हाई रिस्क प्रेगनेंसी | कारण, लक्षण व बचाव के तरीके | High Risk Pregnancy

एक महिला के जीवन में सबसे सुखद समय तब आता है। जब वह मां बनने वाली होती है। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपना खास ख्याल रखना होता है। प्रेगनेंसी में महिलाओं को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है परंतु वह सारी परेशानियों को आराम से जेल जाती हैं। प्रेगनेंसी में स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं। हाई रिस्क प्रेगनेंसी क्या होती है (High risk pregnancy kya hai?)इसके विषय में हमें जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको हाई रिस्क प्रेगनेंसी के कारण इसके लक्षण व बचाव के तरीकों (High risk pregnancy की reason, symptom,)के विषय में जानकारी देंगे यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं। तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

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हाई रिस्क प्रेगनेंसी क्या है? (High risk pregnancy kya hai?)

हाई रिस्क प्रेगनेंसी (High risk pregnancy kya hai?)उसे प्रेगनेंसी को कहा जाता है। जब जच्चा और बच्चा दोनों को मृत्यु का खतरा होता है। महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी कारण, लक्षण व बचाव के तरीके High Risk Pregnancy

परंतु 20 से 30% महिलाएं ऐसी हैं जिनके अंदर हाई रिस्क प्रेगनेंसी पाई जाती है। हाई रिस्क प्रेगनेंसी का खतरा उन महिलाओं में ज्यादा होता है जो पहली बार मां बनती हैं। इसलिए प्रेगनेंसी की प्लानिंग करने के दौरान ही माता को अपना देखभाल करना शुरू कर देना चाहिए। अगर किसी भी तरीके की स्वास्थ्य समस्या के कारण गर्भावस्था की जटिलता बढ़ती है तो उसका तुरंत इलाज करवाना आवश्यक होता है।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के क्या कारण हो सकते हैं? (Causes Of High Risk Pregnancy)

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के बहुत (High risk pregnancy reason) सारे कारण है जिसको नीचे पॉइंट के माध्यम से स्पष्ट किया गया है। आप इन पॉइंट्स को ध्यान में रखते हुए प्रेगनेंसी के दौरान सतर्कता रख सकते हैं।

1.मां की कम या अधिक उम्र –

यदि मां की उम्र कम या अधिक है तो यह हाई रिस्क प्रेगनेंसी का कारण बन सकता है। यदि माता की उम्र 19 वर्ष से कम है या माता की उम्र 35 वर्ष से अधिक है। तो ऐसी महिलाओं को हाई रिस्क प्रेगनेंसी बन जाती है इसलिए महिलाओं को सही समय पर गर्भ धारण करना चाहिए जिससे उनकी प्रेगनेंसी में कोई समस्या ना हो।

2. खराब जीवनशैली –

खराब जीवनशैली भी हाई रिस्क प्रेगनेंसी का एक कारण होती है जो महिलाएं धूम्रपान या नशा करती हैं। उसका प्रतिकूल प्रभाव उनके अंदर पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है। और प्रेगनेंसी पर इसका असर पड़ता है।इसलिए गर्भवती महिलाओं को खराब जीवनशैली या नशे का आदी नहीं होना चाहिए उन्हें बिल्कुल स्वस्थ तरीके से रहना चाहिए।

3. विभिन्न बीमारियां –

जिन गर्भवती महिलाओं को बहुत सारी बीमारियां पाई जाती हैं। उनके अंदर भी हाई रिस्क प्रेगनेंसी का जोखिम रहता है। जिन महिलाओं को उच्च रक्तचाप, ओवरी सिंड्रोम, किडनी से जुड़ी समस्याएं, ऑटोइम्यून डिजीज, मोटापा, एचआईवी/एआईडीएस, कैंसर या संक्रमण आदि बीमारियां पाई जाती हैं। उन्हें गर्भावस्था के दौरान बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और जच्चा-बच्चा को मृत्यु का खतरा भी हो सकता है।

4. जुड़वा बच्चा होना –

जिन महिलाओं के अंदर जुड़वा बच्चे पल रहे होते हैं उन्हें हाई रिस्क प्रेगनेंसी का जोखिम उठाना पड़ सकता है। जुड़वा बच्चों की खबर मिलना बहुत खुशी की बात होती है परंतु इसमें जटिलताएं बहुत देखी जाती हैं। इसलिए जुड़वा बच्चों के भ्रूण वाली महिलाओं को बहुत सतर्कता के साथ अपने प्रेगनेंसी का समय बिताना पड़ता है।

