कम वजन के जन्मे शिशु कारण, लक्षण और देखभाल (Low Birth Weight)

जब माता गर्भवती होती हैं तब से ही वह अपनी सेहत का पूर्ण तरीके से ध्यान रखते हैं। जिससे उनके अंदर पाल रहे शिशु को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। परंतु हजार कोशिशें के बाद भी कभी-कभी शिशु में कुछ विषमताएं दिखाई दे जाते हैं। बहुत सारे बच्चे जन्म के तुरंत बाद ही अंडरवेट होते हैं। उनका वजन उनके शरीर के अनुसार काम होता है (Low birth weight baby kya hai?)परंतु ऐसा क्यों है इसके विषय में अक्सर हमें जानकारी नहीं होती। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको वजन होने के शिशु के कारण लक्षण (Low birth weight baby reason, symptom)और देखभाल के विषय में बताएंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पड़े। 

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जन्म के समय बच्चे का वजन कितना होना चाहिए? 

एक स्वस्थ से शिशु (Bacho ka janm ke time weight) का जन्म 37 सप्ताह से 40 हफ्ते के बीच होता है। और स्वस्थ शिशु का वजन ढाई किलो से लेकर 4 किलो के बीच में होता है। 

कम वजन के जन्मे शिशु कारण, लक्षण और देखभाल (Low Birth Weight)

लो बर्थ वेट बेबी के प्रकार

जन्म के समय से बहुत सारे बच्चे होते हैं जो लो बर्थ वेट होते हैं। लो बर्थ वेट बेबी के बहुत सारे प्रकार होते हैं। इसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है। जिसके माध्यम से आप यह पता लगा सकते हैं कि आपका बच्चा किस प्रकार के विकार से प्रभावित है। 

1.कम वजन शिशु

जिन बच्चों का जन्म के बाद से ही वजन ढाई किलो से कम होता है। उन बच्चों को कम वजन शिशु के अंदर रखा जाता है। भारत में काम से कम हर 12 में से एक बच्चा कम वजन शिशु के अंतर्गत आता है यह लो बर्थ वेट बेबी की एक प्रकार में से है। 

2.बहुत कम वजन शिशु

बहुत कम वजन शिशु उन बच्चों को कहा जाता है जिनका वजन डेढ़ किलो से भी काम होता है। इन बच्चों को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इन बच्चों के शरीर में बहुत सारी विषमताएं भी पाई जाती हैं।  ऐसे शिशु का वजन इतना काम इसलिए होता है क्योंकि उनका जन्म समय से पहले हो जाता है। 

समय-पूर्व जन्मे शिशु और कम वजन वाले शिशु में क्या अंतर है?

समय पूर्व जन्मे शिशु और (Low birth weight babies मे difference) कम वजन वाले शिशु में क्या अंतर होता है। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। जिसके माध्यम से पता लगाकर आप अपने बच्चों की देखभाल कर सकते हैं। 

समय पूर्व जन्मे शिशु :

जिन बच्चों का जन्म 37वीं सप्ताह से पहले हो जाता है। उन बच्चों को अपने शरीर के विकास के लिए एवं अपने पूरे आंतरिक विकास के लिए सही समय नहीं मिल पाता और समय से पहले ही वह शरीर के बाहर आ जाते हैं। 

जिस कारण इन बच्चों का वजन अपने सामान्य वजन से बहुत कम होता है। ऐसे बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है क्योंकि इनका शरीर बहुत कमजोर होता है। और उनके शरीर में बहुत सारे पोषक तत्वों की भी कमी पाई जाती है। 

कम वजन वाले बच्चे के लिए जटिलताएं

बच्चों का वजन कम (low birth weight babies मे problems) होने के कारण उन्हें कई सारी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। बच्चों के कम वजन को दो प्रकारों में बांटा गया है। लो बर्थ वेट और एक्सट्रीमली लो वर्थ वेट होता है। 

लो बर्थ वेट वाले बच्चों को इतनी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता पर जंतु एक्सट्रीमली को बर्थ वेट वाले बच्चों को ज्यादा परेशान होने का सामना करना पड़ता है। उन्हें कई दिनों तक न्यूट्रल इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा जाता है। 

जिससे उन्हें जिंदा रखा जा सके और डॉक्टर की देखरेख में उनका अच्छा ख्याल हो सके कम वजन वाले बच्चों को और क्या-क्या जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

