माता-पिता से अपने रिश्तों को बेहतर कैसे बनाएं? 

माता-पिता अपने बच्चों को बहुत ज्यादा प्रेम करते हैं। वह चाहते हैं कि वह अपने बच्चों को हर सुख सुविधा प्रदान करें और कभी भी अपने बच्चों को किसी भी प्रकार की कमी न होने दें। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं उनके और उनके पैरेंट्स के विचार कुछ मामलों में अलग होते रहते हैं जिसकी वजह से दोनों के बीच में  मिस अंडरस्टैंडिंग पैदा हो जाती है। परंतु अपने माता-पिता के साथ हम रिश्ते कैसे संभाल सकते हैं (Parents ke saath baccho ka rishta) उसके विषय में हमें अक्सर जानकारी नहीं होती। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको माता-पिता से अपने रिश्तों को बेहतर कैसे (Parents ke saath baccho ke rishte ko kaise sudharen)बनाएं उसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

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माता-पिता से रिश्ते सुधारने के लिए टिप्स

माता-पिता के साथ यदि किसी (Parents ke saath baccho ka rishte sudharne ke tips)वजह से उनके बच्चों के साथ रिश्ते बिगड़ जाते हैं। तो कभी भी माता-पिता के मन में अपने बच्चों के प्रति प्रेम काम नहीं होता इसलिए बच्चों को हमेशा अपने माता-पिता के साथ रिश्ते सुधारने का प्रयास करना चाहिए। बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ रिश्ते सुधारने के लिए क्या-क्या कदम उठा सकते हैं उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है। 

माता-पिता से अपने रिश्तों को बेहतर कैसे बनाएं? 

1. माता-पिता से रिश्ते सुधारने के लिए पहले खुद को बदले :

एक बच्चे से उसके पेरेंट्स से रिश्ते इसीलिए खराब होते हैं क्योंकि उन्हें अपने बच्चों की थिंकिंग और उसकी अंडरस्टैंडिंग में फर्क मालूम पड़ता हैं। बच्चे की थिंकिंग और उसकी समझ अलग होती है जिससे पेरेंट्स की समझ मैच नहीं कर पाती।

 इसी टकराव के कारण अक्सर दोनों के बीच में खटास पैदा हो जाती है। इसलिए बच्चों को अपने को थोड़ा सा बदलने की कोशिश करनी चाहिए। बच्चों को यह कोशिश करनी चाहिए। कि जैसा उसका पैरेंट्स चाहते हैं बच्चा उसी प्रकार से बिहेव करें यह जरूरी है कि पेरेंट्स से रिश्ते सुधारने के लिए आप सारे कामों को सही ढंग से करने का प्रयास करें। 

2. माता-पिता के प्रति हमेशा सराहनात्मक रहे :

हमें कभी भी अपने माता-पिता के लिए अपने मन में कटु विचार नहीं रखना चाहिए। हमें अपने मन में यह सोचने का प्रयास करना चाहिए कि कैसे हमारे पैरंट्स ने हमें पाल- पोस्कर इतना बड़ा किया हैं। कितनी परेशानियों के साथ उन्होंने हमें इतनी अच्छी जीवन देने का प्रयास किया है।

 अपने पेरेंट्स के लिए बच्चों के मन में हमेशा एक सॉफ्ट कॉर्नर रहना चाहिए। वह चाहे हमें कितना भी डांट फटकार ले परंतु हमें अपने मन में उनके प्रति सहानुभूति और प्रेम को हमेशा जागृत रखना चाहिए।

 एक बच्चे का यही कर्तव्य हैं। यदि जितना अच्छा वह अपने पेरेंट्स के लिए मन में सोचेगा उसका व्यवहार अपने पेरेंट्स के लिए उतना ही अच्छा होगा। 

3. रिश्ते मजबूत बनाने के लिए उनका सम्मान करें :

माता-पिता अपने बच्चों को बचपन से ही बहुत प्रेम करते हैं। उन्हें एक स्वस्थ एनवायरमेंट देते हैं और उनका पालन पोषण करते हैं।  और बदले में वह अपने बच्चों से सिर्फ यही चाहते हैं कि उनका बच्चा उन्हें प्रेम करें और उन्हें सम्मान दे। 

एक बच्चे की यही रिस्पांसिबिलिटी है कि वह अपने माता-पिता को पूरी तरीके से सम्मान दें। यदि माता-पिता उसे किसी बात पर दांत या फटकार नहीं है तो उसे चुपचाप सुन लेना चाहिए। 

क्योंकि यह उसके भले के लिए ही उसे बोला जा रहा हैं। इससे माता-पिता के मन में अपने बच्चों के लिए प्रेम और इज्जत और बढ़ जाती है। और पेरेंट्स और बच्चे के बीच संबंध और ज्यादा मजबूत हो जाते हैं। 

4. माता-पिता से झगड़ा होने के कारणों के बारे में सोचें :

बच्चों को यह सोचने का प्रयास करना चाहिए। कि किन वजह से उसका उसके पेरेंट्स के साथ झगड़ा हो रहा है और उनकी आपस में नहीं बन रही उन सारी बातों को बच्चों को मन में सोच कर उसे सुधारने का प्रयास करना चाहिए।

