क्या करें कि शिशु रात भर अच्छी नींद ले? (Shishu ki acchi neend)

बच्चे बहुत ही कोमल होते हैं। वह छोटी-छोटी बातों पर परेशान होने लगते हैं और उन्हें बीमारियां भी बहुत जल्दी लग जाती हैं। बच्चों को आराम की भी सख्त जरूरत होती है यदि वह आराम नहीं करते तो वह सहज महसूस करते हैं। और पूरे दिन रोते रहते हैं। यदि बच्चे अच्छी नींद लेंगे तभी वह ठीक से अपने दिन को बिता पाएंगे और एकदम फ्रेश रह पाएंगे परंतु बच्चों को रात भर अच्छी नींद कैसे दिलाई (Babies ko achi neend kaise dilaye) जा सके इसके विषय में अक्सर पेरेंट्स को जानकारी नहीं होती।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शिशु की रात भर अच्छी नींद लेने के उपाय (Babies me acchi neend ke upay) के विषय में बताएंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

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मेरा शिशु पूरी रात कब सोने लगेगा? 

हर शिशु दूसरे बच्चे से अलग होता (Babies me poori raat neend ki shuruat)  है। उसके शारीरिक क्रियाएं अलग-अलग होती हैं। पूरी रात सोने का मतलब है कि शिशु लगातार 6 घंटे की नींद बिना किसी रूकावट के ले सके।

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शिशु की नींद में किस प्रकार की रुकावटें उत्पन्न होती हैं। और वह बार-बार क्यों जाग जाता है। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

  • आपके शिशु की उम्र क्या वह समय से पहले जन्म ले लिया है। 
  • वह स्तनपान करता है या फॉर्मूला मिल्क पिता है। 
  • आपके शिशु की झपकी लेने और सोने की दिनचर्या
  •  आपके शिशु के रात में दूध पीने की क्षमता 
  • आपके शिशु के कितने समय तक दूध पीने की क्षमता और 
  • उसके मल मूत्र को त्याग करने की क्षमता।

जब शिशु का जन्म होता है जन्म के तुरंत बाद उसके शरीर में नींद को रेगुलेट करने वाला सिस्टम जर्मिनेट नहीं होता उसे इस बात का ज्ञान नहीं होता। कि उसे कब सोना चाहिए और कब जागना चाहिए जब शिशु 8 महीने का हो जाता है। तब उसके अंदर सार्कार्डियल रिदम डेवलप होने लगती है।

 और वह धीरे-धीरे रात में अधिक सोना शुरू कर देता है और दिन में काम सोना शुरू करता है। जब शिशु 6 महीने का हो जाता है। उसके शरीर में पूरी तरीके से सरकार्जियल रिदम विकसित हो जाती है।

आप बच्चा रात को ही आराम से सोता है और दिन में अधिकतर समय जाता है कुछ बच्चे तो ऐसे होते हैं जो लगातार 8 घंटे की नींद भी लेना शुरू कर देते हैं।

बरहाल अगर उसकी उम्र भी हो गई है तब भी वह यदि रात में नहीं सो रहा है। तब भी चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं होती सामान्यत 6 महीने के बाद या बच्चों के 1 साल होने के पश्चात ही वह पूरी रात सोना शुरू करता है।

 वह शर्तें ऐसा मुश्किल ही होता है कि जब बच्चा 1 साल का हो जाए तब वह रात को पूरी तरीके से सोना शुरू कर दे क्योंकि हर बच्चा भिन्न होता है। उसकी शारीरिक क्रियाएं और शारीरिक बनावट अलग-अलग होती है।

 वह अलग-अलग प्रकार से रिएक्ट करता है इसलिए शिशु को धीरे-धीरे टाइम के हिसाब से समझने में समय लगता है और वह चीजों को समझकर इस प्रकार से अपने शरीर को डाल लेता है।

शिशु की बार-बार नींद क्यों टूटती है? 

हमने अक्सर देखा है कि शिशु (Babies ki neend kyun tooti hai) समय-समय पर बार-बार जैन लगता है।ऐसा क्यों होता है इसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

1. हो सकता है आपका बच्चा भूखा हो इसीलिए वह रोने लगता हो शिशु का पेट छोटा होता है। और उसमें ज्यादा दूध संग्रहित नहीं हो पता हर दो या तीन घंटे में बच्चे का दूध बच जाता है और उसे दोबारा भूख लगने लगती है।जब शिशु 6 महीने के हो जाते हैं उसके बाद समानता शिशु इतना दूध पी लेते हैं कि उन्हें 5 घंटे तक भूख ना लगे या वह पूरी रात बिना दूध पिए भी सो सकें।

2. ऐसा भी हो सकता है कि शिशु की नवी या लंगोट गीली हो गई हो इसके अलावा सोने के समय बच्चों को अच्छे एनवायरमेंट या किसी के साथ की जरूरत पड़ती हैं। जो मन के रूप में हमेशा उपलब्ध रहना चाहिए।

3. ऐसा हो सकता है कि बच्चा बीमार हो या वह नया कौशल सीख रहा हो या उसके दांत निकल रही हूं। उसके शरीर में किसी प्रकार की समस्या होने के कारण भी बच्चा बार-बार जा सकता है।

4. मौसम में परिवर्तन के कारण भी शिशु के कमरे का तापमान बदल सकता है। जिसके कारण उसे असहता महसूस होती है और उसके कारण भी बार-बार बच्चों की नींद खुल जाती है।

कौन से उपाय शिशु को रात भर पूरी नींद लेने में मदद कर सकते हैं? 

