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Love stories in hindi
प्यार जिन्दगी है अगर आप इसे खो देते है आप जिन्दगी खो देते है
यदि आप एक love stories in hindi की तलाश में हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर है इस कहानी को पूरा पढ़े तभी इस कहानी का लुत्फ आप उठा सकते हैं।
Love stories in hindi का शीर्षक-एक स्कूल की दर्द भरी प्रेम कहानी।
दोस्तों जब मैं 10 क्लास में था तब मैंने अपने स्कूल मे नामांकन लिया, पूरे क्लास मे मैं अपने दोस्तों के अलावा किसी से भी बात नहीं करता था, फिर जैसे जैसे दिन बीतते गए मैं सभी से बात करने लगा।
और धीरे धीरे लगभग क्लास के सभी लड़के मेरे से बात करने लगे। ऐसा करते करते लगभग 5 महीने बीत गए। मैंने ध्यान दिया कि क्लास मे एक लड़की की थी वो ना ही किसी से बात करती और ना ही किसी की तरफ देखती।
दोस्तों के साथ पढ़ने मे, दोस्तों के साथ घूमने मे, दोस्तों के साथ खेलने मे मुझे बहुत मजा आता था।
एक दिन मेरे दोस्त विजय ने मुझसे एक शर्त लगाने की बात कही। मैंने उससे पूछा कि किस चीज की शर्त? तब उसने कहा कि यदि तुझमे दम है तो उस लड़की को प्रपोज करके दिखा और इस काम के लिए तेरे पास बस एक महीना है।
मेरे मन मे कई तरह के ख्याल आने लगे मुझे लगा कि वह लड़की क्या सोचेगी। लेकिन दोस्त ने मेरी हिम्मत बढ़ाते हुए कहा कि मैं ये कर सकता हूं।इसलिए मैंने शर्त स्वीकार कर लिया।
अगले दिन मैं स्कूल में आया और मुझे काफी डर लग रहा था लेकिन मैंने हिम्मत करके दीक्षा को Hiii बोल दिया और उसने मुझे Hello कहा। फिर मैं उससे जान बूझकर इधर उधर की बातें करने लगा ताकि वो मुझसे बात करे।
इसी बीच मैंने उससे उसकी कॉपी ले ली ताकि इसी बहाने अगले दिन फिर से हम दोनों की बातें हो सके। पहले दिन हमारे बीच बस इतनी ही बात हुई।
अगले 6-7 दिन तक मैं उसे किसी ना किसी बहाने से बात करता रहा और वो भी मुझसे बात करते चली गयी। ऐसा करते करते मैंने उसके बारे में सब कुछ जान लिया।
एक तरफ था दोस्त के द्वारा वह शर्त और दूसरी तरफ उस लड़की को प्रपोज करने का डर।
मैंने सोच लिया कि मैं अब उसे प्रपोज करूँगा। सिर्फ 7 दिन बाकी थे शर्त को पूरा करने के लिए, मैंने सोचा था कि मैं उसे एक दिन पहले प्रपोज करूँगा।
दीक्षा लगातार दो दिनों तक स्कूल नहीं आई मैं बिल्कुल डर गया था कि कहीं वो प्रपोज वाले दिन भी नहीं आई तो।
दोस्तों सच कहूँ तो इस शर्त के वजह से धीरे धीरे मुझे दीक्षा से प्यार होने लगा था, पता नहीं क्यूँ मुझे पूरा यकीन था कि वह उस दिन जरूर आएगी।
मैंने उसका उस दिन बहुत इन्तेजार किया, फिर मुझे वह आती दिख गयी। मैं तो जैसे पागल सा हो गया, मेरे अंदर मानो ढेर सारी खुशियाँ अपने आप आ गयी थी, जैसे मेरे अंदर ढेर सारी हिम्मत आ गयी थी।
लेकिन मैं अंदर से डर भी रहा था फिर भी मैंने अपनी आंखों को बंद किया और उसे ये बोल दिया कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ।
इसके बाद जब मैंने आँखें खोली तो मैंने देखा कि वह मेरे सामने से जा चुकी थी और एक बेंच पर जाके बैठ गयी थी।
मैंने उससे दोबारा पूछा और अपना जवाब माँगा उसने कहा कि वह सोचकर बताएगी।
स्कूल खत्म होते ही एक लड़की मेरे पास आई और उसने कहा कि आपको दीक्षा बुला रही है।
मैं बहुत डर गया था लेकिन मैं उसके पास गया उसने धीरे से मेरे कान मे बोला कि मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ।
मैं जैसे पागल सा हो गया, मुझे लग ही नहीं रहा था कि मैं एक आम आदमी हूँ मुझे लग रहा था जैसे मैं राजा बन चुका हूँ, वो जो उस समय मैं महसूस कर रहा था वह मैं आपको बता नहीं सकता।
धीरे धीरे हमलोग एक साथ रहने लगे, हमलोग दोनों ने एक साथ ही कॉलेज मे नामांकन लिया, हमलोग दोनों कॉलेज एक साथ ही जाते थे और एक साथ ही आते थे।
कहानी का अंतिम भाग :-
एक दिन मैं कॉलेज नहीं आया क्यूंकि मुझे घर में बहुत जरूरी काम था लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरे साथ ऐसा होगा।
मैं उस दिन बर्बाद हो गया, मेरी जिन्दगी रुक सी गयी थी। 10 मिनट पहले ही मेरी उससे बात हुई थी उसने कहा था कि कॉलेज की छुट्टी हो गयी है मैं घर पहुँचकर बात करती हूँ।
उसका फोन शाम तक नहीं आया, शाम से रात हो गयी लेकिन उसका फोन नहीं आया, सुबह भी हो गयी लेकिन उसका फोन नहीं आया।
मैं अगले दिन कॉलेज पहुँचा लेकिन वह मुझे कहीं नहीं दिखी। मैं जैसे ही कॉलेज पहुँचा मेरे दोस्तों ने बताया कि कल दीक्षा का सड़क पार करते समय एक्सिडेंट हो गया।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन सच्चाई तो यही थी, भगवान ने हमें दूर कर दिया था। आज भी मैं उसका इन्तेजार करता हूँ।
भगवान पर भरोसा रखने वाले इसे पढ़े।