छोटे शिशु का जब जन्म होता है वह एक बिल्कुल अलग वातावरण से एक नए वातावरण में प्रवेश करता है। उसके अंदर विभिन्न तरीके के बदलाव होते हैं तथा उसे नए वातावरण में डलवाने में थोड़ी मुश्किल होती है जिस कारण उसके व्यवहार में कई तरीके के परिवर्तन देखे जाते हैं। बच्चा कभी-कभी उस प्रकार व्यवहार करता है जो किसी सामान्य इंसान की समझ से बाहर होता है। क्योंकि बच्चे बोल नहीं सकते इसलिए वह अपनी परेशानी को नहीं बता सकते कि उन्हें क्या दिक्कत है वह रोक कर अपनी दिक्कत को साझा करने का प्रयास करते हैं।
कुछ बच्चों में अजीब तरीके की गतिविधियां देखी जाती हैं बहुत सारे शिशु ऐसे होते हैं जो कभी-कभी अपना सिर पटकने लगते हैं। माता-पिता को यह समझ नहीं आता कि बच्चा अपना सिर क्यों पटक रहा है तथा वह यह गतिविधि कहां से सीखा सामान्यता नासमझी के कारण बच्चे ऐसा व्यवहार करते हैं। परंतु यदि बच्चा बार-बार अपना सर पटक रहा है तो यह एक असामान्य घटना भी हो सकती है।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको यह समझाने का प्रयास करेंगे कि छोटे बच्चे अपना सिर क्यों पटक ते हैं उनके सर पटकने का कारण क्या है। इससे किस प्रकार बच्चे की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। तथा बच्चे की इस आदत को कैसे सुधारा जा सकता है यदि आपका बच्चा भी इस तरीके की किसी दिक्कत कर रहा है। तो आप हमारे आर्टिकल से यह जान सकते हैं कि आप अपने बच्चे की हालत को कैसे सुधारें।
क्या बेबी का सिर पटकना सामान्य है? (Is Hand Bagging normal in babies?)
एक शोध के माध्यम से इस बात की पुष्टि हुई है कि लगभग 60% बच्चे अपना सर पटक ते हैं। बच्चे का सिर पटकना उसकी किसी बात को ना मानने या मानसिक तनाव के कारण हो सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, शिशु का सिर पटकना नींद से संबंधित रिद्धमिक मूवमेंट डिसऑर्डर (Sleep-Related Rhythmic Movement Disorder) को जन्म दे सकता है।
छोटे शिशु ही नहीं बल्कि बड़े बच्चे भी सिर पटकने जैसी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। सिर पटकने से बच्चे को मानसिक बीमारियां हो सकती हैं तथा बच्चे का संतुलन भी बिगड़ सकता है बच्चे का सिर पटकना 1 साल से शुरू होता है तथा 10 साल आने तक बच्चे की इस गतिविधि में थोड़ी कमी आती है। बच्चे नासमझी के कारण अपने सर को पटाते हैं जिससे उन्हें क्या नुकसान हो सकते हैं इसके विषय में उन्हें अंदाजा नहीं है इसलिए माता-पिता को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को उसका सिर ना पटकने दें।
छोटे बच्चे अपना सिर क्यों पटकते हैं? | Shishu Ke Sir Patakne Ka Karan
छोटे बच्चे अपना सिर क्यों पटकते हैं इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं। इसका कोई एक कारण नहीं है बच्चे यह गतिविधि अपने आसपास के लोगों को देखकर भी सीख सकते हैं नीचे हम आपको बताएंगे कि बच्चे अपना सिर क्यों पटकते हैं।
1. गुस्से की वजह से
छोटे बच्चे जब अपनी समस्या या बात को किसी के सामने साझा नहीं कर पाते और वह गुस्से और फ्रस्ट्रेशन की वजह से अपना सिर पटकना शुरू कर देते हैं। जब बच्चा किसी चीज से नाराज है और वह अपने माता-पिता को उस बात को समझाना चाह रहा है। परंतु उसकी बात कोई नहीं सुन रहा जिस बात का गुस्सा निकालने के लिए बच्चा अपना सिर पटकता है गुस्से के कारण सिर पटकने से बच्चे के सिर में गंभीर चोटें आ सकते हैं इसलिए बच्चे को ऐसा करने से रोकना चाहिए।
2. दर्द से निजात के लिए
