सामान्य प्रसव (नॉर्मल डिलीवरी) के लिए 11 टिप्स – Pregnancy Tips For Normal Delivery

जब भी कोई महिला मां बनने वाली होती है तो इस समय उसके मन में बहुत सारी बातें चलती होती हैं जिनमें से एक बात यह भी होती है कि उसकी डिलीवरी किस प्रकार से होगी यह नॉर्मल तरीके से हो जाएगी या सिजेरियन होगाl वैसे तो आमतौर पर आजकल सिजेरियन करने का एक ट्रेंड सा बन गया है लेकिन फिर भी कुछ अच्छे डॉक्टर आपको आज भी नॉर्मल डिलीवरी की सलाह देते हैं क्योंकि नॉर्मल डिलीवरी में होने वाले दर्द से बचने के लिए महिलाएं भी सिजेरियन का ऑप्शन चुन लेती हैl

तो लिए आज हम अपने इस आर्टिकल में आप किस प्रकार से सिजेरियन डिलीवरी से बच सकते हैं (Pregnancy me  Normal Delivery ke upay) क्योंकि आज के समय में गांव और देहात के बहुत से लोग सिजेरियन डिलीवरी के चक्कर में फंस जाते हैं जबकि नॉर्मल डिलीवरी को सिजेरियन डिलीवरी से कई गुना बेहतर माना जाता है l इसीलिए हम आपको बताने वाले हैं कि आप  किन-किन टिप्स का प्रयोग करके नॉर्मल डिलीवरी करा सकते हैंl

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नॉर्मल डिलीवरी क्या है?

यह प्रसव करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शिशु का जन्म एक महिला की योनि के मार्ग से होता है यदि गर्भावस्था में उसे महिला को कोई भी समस्या नहीं है तो उसे गर्भवती महिला की नॉर्मल डिलीवरी आसानी से कराई जा सकती है प्राचीन काल में अधिकतर डिलीवरी इसी प्रकार से हुआ करती थीl

सामान्य प्रसव (नॉर्मल डिलीवरी) के लिए 11 टिप्स - Pregnancy Tips For Normal Delivery

नॉर्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ाने वाले कारक

बहुत से ऐसे कारक होते हैं जिन पर यदि आप ध्यान देते हैं तो आप की नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बहुत हद तक बढ़ जाती है जो कि निम्न प्रकार है

1- यदि कोई भी महिला पहली बार गर्भवती होती है तो अधिकतम प्रयास उसकी नॉर्मल डिलीवरी करने का किया जाए यदि उस महिला की सिजेरियन हो जाती है तो दूसरी बार  में उस महिला के नॉर्मल डिलीवरी के चांस कम हो जाते हैंl

2- यदि गर्भवती महिला और शिशु का वजन सामान्य है तो उनकी आराम से नॉर्मल डिलीवरी कराई जा सकती हैl

3- गर्भवती महिला कोई भी बीमारी से ग्रस्त नहीं हैl

4- यदि गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान कोई भी गंभीर समस्या नहीं हुई है तो इस स्थिति में उसे महिला की नॉर्मल डिलीवरी हो सकती हैंl

5- यदि गर्भवती महिलाओं को ब्लड प्रेशर ब्लड शुगर खून की कमी और हीमोग्लोबिन आदि की मात्रा सामान्य है तो इस स्थिति में महिला के नॉर्मल डिलीवरी करने के चांसेस बढ़ जाते हैंl

यह सभी कारक किसी भी गर्भवती महिला की नॉर्मल डिलीवरी करने की संभावना को बढ़ा देते हैं लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है की नॉर्मल डिलीवरी ही हो कभी-कभी किसी आकस्मिक घटना के चलते डॉक्टर को सिजेरियन करना ही पड़ता हैl

नॉर्मल डिलीवरी के संकेत और लक्षण | Normal Delivery Ke Lakshan

जी हां बिल्कुल बहुत सी ऐसी संकेत होते हैं जिन पर यदि ध्यान दिया जाए तो आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं की नॉर्मल डिलीवरी होने के किस प्रकार के चांसेस है समानता ऐसे लक्षण किसी भी गर्भवती महिला के शरीर में डिलीवरी से लगभग 4 सबसे पहले ही नजर आने लगते हैं जो कि इस प्रकार हैं –

