दोस्तों, एमआरपी के बारे में कौन नहीं जानता है, परंतु एमआरपी के क्या उद्देश्य होते हैं? और एमआरपी क्या होता है? इसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है। एमआरपी से संबंधित लोगों को केवल इतनी जानकारी होती है कि एमआरपी रेट पर ही वह वस्तुओं को खरीदते हैं, परंतु इससे अधिक किसी भी व्यक्ति को कोई जानकारी नहीं होती है।
एमआरपी से संबंधित यदि आप सभी लोग संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा आप सभी को इस लेख में What is the MRP? Benefits of MRP? Full form of MRP? आदि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। यह संपूर्ण जानकारी आप सभी के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगी।
दोस्तों, किसी भी सामान को यदि आप दुकान से खरीदते हैं, तो उस समान के ऊपर एमआरपी रेट पड़ा होता है। इसी कीमत पर आप लोग उस वस्तु को खरीदने हैं। परंतु उस एमआरपी का क्या उद्देश्य होता है? और एमआरपी क्या होता है? इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता होता है।
क्योंकि एमआरपी को किसी न किसी उद्देश्य से आवश्यक तौर पर ही निर्धारित किया जाता है। हमारे द्वारा आप सभी को इस लेख में MRP kya hota hai? MRP ki full form kya hoti hai? MRP ke labh kya hote hai? MRP ke nuksan kya hai? आदि के बारे में बताया गया है। इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
एमआरपी क्या है? (What is the MRP?)
दोस्तों, जिन लोगों को एमआरपी के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। उन सभी को हमारे द्वारा सबसे पहले यहां What is the MRP? के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है? किसी भी सामान पर उसकी निर्माता कंपनी के द्वारा जिस अधिकतम मूल्य को अंकित किया जाता है। उस कीमत को ही उस वस्तु का एमआरपी कहा जाता है। अर्थात हम लोग कह सकते हैं की एमआरपी किसी वस्तु का वह अधिकतम मूल्य होता है। जिस सामान पर उस मूल्य को खरीदा जा सकता है।
दोस्तों, किसी भी दुकानदार के द्वारा उस वस्तु पर लिखी गई एमआरपी से अधिक मूल्य पर उस वस्तु को नहीं बेचा जा सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी भी वस्तु को उसकी एमआरपी से अधिक दामों पर बेचना एक अपराध होता है, परंतु दुकानदार के द्वारा किसी वस्तु को उस वस्तु पर लिखी गई एमआरपी से कम दाम पर आवश्यक तौर पर दे सकता है। एमआरपी किसी भी वस्तु की कीमत को निश्चित करने में सक्षम होता है।
यदि किसी दुकानदार के द्वारा किसी भी वस्तु को उस वस्तु पर अंकित एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेचा जाता है, तो ग्राहक उसे दुकानदार के खिलाफ शिकायत करने का हक रखता है। परंतु यदि कोई दुकानदार किसी भी वस्तु को उस वस्तु पर अंकित एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेचता हुआ पकड़ा जाता है, तो उसे इसके लिए जुर्माना देना पड़ता है। यही कारण है कि कोई भी दुकानदार वस्तु के एमआरपी से अधिक दामों पर उस वस्तु को नहीं बेच सकता है।
एमआरपी की फुल फॉर्म? (Full form of MRP?)
दोस्तों, एमआरपी क्या होता है? इसके बारे में आप सभी को ऊपर अच्छी प्रकार से जानकारी प्राप्त हो गई होगी। परंतु एमआरपी एक शॉर्ट फॉर्म है। इसीलिए हमारे द्वारा आप सभी को यहां Full form of MRP? के बारे में विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है। एमआरपी की फुल फॉर्म “Maximum retail price” होती है। जिसे हिंदी भाषा में “अधिकतम खुरदरा मूल्य” के नाम से जानते हैं।
दोस्तों, अधिकतर इस्तेमाल में लाई जाने वाली एमआरपी की फुल फॉर्म मैक्सिमम रिटेल प्राइस ही होती है, परंतु इसके अलावा भी एमआरपी की अन्य कई फुल फॉर्म होती है। हमारे द्वारा आप सभी को एमआरपी की अन्य फुल फॉर्म के बारे में निम्न प्रकार विस्तार पूर्वक बताया गया है-
- Marla Airport
- Machine readable passport
- Manufacturing resources planning
एमआरपी का उद्देश्य? (Aims of MRP?)
