जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है। माता-पिता उसके पढ़ाई की तैयारी करने लगते हैं। एनसी कक्षा में बच्चा बहुत छोटा होता है। एनसी कक्षा में बच्चों को स्कूल में जाना और स्कूल में बैठना सिखाया जाता है। बच्चे की असली पढ़ाई एल केजी कक्षा से शुरू होती है। इसमें बच्चों को विभिन्न विभिन्न नई-नई बातों के विषय में बताया जाता है। एल केजी कक्षा में शिक्षा को गंभीरता से लेना शुरू किया जाता है परंतु एलकेजी में बच्चों को कैसे पढ़ाई (LKG class me bachon ki padhai) इसके विषय में अक्सर हमें ज्ञान नहीं होता।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एलजी के बच्चों को कैसे पढ़ाई इसके तरीकों (LKG ke bachon ko padhane ke tarike) के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
एलकेजी के बच्चों को कैसे पढ़ाएं?
एलकेजी बच्चे बहुत छोटे होते हैं (LKG ke bachon ko kaise padhaye) वह अपने आप अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं कर पाते। इसलिए उनको हर चीज बहुत आराम से समझनी पड़ती है। एलकेजी में बच्चों को हर चीज को समझने की आवश्यकता होती है उन्हें बार-बार समझाया जाता है। तभी वह चीजों को समझ पाते हैं और पढ़ाई में अपना इंटरेस्ट जागृत कर पाते हैं एलकेजी में बच्चों को कैसे पढ़ाया जाए। इसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है।
1.पहला शुरुआत हिन्दी से करें :
हिंदी बच्चों की मातृभाषा होती है जिस कारण बच्चे हिंदी को आसानी से समझ सकते हैं। जब पहली बार आप बच्चे को पटाने की शुरुआत हिंदी विषय से करते हैं तो उन्हें चीज आसानी से समझ में भी आती हैं और वह चीजों को आसानी से याद भी कर पाते हैं। यदि आप बच्चे को पढ़ना की शुरुआत अंग्रेजी विषय या किसी अन्य विषय से करते हैं तो वह पढ़ाई से डरने लगेगा और उसे अपने विषय बहुत कठिन लगने लगेंगे। इसलिए बच्चा जिस भाषा में सबसे ज्यादा कंफर्टेबल है।
अर्थात अपनी मातृभाषा को सबसे पहले बच्चे को पढ़ना चाहिए। जिससे उसके मन में पढ़ाई के प्रति एक रुचि उत्पन्न हो और वह आसानी से पढ़ाई के लिए प्रेरित हो पाए। एल केजी और यूकेजी कक्षा में सबसे पहले बच्चे को मात्राएं और खड़ियों के विषय में बताना चाहिए। बच्चों को इतना सीखना काफी होता है। इसके अलावा यदि बच्चे पर ज्यादा बहुत ज्यादा बोझ डाल दिया जाता है। तो वह सीखने में असमर्थ हो जाता है।
2.ABCD सिखाएं :
वैसे तो अधिकतर बच्चे नर्सरी कक्षा में ही एबीसीडी सीख जाते हैं। परंतु नर्सरी कक्षा में बच्चे एबीसीडी को एक क्रम में सीखते हैं। किस प्रकार से एबीसीडी को लिखा जाता है तथा किस प्रकार बहुत अच्छी तरीके से है। एबीसीडी को याद कर सकते हैं उसके विषय में हम आपको बताएंगे। एबीसीडी को याद करवाते समय कभी भी बच्चे को आप एक क्रम में एबीसीडी ना बताएं। आगे पीछे कम करके बच्चे के सामने एबीसीडी बोल और बच्चे को हमें एबीसीडी सुधारने के लिए प्रेरित करें।