गर्भवती महिला के 34 वे से 36 हफ्ते के बाद भ्रूण का सर योनि की तरफ को हो जाता है तो यह नॉर्मल डिलीवरी करने की संकेत होता हैl

जब गर्भावस्था महिला के भ्रूण योनि की तरफ हो जाता है तो वह योनि की दीवारों पर दबाव डालता है जिससे महिला को बार-बार पेशाब आता है यह भ्रूण को नीचे की ओर आने की संकेत देता है जो कि नॉर्मल डिलीवरी के साधारणता लक्षण हैl

यदि डिलीवरी का समय नजदीक आने पर गर्भवती महिला के बुद्ध द्वारा की जो मांसपेशियां होती हैं वह दिल्ली महसूस होने लगे और इस वजह से महिला को पतले मल की समस्या हो सकती है तो इसे भी एक नॉर्मल डिलीवरी के संकेत माना जाता हैl

नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है? | Normal Delivery Kaise Hoti Hai

तो अब हम आपको बताते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है यह प्रक्रिया लगभग तीन चरणों में पूरी होती है जिनके बारे में नीचे हम आपको विस्तार पूर्वक बताते हैं-

नॉर्मल डिलीवरी का पहला चरण :

1. लेटेंट प्रक्रिया :

नॉर्मल डिलीवरी के पहले चरण की इस प्रक्रिया में सबसे पहले गर्भावस्था की ग्रीवा लगभग 3 सेंटीमीटर खुल जाती है इस प्रक्रिया की शुरुआत गर्भस्थ महिला के डिलीवरी के लगभग एक सप्ताह पहले या कभी-कभी कुछ घंटे पहले भी हो सकती है इसके बाद महिला को संकुचन जैसा आभास होने लगता हैl

इस दौरान महिलाओं को पूर्ण रूप से आराम करना चाहिए और अपना ध्यान बहुत सावधानीपूर्वक करना चाहिएl बीच-बीच में उन्हें चलते-फिरते और घूमते भी रहना चाहिए साथ में खूब सारा पानी भी पीना चाहिएl

हमेशा ही किसी व्यक्ति को अपने पास में रखें क्योंकि यह एक नाजुक अवस्था होती है जिसमें किसी भी समय आपको अस्पताल ले जाने के लिए जरूरत पड़ सकती हैl अपने डॉक्टर से संबंध बनाए रखेंl

2. एक्टिव प्रक्रिया : 

नॉर्मल डिलीवरी के पेरेंट्स की दूसरी अवस्था एक्टिव प्रक्रिया होती है इसमें गर्भाशय ग्रीवा लगभग 3 से 7 सेंटीमीटर तक खुल जाता है l जिस वजह से उनके संकुचन की प्रक्रिया और भी तेज हो जाती है और उनमें दर्द की मात्रा बढ़ जाती हैlइस समय महिलाओं को खुद को रिलैक्स रखना चाहिए क्योंकि इससे आपको दर्द में आराम मिलेगाlकिसी से भी आप अपने कंधों और अपने कमर की मालिश करवा सकते हैं यह आपको दर्द में बहुत राहत प्रदान करेगाlसाथ ही साथ इस अवस्था में आपको अस्पताल में होना चाहिए ताकि आपके और आपके बच्चे की पूर्ण जांच की जा सकेl

3. ट्रांजिशन प्रक्रिया : 

ट्रांजैक्शन प्रक्रिया एक्टिव प्रक्रिया से आगे की प्रक्रिया है इसमें गर्भाशय ग्रीवा लगभग 8 सेंटीमीटर से 10 सेंटीमीटर तक खुल जाती है जिससे दर्द में और बढ़ोतरी हो जाती हैl

इस दौरान महिलाओं को द्रव्य आना शुरू हो जाता है इसीलिए महिलाओं को इसकी गंध और रंग को नोट करते रहना चाहिए क्योंकि यह डॉक्टर को प्रसव  से संबंधित जानकारी देने में सहायता करता हैl  इस समय अपने आप को शांत रखें और अपनी सांसों को रिलैक्स करेंl

