जनसंपर्क का अर्थ क्या है? जनसंपर्क की परिभाषा, महत्व व तत्व | Jansampark ka arth kya hai?

आपने देखा होगा कि जब भी हमें अपने विचारों को एक साथ काफी लोगों के बीच पहुंचना होता है तो ऐसे में हमें जनसंपर्क या फिर किसी बड़े प्लेटफार्म की आवश्यकता होती है। जिसके माध्यम से हम एक साथ काफी लोगों तक अपने विचारों को पहुंचा सकते हैं। जनसंपर्क का ज्यादातर उपयोग अपने चुनाव के दौरान देखा होगा। जब नेता लोग जनसंपर्क के माध्यम से अपने विचारों को जनता तक पहुंचाते हैं।

ताकि जनता उनका चुनाव कर उनको अपना मत दे सके। और इसका उपयोग अपने व्यापार को आगे बढ़ाने में भी होता है जहां लोग अपने किसी प्रोडक्ट का जनसंपर्क के माध्यम से प्रमोट कर सकते हैं। जनसंपर्क में कई तत्व शामिल होते हैं जिनके माध्यम से ही हमारे द्वारा जनता में वार्तालाप अच्छी तरह हो पाती है। तो चलिए जानते हैं? जनसम्पर्क क्या होता है? | Jansampark kya hota hai? जनसम्पर्क की परिभाषा क्या होती है? Jansampark का उद्देश्य क्या है? ऐसे ही कई तथ्यों के विषय में आज के आर्टिकल के माध्यम से हम समझेंगे।

जनसंपर्क का अर्थ क्या है? | Jansampark ka arth kya hai? 

जनसंपर्क शब्द का अंग्रेजी में अर्थ public relation होता है। जनसंपर्क को  PR  के नाम से भी जानते हैं। जनसंपर्क दो शब्दों से मिलकर बना है।जिसमें जन का अर्थ है जनता जनार्दन तथा संपर्क का अर्थ है संबंध बनाना सामान्यता शब्दों में जनता से या प्रजा से संबंध स्थापित करना या किसी विशेष उद्देश्य या समस्या के लिए जनता से वार्तालाप या समझौता करने को जनसंपर्क कहा जाता है।

जनसंपर्क का अर्थ क्या है जनसंपर्क की परिभाषा, महत्व व तत्व Jansampark ka arth kya hai

आप लोग ने चुनाव के समय पर देखा होगा कि जो भी बड़े-बड़े नेता होते हैं। वह लोगों के मतों को इकट्ठा करने के लिए लोगों से जनसंपर्क करते हैं।जिसमें वह अपनी मुद्दों को लोगों तक पहुंचाते हैं और उनसे अपेक्षा करते हैं कि वह उनके द्वारा दिए गए वक्ताओं को समझें और अपने मत के माध्यम से उन्हें स्वीकार करें। साधारणत: का जनसंपर्क का तात्पर्य अपनी बात को लोगों तक पहुंचाना होता है। जहां पर कुछ लोगों का समूह या कोई विशेष व्यक्ति दूसरे लोगों से संपर्क कर अपनी भावनाओं या फिर विचारों को उन तक पहुंचना है। इस ही जनसंपर्क कहते हैं। 

जनसंपर्क की परिभाषा क्या है? | Jansampark ki paribhasha kya hai? 

पब्लिक सोसायठी ऑफ अमेरिका के अनुसार, ”जनसम्पर्क प्रबन्धन की नीतियों व गतिविधियों के द्वारा जाहिर होता है और इसके द्वारा आम जनता के मन-मस्तिष्क में प्रबन्धन की छवि बेहतर बनती है।”

काउन्सिल ऑफ इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक रिलेशन्स (इंग्लैण्ड ) के अनुसार, “जनसम्पर्क, किसी अन्य कम्पनी और उससे सम्बन्धित व्यक्तियों के बीच आपसी वार्तालाप करने के लिए किए गए प्रत्यंत  को कहते है ।

वेबस्टर के अन्तराष्ट्रीय शब्दकोष के अनुसार, “जब कोई उद्योग, व्यवसाय, संघ, कॉर्पोरेशन, सरकार या कोई अन्य एजेन्सी, अपने ग्राहकों, हिस्सेदारों, कर्मचारियों व जन-साधारण के साथ सम्बन्ध बनाने का प्रयास करे तो इन प्रयासों को ही सम्मिलित रूप से जन-सम्पर्क कहते हैं।”

आर्थर आर रोलमैन के अनुसार, “जनसम्पर्क एक सेवा व कला है कम्पनी के  द्वार व्यापारिक हितों व आवश्यकता के आधार पर स्थापित किया जाता है। 

सैम ब्लैक के अनुसार, “जनसम्पर्क के द्वार सच, ज्ञान व जानकारी के आधार पर दो समूह के आपस मे संबंध स्थापित करना है।”

जन- सम्पर्क का महत्त्व क्या है? | Jansampark ka mahtav kya hai? 