छोटे बच्चों के शरीर में बहुत सारे प्रकार के बदलाव होते हैं जिसके कारण उन्हें शरीर में दर्द भी हो सकता है एक प्रकार का बदलाव उनके दांत निकलना है। जब छोटे बच्चे का दांत निकलता है उसे बहुत दिक्कत होती है दर्द से निजात पाने के लिए बच्चा अपना सिर पटकता है उसे यह महसूस होता है। कि सिर पटकने से उसका दर्द कम हो रहा है बच्चा दर्द के कारण गुस्सा आने से भी सिर पटकने की घटना को अंजाम दे सकता है। बच्चों में बहुत सारे कान के इंफेक्शन भी होते हैं कान के इंफेक्शन के कारण बच्चे को कान में दर्द होता है बच्चा सिर पटक कर अपने दर्द से निजात पाने का प्रयास करता हैं।
3. अटेंशन के लिए
बच्चों का लगाओ सबसे ज्यादा उनके माता-पिता से होता है बच्चों को यह चाहत होती है कि जब भी वह चाहे उनके माता-पिता उनके पास हो। कभी-कभी ऐसा हो पाना मुश्किल होता है इस कारण बच्चे अपना सिर पटकना शुरू कर देते हैं। बच्चा अपने माता-पिता या आस-पड़ोस के लोगों का टेंशन पाने के लिए भी सकता है।
उसे यह एहसास होता है कि जब वह अपना सिर फट जाएगा तो उसके माता-पिता उसके पास आएंगे और उसे पकड़ने का प्रयास करेंगे बच्चों के माध्यम से अपनी फ्रस्ट्रेशन को निकालने का प्रयास करता है। बच्चा नासमझ होता है। तथा नासमझी के कारण वह किसी भी प्रकार से अपने सर को कहीं भी मार सकता है इसलिए माता-पिता को बच्चे का ध्यान रखना चाहिए।
4. विकासात्मक समस्या
बच्चे को सिर पटकने की समस्या ऑटिज्म के कारण भी हो सकती है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के अंदर कई अन्य प्रकार के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। विकासात्मक समस्याओं के होने से बच्चों में सिर पटकने की समस्या हो सकती है बच्चे अपने शरीर में हो रहे बदलावों अपने शरीर के अंदर हो रही पीड़ा को मुंह से बताने में असमर्थ होते हैं। इसलिए मैं अपने अंदर की समस्याओं को अपना सर पटक कर दर्शाने का प्रयास करते हैं।
5. आराम के लिए
दक्षिण अफ्रीका की खोज से यह पता चला है कि जब बच्चों को आराम की आवश्यकता होती है। यह जो होने नींद आती है तो वह अपना सर पटक ना शुरू कर देते हैं मैं अपने सिर को आगे पीछे हीलाने का प्रयास करते हैं जिससे रिदम मूवमेंट होता है। रिदम मूवमेंट के जरिए बच्चे को आराम मिलता है और वह सोने लगता है। यह गाइडलाइन दक्षिण अफ्रीका सरकार द्वारा जारी की गई है।
6. रिद्धमिक मूवमेंट डिसऑर्डर (Rhythmic Movement Disorder)
बच्चे के सिर पटकने की समस्या किसी डिसऑर्डर के कारण भी हो सकती है। जैसा कि हमने आपको इस लेख में पहले ही बताया कि सिर पटकने की समस्या रिलेटेड रिद्धमिक मूवमेंट डिसऑर्डर (RMDs) के कारण होती है। यह बचपन में होने वाली नींद से जुड़ी समस्या से संबंधित है इसमें शरीर का एक भारी मांसपेशियों का इसका एक साथ प्रभावित होता है।
इन समस्याओं के लक्षण बार-बार शरीर के किसी अंग को हिलाना सिर पीटना या कोई शारीरिक हरकत करना होता है। बच्चे ऐसा सोने से पहले और नींद से जागने के बाद भी कर सकते हैं इसलिए माता-पिता को ऐसे लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और अपने बच्चे के डिसऑर्डर के विषय में जानकारी प्राप्त होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
7. स्टीरियोटाइपिक मूवमेंट डिसऑर्डर (Stereotypic Movement Disorder
स्टीरियोटाइपिंग मूवमेंट डिसऑर्डर बच्चों से संबंधित एक डिसऑर्डर है इसमें बच्चे को बहुत सारी समस्याएं हो सकती हैं। यह मानसिक मंदता का एक प्रकार है यह समस्या बच्चों के साथ बड़ों मैं भी देखी जाती है। इस समस्या में छोटे बच्चे को सिर पटकने से खुशी महसूस होती है। एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार इस बात को पूर्ण किया जा चुका है।
छोटे बच्चे सिर पटकना कब बंद करते हैं?(When Head bagging stopped?)
