बच्चों के कान छिदवाने की सही उम्र क्या है?  | Kaan Chidwane Ka Sahi Samay

बच्चे के कान छिदवाना सिर्फ बच्चे के लिए ही नहीं बल्कि उसके माता-पिता के लिए भी कष्टकारी होता है। छोटी सी उम्र में आपने बहुत सारी लड़कियों को कानों में बालियां पहनते देखा होगा। भारतीय संस्कृति में कान छिदवाने को बहुत महत्व दिया गया है। कान छिदवाने को कर्णवेध संस्कार के नाम से जाना जाता है। बच्चों के कान छिदवाने की सही उम्र क्या है (Kaan Chidwane Ka Sahi Samay) इसके विषय में जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चों के कान छिदवाने की सही उम्र (Kaan Chidwane Ka Sahi Umar) के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़ें।

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कर्णवेध संस्कार क्या है ? | What is Karnavedha Sanskar?

हिंदू धर्म में एक व्यक्ति के लिए कुल16 संस्कार बनाए गए हैं। उनमें से एक संस्कार कर्णवेध संस्कार है(Babies me karn bhed sanskar kya hai) जिसकी संख्या 9 वी है। कर्णवेध का अर्थ होता है कान छेदना का अर्थ होता है कारण का अर्थ होता है कान और भेद का मतलब है छेदना।

बच्चों के कान छिदवाने की सही उम्र क्या है  Kaan Chidwane Ka Sahi Samay

कर्णवेध संस्कार से ना सिर्फ सुंदरता बढ़ती है। इसके अलावा बुद्धि के विकास होने में भी मदद मिलती है। शास्त्रों के अनुसार यह माना जाता है कि जिनका कर्णवेध संस्कार नहीं होता। वह अपने रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार का अधिकारी नहीं होता।

परंतु समय के साथ इस संस्कार में कमी आने लगी लड़कों के लिए यह धीरे-धीरे खत्म होने लगा। पहले लड़कियों के कर्णवेध संस्कार के साथ लड़कियों की नाक छेदन संस्कार भी होता था। परंतु अब लोगों में इसकी मान्यता कम हो गई है अब यह व्यक्ति की बुद्धि पर निर्भर करता है कि उससे नाक कान छिदवाने हैं अथवा नहीं।

क्या बच्चों के कान छिदवाना सुरक्षित है?

यदि आपका बच्चा स्वस्थ है।(Babies me kaan chidwane ki suraksha) उसके कान में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है तो आप किसी जानकार व्यक्ति के पास जाकर अपने बच्चे का कान छेद सकते हैं।

 परंतु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस सुई से वह कान छेद रहा है। उसमें जंग ना लगी हो। यदि जंग लगी हुई सुई से बच्चे का कान छेद आ जाता है तो बच्चा संक्रमण का शिकार हो सकता है। हम आपको इन्हीं कुछ बीमारियों के विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं।

  • हेपटाइटिस बी
  • हेपटाइटिस सी
  • एचआईवी (HIV)
  • निकेल एलर्जी
  • टेटनस

कान छिदवाने के क्या लाभ हैं? (Kaan Chidwane Ke Fayde)

मान्यताओं के अनुसार कान छिदवाने के कुछ लाभ है (Kaan Chidwane Ke Fayde) जिन के विषय में नीचे पॉइंट के माध्यम से जानकारी दी गई है।

  • एक्यूप्रेशर चिकित्सा सिद्धांतों में यह पाया गया है कि बच्चे का जल्दी कान छिदवाने के बच्चे के दिमाग का विकास अच्छा होता है। कान के लोग में मेरिडियन पॉइंट पाया जाता है जो दिमाग के दाहिने एवं बाएं भाग दोनों को जोड़ता है।
  • जब शिशु का कान छेद वाया जाता है तब मस्तिष्क के दोनों भाग सक्रिय हो जाते हैं।
  • आयुर्वेद के अनुसार कान की बाली पहनने से ऊर्जा का प्रभाव अच्छी तरीके से होता है।
  • पुरानी परंपराओं से यह माना जाता है कि कान छिदवाने से सुंदरता और निखर के आती है और सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं।
  • कान छिदवाने से शिशु की बुद्धि में तेजी आती है और वह चीजों को अच्छी तरीके से समझने लगता है।

नोट : ऊपर बताए गए सारे पॉइंट्स लोगों की अनुभव और मान्यताओं पर निर्भर है यह लेख किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को प्रमाणित नहीं करता है।

कान छिदवाने की सही उम्र क्या है? | Kaan Chidwane Ka Sahi Samay

अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार यह बताया गया है कि बच्चे के कान छिदवाने की कोई उम्र नहीं होती। (Kaan Chidwane Ka Sahi Samay) बच्चे के कान को किसी भी उम्र में छिदवाने जा सकता है। परंतु कान छिदवाने की प्रक्रिया बहुत ही स्वच्छता और सावधानी से करनी चाहिए।

विशेषज्ञ नवजात शिशु के कान छिदवाने की सलाह नहीं देते विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों के काम तब तक नहीं छिदवाने चाहिए। जब तक उन्हें खुद इस बात की समझ ना हो कि उन्हें अपने काम नहीं छूने है।

शिशु को कान छिदवाने के लिए कहां जाना चाहिए?