किसी भी समुदाय में जनसंपर्क के महत्व कीअभेलना नही की जा सकती है समुदाय के उद्देश्यों में विजय पाने के लिए जनसंपर्क पर निर्भर होना आवश्यक है। सरकारी समुदाय के आधार पर जन सम्पर्क का महत्व सरकार की नीतियों कार्यों योजनाओं तथा सामाजिक विकास हेतु किए जाने वाले प्रयासों की जानकारी जनता तक पहुंचाना तथा सरकार पर जनता का विश्वास बढ़ाना है। 

दूसरे शब्दो में कहे तो कॉरपोरेट सेक्टर तथा गैर सरकारी समुदायों में जिसमें प्रमुख रूप से उद्योग समुदाय होते है इनका जनसंपर्क में महत्व के द्वारा निर्मित की गई वस्तुओं के प्रति जनता की रुचियां तथा समस्याओं के निवारण का अध्ययन करने के साथ-साथ ही उत्पादित वस्तु की विशेषता के प्रति जनता के विश्वास में वृद्धि करना भी है। आम जनता को उद्योगों द्वारा तैयार की गई वस्तुओं पर विश्वास बढ़ाने के लिए तथा सेवाओं को प्रसारित  करने के लिए जनसंपर्क की आवश्यकता होती है।

जनसंपर्क के उद्देश्य

  • सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, सहकारी, उद्योग ,औद्योगिक प्रतिष्ठान को जनसंपर्क के उद्देश्यों का ध्यान रखना चाहिए।
  • यह जनता में प्रमुख व प्रसिद्ध लोगों से संपर्क स्थापित करने तथा उनके मत को प्राप्त कर आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य के लिए पूर्ण किया जाता है।
  • उद्योग की सेवाओं एवं उत्पादन को बढ़ाना, उसे बढ़ाकर प्रतिष्ठा स्थापित करना तथा प्रतिस्पर्धियों के बीच भी सफलता प्राप्त करना महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं।
  • इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रभावशाली जनसंपर्क तंत्र को शास्त्र बनाने की आवश्यकता होती है इनके अभाव में उद्योग अपनी प्रतिष्ठा व विश्वास में कामयाबी नहीं रख पाता है जनसंपर्क का नतीजा एवं उसकी बिक्री भी प्रभाव में आती है।
  • सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के उद्योगों को जनसंपर्क की आवश्यकता के लिए निम्नलिखित उद्देश्यों में को ध्यान में रखना चाहिए:-
  • प्रमुख लोगों एवं आम जनता से संवाद करना व उनकी राय लेना जिससे सहयोग प्राप्त किया जा सके।
  • इनका मुख्य उद्देश्य है व्यापार में उत्पादन बढ़ाना बिक्री को बढ़ाना तथा विश्वास एवं प्रतिष्ठा की स्थापना करना है।
  • स्पर्धा के द्वारा सफलता प्राप्त करना बहुत कठिन काम है इससे इसे हासिल करने के लिए जनसंपर्क एक मजबूत हथियार है।
  • इन सबको पूरा करने के लिए एक ऐसे जनसंपर्क व्यवस्था की आवश्यकता है जो जनसंचार माध्यमों का उपयोग कर अपने पक्ष में राय बनाए और अपनी प्रतिष्ठा एवं विश्वसनीयता बनाए रखे।

जनसंपर्क की अवधारणा :-

दुनिया में किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के मत की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है । जिसमें  जन प्रतिनिधि को स्थापित करने के लिए जनता से संपर्क बनाने की आवश्यकता होती है। यह संपर्क कितना प्रभावशाली होता है या कितना जनता का विश्वास प्रतिनिधि पर होता है। इसका निर्धारण जनसंपर्क ही करता है। इसकी आवश्यकता सभी धर्म, व्यवस्था ,उद्योग ,संस्थान, व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि में अनुभव करते हैं।

जनसंपर्क के कार्य | Jansampark ke kary :-

जनसंपर्क में निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:-

1. लेखन –

यह सभी लेखन के निम्नलिखित प्रकार हैं –

  • रपट प्रतिवेदन
  • समाचार विज्ञप्ति
  • तकनीकी पाठ लेखन
  • पुस्तिका व पत्रिका
  • संदेश व भाषण.
  • • रेडियो, टेलीविजन व फिल्म लेखन।

2. भाषण :-

भाषण एक प्रकार की संचार विधि है। किसी भी समुदाय व समूह का समान करने से पहले पूरी तरह भाषण की कल सही समय पर सही जगह सही शब्दों का प्रयोग करके वह सभी किसी वर्ग व समुदायों को लोगों का के समक्ष रखा जाता है। 

