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दूसरो को जज ना करे ।
गुस्से का सबसे बड़ा इलाज होता है मौन। अपने खिलाफ बातें आप खुशी से सुनते रहे चुप रहे यकीन मानिए, वक़्त आने पर बेहतरीन जवाब देगा।
शीर्षक :दूसरो को जज ना करे।
एक छोटी सी कहानी आपको सुनाता हू।
एक बार एक पिता अपने 22 साल के बेटे के साथ मे स्टेशन पर पहुचे उनकी ट्रेन छूटने वाली थी, दौड़के उन्होने ट्रेन पकड़ा और जाकर ट्रेन मे बैठे।
तो बच्चे ने अजीब सी ज़िद की, 22 साल का लड़का ये ज़िद कर रहा है कि मुझे विंडो सीट पर बैठना है।
अब आसपास के जो यात्री थे वो देख रहे थे कि बाप बेटे मे कुछ बातचीत चल रही है।
अब आसपास के जो यात्री थे वो देख रहे थे कि बाप बेटे मे कुछ बातचीत चल रही है।
बेटे को पिता ने कहा कि जरूर,आओ आके बैठ जाओ।
सामने वाली सीट पर एक महिला बैठी थी, अपने परिवार के साथ मे, उनके पति नीचे कुछ लेने के लिए गए हुए थे। सबलोग अपने अपने जगह पर बैठ गए।
ट्रेन चलने लगी तो बेटा जो था वो अजीब सी हरकत करने लगा, उसने अपने पिता से कहा वो देखो पापा गाड़ी पीछे जा रही है।
थोड़ी देर बाद बोला पापा वो देखो पेड़ पीछे जा रहे हैं,तो सामने वाली महिला ने सोचा हो सकता है है कि मजाक कर रहा हो।
थोड़ी देर बाद बोला कि वो देखो पापा बादल पीछे जा रहे हैं।
उस महिला ने अपने बैग मे से कुछ खाने को निकाला और उस लड़के के पापा से पूछा आप भी कुछ लेंगे?
इसी बहाने उनलोगों की बात होने लगी। इनसब के बीच महिला को लगा ये सही समय है पूछने का, उसने पूछ लिया।
उसने कहा कि भाई साहब एक बात पूछूँ यदि आप बुरा ना माने तो,आप अपने बेटे को कही दिखा क्यु नहीं लेते, एक अच्छे डॉक्टर है जिन्हे मै जानती हूँ।
आप बोलो तो मै आपको बात करवा देती हूँ।
उस व्यक्ति ने जो कहा ध्यान से सुनिएगा,
उसने कहा कि मै इसे डॉक्टर के पास से ही ला रहा हूँ।
उसने कहा कि मै इसे डॉक्टर के पास से ही ला रहा हूँ।
ये बचपन से अंधा था।आज ही इसे आँखे मिली हैं।
ये छोटी सी कहानी हमे यह बड़ी बात सिखाती है कि इस दुनिया में हर एक इंसान की अपनी कहानी है।
लोगों को जज करना बंद किजिये उन्हे प्यार करना शुरू कीजिए।
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