शिशु का कान कहां छिदवाने चाहिए। (kaan chidwane ka sahi sthaan) इसके विषय में हमें अक्सर जानकारी नहीं होती यह चिंता का विषय बन जाता है कि शिशु कान छिदवाने का कार्य कहां करवाना चाहिए। जिससे उसे कम परेशानी है और उसे आगे चलकर किसी भी प्रकार की बीमारी का शिकार ना होना पड़े।

कान छिदवाने की जगह को सोच समझकर तय करना चाहिए। हम आपको कान छिदवाने की सही जगह के विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं।

  • कान छिदवाने के लिए डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं। आजकल बहुत सारे डॉक्टर कान छेदने का कार्य करते है ।
  • इंटरनेट पर अपने शहर के सबसे अच्छे कान छेदने वाली जगहों के विषय में जानकारी लेने चाहिए।
  • अपने दोस्त या रिश्तेदार जिनके बच्चों के पहले से ही  कान छिदवाने हैं उनसे जानकारी लेनी चाहिए।
  • जहां आपको अपने शिशु के कान छिदवाने हैं। उस जगह को पहले जाकर देखें उसके उपयोग किए गए उपकरणों कुछ अच्छे से जांच लें कि कहीं उनमें जंग तो नहीं लगी है। उसके पश्चात ही अपने बच्चे की पियर्सिंग कराएं।

कान छिदवाना कैसे करना चाहिए? – गनशॉट या पारंपरिक (Kaan Chidwane Ka Tarika)

कान छिदवाने के 2 तरीके होते हैं। (Kaan Chidwane Ka Tarika)एक गन शॉट द्वारा और एक पारंपरिक तरीके से पारंपरिक तरीका वह है जिसमें आप  गहने की दुकान पर जाकर कान छिदवाने पसंद करते हैं। परंतु कई लोग मॉडर्न तरीके से गन शॉट के जरिए कान छिदवाना पसंद करते हैं।

आप कान छिदवाने के लिए कोई भी तरीका अपना सकते हैं। परंतु आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस स्थान पर आप कान छिदवा रहे हैं वह स्थान पूरी तरह स्वच्छ हो उसमें उपयोग किए जाने वाले उपकरण बिल्कुल नये हो ।

आप  विशेषज्ञ या डॉक्टर के पास जाकर भी अपने शिशु केकान छिदवा सकते हैं। परंतु इसके लिए आपको अपने आस-पड़ोस या रिश्तेदारों से जानकारी ले लेनी चाहिए।

मै अपने बच्चे को कान छिदवाने के लिए कैसे तैयार करूं?(Babies ki kaan chidwane ki taiyari)

  • शिशु के कान छिदवाने से पहले एक बार बच्चे का चेकअप डॉक्टर से और से करा लेना चाहिए कि उसे किसी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या तो नहीं है। यदि उसे किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो बच्चे के कान नहीं छिदवाने चाहिए।
  • जब आप अपने बच्चे का कान छिदवाने ले जाएं तो उसके साथ उसको बहलाने की चीजे भी साथ देनी चाहिए जिससे वह कान छिदवाने के दौरान ना रोए।
  • बच्चे के साथ उसकी फीडिंग की बोतल उसके पसंदीदा खिलौने आदि चीजों को साथ लेना चाहिए।
  • जिस दिन आप अपने बच्चे का कान छिदवाने ले जाए उस दिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे के कपड़े बिल्कुल ढीले ढाले और आरामदायक हो बच्चे को ऐसा कपड़ा पहना है।
  • जिसमें बटन हो और उसे आराम से खोला जा सके कैसे कपड़ों को नहीं बनाना चाहिए। जिन्हें सिर से निकाला जाए इससे बच्चे का कान में समस्या हो सकती है।
  • कान छेद होते वक्त अपने बच्चे को बहलाने की कोशिश करें उनसे बातें करें जिससे उन्हें दर्द का एहसास ना हो।
  • एक कान छिदवाने के पश्चात से शिशु रोने लगता है