 जैसा बच्चों की पैरेंट्स चाहते हैं। वैसा ही बच्चे को करना चाहिए और उनकी नापसंद चीजों को बच्चों को नहीं दोहराना चाहिए। यदि बच्चे का उसके पेरेंट्स के साथ झगड़ा हो गया हैं। तो उसे सामने से जाकर माफी मांगनी चाहिए यही एक अच्छे बच्चे का कर्तव्य होता है। यदि बार-बार आप वही गलती दोहराते हैं तो पेरेंट्स के मन में एक खटास उत्पन्न हो जाती है और उनके मन में अपने बच्चों के प्रति प्रेम काम हो जाता है। 

5. माता-पिता को लेकर सकारात्मक रहे :

माता-पिता को लेकर बच्चों को हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए। अपने पेरेंट्स के साथ रिश्ते सुधारने के प्रयासों में शुरुआत में असफलता का सामना करना पड़ सकता हैं। परंतु पेरेंट्स के मन में अपने बच्चों के प्रति कभी भी प्रेम काम नहीं होता। 

यदि बार-बार आप अपने पेरेंट्स के साथ रिश्ते सुधारने और उन्हें मनाने की कोशिश करते हैं। तो एक दिन आपके पैरेंट्स जरूर मान जाएंगे और आपको पहले जितना प्यार करने लगेंगे। इसलिए बच्चों को अपने मन में कभी भी हिम्मत नहीं हरनी चाहिए और हमेशा अपने पेरेंट्स के करीब रहने का प्रयास करना चाहिए। 

6. माता-पिता की सलाह का सम्मान करें :

बच्चों को माता-पिता की सलाह का हमेशा सम्मान करना चाहिए जब बच्चे टीनएजर होते हैं। उनके मन में नए-नए ख्याल उत्पन्न होते हैंr नई-नई चीजों की उन्हें जानकारी मिलती हैं।

 इससे बच्चों को यह प्रतीत होने लगता है कि वह सारी चीजों को जानता है और वह जो भी चीज सोच रहा हैं। वह सारी ठीक है उसे अपने पेरेंट्स से ज्यादा अपने दोस्तों की कंपनी अच्छी लगती हैं। यदि इस उम्र में बच्चों को किसी प्रकार की सलाह उसके पेरेंट्स के द्वारा दी जाती है तो बच्चे को उसे सही तरीके से सुनना चाहिए।

 और उसे पर अमल करने का प्रयास करना चाहिए यदि बच्चा अपने पेरेंट्स के बाद सुनता है तो पेरेंट्स के मन में भी अपने बच्चों के प्रति प्रेम हमेशा बढ़ता रहता है। 

7. माता-पिता से रिश्ते सुधारने के लिए शांत रहें :

कैवाराम जीवन में बहुत सारे ऐसे काम कर जाते हैं जो हमें नहीं करने चाहिए। जो बहुत ज्यादा गलत होते हैं और जो किसी को भी पसंद नहीं आते जो हमें सबसे ज्यादा पाल- पोस्कर बड़ा करते हैं और प्रेम करते हैं वह होते हैं। हमारे पेरेंट्स उन्हें सबसे ज्यादा खराब लगता है कि उनके पालन पोषण में कमी होती है।

 और उनका बच्चा किसी गलत चीज को अंजाम देता हैं। इससे पेरेंट्स गुस्से में आ सकते हैं और उनका पूरा अधिकार है कि वह आपको डांट फटकार सकते हैं या मार सकते हैं। परंतु यदि पेरेंट्स का कोई रिएक्शन निकाल कर आता है तो उसमें बच्चे को ओवर रिएक्ट नहीं करना चाहिए।

 बच्चों को अपनी पेरेंट्स की डाट को चुपचाप होकर सुन लेना चाहिए क्योंकि बच्चे ने गलती की हैं। यदि आप शांत होकर पेरेंट्स की दांत को सुनते रहते हैं तो आपके पैरेंट्स का गुस्सा भी काम हो सकता है और आपके रिश्ते भी अपने माता-पिता के साथ सुधार सकते हैं। 

8. माता-पिता से रिश्ते सुधारने के लिए ईमानदारी बरते :

यदि आप अपने पेरेंट्स के साथ अपने रिश्ते सुधारना चाहते हैं। तो हमेशा आपको ईमानदारी से पेश आना चाहिए। ईमानदारी का अर्थ यहां पर यह है कि आप जो भी कार्य कर रहे हैं उसके विषय में पूरी तरीके से अपने पेरेंट्स को जानकारी सही-सही देनी चाहिए।

 बहुत सारे ऐसे बच्चे होते हैं जो अपने पेरेंट्स से सारी बातों को छुपाने लगते हैं और पेरेंट्स को बच्चों की बातें कहीं बाहर से पता होने लगते हैं। यदि किसी गलत काम को अंजाम देने के बाद उसकी शिकायत किसी बाहर वाले से पेरेंट्स को मिलती है तो उन्हें बहुत गुस्सा आ सकता है।