छोटे बच्चे नासमझ होते हैं उन्हें अपनी बात को कहने का कोई ना कोई तरीका चाहिए होता है कभी रो कर अपनी बात को कहने का प्रयास करते हैं और कभी वह अपने सर पटक कर अपनी बात को समझाने का प्रयास करते हैं कि वह कितने परेशान है। बच्चे में यह आदत 9 महीने से शुरू हो सकती है तथा 4 साल तक होते-होते बचा इस आदत को छोड़ भी सकता है।
कभी-कभी बच्चा अपनी इस आदत को नहीं सुधारते पांच फ़ीसदी से अधिक बच्चों में यह पाया गया है कि वह 5 वर्ष के बाद भी अपनी सिर पटकने की गतिविधि को जारी रखते हैं। कुछ बच्चे कुछ मिनट तक ही सिर्फ सकते हैं अथवा कुछ बच्चे घंटों तक भी अपना सर पटक सकते हैं। लड़कियों के मुकाबले लड़कों में यह जोखिम तीन गुना अधिक पाया जाता है।
एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार यह पता चलता है कि 16 साल के उम्र के बाद भी कुछ बच्चों में सिर पटकने की आदत पाई जाती है। बच्चों पर एक केस स्टडी पाई गई है जिसमें यह बताया गया है कि बच्चा प्रति सप्ताह रात में तीन-चार बार अपना सर पटक ता है तथा वह 10 साल का होते होते अपनी इस हरकत को कम भी कर सकता है।
10 साल का होते होते बच्चे की हरकत में 50% की कमी पाई गई है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि बच्चे की सिर पटकने की आदत सर बच्चों में ही सीमित है। सिर पटकने मैं उम्र की कोई सीमा नहीं हो सकती किसी भी उम्र का व्यक्ति सिर्फ अटकने की समस्या से ग्रसित हो सकता है। यदि बच्चों में यह समस्या है तो इसे आप सामान्य सकते हैं परंतु यदि बड़ों में इस प्रकार की समस्या है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है।
शिशु के हेडबैंगिंग के लक्षण (symptoms of Head Bagging)
शिशु के हैंडबैग इनके लक्षण में उसका सिर पटकना ही 1 लक्षण है। इसके अलावा और भी बहुत सारे बदलाव शिशु के अंदर दिखाई दे सकते हैं उन बदलावों के विषय में हमने आपको नीचे जानकारी प्रदान की है।
- नींद से पहले या नींद के दौरान बच्चे का सिर पकटना
- दिन के समय अधिक नींद आना
- चिंता करना
- घबराहट होना
- सिर पीटने से खुशी का अनुभव करना
- सिर में चोट लगना
- बैठते हुए सिर को पीछे या सामने की तरफ किसी ठोस वस्तु या दीवार पर मारना
- लेटे रहने की स्थिति में गद्दे या तकिए की तरफ सिर पटकना
- खिलौनों से खेलते समय बार-बार उसे अपने सिर पर मारना
शिशु अगर सिर पटकने लगे तो क्या करना चाहिए?