नॉर्मल डिलीवरी का दूसरा चरण – बच्चे का बाहर आना

नॉर्मल डिलीवरी के इस दूसरे चरण में गर्भावस्था महिला की गर्भाशय ग्रीवा लगभग पूर्ण रूप से खुल जाती है जिस वजह से उसे महिला के संकुचन में वृद्धि होने के कारण उसे महिला के दर्द में बढ़ोतरी हो जाती है इस चरण में शिशु का सर लगभग पूरी तरह से नीचे की ओर आ जाता है इस समय डॉक्टर महिला से जोर लगाने के लिए कहते हैं ऐसा करने से शिशु का सिर बाहर की ओर  दिखने लगता हैl इसके बाद डॉक्टर शिशु के शरीर को बाहर निकाल लेते हैंl

इस चरण में महिलाओं के लिए संकुचन के दौरान अधिक दर्द होने पर उन्हें अपनी पोजीशन बार-बार बदलते रहना चाहिए और साथ ही साथ अपनी सांसों पर रिलैक्स रखना चाहिए और बच्चे को लगातार पुश  करते रहना चाहिएl जिससे बच्चा अपनी नॉर्मल डिलीवरी की अवस्था में आ जाता हैl

नॉर्मल डिलीवरी का तीसरा चरण – गर्भनाल का बाहर आना

बच्चा महिला के शरीर से बाहर आ गया है साथ ही साथ उसके साथ गर्भनाल भी आ गई है जिसे डॉक्टर काटकर अलग कर देते हैं और अब महिला को  गर्भाशय  में उपस्थित प्लेसेंटा को बाहर निकालती हैंl क्योंकि बच्चे के जन्म के बाद प्लेसेंटा भी गर्भाशय की दीवार अलग हो जाती हैl इस स्थिति में भी महिला को संकुचन होने लगता है जो शिशु के लगभग जन्म के कुछ समय बाद ही शुरू हो जाता है प्लेसेंटा के बाहर आने की प्रक्रिया लगभग आधे घंटे तक चलती है इसके बाद डॉक्टर गर्भवती महिला को खुद से ही जोर लगाने के लिए कह देते हैंl

नॉर्मल डिलीवरी में कितना समय लगता है?

 कोई भी महिला नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार है या नहीं यह उसके शारीरिक अवस्था पर पूर्ण रूप से निर्भर करता है यदि गर्भवती महिला पहली बार नॉर्मल डिलीवरी करने जा रही है तो इस प्रक्रिया में लगभग उसे 7 से 8 घंटे का समय लगता है वहीं यदि उसे महिला की है दूसरी नॉर्मल डिलीवरी है तो इस प्रक्रिया में थोड़ा कम समय लग सकता हैl क्योंकि डॉक्टर यदि गर्भस्थ महिला और शिशु को किसी भी समस्या में देखते हैं तो वह नॉर्मल डिलीवरी करने के लिए मना कर देते हैंl

नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ाने के लिए 11 टिप्स | Normal Delivery Ke Upay

कुछ उपाय जिनकी मदद से आप भी अपनी पत्नी की नॉर्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ा सकते हैं और साथ ही साथ आप किसी अन्य व्यक्ति को भी इस बारे में सुझाव दे सकते हैं तो हमारे आर्टिकल के इन 11 उपायों को जरूर जाने- 

1.तनाव से दूर रहें :

यदि कोई भी महिला नॉर्मल डिलीवरी की इच्छा रखती है तो सर्वप्रथम उसे गर्भावस्था के दौरान तनाव से बहुत दूर रहना चाहिए और इससे दूर रहने के लिए वह अपने मन चाहे कम जैसे कोई भी संगीत कोई भी किताब आदि पढ़ सकती है इसीलिए अक्सर अपने डॉक्टर को गर्भस्थ महिला को खुश रहने का सुझाव देते सुना होगाl

2.नकारात्मक बातें न सोचें :