  • कम वजन होने के कारण शिशु के लाल रक्त कोशिकाओं में समस्या हो सकती है। 
  • कम वजन होने के कारण बच्चों को सांस फूलने की समस्या हो सकती है। इससे उसकी जान को भी खतरा हो सकता है। उसका शरीर पीला या नीला भी पड़ सकता है। 
  • यदि आपके बच्चे में वजन कम होगा या शरीर के अंदरूनी पाठ सही नहीं होंगे और उसका लीवर खराब होगा तो बच्चे को जॉन्डिस की समस्या हो सकती है। 
  • जौंडिस शरीर में ब्लू रूबेन प्रोटीन की अधिकता के कारण होती है बिलीरुबिन प्रोटीन लीवर के द्वारा रेगुलेट किया जाता है। 
  • यदि लिवर खराब है तो यह प्रोटीन शरीर में ज्यादा हो जाता है और पीलिया या जॉन्डिस की समस्या होने लगती है। 
  • शिशु की आंख की रेटिना में भी समस्या हो सकती है। इससे बच्चों को अंधेपन का रोग हो सकता है। इसलिए बच्चे का कम वजन किसी भी स्तर पर नुकसानदायक हो सकता है। 
  • बच्चों के कम वजन होने के कारण नेक्रोटाइजिंग  एंट्रोकोलाइटिस की समस्या हो सकती है। यह आंतों से जुड़ी गंभीर बीमारी है।
  • यह आत में गंभीर विकार उत्पन्न करती है और आंतों को पूरी तरह से डैमेज कर देती है
  • बच्चों का कम वजन होने के कारण पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस का सामना करना पड़ सकता है। यह शिशुओं को होने वाली ह्रदय से संबंधित बीमारी है।
  • इस रोग के कारण शिशु के शरीर में अतिरिक्त रक्त वाहिकाओं का निर्माण हो जाता है।
  • शिशु को संक्रमण होने का शिकार होना पड़ता है संक्रमण बच्चों को अपनी मां से प्राप्त होता है। 

गर्भावस्था के दौरान शिशु के वजन में कमी का निदान कैसे करें?

गर्भावस्था के दौरान गर्भवती (Bacho me low weight ka nidan) महिला के विभिन्न विभिन्न जांच कराई जाती हैं। जिससे महिला के अंदर पड़ रहे हो बच्चे की स्थिति का पता लगाया जा सकते। 

और उसके अंदर किस प्रकार की कोई कमी है। उसके विषय में जानकारी पाकर उसका निदान किया जा सके गर्भावस्था के दौरान भजन में यदि कमी है। तो उसकी क्या-क्या निदान हो सकते इस विषय में जानकारी प्रदान की गई है

  • डॉक्टर गर्भवती महिला के वजन से भी यह अंदाज़ लगा सकते हैं। कि बच्चे का विकास सहित प्रकार से हो रहा है। 
  • डॉक्टर आपके भ्रूण की जांच करने के लिए अल्ट्रासाउंड भी कर सकते हैं अल्ट्रासाउंड करने से भ्रूण का साइज पता चल जाता है। 
  • और भ्रूण में यदि किसी प्रकार का बेकार है तो उसके विषय में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है। 

 क्या करें कि जन्म के समय शिशु का वजन कम न हो?

  • प्रसव के पूर्व यदि गर्भवती महिला की देखभाल अच्छे से की जाती है। तो महिला के अंदर फल रहे बच्चे का वजन ठीक होने में संभावना रहती है और बच्चा स्वस्थ जन्म लेता है। 
  • समय-समय पर मां और उसके अंदर पाल रहे शिशु के स्वास्थ्य का चेकअप कराते रहना चाहिए। यदि चेकअप करते रहेंगे तो हमें यह जानकारी मिलती रहेगी। 
  • कि माता को किस प्रकार के पोषक तत्व की आवश्यकता है। और उसकी समय पर पूर्ति होती रहेगी जिससे बच्चे का विकास और माता का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। 
  • यदि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला स्वस्थ आहार का सेवन करती है। तो महिला के अंदर पल रहे  बच्चों के वजन को बढ़ाने में मदद मिलती है और बच्चा स्वस्थ रहता है। 
  • गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को शराब सिगरेट या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। यह महिला के स्वास्थ्य के साथ-साथ उसके अंदर पल रहे भ्रूण को भी बहुत नुकसान पहुंचता है। 
  • इन गलत आदतों से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। और वह बहुत सारी बीमारियों का भी शिकार हो सकता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान इन सभी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। 

अगर मेरा बच्चा कम वजन का है, तो मैं अपने बच्चे की मदद कैसे कर सकती हूं?