शिशु का सिर पटकना एक गंभीर समस्या हो सकती है सर पटकने के कारण किसी को कहीं भी दिमाग में चोट लग सकती है और दिमाग में कोई भी कमी आ सकती है इसलिए बच्चे को सर पटकता देख माता-पिता हड़बड़ा जाते हैं और परेशान होने लगते हैं। यदि आपका शिशु सर पटक रहा है तो आपको क्या करना चाहिए इसके विषय में नीचे हम आपको बता रहे हैं।
1. दीवार से दूर करें
बच्चे को सोते समय दीवार से दूर रखना चाहिए हैंडबैगीग की समस्या किसी भी समय हो सकती है इसलिए बच्चे को दीवार से सटाकर नहीं बल्कि उसके बिस्तर को दीवार से दूर रखना चाहिए। जिससे वह हैंडबैग इन दीवार पर ना कर पाए यदि उसके आसपास कोई कठोर चीज सिर पटकने के लिए नहीं होगी तो बच्चे को गंभीर चोट से बचाया जा सकता है।
2. सिर को सहलाएं
सोते समय बच्चे के सर को चलाना चाहिए बच्चे के सिर को चलाने से उसे आराम मिलता है और वह जल्दी सो जाता है सर को सहलाने के बच्चे हो या बड़े सभी को बहुत आराम मिलता है। यदि बच्चा सर पटकने की समस्या को सोते समय करता है तब भी माता-पिता उसके सिर को सहला कर उसे आराम दे सकते हैं। जिससे बच्चे को चोट ना लगे और वह आराम महसूस करें।
3. ध्यान भटकाने का प्रयास करें
यदि बच्चा अपना सिर पटकना शुरू करता है तो माता-पिता को बच्चे का ध्यान मत खाना चाहिए उसको प्यार करना चाहिए उसके साथ खेलने का प्रयास करना चाहिए। गाना गाकर या खिलौनों के साथ खेल कर उसे सिर पटकने से रोकना चाहिए। उसका ध्यान भटकने से वह अपने चटकने को रोककर अन्य किसी गतिविधि में शामिल हो सकता है।
4. बात करें
यदि बच्चा बात कर सकता है तो माता-पिता को बच्चों से बात करनी चाहिए उसके सिर पटकने का कार्य सोचना चाहिए। यदि बच्चा अपने सिर पटकने का कारण सिर दर्द पेट दर्द या कहीं पर ही दर्द बता रहा है तब तुरंत डॉक्टर से संपर्क और के बच्चे की समस्या का इलाज करना चाहिए। यदि बच्चा किसी और समस्या या किसी बात से नाराज है तो उससे बात करके समझाना चाहिए कि क्यों उसकी बात को नहीं माना गया इस प्रकार बच्चे को समझदार बनाने से सर पटकने की समस्या ठीक हो सकती है।
5. नजरअंदाज करें
कभी-कभी बच्चा माता-पिता का पेंशन पाने के लिए भी सर पटकने की गतिविधि को अंजाम दे सकता है। यदि माता-पिता को ऐसा लग रहा है कि बच्चा अटेंशन पाने के लिए ऐसा कर रहा है तब उन्हें बच्चे को पूरी तरीके से नजरअंदाज करना चाहिए क्योंकि यदि माता-पिता बच्चे की गतिविधि पर ध्यान देने लगे इससे बच्चे को अपने माता-पिता का अटेंशन पाने की आदत हो जाएगी और वह बार-बार एक ही गतिविधि को अंजाम देगा। माता-पिता को ऐसी गतिविधियों सिर्फ सजग रहना होगा एवं अपने बच्चे पर नजर रखनी होगी कि वह यह हरकत क्यों कर रहा है।
6. तकिए का इस्तेमाल करे
यदि बच्चे को सोते समय हेडबैंगिंग की आदत है और वह अपने इस्तेमाल की हुई चीजों पर हेडबैंगिंग करने का प्रयास करता है तो माता-पिता को उन सारी इस्तेमाल चीजों पर मोटे कपड़े से गद्देदार बना देना चाहिए। जिससे बच्चा दोबारा उन चीजों पर अपना अगर सिर फट के तो उसे चोट ना लगे। बच्चे के इस्तेमाल करने वाली चीजें जैसे उसकी कुर्सी मेज बेड को आप गद्देदार और गुदगुदा बना सकते हैं।