5. नशीली दवाओं का सेवन –

गर्भावस्था के दौरान जो महिलाएं नशीली दवाओं का सेवन कर रहे हैं उन्हें हाई रिस्क प्रेगनेंसी होने का खतरा रहता है। नशीली दवाएं बच्चे पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। किसी और बीमारी के कारण यदि महिलाएं दवाओं का सेवन कर रही हैं तो स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ से की पूछताछ अवश्य करनी चाहिए।

6. पिछली प्रेगनेंसी की स्थिति –

जो महिलाएं दोबारा प्रेग्नेंट हुई है उन्हें अपनी पृथ्वी प्रेगनेंसी की स्थिति भी जानी चाहिए। यदि पिछली प्रेगनेंसी में महिलाओं को परेशानी हुई है। या समय से पहले महिलाओं ने बच्चे को जन्म दिया है। तो इस बातों को ध्यान में रखते हुए भी अपनी अगली प्रेग्नेंसी के विषय में सोचना चाहिए और सतर्कता बरतनी चाहिए।

7. आरएच फैक्टर –

आरएच फैक्टर भी प्रेगनेंसी का जोखिम बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान निभाता है। यदि आरएच फैक्टर में असंगति पाई जाती है तो बच्चे और मैं दोनों को जान का जोखिम झेलना पड़ सकता है। यदि आरएच फैक्टर संगत है तब इसमें कोई समस्या नहीं होती परंतु आज संगति में बच्चे के अंदर खून का थक्का जम जाता है और उसकी तुरंत मृत्यु हो जाती है।

8. गंभीर एनीमिया –

एनीमिया उसे रोग को कहा जाता है जब व्यक्ति के अंदर खून की कमी हो जाती है। प्रेगनेंसी के समय भ्रूण एवं माता को बिल्कुल स्वस्थ होना चाहिए यदि उनके शरीर में खून की कमी होती है। तो शिशु का विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता और उसके अंदर कमी आ जाती है एनीमिया होने पर हाई रिस्क प्रेगनेंसी होने का भी खतरा होता है।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लक्षण (High Risk Pregnancy Ke Lakshan)

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के कुछ (High risk pregnancy के symptoms) महत्वपूर्ण लक्षण नीचे स्पष्ट किए गए हैं। जिनको दिखाई देने पर आप यह समझ सकते हैं कि महिला के अंदर हाई रिस्क प्रेगनेंसी दिख रही है।

  • 24 घंटे के बाद भी तेज बुखार रहना
  • सिर दर्द होना
  • आराम करते समय भी सांस फूलना
  • पेट में दर्द होना
  • गर्भ में भ्रूण की हलचलों में कमी होना
  • पेट में छाले होना (Gastrointestinal Ulceration)
  • योनि से रक्तस्राव होना या सफेद पानी बहना
  • धुंधला दिखाई देना या दृष्टि में परिवर्तन होना
  • त्वचा पर लाल चकत्ते होना
  • वजन बढ़ना
  • सूजन होना
  • मौजूदा बीमारी का गंभीर होना

हाई रिस्क प्रेगनेंसी से होने वाले जोखिम

हाई रिस्क प्रेगनेंसी होने पर गर्भवती महिला (High risk pregnancy ke Lakshan) को बहुत सारे जोखिम उठाने पड़ सकते हैं।इसमें उसके बच्चे और प्रेग्नेंट महिला की जान को भी खतरा हो सकता है इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण नीचे स्पष्ट किए गए हैं।

  • समय पूर्व या पहले शिशु का जन्म होना
  • शिशु को हृदय संबंधी बीमारियां होना
  • गर्भपात होना
  • मां या बच्चे का बहुत ज्यादा या कम शारीरिक वजन
  • बच्चे में जन्मजात विसंगतियां
  • गर्भवती की जान को जोखिम
  • प्रसूति संबंधी जटिलताएं जैसे प्रसवपूर्व या बाद में अधिक रक्तस्राव
  • प्रसव पीड़ा कम होना व प्रसव के बाद मां को सेप्सिस होना
  • उच्च रक्तचाप या कम रक्तचाप के साथ अस्थानिक गर्भावस्था
  • एनीमिया, मलेरिया और बुखार का जोखिम, जो जानलेवा भी हो सकते हैं।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी का इलाज