इसके अलावा आप बच्चे को एबीसीडी लिखने के लिए दें। आगे पीछे एबीसीडी बोलकर बच्चों को लिखने के लिए कहें। यदि आप सीधी सीधी एबीसीडी बच्चों को लिखवाते हैं तो बच्चा सही-सही लिख देगा। परंतु उसकी एबीसीडी पहचान की कला को और विकसित करने के लिए उसके दिमाग की यह एक्सरसाइज करना आवश्यक होता है।
3.गिनती करना बताएं :
छोटे बच्चों को गिनती करना आवश्यक सीखना चाहिए। गिनती बहुत बड़ी होती हैं बच्चों का दिमाग छोटा होता है। वह धीरे-धीरे करके चीजों को याद करने में समर्थ होते हैं। इसलिए बच्चों को इकट्ठी गिनती कभी भी याद नहीं करनी चाहिए।
थोड़ी-थोड़ी गिनतियां को बच्चों को याद करना चाहिए जिससे वह आसानी से गिनती याद कर पाए। बच्चों को सबसे पहले 1 से 10 तक की गिनती याद करने चाहिए। बच्चों को 1 से 10 तक की गिनती याद हो जाती हैं। उसके पश्चात बच्चों को आगे की गिनती याद करवानी चाहिए गिनती याद करवाने के साथ-साथ बच्चे को गिनती लिखने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए। जिससे बच्चा आसानी से गिनती लिखना सीख जाए और उसे शब्दों की सही पहचान हो जाए।
यदि बच्चे को 1 से 100 तक गिनती यूकेजी या एलजी कक्षा में याद हो जाती हैं तो बच्चा पढ़ने में बहुत अच्छा हो सकता है। धीरे-धीरे करके आप बच्चे को टेबल भी याद करवाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
4.कविताएं सुनाएं :
छोटे बच्चों की उम्र हंसी टिटौली करने की होती है वह हर चीज को मस्ती मजाक में लेकर करना चाहते हैं। यदि उन्हें खेल-खेल में कोई चीज याद करवाई जाती है। तो वह चीज उन्हें अधिक समय पर याद रहती है और उन्हें किसी प्रकार का मेंटल प्रेशर लेने की भी आवश्यकता नहीं होती। इसी प्रकार से कविताओं के विभिन्न विभिन्न स्वरूप किताबों में छपे हुए उनके चित्र बच्चों को बहुत सम्मोहित करते हैं। यूकेजी तथा एलजी कक्षा का बच्चा कविताओं को बहुत आसानी से याद कर लेता है।
यदि आप बच्चे को कविताएं सुनते हैं तो उसकी कैचिंग पॉवर इंक्रीज होती है और धीरे-धीरे उसके याद करने की कैपेसिटी भी बढ़ती जाती है। इसलिए बच्चों को कविताएं सुनना चाहिए और विभिन्न भाषाओं में कविताओं को बच्चों को याद भी करना चाहिए। नई-नई चीजों को सीखने से बच्चों के मन में एक प्रोत्साहन रहता है और वह नई-नई चीजों को सीखने के लिए प्रेरित होता रहता है।
5.कहानी सुनाएं :
छोटे बच्चों को कविताएं कहानियां आदि चीज बहुत अच्छी लगती हैं। कहानियों से बच्चे बहुत सम्मोहित होते हैं कहानियों में दिए गए कैरेक्टर से बच्चे रिलेट कर पाते हैं और उन्हें अच्छे से इमेजिन कर पाते हैं।
पेमेंट विभिन्न चीजों को सीखने का प्रयास करते हैं और कहानियों को बहुत ध्यान लगाकर सुनते हैं बच्चों को ऐसी कहानी सुननी चाहिए जिसका कोई मोरल हो जो हमें कुछ ना कुछ सिखाती हूं क्योंकि बच्चे कहानियों की बातों को बहुत समझते हैं। और उन पर चलने का प्रयास भी करते हैं।
कहानियों में लिखी गई बातें बच्चों को बहुत समय तक याद रहती हैं। इसलिए आप बच्चों को कहानियों के माध्यम से नैतिकता का पाठ भी सिखा सकते हैं। बच्चों को आप राजा रानी चूहा बिल्ली आदि की कहानी सुना सकते हैं। और उन्हें एक बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
एलकेजी के बच्चों को क्या पढ़ाया जा सकता है?