7. विशेषज्ञ से मिलें
यदि बच्चे को बहुत ज्यादा हेडबैंगिंग की समस्या हो रही है तथा वह बार-बार अपना सिर पटकता है। यह एक आक्रमण व्यवहार हो सकता है उसको सुधारने के लिए तुरंत बाल विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए उन्हें बच्चे की स्थिति को बताना चाहिए तथा उनसे इस विषय में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए कि बच्चे की स्थिति सामान्य है या कोई गंभीर बात है। बच्चे की हेडबैंगिंग को सुधारने के टिप्स विशेषज्ञ से लेने चाहिए। विशेषज्ञ अपने क्षेत्र में पारंगत होते हैं तथा उन्हें बच्चों की गतिविधियों का पूर्ण रूप से ज्ञान होता है। वह माता-पिता को एक सही सलाह देने का सबसे संसाधन है।
छोटे बच्चे की हेडबैंगिंग आदत को कैसे रोका जा सकता है?
बच्चों में हेडबैंगिंग की समस्या बचपन में अधिक होती है परंतु जैसे-जैसे वह बड़े होते हैं वैसे वैसे उनके हेडबैंगिंग की समस्या भी समाप्त होने लगती है। फिर भी हमने आपको कुछ टिप्स दिए हैं जिसके माध्यम से बच्चे में हेडबैंग की आदत को रोका जा सकता है।
1. जबरदस्ती न सुलाएं
बच्चे को कभी भी जबरदस्ती सुलाने का प्रयास नहीं करना चाहिए यदि आप बच्चे को जबरदस्ती सुलाने का प्रयास करते हैं अब बच्चा आपकी इस हरकत से परेशान हो सकता है और वह अपना सिर पटकना शुरू कर सकता है। इसलिए जब भी बच्चे को आराम का मन करें या आपको लगे कि उसे नींद आ रही है तभी आप उसे सुलाये जब आपको लगे कि बच्चे को नींद आ रही है। अन्यथा बच्चा परेशान हो सकता है और उसकी सिर पटकने की गतिविधि और बढ़ सकती है।
2. चिंता न करें
यदि आपको अपने बच्चे के अंदर सर पटकने की समस्या दिखाई दे रही है और वह उम्र के साथ कम हो रही है तो यह एक सामान्य घटना है। माता पिता को 5 साल तक इंतजार करना चाहिए यदि 5 साल के बाद भी सिर पटकने की समस्या उम्र के साथ कम नहीं हो रही तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके विषय में बात करनी चाहिए कि आखिर क्यों बार-बार बच्चा से इस तरह की गतिविधि को अंजाम दे रहा है।
3. दवाओं की खुराक दें
सर पटकने की समस्या बच्चों के अंदर एक सामान्य समस्या है यदि यह उम्र के साथ कम हो रही है तो बच्चे को किसी भी प्रकार की दवाई देने की आवश्यकता नहीं है। परंतु अगर यह उम्र के साथ गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं तब तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए डॉक्टर बच्चे को सेटएतिब् दवाइयां देता है। यह सेडण्टिव दवाइयां बच्चे को नींद लाने ब सुलाने में मदद कर सकती हूं इससे बच्चे की स्थिति सुधर सकती है।
4. गुस्सा ना करें
कभी-कभी माता-पिता बच्चे की सर पटकने की समस्या से परेशान हो जाते हैं। बच्चे को बार बार समझाने पर भी यदि वह अपने सर पटकने की समस्या को नहीं सुधार रहा है तो कुछ माता-पिता बच्चे से गुस्सा होने लगते हैं। यदि माता-पिता बच्चे से गुस्सा होने लगेंगे तो बच्चे की सिर पटकने की समस्या सुधरने की बजाय और बढ़ सकती है क्योंकि आपका गुस्सा करना बच्चे को परेशान कर सकता है। जिसके कारण वह सिर पटक कर अपना गुस्सा जाहिर करने का प्रयास कर सकता है इसलिए बच्चे पर गुस्सा नहीं करना चाहिए।