नकारात्मक बातों से दूर रहे क्योंकि इससे इतना पैदा होता है और तनाव से बहुत सी समस्याएं पैदा होती हैं इसीलिए गर्भावस्था के दौरान नकारात्मकता से जुड़ी बातों और किस्सों से बहुत दूर रहे इन पर बिल्कुल भी ध्यान ना दें क्योंकि यह आपके अंदर बुरे ख्यालों और अनुभवों को जन्म देता है जिससे आपके अंदर डर पैदा हो जाता हैl

3.प्रसव के बारे में सही जानकारी लें : 

जब कोई महिला पहली बार मां बनती है तो उसे फिर सब के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं होती है जिससे उसके अंदर एक डर होता है इसीलिए फिर सब के बारे में ज्यादा से ज्यादा सही जानकारी जुटाकर गर्भावस्थ महिला को सही जानकारी प्रदान करें जिस महिला को नॉर्मल डिलीवरी की प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझने में सहायता प्रदान करेंl

4. अपनों के साथ रहें : 

जब आपके डिलीवरी के लास्ट कुछ सबके चल रहे हो तो ज्यादा से ज्यादा आपको गर्भवती महिला के करीब रहना चाहिए क्योंकि इससे महिला को भावात्मक रूप से मजबूती मिलती है जिससे उसके अंदर पैदा होने वाला  डर कम हो जाता हैl

5.सही डॉक्टर चुनें :

गर्भवती महिला की डिलीवरी करने के लिए आपको सही डॉक्टर का चुनाव करना बहुत ही जरूरी है क्योंकि एक समझदार डॉक्टर ही महिला की स्थिति को बात कर उसे सही जानकारी दे सकता है और नॉर्मल डिलीवरी करने की कोशिश कर सकता है एक अच्छे डॉक्टर गर्भवती महिला को सही ट्रीटमेंट के साथ-साथ हौसला भी देते हैं जो कि उसे एक मजबूत स्थिति  में लाने में मदद करता हैl

6.मदद के लिए एक अनुभवी दाई रखें

आज से कुछ समय पहले ही दाई के द्वारा नॉर्मल डिलीवरी घर पर ही कराई जाती थीl इसीलिए यदि आपको कोई अनुभव  दाई के बारे में जानकारी है तो उसे अपने पास जरूर रखें क्योंकि क्योंकि इन दाई के पास नॉर्मल डिलीवरी करने का एक बहुत ही अच्छा अनुभव होता है जो आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता हैl

7. शरीर के निचले हिस्से की नियमित रूप से मालिश करें

जैसे-जैसे गर्भवती महिला की डिलीवरी का समय नजदीक आता जाता है वैसे-वैसे महिला का निचले हिस्से में भजन की बढ़ोतरी होती जाती है इसीलिए सातवें महीने के बाद गर्भवती महिला को अपने शरीर के निचले हिस्से की मालिश शुरू कर देनी चाहिए से डलीवरी में तो आसानी होती ही है साथ ही साथ यह आपको तनाव मुक्त भी रखता हैl

8.खुद को हाइड्रेट रखें : 

लास्ट के कुछ समय में गर्भवती महिलाओं को अपने आप को हाइड्रेट रखना बहुत ही जरूरी है इसके लिए आप खूब सारा पानी और साथ ही साथ जूस भी पी सकती हैं क्योंकि लिवरपिन के समय में आपके शरीर में पानी की कमी हो जाती है इसीलिए आपको खुद को हाइड्रेट रखने के लिए जलीय पदार्थ पीने चाहिए l

9.उठने-बैठने की सही स्थिति का ध्यान रखें :

गर्भवती महिला को उठने बैठने और अपनी लेटने की सही स्थिति का बहुत ही खास ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इससे उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर खास असर पड़ता हैl

10.वजन नियंत्रित रखें : 

गर्भावस्था में वजन का बढ़ना एक आम बात है लेकिन यदि आपका वजन बहुत ज्यादा बढ़ रहा है तो आपको नॉर्मल डिलीवरी करने में बहुत समस्या आ सकती है क्योंकि यदि मां शारीरिक रूप से अधिक मोटी होगी तो शिशु को बाहर आने में दिक्कत होगीl