एलकेजी के बच्चे बहुत छोटे (LKG ke bachon ko kaise padhaye) होते हैं उनके अंदर सोचने समझने की शक्ति भी कम होती है। इसलिए उन्हें हर चीज को विस्तार पूर्वक समझ कर ही पढ़ाया जा सकता है। एल केजी कक्षा में आप बच्चों के दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डाल सकते।
बल्कि उसे थोड़ा-थोड़ा करके याद करवाना सिखाया जाता है एलजी कक्षा में आप बच्चों को शब्दों की पहचान करना सीख सकते हैं। बच्चे को चित्र दिखाकर शब्दों का अनुसरण करना सीख सकते हैं। इसके अलावा आप बच्चे को अंग्रेजी वर्ड माला भी सिखा सकते हैं।
बच्चों को एक से 10 तक गिनती भी याद करवा सकते हैं परंतु टीचर्स को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि बच्चों को बिल्कुल सरलता से पढ़ने का प्रयास करें जिससे बच्चा आसानी से चीजों को याद कर पाए।
एलकेजी में बच्चों की उम्र कितनी होनी चाहिए?
आजकल के बच्चे ढाई (LKG Class ke bachon ki sahi age) से 3 साल में ही स्कूल जाना प्रारंभ कर देते हैं। यदि बच्चा 3 से 4 साल के बीच स्कूल जाना प्रारंभ कर देता है तो एलजी कक्षा में बच्चों की उम्र 4 से 5 साल होती है। यह उम्र छोटी-छोटी चीजों को सीखने के लिए बिल्कुल सही उम्र होती है। इसमें बच्चा आसानी से चीजों को सिखाने में सक्षम हो जाता है। इसलिए एलजी कक्षा में अपने बच्चों का दाखिला चार से पांच साल का होने पर अवश्य कर दें।
एलकेजी के लिए सबसे अच्छी उम्र कौन सी है?
एलकेजी कक्षा मैं एडमिशन के (LKG class ke liye bacho ki Sahi age) लिए बच्चों की सबसे सही उम्र 4 साल होती है। राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के अनुसार भी यह दिशा निर्देश जारी किए गए हैं कि जिन बच्चों की उम्र 4 साल है। उन्हें एलजी कक्षा में नामांकन दाखिला प्राप्त किया जा सकता है। ज्यादा छोटे बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं भेजना चाहिए क्योंकि। इससे उनका परिवार में होने वाला विकास कम हो जाता है।
यदि आपके परिवार में कोई नहीं रहता तो आप बच्चे को छोटी उम्र से ही स्कूल में पढ़ने के लिए भेज सकते हैं बच्चों का नैतिक विकास उसके माता-पिता उसके परिवार से होता है॥ बच्चे का पहला टीचर बच्चों का परिवार है। इसलिए बच्चों के सामने परिवार वालों को भी बहुत अच्छी तरीके से व्यवहार करना चाहिए। जिससे वैसा ही बच्चा सीख कर अपने अंदर व्यवहार्थ हो जाए। और आगे भी वैसे ही तरीके से व्यवहार करें।
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
Q. एलकेजी के बच्चों को कैसे पढ़ाया जा सकता है?
एलजी के बच्चों को पूरी तरीके से समझा कर पढ़ाया जा सकता है।
Q. LKG और UKG के बच्चों को एक साथ पढ़ा सकतें हैं क्या?
एलजी और यूकेजी के बच्चे एक समान होते हैं इन्हें एक साथ बैठकर पढ़ाया जा सकता है।
Q. छोटे बच्चों को समझने में समय क्यों लगता है?
छोटे बच्चों की समझ सकती कम होने के कारण उनमें सोच विचार की शक्ति कम होती है। जिसके कारण उन्हें समझने में समय लगता है।
Q. बच्चों को किस तरीके से याद करवाना चाहिए?
बच्चों को खेल के माध्यम से कहानियों के माध्यम से या कविताओं के माध्यम से पाठ याद करवाना चाहिए।
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको एलकेजी के बच्चों को कैसे पढ़ाएं? तरीके जिनसे बच्चे जल्दी पढ़ना सीखते हैं? (LKG ke bachon ko kaise padhaye) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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