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success-शांत होने की ताकत।
शीर्षक:शांत होने की ताकत।
बहुत पुरानी बात है गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एक गाँव से गुजर रहे थे और गौतम बुद्ध को अचानक प्यास लगी तो उन्होने अपने शिष्य से कहा कि हम इस पेड़ के नीचे बाकी लोग आराम कर रहे है।
तुम जाओ और गाँव का जो तालाब है वहां से पानी भरके इस घड़े मे ले आओ।
तो शिष्य से जो था वो गुरुजी की बात मानते हुए पानी भरने चला गया।
जब वह तालाब के पास पहुँचता है तो देखता है कि तालाब मे किसान अपने बैलों को धो रहे है, महिलाये जो है वो कपड़े धो रहे है, तालाब का पानी जो है वो बहुत गन्दा है।
उसे समझ नहीं आया कि इतना गन्दा पानी गुरुजी के लिए लेके जाऊ तो जाऊ कैसे।
थोड़ी देर उसने इन्तजार किया फिर उसे समझ नहीं आया वो वापस लौट गया और वही पहुच गया जहा गौतमबुद्ध रुके हुए थे।
उसने गौतमबुद्ध से जाके कहा कि
माँफी चाहूंगा गुरुदेव लेकिन मैं पानी लेकर ना आ सका पानी इतना गन्दा है कि मै वो पानी ला ही नहीं सकता।
गौतमबुद्ध ने उस शिष्य से कुछ नहीं कहा और कहा कि हमलोग कुछ देर यही आराम करेंगे तुम भी आराम कर लो।
आधे घंटे के बाद गौतम बुद्ध ने उसे फिर उससे कहा कि तुम जाओ और उस तालाब से पानी लेकर आओ।बहुत प्यास लगी है।
शिष्य फिर सोचने लगा लेकिन गौतमबुद्ध के कहने पर वह वहां गया और देखा कि तालाब मे जो मिट्टी थी गन्दगी थी वह बैठ चुकी है और तालाब का पानी बिल्कुल साफ हो चुका है,उसने घड़े मे पानी भरा और गौतम बुद्ध के पास गया।
और बोला कि पानी साफ कैसे हुआ?
गौतमबुद्ध ने कहा कि यह बात मैं समझाना भी चाहता था और दिखाना भी, कि जिस तरह से तालाब का पानीआधे घंटे मे साफ हो गया
ठीक ऐसे ही हमलोगो के साथ भी होता है कई बार हम कोशिश करते है बहुत मेहनत करते है बस परिणाम मिल जाए
लेकिन उस वक़्त ध्यान नहीं देते हमारा दिमाग जो है वो हतोत्साहित है,
निष्कर्ष:–
- हम चाहे जितना जोड़ लगा ले हम उस परेशानी मे सही तरह से प्रयास ही नहीं कर पाते इसीलिए थोड़ा सा वक़्त अपने दिमाग को दीजिए, शांत हो जाइए।
शांत होने के बाद अपनी ताकत से फिर से शुरू किजिये, आपको सफलता जरूर मिलेगी।
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