11.व्यायाम करें :

यदि आप नॉर्मल डिलीवरी कराए जाने की जहां रखते हैं तो व्यायाम इसके लिए बहुत ही कारगर साबित होता है इससे आपके शारीरिक अंग अच्छी तरह से काम करते रहते हैं और वह अपने जरूरत के हिसाब से गर्भावस्था के लिए तैयार कर लेते हैं और जैसे-जैसे डिलीवरी का समय नजदीक आता जाता है अंग अपने आप को प्रसव के लिए तैयार रखते हैंl

नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करें और क्या न करें? | Normal Delivery Ke Liye Kya Karna Chahiye

नॉर्मल डिलीवरी करने के लिए आपको अपने खान-पान और शारीरिक रूप से बहुत ही ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होती है इससे आपका शिशु की सेहत पर काफी असर पड़ता है क्योंकि यदि आपकी आदतें और रहन-सहन अच्छा नहीं होगा तो आपको नॉर्मल डिलीवरी करने में बहुत ही समस्या का सामना करना पड़ सकता हैl

नॉर्मल डिलीवरी के लिए खानपान की चीजों से जुड़े टिप्स  | Normal Delivery Ke Liye Kya Khana Chahiye

क्या खाएं?

गर्भावस्था के दौरान महिला को खानपान पर बहुत ही ज्यादा ध्यान रखना चाहिए इस दौरान उन्हें हरे पत्तेदार सब्जियां , सूखी मेवा, बिना मिर्च मसाले वाले भोजन, मौसमी फल और प्रोटीन युक्त सब्जियां पर अधिक ध्यान देना चाहिए और साथ ही साथ उन्हें पूरे दिन अपने आप को हाइड्रेट रखने के लिए जूस और अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिएl

गर्भावस्था में क्या न खाएं?

गर्भावस्था के दौरान कुछ भी ऐसा नहीं खाना है जो आपकी सेहत पर बुरा असर डेल क्योंकि आपके बच्चे की सेहत भी आप पर ही नेवर करती है इसीलिए आपको गर्भावस्था के दौरान कच्चे अंडे, शराब, सिगरेट,कैफ़ीन , कच्चा पपीता, अंकुरित बीज ,कच्चा मांस, आइसक्रीम, जंक फूड आदि सभी से परहेज करना चाहिएl

नॉर्मल डिलीवरी के लिए व्यायाम से जुड़े टिप्स | Normal Delivery Ke Liye Exercise

यदि आप भी नॉर्मल डिलीवरी से अपने बच्चों को चाहती हैं l तो आपको डॉक्टर निमित्त रूप से व्यायाम करने की सलाह देते हैं जो कि आपको बच्चों के होने तक लगभग रोज ही करना है क्योंकि इससे न केवल मां और बच्चा स्वस्थ रहते हैं बल्कि आपके नॉर्मल डिलीवरी करने के चांस भी बढ़ जाते हैंl

क्या करें

  • गर्भवती महिला को नित्य सुबह और शाम टहलने ले जाना चाहिएl
  • शुरुआती दिनों में थोड़ी देर तक स्विमिंग भी करनी चाहिएl
  • डॉक्टर साइकिलिंग करने के लिए सलाह दे सकते हैंl
  • हल्की-हल्की जॉगिंग भी कर सकते हैंl
  • यदि आप एक अच्छे सोसाइटी से बिलॉन्ग करते हैं तो आप प्रेगनेंसी क्लासेस जाइन कर सकते हैंl

क्या न करें?