हाई रिस्क प्रेगनेंसी बहुत सारे (High risk pregnancy ka ilaj) कारणों की वजह से हो सकते हैं। इसका सही कारण पता लगाने के बाद ही आप यह समझ पाएंगे कि इसका इलाज कैसे किया जा सकता है।

पूर्णता हाई रिस्क प्रेगनेंसी की जांच के कारणों के बाद डॉक्टर से उसका संपर्क करना चाहिए और उनसे परामर्श लेना चाहिए कि किस प्रकार इसका इलाज किया जा सकता है। कुछ मामलों में जिन महिलाओं में ज्यादा रिस्क होता है उनके अंदर प्रेटर्म बेबी बर्थ को डॉक्टर अंजाम देते हैं।

जिससे बच्चे या माता को किसी भी प्रकार की कोई समस्या ना हो और बेबी भी सुरक्षित बना रहे। अधिकतर मामलों में डॉक्टर दवाइयां के जरिए हाई रिस्क प्रेगनेंसी को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी से खुद को बचाने के तरीके | Tips To Prevent High Risk Pregnancy

हाई रिस्क प्रेगनेंसी से खुद को (High Risk Pregnancy ke risk) कैसे बचाया जा सकता है। इसके विषय में नीचे पॉइंट के माध्यम से जानकारी प्रदान की गई है। जिससे आप खुद को भी हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बचा सकते हैं।

1. धूम्रपान छोड़ें –

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को धूम्रपान बिल्कुल नहीं करना चाहिए। धूम्रपान करना महिला की स्वास्थ्य एवं उसके विरोध के लिए बहुत हानिकारक होता है। धूम्रपान से हार्मफुल केमिकल्स बेस्ट आंसर बच्चे के अंदर और मां के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। जो माता के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं बहुत सारे एनजीओ के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। जिससे भारत को धूम्रपान मुक्त बनाया जा सके।

2. एक्टिव रहे –

गर्भवती महिलाओं को एक्टिव रहना चाहिए। उन्हें सुबह से शाम तक एक्टिविटी के साथ कार्य करना चाहिए और किसी भी टाइम पहला अवश्य चाहिए। गर्भवती महिलाएं डॉक्टर के परामर्श के अनुसार एक्सरसाइज भी कर सकती हैं। महिलाओं को सक्रिय रूप से पूरी मानसिक स्थिति को स्थिर बनाते रहे हुए कार्य करते रहना चाहिए।

3. योग करें –

जिन महिलाओं के अंदर मोटापा हाई हेलो बीपी की समस्या या अन्य शारीरिक समस्या पाई जाती हैं। वह योग करके इसको नियंत्रित कर सकती हैं और हाई रिस्क प्रेगनेंसी से भी बचाव कर सकती हैं। योग एक ऐसा साधन है जो आपके पूरे शरीर को स्वस्थ रखता है और शरीर के अंदर होने वाली समस्याओं को रेगुलेट करता है। इसलिए डॉक्टर के परामर्श में आप योग कर सकते हैं।

4. पानी की कमी ना होने दें –

शरीर के अंदर पानी की कमी बिल्कुल नहीं होने देना चाहिए। क्योंकि पानी प्रेग्नेंट महिला को एवं उसके अंदर पल रहे भ्रूण दोनों को बहुत आवश्यक है। यदि शरीर में पानी की कमी होती है तो डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। और शरीर के अंदर वॉटर लॉस हो सकता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए जिससे प्रेग्नेंट महिला के अंदर पल रहा बच्चा स्वस्थ बना रहे।

5. स्वस्थ बजन –

प्रेग्नेंट महिला का वजन ना तो बहुत ज्यादा होना चाहिए ना बहुत कम होना चाहिए। प्रेग्नेंट महिला का वजन बिल्कुल बैलेंस होना चाहिए। जिससे उसके बच्चे से संबंधित उसे किसी भी प्रकार की समस्या ना हो या हाई रिस्क प्रेगनेंसी झेलने का खतरा बच्चे को ना हो।