3. संपादन करना :-

संपूर्ण लिखित व मौखिक सामग्री के संपादन का कार्य अत्यंत दुर्लभ व जोखिम भरा होता है। सही भाषा के चुनाव द्वारा अपनी राय को जनता के बीच में रखना व इसके अंतर्गत दूरदर्शन के लिए बनाए गए फिल्में, लघु फिल्मों का संपादन भी कई आयाम को ध्यान में रखकर संपादन कार्य किया जाता है।

4. श्रेणीकरण  :-

सभी जानकारी को इकट्ठा करके व तैयार करके श्रेणीकारण करना भी आवश्यक है अर्थात संस्थागत नीति के अनुसार यह निश्चित किया जाता है कि कौन सी खबर फीचर कर संचार माध्यम से जनता तक पहुंचाया जाए ताकि संचार का सही उपयोग हो सके। प्रेस का कौन सा मध्य उपयुक्त रहेगा जनहित के अनुरूप कहां दिया जाएगा विज्ञापन यह काफी सवाल रहते हैं।

5. प्रस्तुतीकरण :-

ग्रेडिंग के बाद अधिकारी एक प्रस्तुति देता है जो निम्नलिखित माध्यम से प्रसारित की जाती है। जनसंपर्क प्रेस विज्ञप्ति, रेडियो टेलीविजन पर फिल्म का रिलीज प्रदर्शन, नाटकों का प्रदर्शन मंच उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रसिद्ध सभी रूप हैं कौन सा मध्याम प्रभावित होगा या किस माध्यम से लक्ष्य प्राप्ति में सहायक होगा यह भी जनसंपर्क का काम है। 

6. विस्तार :-

कई लोग व क्षेत्र तक पहुंचने के लिए विस्तार कार्यक्रम आयोजन करते है।जिसमें संवाददात, त्योहारों एवं मेलों के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम, कवि सम्मेलन, संगीत सम्मेलन आदि अपने कार्यों को आयोजन विस्तार पूर्वक करते हैं।

7. मंच प्रस्तुति :-

जनसंपर्क विभाग को दिन प्रतिदिन घटनाओं का विस्तृत जायजा लेने के लिए जनता के बीच में एक मंच प्रस्तुत करना होता है। इसीलिए वह भाषण लिखना, मंच की व्यवस्था करना, वक्ता एवं श्रोताओं के बीच संपर्क स्थापित करना, सभी कार्य को जनसंपर्क अधिकारी के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।

जनसंपर्क के क्षेत्र :-

जनसंपर्क अधिकारी जनता के मध्य रहकर उन्हें  संस्थागत या सत्ता वादी सच्चाइयों को जनता के मध्य रखता है तथा उसकी जानकारी देता है वह विभिन्न मंत्रालय, निदेशालय, कार्यालय व कार्य संगठनों के साथ भी संपर्क बनाए रखता है जो जनसंपर्क की तरह प्रतीत होता है। आज संपर्ककी नहीं , जनसंपर्क की आवश्यकता है। इसमें लोगों के मनोविज्ञान की जानकारी प्राप्त करके नीतियों को बनाया जाता है व उनकी प्रक्रियाओं  को समझ कर उनको समझाया जाता है। इस प्रकार, 

  • जनमत बनाना। 
  • आपसी संबंधों का संदर्भ।

दोनों जनसंपर्क के काम हैं। एक जनसंपर्क अधिकारी को निम्नलिखित क्षेत्रों में लगातार काम करना होता है-

1. अंतः क्षेत्र :- अंतः क्षेत्र में एक जनसंपर्क अधिकारी संस्थान की तरीकों का अध्ययन , विश्लेषण तथा इकट्ठा करके वह कर्मियों अधिकारियों के बीच एक सेतु की तरह प्रतीत होकर सामाजिक कल्याण की नीतियों का प्रसार करने के लिए योजना बनाता रहता है।

  • युक्तियों और तकनीकों का  स्मरण तथा तथ्यों को इकट्ठा करना और उन पर विश्लेषण करना।
  • अधिकारियों के बीच आपसी संबंध बनाना।
  • विज्ञापन नीति  तथा प्रक्रिया बनाना।

2. बाह्य क्षेत्र :- बाह्य क्षेत्र में जनता से वार्तालाप करते हैं तथा उद्योग के उत्पादन का प्रचार प्रसार करते हैं विज्ञापन हेतु संचार माध्यमों का चयन करके प्रसार प्रारंभ करते हैं उपभोक्ताओं सर्वेक्षण को आयोजन करके अधिकारियों से संपर्क करने के लिए नीतियों का मंथन करते हैं।