दोस्तों, किसी भी का निर्माता कंपनी के द्वारा एमआरपी का निर्धारण करने के पीछे कोई ना कोई उद्देश्य आवश्यक होता है। हमारे द्वारा आप सभी को यहां Aims of MRP? के बारे में विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है। एमआरपी के निर्धारण का सबसे मुख्य उद्देश्य यह होता है कि ग्राहकों के अधिकारों और हितों की रक्षा की जा सके। पहले के समय में जब एमआरपी का निर्धारण नहीं हुआ करता था।
तब दुकानदार के द्वारा किसी भी वस्तु पर अपनी मनचाही कीमत अंकित करके उसे बेच दिया जाता था। इससे ग्राहकों का शोषण होता था। पहले की ऐसी स्थिति में ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में दुकानदारों के द्वारा किसी-किसी उत्पाद के दुगने पैसे भी हासिल कर लिए जाते थे। जिससे ग्राहकों की आर्थिक स्थिति पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता था। यही कारण था की एमआरपी अस्तित्व में आया है।
इन्हीं सभी विसंगतियों को दूर करने हेतु सरकार के द्वारा प्रत्येक उत्पाद की अधिकतम मूल्य अर्थात एमआरपी को अंकित करने का निर्धारण किया गया। इसके तत्पश्चात किसी भी दुकानदार और रिटेलर के द्वारा किसी भी वस्तु के ऊपर मनचाहे मूल्य नहीं लिए जा सकते हैं क्योंकि ऐसा करने पर उन्हें जुर्माना और सजा होने का खतरा होता है। साथ ही साथ ऐसा होने पर ग्राहकों के पास दुकानदार के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार होता है।
एमआरपी के नियम? (Rules of MRP?)
दोस्तों, एमआरपी के भी अपने कुछ नियम है। यदि आप एमआरपी के नियम की जानकारी हासिल करना चाहते हैं, तो हम आपको यहां Rules of MRP? के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दे रहे हैं। दोस्तों, मार्च 2022 से भारत सरकार के द्वारा एमआरपी से संबंधित एक नए नियम को लागू किया गया है। इसके बारे में संपूर्ण जानकारी निम्न प्रकार दी गई है-
इस नए नियम के अनुसार किसी भी उत्पादों के बिक्री के दौरान कोई भी रिटेलर या फिर विक्रेता ग्राहक से उस वस्तु के अंकित एमआरपी से अधिक मूल्य की मांग नहीं कर सकता है, परंतु फिर भी ऐसा करते हुए कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है, तो कानून के द्वारा उस व्यक्ति पर कड़ी कार्रवाई की जाती है। साथ ही साथ उसे जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
एमआरपी कौन निर्धारित होता है? (Who determines MRP?)
दोस्तों, अब आप सभी के मन में यह सवाल जरूर उत्पन्न हुआ होगा कि एमआरपी कौन निर्धारित करता है, तो हम आपके यहां इसके बारे में भी जानकारी प्रदान कर रहे हैं। किसी भी प्रोडक्ट की एमआरपी का निर्धारण उस उत्पाद को बनाने वाले निर्माता के द्वारा किया जाता है। जब किसी कंपनी के द्वारा उत्पाद का निर्माण किया जाता है, तो उस उत्पाद को बनाने वाली कंपनी के द्वारा ही उसकी एमआरपी निर्धारित की जाती है।
किसी भी उत्पाद की एमआरपी निर्धारित करते समय कंपनी के द्वारा उत्पाद को तैयार करने में लगने वाली लागत, अपना फायदा, दुकानदार और रिटेलर का फायदा तथा उत्पाद के टैक्स आदि को ध्यान में रखा जाता है। इसके तत्पश्चात ही उस उत्पाद की एमआरपी को निर्धारित किया जाता है। रिटेलर तथा दुकानदार ग्राहक को अपनी और आकर्षित करने के लिए उत्पाद को उसके एमआरपी मूल्य से काम में तो बेच सकते हैं।
परंतु उससे अधिक दाम में नहीं बेच सकते हैं किसी भी उत्पाद को उसकी एमआरपी से अधिक दामों पर बेचना गैरकानूनी होता है, परंतु यदि फिर भी किसी दुकानदार के द्वारा किसी वस्तु को उसकी एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेचते हुए पकड़ा जाता है, तो उसको जुर्माने के साथ-साथ सजा का प्रावधान भी होता है। यही कारण है कि किसी भी उत्पाद को उसके एमआरपी से अधिक मूल्य पर नहीं बेचा जाता है।
एमआरपी के लाभ? (Benefits of MRP?)
