इस प्रकार की मिर्गी में बच्चों के शरीर में दर्द इतना ज्यादा होता है कि उसे सेंड करना मुश्किल होता है। 

8.एटॉमिक मिर्गी : इस प्रकार की मिर्गी में बच्चे का अपनी मांसपेशियों पर कंट्रोल बिल्कुल नहीं रहता और वह अचानक गिरने लगता है। बच्चा जैसे भी खड़ा हो उसका मांसपेशियों पर कंट्रोल न होने के कारण वह कहीं भी गिर जाता है और उसे बहुत ज्यादा चोट लगने का खतरा हो सकता है। 

बच्चों में मिर्गी का इलाज

बच्चों में मिर्गी का क्या इलाज हो (Epilepsy ka ilaj)सकता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चे की क्या उम्र है। बच्चे की उम्र और उसके शारीरिक क्षमता के हिसाब से मिर्गी की दवाइयां का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा बच्चों में मिर्गी का हम क्या इलाज कर सकते हैं उसके विषय में मुझे जानकारी दी गई है। 

  • डॉक्टर के द्वारा बच्चों को अंतिम एपिलेप्टिक दवाइयां के सेवन करने की सलाह दी जाती है। यदि बच्चा ऐसी दवाइयां का सेवन करता है। तो जिस दर से बच्चे को मुर्गी के दौरे आते थे उसमें कमी आती है यानी कि उसको मिर्गी आना थोड़ा काम हो जाता है। 
  • बच्चों की जीवन शैली में परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है। तभी उसकी मुर्गी का इलाज किया जा सकता है। 
  • केटोजेनिक डायट
  • बच्चों की मस्तिष्क की सर्जरी के माध्यम से भी उसकी मुर्गी का इलाज किया जा सकता है। परंतु सर्जरी बहुत जटिल हो सकती है। इसलिए काफी लोग सर्जरी करवाने से डरते हैं और दवाइयां के माध्यम से ही इसका इलाज करवाने का प्रयास करते हैं। 
  • डॉक्टर के द्वारा मिर्गी का एक रेगुलर कोर्स चलाया जाता है जिसके माध्यम से मिर्गी को कुछ हद तक काम किया जा सकता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह मानकर हमें डॉक्टर के द्वारा बताए गए कोर्स का पालन करना चाहिए। 

मिर्गी का दौरा पड़ता है तो क्या करें? 

बहुत सारे लोग अपनी बीमारी से अनजान होते हैं या कई बार ऐसा होता है कि हमें इस प्रकार का द्वारा पहले ही बार आता है जब पहली बार मिर्गी आई है। तब वह स्थिति इतनी ज्यादा दर्दनाक और भयाव होती है कि बच्चा खुद भी स्थिति स्थिति से डर जाता है और उसके माता-पिता भी डर जाते हैं। इस स्थिति में हमें बच्चों को संभालने का प्रयास करना चाहिए। ना कि अपने आप डरने का मिर्गी आने पर हम क्या कर सकते हैं। उसके विषय में हमें नीचे पॉइंट्स के माध्यम से जानकारी दी गई है। 

  • यदि आपके बच्चे को मिर्गी आई है तो आपको तुरंत उसके पास जाकर उसको पकड़ना चाहिए और उसे आराम से फर्श पर लेते आना चाहिए। जिससे उसके गिरने का और उसे चोट लगने का कोई भी खतरा न रहे। 
  • यदि आपके बच्चे ने अपने शरीर में बहुत ज्यादा टाइट कपड़े पहने हैं तो उसे ढीला करने की आवश्यकता होती हैं। यदि उसने टाइट ताई लगाई हैं। तो उसे ताई को निकाल देना चाहिए और यदि उसकी शर्ट के बटन टाइट हैं। तो शर्ट के सभी बटन को खोल देना चाहिए हमें अपने बच्चों को कंफर्टेबल करने का प्रयास करना चाहिए। 
  • यदि पीड़ित बच्चे को किसी प्रकार का नुकसान नहीं है और वह आराम से टहल पा रहा है तो उसे टहलने का प्रयास करना चाहिए। परंतु हमें उसके साथ चलना चाहिए जिससे उसे कोई भी सुविधा होने पर आप उसे पकड़ सके और उसे गिरने ना दे। 
  • मिर्गी का दौरा पड़ने पर बच्चों के मुंह में हमें कुछ भी नहीं डालना चाहिए ना तो किसी प्रकार का तरल पदार्थ डालना चाहिए। और ना ही कोई दवाई डालने चाहिए।
  • यदि ऐसी स्थिति में हम बच्चे के मुंह के अंदर कोई भी तरल पदार्थ या दवाई डालते हैं। तो बच्चे के मुंह को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। 
  • जब बच्चा ठीक हो जाए तो हमें उसके साथ रहना चाहिए और डॉक्टर को हमें उसकी पूरी स्थिति के विषय में जानकारी देनी चाहिए।
  • डॉक्टर को हमें सारी बातों को साफ-साफ बताना चाहिए। 

नोट : यदि आपके बच्चे को पहली बार मिर्गी का दौर आया हैं। तो आपको यह नहीं समझना चाहिए कि उसको मिर्गी आ गई है इसके विपरीत कई लोग कैसे होते हैं। जिन्हें उनके पूरे जीवन में सिर्फ एक बार ही दौरा पड़ता है या कई लोग ऐसे होते हैं। जिन्हें सिर्फ एक से दो बार ही अपने जीवन में दौरे पड़ते हैं।

 तो हमें ज्यादा डरने की आवश्यकता नहीं होती हमें वरुण संयम से काम लेना चाहिए और स्थिति को समझने का प्रयास करना चाहिए। ऐसी स्थिति आने पर हमें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बहुत सारे ऐसी कंडीशन होती हैं जब दवाइयां के माध्यम से इसे अच्छी तरीके से ठीक किया जा सकता है। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. बच्चों में मिर्गी कितने प्रकार की होती है? 

बच्चों में मिर्गी 60 तरीके की हो सकती है। 

Q. मिर्गी के द्वारा आने पर उसके अंदर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? 

बच्चों के शरीर में अकड़न होने लगती है वह एक चीज को टकटकी बांधकर देखता रहता हैं। उसके शरीर में झटके आने लगते हैं। 

Q. मिर्गी आने पर शरीर में क्या परिवर्तन हो जाता है? 

मिर्गी आने पर शरीर की मांसपेशियां और न्यूरॉन्स के बीच में संपर्क टूट जाता है। 

Q. मिर्गी आने पर दिमाग पर कोई प्रभाव  पड़ता है? 

मिर्गी आने पर बच्चों का शरीर बिल्कुल कमजोर हो जाता है और कई स्थितियों में उसके दिमाग पर भी असर पड़ता हैं। मिर्गी के समय बच्चों का कंट्रोल उसकी समझ पर और उसकी सोच पर नहीं होता। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको  बच्चों में मिर्गी (एपिलेप्सी) (Epilepsy ke symptoms,upchaar)के लक्षण और उसको ठीक करने के उपाय के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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