  • जनता का विश्वास जीतना।
  • उत्पादन को बढ़ाना।
  • उपभोक्ता सर्वेक्षण। 
  • प्रचार और विज्ञान। 
  • प्रेस। 
  • रेडियो। 
  • चलचित्र। 
  • विज्ञप्ति। 
  • प्रेस नोट। 
  • टेलीविजन। 
  • शासकीय सूचना। 
  • प्रकाशन साधन।
  • सामग्रियों का प्रयोग।

जनसंपर्क के तत्व :-

जनसंपर्क जनता के लाभों को केंद्रित करके संस्थान की नीतियों को बनाने पुनर्निर्माण करने की प्रक्रिया है जिसका एकमात्र दृष्टिकोण है संस्थान के भविष्य को सुनिश्चित करना तथा उसके लिए एक प्रबंधन तरीका की आवश्यकता होती है।

नीति निर्धारण :-

सर्वप्रथम नीतियों को बनाना तथा मुख्य तत्वों की रूपरेखा तैयार करना आवश्यक है। हम जानते हैं हमें जनता के बीच में जाकर उनकी मानसिकता, परिवेश, परंपराओं का अध्ययन करके जानकारी को इकट्ठा कर लेना चाहिए। नीति के निर्माण के बाद जनता के बीच में प्रसारित करने के लिए कार्य प्रणाली तय करना और संस्थान की समाज कल्याण प्रक्रिया का प्रबंधन करने की आवश्यकता होती है।

प्रबंधकीय दर्शन :-

जनसंपर्क एक प्रकार का प्रबंधकीय सामाजिक दर्शन है। प्रत्येक संस्था का भविष्य जनता के मत के द्वारा बनता और बिगड़ता है। इसीलिए संस्थान प्रक्रिया जैसे जनता के समाज के दर्शन को समझने हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी नीतियों को बनाने और जनता की मत और विश्वास प्राप्त करने के लिए जनसंपर्क को मुख्य तत्व मानना चाहिए।

सुदृढ़ नीतियां :-

प्रबंधक को मजबूत नीतियों को बनाना चाहिए जिससे उन्हें लागू किया जा सके ऐसी नीतियों को जनता के विश्वास को ध्यान में रखते हुए बनाना चाहिए।

Jansampark Related FAQ :-

जनसंपर्क का माध्यम क्या है? 

जनसंपर्क के माध्यम से काफी लोगों तक अपना संदेश पहुंचा जा सकता है। जिसका मध्य लोगों से वार्तालाप तथा लोक संचार का है। 

जनसंपर्क का अर्थ क्या है? 

जनसंपर्क शब्द दो शब्दों के योग से जन तथा संपर्क शब्दों से मिलकर बना है। जहां जन का अर्थ लोग तथा संपर्क का अर्थ मिलाब होता है। जिसमें कोई भी व्यक्ति कुछ लोगों के समूह में किसी भी मुद्दे पर प्रेरित या बातचीत करते हैं उसे जनसंपर्क कहते हैं। 

राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस कब मनाया जाता है? 

राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस 21 अप्रैल को मनाया जाता है। 

जनसंपर्क के कोई चार माध्यम क्या है? 

जनसंपर्क के कोई चार मध्यम रेडियो, सिनेम, टेलीविजन में सूचना और खबरें है। 

निष्कर्ष :- 

दोस्तों आज के  आर्टिकल में हमने आपको जनसंपर्क से संबंधित कुछ जरूरी तत्वों के बारे में बताया। जिसमें हमने जनसंपर्क के उद्देश्य जनसंपर्क की परिभाषा तथा जनसंपर्क की अवधारणा जैसे कई तथ्यों के बारे में इस आर्टिकल में बताएं। जैसा की जनसंख्या के माध्यम से हम एक साथ अपने विचारों को कई लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं जो कि लोगों से संवाद का सबसे अच्छा तरीका है। इस आर्टिकल के माध्यम से जनसंपर्क जनसंख्या की अवधारणा के बारे में विस्तार से बताया है। आशा करते हैं इस आर्टिकल में बताइए जानकारी आपको पसंद आई होगी पर यदि पसंद आई हो तो उसे अपने दोस्तों में जरूर से करें।

Mukesh Chandra

मुकेश चंद्रा ने बीटेक आईटी से 2020 में इंजीनियरिंग की है। वह पिछले 5 साल से सामाजिक.इन पर मुख्य एडिटर के रूप में कार्यरत हैं, उन्हें लेखन के क्षेत्र में 5 वर्षों का अनुभव है। अपने अनुभव के अनुसार वह सामाजिक.इन पर प्रकाशित किये जानें वाले सभी लेखों का निरिक्षण और विषयों का विश्लेषण करने का कार्य करते है।

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