अगर आपका बच्चा कम वजन के साथ पैदा हुआ है और उसका वजन बढ़ाने के लिए आप मेहनत करना चाहते हैं। तो नीचे कुछ पॉइंट्स के माध्यम से आपको यह जानकारी प्रदान की गई है कि आप अपने बच्चों का वजन किस प्रकार बढ़ा सकते हैं। 

1.रेगुलर चेकअप : यदि आपका बच्चा बहुत कम वजन का है तो आप उसका रेगुलर चेकअप करवा कर उसका वजन बढ़ाने में डॉक्टर की मदद ले सकते हैं। और डॉक्टर से रेगुलर चार्ट बनवाकर उसके वजन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। 

2.स्तनपान: छोटे से बच्चों के लिए उसकी मां का दूध बहुत महत्वपूर्ण होता है। मां का दूध अवश्य पिलाना चाहिए मां के दूध में एंटीबॉडीज उपस्थित होती हैं। यदि बच्चा मां के देखकर सेवन करता है तो उसका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। 

और उसके रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है इससे बच्चों को बीमारी कम लगती है जितने पोषक तत्व मां के दूध में पाए जाते हैं। उतने पोषक तत्व किसी भी प्रकार के दूध में नहीं होते इसलिए माता को ज्यादा से ज्यादा स्तनपान अवश्य करना चाहिए। 

3.ठोस खाद्य पदार्थ दें : यदि आपका बच्चा ठोस पदार्थ का सेवन करने लायक हो गया है और वह ठोस पदार्थ खाने लगा है। तो आप उसकी डाइट में ठोस पदार्थ शामिल कर सकते हैं। 

यह बच्चे की वजन बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण होता है 6 महीने के पश्चात आप अपने बच्चों को कैसे पदार्थ का सेवन कर सकते हैं। डॉक्टर की सलाह पर ठोस पदार्थ उसकी डाइट की चार्ट में शामिल कर लेना चाहिए। 

4.खानपान का ध्यान : माता-पिता को बच्चों के खान-बन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि बच्चे के खान-पान का विशेष ध्यान रखा जाता है। तो बच्चे का वजन बढ़ाने में भी मदद मिलती है। 

परंतु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शिशु को किसी भी प्रकार की कृत्रिम चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए जिससे उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़े। 

5.धैर्य रखें : शिशु का वजन बढ़ाने के क्रम में हमें धैर्य से काम लेना चाहिए। यदि आप अधिक चिंतित हो जाते हैं तो बच्चे को और आपको भी उसकी देखरेख करने में भी समस्या होगी। 

6.कंगारू मदर केयर : इस तकनीक का इस्तेमाल एक्सट्रीमली लो बर्थ वेट वाले बच्चों की देखभाल के लिए प्रयोग किया जाता है।

 इसमें मां बच्चे को कंगारू की तरह सीने से चिपका कर रखती हैं। मां के साथ बच्चे को चिपकने से बच्चे को शांति का अनुभव होता है और अपना तो महसूस होता है इसलिए कंगारू मदद करे बहुत महत्वपूर्ण होती है।

शिशु की वजन की कमी के उपचार 

शिशु की वजन की कमी (Bacho me weight loss ke upchar) के क्या-क्या उपचार हो सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई। 

  • डॉक्टर बच्चों के स्वास्थ्य के विषय में बेहतर जानकारी रखते हैं। सबसे  पहले डॉक्टर भ्रूण की आयु, उसकी सेहत व मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता करेंगे।
  • इसके बाद न्यूबोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में शिशु की देखभाल की जाएगी। यह एक ऐसा आर्टिफिशियल साधन है जिसके माध्यम से बच्चे को मां के गर्भ के जैसा एहसास होता है और उसमें वह सेफ महसूस करते हैं। 
  • शिशु को तापमान नियंत्रित बेड पर लेटाया जाएगा।
  • अगर शिशु को आहार लेने में समस्या होती है, तो उसे नली के जरिए विशेष खाद्य पदार्थ दिए जाएंगे।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. जन्म के समय बच्चे का वजन कितना होना चाहिए? 

जन्म के समय बच्चे का वजन डेढ़ किलो से लेकर 4 किलो के बीच में होना चाहिए। 

Q. बच्चों के कम वजन को कितने प्रकारों में बांटा गया है? 

बच्चों की कम वजन को दो प्रकारों में बांटा गया है लो वर्थ वेट बेबी एंड एक्सट्रीमली लो वर्थ वेट बेबी। 

Q. शिशु का जन्म कौन से सप्ताह में होता है? 

शिशु का जन्म सामान्यत 37वें हफ्ते से 40 में हफ्ते के बीच होता है। 

Q. शिशु के वजन को कैसे बढ़ाया जा सकता है? 

शिशु के भजन को रेगुलर चेकअप के माध्यम से और अच्छी देखभाल के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको कम जन्म वजन शिशु (लो बर्थ वेट): कारण, लक्षण और देखभाल (Low Birth Weight) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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