दोस्तों, जैसे कि आप सभी जानते हैं कि भारतीय सरकार के नियमानुसार भारत के अंतर्गत बनने वाली सभी खुदरा वस्तुओं पर उसका एमआरपी अंकित करना अनिवार्य होता है। किसी भी सामान को उस पर एमआरपी अंकित किए बिना बेचना जुर्म होता है। यदि आप एमआरपी के लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा आप सभी इसकी संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक निम्न प्रकार दी गई है-
- किसी भी उत्पाद पर एमआरपी अंकित करने का सबसे बड़ा और मुख्य फायदा यह है कि कोई भी दुकानदार उसे वस्तु पर अंकित एमआरपी से अधिक कीमत किसी भी ग्राहक से नहीं वसूल सकता है। ऐसे किसी भी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है।
- एमआरपी के द्वारा एक प्रकार से ग्राहकों के अस्तित्व की रक्षा की जाती है।
- यदि किसी प्रोडक्ट के ऊपर एमआरपी अंकित होती है, तो कोई भी दुकानदार और रिटेलर अपने ग्राहक को ठग नहीं सकता है।
- परंतु यदि किसी दुकानदार के द्वारा किसी भी वस्तु को उसकी एमआरपी से ऊपर दामों पर बेचा जाता है, तो ग्राहकों के द्वारा ग्राहक उपभोक्ता केंद्र के अंतर्गत इसकी शिकायत दर्ज की जा सकती है। इस स्थिति में दोषी पाए जाने पर दुकानदार को जुर्माने के साथ-साथ सजा भी दी जाती है और उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।
एमआरपी के नुकसान? (Disadvantages of MRP?)
एमआरपी के अपने कुछ नुकसान भी होते हैं। यदि आप एमआरपी के नुकसान के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा यह संपूर्ण जानकारी आप सभी को निम्न प्रकार दी गई है-
- यदि कोई दुकानदार किसी भी उत्पाद को दूर से लेकर आता है, तो इसमें दुकानदार की लागत अधिक हो जाती है, परंतु फिर भी दुकानदार को उस उत्पाद को उसकी एमआरपी पर ही बेचना पड़ता है। यही कारण है कि इससे दुकानदार को घाटे का सामना करना पड़ता है।
- यह एक नुकसान ग्राहकों के लिए फायदेमंद और दुकानदार व रिटेलर के लिए नुकसानदायक होता है।
एमआरपी से संबंधित अन्य जानकारियां? (Any other information about MRP?)
दोस्तों, एमआरपी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां हमारे द्वारा आप सभी को इस लेख में बता दी गयी है, परंतु एमआरपी से संबंधित कुछ अन्य जानकारियां भी उपस्थित हैं। जिनके बारे में आप सभी को जानकारी होना आवश्यक है। इसीलिए हमारे द्वारा आप सभी को नीचे Any other information about MRP? के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। यह संपूर्ण जानकारी निम्न प्रकार है-
- सर्वप्रथम 2006 के अंतर्गत भारत सरकार के द्वारा प्रत्येक उत्पाद पर एमआरपी अंकित करना अनिवार्य किया गया था। यह नियम 2006 में लागू किया गया।
- किसी भी उत्पाद को उस पर अंकित एमआरपी से अधिक दामों पर बेचना गैर कानूनी रखा गया है।
- यदि किसी ग्राहक को दुकानदार व रिटेलर कोई भी वस्तु एमआरपी से अधिक दामों पर बेचता है, तो ग्राहक को अधिकार है कि वह ग्राहक उपभोक्ता केंद्र के अंतर्गत उस दुकानदार पर रिटेलर की शिकायत दर्ज कर सके।
- सन 2006 से पहले किसी भी उत्पाद पर एमआरपी अंकित करने का कोई प्रावधान नहीं था। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह था कि दुकानदार अपनी मर्जी से किसी भी वस्तु के मूल्य को प्राप्त करता था।
- सन 2006 में भारत सरकार के द्वारा ले गए इस नियम के बाद कोई भी कंपनी अपने प्रोडक्ट का एमआरपी निर्धारण किए बिना उसे मार्केट में लॉन्च नहीं कर सकती है।
- दोस्तों, हमारे द्वारा यहां आपको एमआरपी से संबंधित अन्य जानकारियां भी दे दी गयी है। यह संपूर्ण जानकारी आप सभी के लिए बेहद फायदेमंद साबित होंगी।
एमआरपी क्या होता है? इससे संबंधित प्रश्न व उत्तर (FAQs):-
Q:- 1. एमआरपी क्या होता है?