5. संगीत सुनाएं
यदि आपका बच्चा सर पटकने की समस्या से ग्रसित है तो सोते समय बच्चे को एक सॉफ्ट म्यूजिक सुनाना चाहिए सॉफ्ट म्यूजिक के माध्यम से बच्चे को नींद अच्छी आती है। तथा उसका दिमाग शांत रहता है जिससे बच्चा किसी भी प्रकार की उलझन या परेशानी का एहसास नहीं करता बच्चे को हमेशा सॉफ्ट संगीत सुनाना चाहिए।
6. थकान
बच्चे के साथ दिन भर खेलने का प्रयास करना चाहिए बच्चे को तरह तरह की शारीरिक गतिविधियों को करवाना चाहिए। जिससे बच्चा पूरे समय व्यस्त रह सके तथा उसका मानसिक संतुलन बना रहे इसके साथ ही बच्चे को अपने साथ खिलाना चाहिए जिससे शाम को उसके शरीर की ऊर्जा कम हो जाए और वह थका हुआ महसूस करने के कारण जल्दी सो जाए। थकान के कारण यदि बच्चा जल्दी सोता है तो वह अपने सिर पटकने की समस्या से भी निजात पा सकता है।
7. अटेंशन के लिए बच्चे को प्रोत्साहित ना करें
कभी-कभी माता-पिता बच्चे की गतिविधियों से खुश होकर वह काम दोबारा करते हैं। जिससे वह अपने बच्चे की गतिविधियों को बार-बार देख सके और खुश हो सके परंतु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यदि बच्चा माता-पिता का अटेंशन पाने के लिए बार-बार अपना सिर पटकता है। तब माता-पिता को कभी बच्चे की तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए।
8.चेकअप कराएं
छोटे बच्चे बोलने में असमर्थ होते हैं जिसके कारण मैं अपनी समस्या को बोलकर नहीं बता पाते छोटे बच्चों में सामान्यता दांत निकलने की समस्या या कान में दर्द की समस्या होती है। इस कारण बच्चे अपने सिर को पटक कर आराम पाने का प्रयास करते हैं ऐसी किसी समस्या को सुलझाने के लिए तो डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए। चेकअप करवाने से बच्चे की समस्या पता चलेगी क्या वह अपना सर बार-बार क्यों भटक रहा है। यदि शिशु को उसकी समस्या से निजात मिलती है तो वह सिर पटकने की समस्या से निजात पा सकता है।
डॉक्टर से कब सलाह लें
यदि उम्र बढ़ने के बाद भी बच्चे के अंदर हैंड वैगन की समस्या खत्म नहीं हो रही है तो यह चिंता का विषय है। इस स्थिति में डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत अधिक आवश्यक है डॉक्टर से परामर्श लेने के अलावा अगर शिशु के अंदर निम्न लक्षण दिखाई दे रहे हैं तब भी डॉक्टर को दिखाना बहुत अधिक आवश्यक है। शिशु के अंदर लक्षण कुछ इस प्रकार हैं
- हेड बैंगिंग के दौरान बच्चे के सिर में चोट लगने पर।
- बच्चे का हेड बैंगिंग बहुत ज्यादा करना, जिस वजह से बच्चे और परिजनों की नींद खराब हो रही हो।
- रात में बच्चे को मिर्गी आना।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको यह बताने का प्रयास किया है कि बच्चे अपना सिर क्यों पटक ते हैं तथा इसके उपचारों के विषय में बताया है कि आप अपने बच्चे की सिर पटकने की समस्या से कैसे निजात पा सकते हैं।
यदि आर्टिकल से संबंधित किसी भी प्रकार का प्रश्न आपके मन में है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं हमें आपका उत्तर देने में हर्ष होगा।