 इसलिए बच्चों को हमेशा ईमानदार रहना चाहिए और बाहर वह क्या कर रहा है उसकी पूरी जानकारी अपने पेरेंट्स को देनी चाहिए। यदि आप सब कुछ सही-सही अपने पेरेंट्स को बताएंगे तो उन्हें सारी चीजों का ज्ञान पहले से हो जाएगा और यदि आप कोई परेशानी में होंगे तो उसे उनके विषय में पूरी जानकारी होगी। 

9. माता-पिता से हमेशा समझदारी से बात करें :

पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे पूरी तरीके से मैच्योर हो वह हमेशा समझदार बने और समाज का भी कल्याण समझदारी से करें वह नहीं चाहते। कि उनके बच्चे हमेशा बचकानी हरकतें करते रहें इसके लिए आपको जरूरी है की हमेशा अपने माता-पिता के सामने समझदारी से बात करें।

 और समझदारी से ही पेश आए बस कहानी हरकतें करने से माता-पिता के मन में यह बात बैठ जाती है कि उनका बच्चा पूरी तरीके से मेच्योर नहीं हुआ हैं। इसलिए एक ऐसे बच्चों की तरह पेश आना चाहिए। जो बिल्कुल मेच्योर है।

 और अपने ख्याल को खुद रख सकता हैं। और अपने पेरेंट्स का भी ख्याल रख सकता हैं। इससे बच्चों के प्रति पेरेंट्स के मन में यह शांति बैठ जाती है कि उनका बच्चा उनका ख्याल रखने में सक्षम है। 

पेरेंट्स के साथ रिश्ते खराब होने के दुष्प्रभाव

  • जिन बच्चों का उनके पैरेंट्स के साथ रिश्ते खराब होते हैं। वैसे बच्चे अपने दिमाग से कमजोर होते हैं। क्योंकि वह अपने पेरेंट्स से रिश्तों के विषय में हमेशा सोचते रहते हैं। 
  • ऐसे बच्चे अपने पढ़ाई में मन नहीं लगा पाए क्योंकि उन्हें अपने घर पर हेल्दी एनवायरमेंट नहीं मिलता और उन्हें कोई भी मोटिवेट करने का प्रयास नहीं करता है। 
  • हमारे पेरेंट्स हमें हर अच्छी बुरी चीज की जानकारी प्रदान करते हैं। यदि हमारे रिश्ते हमारे पेरेंट्स से खराब होंगे। तो वह हमें कुछ भी बताने से कटरा आएंगे इसलिए हमें हमेशा अपने पैरेंट से बातचीत करते रहना चाहिए। 
  • यदि हमारे पेरेंट्स हमारे कांटेक्ट में नहीं होंगे यह हमारी जानकारी पूरी तरीके से हमारे पेरेंट्स को नहीं होगी। तो वह हमारी किसी भी मुसीबत में हमारी मदद करने में सक्षम नहीं होंगे। 
  • इसलिए हमारे विषय में पूरी जानकारी हमारे पेरेंट्स को होनी चाहिए इसलिए उनसे रिश्ते बनाना जरूरी है। 
  • जीवन में हर परिस्थिति में पेरेंट्स का साथ होना बहुत जरूरी होता है क्योंकि बहुत सारी ऐसी जगह हैं। जहां पर पेरेंट्स का एक्सपीरियंस ज्यादा काम आता है।
  • इसलिए बच्चों को हमेशा अपने पेरेंट्स के साथ प्रेम भाव से रहना चाहिए जिससे उसे जीवन में बहुत सारी ऊंचाइयां हासिल कर पाए। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. पेरेंट्स के साथ बच्चे की रिश्ते क्यों खराब होते हैं? 

जब पेरेंट्स और बच्चे की अंडरस्टैंडिंग के अंदर फर्क होता है तो उसके रिश्ते खराब होते हैं। 

Q. पेरेंट्स के साथ रिश्ते कैसे ठीक हो सकते हैं? 

पेरेंट्स के सामने शांत रहने पर उनके जैसा बनने पर और उनके सामने मेच्योर समझदारी दिखाने पर उनसे रिश्ते ठीक हो सकते हैं। 

Q. बच्चों के साथ रिश्ते खराब होने पर पेरेंट्स पर क्या असर पड़ता है? 

बच्चों के साथ रिश्ते खराब होने पर पेरेंट्स पूरी तरीके से कंसंट्रेट नहीं कर पाते। 

Q. पेरेंट्स के साथ रिश्ते खराब होने पर बच्चों पर क्या असर पड़ता है? 

पेरेंट्स के साथ रिश्ते खराब होने पर बच्चा पूरी तरीके से डेवलप नहीं हो पता उसकी दिमागी विकास ठीक नहीं होता और वह किसी प्रकार की मदद लेने से अपने पेरेंट्स से कतराता है। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको माता-पिता से अपने रिश्तों को बेहतर कैसे (Parents ke saath baccho ka rishta) बनाएं के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की हुई जानकारी बिल्कुल ठोस और सटीक है ।अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें । हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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