Ans:- 1. किसी भी कंपनी के उत्पाद पर उस कंपनी के निर्माता द्वारा जो अधिकतम मूल्य तय किया जाता है। उसे ही वस्तु का एमआरपी मूल्य कहा जाता है। अर्थात एमआरपी किसी भी वस्तु का वह अधिकतम मूल्य होता है, जिस मूल्य पर उस वस्तु को खरीदा जा सके। एमआरपी को विभिन्न प्रकार की संपूर्ण स्थितियों को देखते हुए निर्धारित किया गया है।
Q:- 2. एमआरपी की फुल फॉर्म क्या होती है?
Ans:- 2. दोस्तों, किसी भी सामान को खरीदते हुए आपने उस वस्तु पर एमआरपी अंकित देखा होगा, परंतु एमआरपी की फुल फॉर्म हर व्यक्ति को नहीं पता होती है, तो हम आपको बता दें, एमआरपी की फुल फॉर्म Maximum retail price होती है। जिसे हिंदी भाषा में “अधिकतम खुदरा मूल्य” कहा जाता है।
Q:- 3. एमआरपी का नियम भारत सरकार द्वारा कब लागू किया गया?
Ans:- 3. दोस्तों, एमआरपी का नियम भारत सरकार द्वारा मार्च 2022 में लागू किया गया था। जिसके तहत कोई भी दुकानदार या फिर रिटेलर अपने ग्राहक से उस वस्तु के अंकित मूल्य से अधिक मूल्य की मांग नहीं कर सकता है। यदि ऐसा करता हुआ, कोई भी व्यक्ति पकड़ा जाता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई होती है।
Q:- 4. ग्राहकों के द्वारा इससे संबंधित शिकायत कहां की जाती है?
Ans:- 4. यदि कोई दुकानदार या रिटेलर किसी ग्राहक को कोई भी वस्तु उस वस्तु पर अंकित मूल्य से अधिक दामों पर बेचता है अर्थात एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेचता है, तो ग्राहक उस दुकानदार और रिटेलर की शिकायत ग्राहक उपभोक्ता केंद्र में जाकर कर सकता है। जुर्म सही साबित होने पर दुकानदार को जुर्माना और सजा भी होती है।
Q:- 5. एमआरपी कौन निर्धारित करता है?
Ans:- 5. किसी भी उत्पाद के एमआरपी का निर्धारण उस उत्पाद को निर्मित करने वाले निर्माता के द्वारा किया जाता है। जब किसी भी नए प्रोडक्ट का निर्माण किया जाता है, तो उस प्रोडक्ट को बनाने वाली कंपनी के द्वारा ही उसके एमआरपी का निर्धारण किया जाता है। जिसके तहत संपूर्ण मार्केट में वह वस्तु उसी कीमत पर बेची जाती है।
Q:- 6. एमआरपी का क्या नुकसान होता है?
Ans:- 6. दोस्तों, एमआरपी का एक सबसे मुख्य नुकसान यह होता है कि जब किसी वस्तु को कोई दुकानदार दूर से लेकर आता है, तो उसकी लागत बढ़ जाती है। परंतु उस वस्तु को उस वस्तु पर अंकित मूल्य अर्थात एमआरपी पर ही बेचना होता है। जिस कारण दुकानदार और रिटेलर को कभी-कभी घाटे का सौदा करना पड़ता है।
Q:- 7. एमआरपी के लाभ क्या है?
Ans:- 7. दोस्तों, एमआरपी के विभिन्न लाभ होते हैं। यदि आप लोग एमआरपी के लाभों के बारे में जानकारी हासिल करना चाहते हैं, तो हमारे द्वारा आप सभी को ऊपर लेख में Benefits of MRP? के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। यह संपूर्ण जानकारी आप हमारे लेख की सहायता से प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):- दोस्तों, हमारे द्वारा आप सभी को आज इस लेख के अंतर्गत एमआरपी से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान की है। हमने आप सभी को इस लेख में MRP kya hota hai? MRP ke kya uddeshy hai? MRP ki full form kya hai? MRP ke labh? MRP ke nuksaan? आदि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। हम उम्मीद करते हैं कि जिन लोगों को एमआरपी से संबंधित कोई भी जानकारी नहीं थी। उन सभी को हमारे इस लेख से बहुत सहायता प्रदान हुई होगी। यदि आप सभी लोगों को हमारे द्वारा दी गई यह संपूर्ण जानकारी पसंद आई हो, तो आप हमें कमेंट सेक्शन में लिखकर जरूर बताइए। साथ ही साथ इस जानकारी को अपने सभी दोस्तों व जरूरतमंद रिश्तेदारों के साथ शेयर करना ना भूले।