तब माता को बच्चे के कान सहलाने  चाहिए। उन्हें खेलने के लिए खिलौने देना चाहिए। जिससे वह दूसरे कान को आराम से छेदवा सके कान छिदवाने के पश्चात आप अपने बच्चे को घुमाने ले जाएं। उन्हें उनके पसंद की चीजें खिलाएं और उन्हें शांत रखने का प्रयास करें।

मैं सही बालियां कैसे चुनू? (Sahi walio ka chunaav)

  • शुरुआत में बच्चे को वही बालियां बनानी चाहिए जो उसने कान छेदवाते समय पहनी थी। जब बच्चे के कान का घाव भर जाए और उसे कान में परेशानी होना बंद हो जाए तभी उसके कान की बालियों को बदलना चाहिए।
  • कभी भी बच्चे के लिए लटकने वाली बालियां नहीं खरीदनी चाहिए। लटकने वाली बालियां कपड़ों में फंस सकती हैं। जिससे बच्चे के कान में दोबारा दर्द होने की समस्या पैदा हो सकती हैं।
  • शिशु के लिए कभी भी भारी वालियों का चुनाव ना करें रात को सोते समय शिशु के कान में दर्द हो सकता है। और उसे दोबारा कान पकने जैसी समस्याएं बन सकती हैं।
  • हमेशा हल्की बालियां चुन्नी चाहिए और यह कोशिश करनी चाहिए कि हमेशा बच्चे को सोने की बालियां पहनाए सोने की बालियों से संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है।

क्या कान छिदवाना मेरे बच्चे के लिए बहुत दर्दनाक होगा?

कान छिदवाने पर बच्चे के कानों में दर्द होता है(kaan chidwane me dard) इस बात में कोई शक नहीं है। बच्चे के कानों में दर्द होने पर आप उन्हें बहला कर शांत कर सकती हैं। कान छिदवाने के कुछ समय पश्चात भी कानों में चुभन या दर्द महसूस होता है इसलिए कान छिदवाने से पहले आप खुद को भी मानसिक तौर पर तैयार कर लें।

माता-पिता को कान छिदवाने के पश्चात होने वाली जटिलताओं के विषय में भी ध्यान देना पड़ता है। इसलिए कान के अच्छे से देखभाल करने पर वह जल्दी ठीक हो जाता है और उसमें दर्द भी जल्दी चला जाता है।

कान छिदवाने के कारण होने वाली जटिलताएं

  • कान छिदवाने के बाद शिशु के कान में सूजन या कान पकने की समस्या हो सकती है।
  • कुछ बच्चों को संक्रमण का खतरा भी हो सकता है।
  • अगर आप बच्चे को लटकन वाली बालियां पहनाते हैं, तो वो उनके कपड़ों में अटक सकती हैं। जिससे उनके कान में घाव भी हो सकता है।
  • अगर आपके बच्चे को किसी धातु से एलर्जी है तब उन्हें संक्रमण या एलर्जी का खतरा हो सकता है।

 इसलिए बच्चे को कान में बाली या पहनाने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को किस चीज से संक्रमण है इसके विषय में आपको जानकारी हो।

कान छिदवाने के बाद शिशु की देखभाल कैसे करें (Kaan chidwane ke baad dekhbhaal)

  • शिशु के कान छिदवाने के बाद डॉक्टर से मिले और दवा के बारे में सलाह लें।
  • शिशु के कान में दवा लगाने से पहले हाथ को अच्छे से धो लें।
  • कान छिदवाने के बाद एक से दो महीने तक कान की बालियां न बदलें।
  • कान छिदवाने के कुछ दिनों बाद, जब बच्चा सो रहा हो तो आपको एक से दो बार कान की बालियों को धीरे-धीरे घुमाना चाहिए। इससे बच्चे के कानो को ठीक होने में मदद मिलती है।
  • माता पिता को बच्चे पर हमेशा ध्यान रखें, कि कहीं वो कान को या कान के बाली को हाथ तो नहीं लगा रहा या खिंच तो नहीं रहा।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)

Q. कान छिदवाने के कितने तरीके होते हैं?

कान छिदवाने के दो तरीके हैं पारंपरिक तरीका एवं गन शॉट तरीका।

Q. कान छिदवाने की क्या उम्र होती है?

कान छिदवाने की कोई निश्चित उम्र नहीं है परंतु नवजात शिशु के कान नहीं छिदवाने चाहिए।

Q. कान छिदवाने से क्या फायदे मिलते हैं?

कान छिदवाने से दिमागी विकास होने में मदद मिलता है।

Q. कान छिदवाने के और क्या लाभ होते हैं?

कान छिदवाने से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह अच्छा होता है।

निष्कर्ष  :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों के कान छिदवाने की सही उम्र क्या है (Kaan Chidwane Ka Sahi Samay) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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