6. स्वास्थ्य की नियमित जांच कराएं –

गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य की नियमित रूप से जांच कराते रहना चाहिए। जिससे उसके अंदर हो रही कमियों कि उसे भली-भांति जानकारी मिल सके और वह उसका पूरी तरीके से सतर्कता के साथ सामना कर सके। गर्भवती महिला को गर्भधारण करने के बाद महिला को कम से कम चार बार 12वें सप्ताह, 14वें से 26वें सप्ताह के बीच, 28वें से 32वें सप्ताह के बीच और 36वें से 40वें सप्ताह के बीच चेकअप कराना जरूरी है।

8. भरपूर आराम –

गर्भवती महिला को भरपूर आराम की आवश्यकता होती है। इसलिए गर्भवती महिला को भरपूर आराम करना चाहिए। उसे ज्यादा मेहनत का काम नहीं करना चाहिए।

अगर मुझे हाई रिस्क प्रेगनेंसी है तो क्या करना चाहिए?

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बचाव के बहुत सारे उपाय बताए हैं। जिनके माध्यम से आप हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बच सकते हैं। परंतु फिर भी यदि आप हाई रिस्क प्रेगनेंसी से ग्रसित हैं तो आप क्या कर सकते हैं इसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

1.आहार में बदलाव :

महिलाओं को अपने आहार में बदलाव करना चाहिए महिलाओं को बिल्कुल स्वस्थ आहार लेना चाहिए। जिससे उनके शरीर में सभी पोषक तत्वों की पूर्ति हो और उनके बच्चे को भी पोषक तत्वों की कमी ना हो। महिलाओं को बिल्कुल संतुलित आहार लेना चाहिए महिलाओं को अपने आहार में मौसमी व ताजे रंग-बिंरगी फलों, हरी सब्जियों, दाल, रोटी व सलाह शामिल करें। अधिक तैलीय, मसालेदार, पैकड व जंक फूड खाने से परहेज करें।

2.कैफीन की मात्रा सीमित करें :

यदि आप चाय व कॉफी की शौकीन है तो आप इसकी मात्रा सीमित कर सकती हैं। ज्यादा अधिक चाय या कॉफी को नहीं पीना चाहिए इसमें कैफीन पाया जाता है। यदि अधिक मात्रा में शरीर में लिया जाए तो यह बहुत अधिक प्रभाव डालता है। अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा माना गया है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्नेशन) की रिपोर्ट के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान 1 या 2 कप तक की मात्रा में ही कैफीन का सेवन करना सुरक्षित होता है।

3. उचित इलाज करवाएं :

जिन महिलाओं में हाई रिस्क प्रेगनेंसी पाई जाती है उन्हें उचित इलाज की आवश्यकता होती है। ऐसी महिलाओं को लगातार डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। और उनके द्वारा बताई गई दवाइयों का पालन करना चाहिए जिससे महिलाएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बच सकते हैं।

4. जल्दी डिलीवरी :

महिलाओं में हाई रिस्क प्रेगनेंसी को ध्यान में रखते हुए जल्दी डिलीवरी भी की जाती है। यह बहुत पेचीदा मामला होता है। इसलिए इसको करवाने से पहले डॉक्टर से अवश्य परामर्श लेना चाहिए जो डॉक्टर बस बताएं उसको ध्यान में रखते हुए कार्य को अंजाम देना चाहिए।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)

Q. हाई रिस्क प्रेगनेंसी क्या है?

जिस प्रेगनेंसी में गर्भवती महिला एवं उसके बच्चे को जान का खतरा होता है। उसे हाई रिस्क प्रेगनेंसी कहा जाता है।

Q. हाई रिस्क प्रेगनेंसी क्यों होती है?

जिन महिलाओं में किसी प्रकार की बीमारी आरएच फैक्टर असंतुलित भोजन या धूम्रपान की आदतें होती हैं। उनमें हाई रिस्क प्रेगनेंसी पाई जाती है।

Q. हाई रिस्क प्रेगनेंसी के क्या-क्या लक्षण है?

बुखार सर दर्द सांस फूलना पेट में दर्द आदि बहुत सारे लक्षण हाई रिस्क प्रेगनेंसी के हैं।

Q. हाई रिस्क प्रेगनेंसी से कैसे बचा जा सकता है?

रेगुलर चेकअप आहार में बदलाव डॉक्टर से परामर्श लेकर हाई रिस्क प्रेगनेंसी से बचा जा सकता है।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको हाई रिस्क प्रेगनेंसी: कारण, लक्षण व बचाव के तरीके (High Risk Pregnancy) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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