  • गर्भावस्था के दौरान आपको कुछ भी भारी वजन ना उठाने की सलाह दी जाती हैl
  • गर्भावस्था के दौरान आप वेटलिफ्टिंग जैसे एक्सरसाइज नहीं कर सकते हैंl
  • यदि शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण आपका मन व्यायाम करने का नहीं कर रहा है तो आपको व्यायाम नहीं करना चाहिएl
  • अपनी शारीरिक क्षमता के हिसाब से ही व्यायाम करना उचित रहेगा, ध्यान रखें उससे अधिक करने की कोई जरूरत नहीं हैl
  • क्योंकि आपको स्वस्थ रहना है बॉडीबिल्डिंग नहीं करनी हैl

नॉर्मल डिलीवरी के लिए योगासन से जुड़े टिप्स | Normal Delivery Ke Liye Yoga

गर्भावस्था के लिए डॉक्टर के द्वारा बहुत से योगासन सुझाए जाते हैं जो कि निम्न प्रकार हैं जिन्हें आप आसानी से घर पर अपने पार्टनर की सलाह से रोज अभ्यास कर सकते हैं जो आपको नॉर्मल डिलीवरी करने में मदद करेंगेl

  • मार्जरी आसन
  • वद्धकोण आसान
  • वीरभद्रासन
  • त्रिकोणासन
  • शवासन आदि l

पेरिनियल मालिश कब से शुरू करें?

यह तो आप चाहते हैं जिंदगी किसी भी प्रकार की मालिश आपकी शारीरिक और मानसिक तनाव को राहत पहुंचाने के लिए कितनी जरूरी होती है इसी प्रकार गर्भावस्था के दौरान पेरेन्नियल मसाज करना भी बहुत ही फायदेमंद होता है इसकी शुरुआत आप लगभग 34 वे हफ्ते से कर सकते हैंl और खासकर ऐसी महिलाएं जो नॉर्मल डिलीवरी कराए जाने की इच्छा रखती है उन्हें रोज ही पेरेन्नियल मसाज करनी चाहिए क्योंकि इससे प्रयोग होने वाला बादाम तेल शरीर को बहुत लाभ पहुंचता है लेकिन इसे कराए जाने का एक खास तरीका होता है जो कि निम्न प्रकार हैl

सर्वप्रथम आपको एक शांत जगह पर दीवार का सहारा लेकर बैठ जाना है और अपने पैरों को सामने की की ओर फैला लेना हैl इसके बाद आप अपने हाथों को अच्छी तरह से बोले और उन पर थोड़ा सा तेल लगा लेl

तेल लगाने के बाद अब आपको अपने अंगूठी को योनि के अंदर लगभग 2.5 सेंटीमीटर तक डालकर बाकी उंगलियों को नितंबों पर रखेंl अब धीरे-धीरे आपको अंगूठी सन योनि के अंदर के हिस्से की मालिश करनी हैl यह मसाज आपको नॉर्मल डिलीवरी होने के समय पर बहुत ही लाभ प्रदान करेगीl

गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर लगभग रोजाना ही 5 मिनट तक पेरेन्नियल मसाज करने की सलाह देते हैं खासकर भी महिलाएं जो नॉर्मल डिलीवरी की जहां रखती है उन्हें तो कुछ ही मसाज करनी चाहिएl

आखिरकार किसी भी महिला को नॉर्मल डिलीवरी का विकल्प क्यों चुनना चाहिए?

जैसा कि आप सब जान जानते हैं कि प्राचीन समय में नॉर्मल डिलीवरी ही हुआ करती थी और महिलाएं भी फर्स्ट पोस्ट और लंबे समय तक अपना जीवन जीती थी तो आईए जानते हैं नॉर्मल डिलीवरी के कुछ फायदे-

यदि आप नॉर्मल डिलीवरी का तो विकल्प चलती है तो आपको आपको ठीक होने में ज्यादा समय नहीं लगेगाl आप जल्दी अपनी दैनिक जीवन में वापस लौट सकते हैंl Normal delivery होने पर मां अपने बच्चों को तुरंत दूध पिला सकती है जिससे मां और बच्चे का इस दुनिया में आने के बाद पहले लगाव होता हैl

जिस प्रकार से सिजेरियन किए जाने पर महिला के शरीर में जगह-जगह पर कट लगाए जाते हैं जिस वजह से उसे ठीक होने में बहुत समय लगता है लेकिन इसके विपरीत नॉर्मल डिलीवरी में महिला को इस प्रकार का कोई भी दर्द सहन नहीं करना पड़ता हैl

नॉर्मल डिलीवरी के बाद शिशु को भी बहुत से लाभ होते हैं जो कि निम्न प्रकार है-

नॉर्मल डिलीवरी होने के बाद शिशु को अपनी मां के साथ तुरंत ही मिलने के लिए दे दिया जाता हैl जबकि सिजेरियन में ऐसा नहीं होता हैl यदि आप नॉर्मल डिलीवरी का विकल्प चुनती है तो आपके बच्चे को अपनी मां का दूध बहुत जल्दी ही प्राप्त हो जाता है इससे बच्चों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और व्यवहारी दुनिया से होने वाले रोगों से स्वं ही लड़ पता हैl

नॉर्मल डिलीवरी से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न उत्तर

Ques: क्या नॉर्मल डिलीवरी के बाद गर्भवती महिला की योनि पर टांके लगाए जाते हैं? 

Ans: जी हां यदि आपने यह बात सुनी है तो बिल्कुल ठीक सुना है क्योंकि जब आपका बच्चा बाहर आता है तो आपकी योनि पर बहुत ज्यादा दवा पड़ता है जिस वजह से योनि का कोई भी हिस्सा फट सकता है ऐसे में यदि डॉक्टर को लगता है की योनि में टांके लगाने की जरूरत है तो वह टांका लगा देते हैंl

Ques: यदि शिशु के शरीर का आकार महिला की योनि से बड़ा है तो क्या होगा? 

Ans: यदि ऐसा होता है तो डॉक्टर आपको ऐपीसीओटोमी का का सहारा लेने के लिए बोलते हैं आम भाषा में अगर हम आपको बताएं कि यदि शिशु के सिर का आकर महिला की योनि के भाग से बड़ा होता है तो उसे बाहर निकलने में कठिनाई होती है इसीलिए डॉक्टर महिला की योनि पर एक छोटा सा चीरा लगा देते हैं जिसे ही ऐपीसीओटोमी कहा जाता हैl

Ques: यदि किसी महिला को जुड़वा बच्चे होने की संभावना है तो क्या वह नॉर्मल डिलीवरी के बारे में सोच सकती है? 

Ans: जी हां बिल्कुल यदि आपके गर्भ में जुड़वा बच्चे हैं और दोनों बच्चे स्वस्थ है तो आप जरूर ही नॉर्मल डिलीवरी का विकल्प चुन सकती हैं यदि आपके बच्चे सीधे हैं अर्थात बच्चे का सर योनि मार्ग की तरफ है तो निश्चित ही आपका नॉर्मल डिलीवरी की संभावना बढ़ जाएगीl बहुत सी ऐसी महिलाएं हुई है जिन्होंने नॉर्मल तरीके से जुड़वा बच्चों को जन्म दिया हैl

Ques: नॉर्मल डिलीवरी के दौरान आपको कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है? 

Ans: यदि प्लेसेंटा का अचानक टूट जाता है, भ्रूण का सिर पहले बाहर आ जाता है,शिशु के दिल की धड़कन का घटना या बढ़ना,जरूरत ज्यादा रक्तस्राव होना,पानी की थैली का जल्दी फट जाना। तो इन परिस्थितियों में आप नॉर्मल डिलीवरी की जगह सीरियल का ऑप्शन चुन सकती हैl

Ques: क्या नॉर्मल डिलीवरी में बहुत दर्द होता है? 

Ans: यदि दर्द के बारे में बात करें तो प्रत्येक महिला का इस रूप में अलग-अलग लाभ होता है किसी भी महिला को किस प्रकार का दर्द होगा और वह महिला उसे दर्द को कितना सह सकती है यह उस महिला की शारीरिक बनावट और भावनात्मक क्षमता  मानसिकता आदि पर निर्भर करता हैl

निष्कर्ष

आज हमने अपने इस आर्टिकल में आपको Normal Delivery  ke Pregnancy Tips के बारे में संपूर्ण जानकारी दी है हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा दी गई संपूर्ण एवं व्यवस्थित जानकारी पसंद आई होगीl तो हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर अपना अनुभव जरूर बताएं साथ ही हमारे इस आर्टिकल को जरूरतमंदों दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलेl धन्यवाद! 

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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