नीचे आपको कुछ उपाय बताए (Babies me acchi neend ke upay) गए हैं। दिन के माध्यम से बच्चा आराम से सो सकता है। यदि बच्चा नींद से जाग जाएगा तब बिना किसी मदद के या किसी की मदद के भी बच्चे किस सुलाने की रणनीति के विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

1.दैनिक दिनचर्या बनाएं :

 बच्चों की एक दैनिक दिनचर्या बनाना बहुत ज्यादा आवश्यक हैं । बच्चे को खिलाने पिलाने का समय उसके खेलने का समय उसको सुलाने का समय सारे समय फिक्स होने चाहिए। यदि आप दैनिक दिनचर्या के माध्यम से बच्चे को सुलाने का प्रयास करेंगे तो आपको ज्यादा मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ेगा।

 रोजाना आप एक ही समय पर बच्चों को सिलाए खिलाए पिलाए और खेलने के लिए प्रेरित करें इस प्रकार बच्चा हर चीज सीख जाएगा और आपको भी परेशानी नहीं होगी।

2.शिशु के बेड टाइम का सही समय चुने :

अक्सर बच्चों को सुलाने का सही समय 9:30 से 10 के बीच होता है। इस बीच में आपको अपने बच्चों को सुला देना चाहिए। यदि रोजाना आप इसी समय पर अपने बच्चों को सुलायेंगे तो वह चुस्त दुरुस्त रहेगी और अगले दिन भी बहुत फ्रेश शुरुआत करेगा।

 परंतु कुछ कामकाजी महिलाएं जो अपने काम से देरी से आती हैं और वह अपने बच्चों के साथ खेलने के बाद 11:00 तक उसे सुलाती हैं। तो यह बच्चे के साथ गलत प्रक्रिया होती है। यदि 11:00 तक आपका बच्चा बिल्कुल सोने के लिए तैयार नहीं हैं।

 बल्कि आपके साथ खेलने के लिए तैयार है तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि उसके सोने का समय निकल गया है इसलिए कोशिश करें कि आप अपने बच्चों को जल्दी सुला दें।

3.आराम देने वाला बेडटाइम रूटिंग बनाएं

बच्चों को आराम देने वाला बेड टाइम रूटिंग बनाना चाहिए। जब वह 3 महीने का हो जाए 3 महीने का होने पर जब बच्चे का सोने का समय होता है। उसके 1 घंटे पहले से ही उसके माहौल बनाना बहुत ज्यादा आवश्यक हैं।

 1 घंटे पहले से ही उसे टीवी या मोबाइल फोन जैसे कोई भी उपकरण नहीं देने चाहिए इसके अलावा जिस भी कमरे में वह है उसे कमरे की रोशनी कम कर देनी चाहिए। बच्चों को मालिश करनी चाहिए।

 उसे नहलाना चाहिए और उसे लोरी सुननी चाहिए ऐसा करने से बच्चा थोड़ी देर में सो जाता है और आपको किसी भी तरीके की परेशानी नहीं होती।

3.शिशु को नींद में ही दूध पिलाई

कई बार शिशु भूखा ही सो जाता है और माता-पिता को यह चिंता होती रहती है। कि उनका शिशु भूखा है परंतु यदि वह बहुत मुश्किल से होता है तो आपको उसे उठाकर दूध नहीं पिलाना चाहिए। जब वह नींद में है तभी आपको उसे अपनी गोद में उठाकर सारे से स्तनपान कराना चाहिए।

 या फिर यदि आप उसको बोतल से दूध पिलाना चाहते हैं तो उसके होठों पर निप्पल लगानी चाहिए। वह अपने आप ही दूध को पीना शुरू कर देगा उसे पूरी तरीके से जगा कर दूध पिलाना नहीं चाहिए। इससे वह अधिक देर तक जागेगा और आपको परेशान करेगा।

4.शिशु को अपने आप सोने दे

जब बच्चा 3 महीने का हो जाता है तब उसके सोने की भी प्रक्रिया धीरे-धीरे विकसित करनी चाहिए। पूरी तरीके से मां पर ही उसे डिपेंड नहीं रहना चाहिए। यदि माता को यह महसूस हो रहा है कि उनका शिशु निंदा हो रहा है।

 तो आप उसे पीठ केवल बिस्तर पर लेट दिन उसके बाद किसी भी प्रकार के इंतजार करने के बाद आप यह देखें। कि आपका बच्चा अपने आप सो रहा है या नहीं। यदि वह नहीं सो रहा है तो आप उसकी पीठ को थपथपा सकते हैं।

 या कुछ आवाज निकाल कर उसे सुलाने का प्रयास कर सकती हैं परंतु धीरे-धीरे बच्चों को सेल्फ डिपेंडेंट बनना चाहिए और सोने के लिए उसे अपने आप से ही विकसित करना चाहिए।

5.नींद का प्रशिक्षण दे

आप अपने शिशु को जब वह 3 महीने का हो जाए तो उसे प्रशिक्षण दे सकते हैं कि वह किस प्रकार अपने आप ही सो सकता हैं। कई बार बच्चे ऐसे होते हैं जो रात भर जागने के बाद भी सोना नहीं चाहते।

 इसलिए उन्हें प्रशिक्षण देना जरूरी है क्योंकि आराम करना बच्चों के लिए स्वास्थ्य को बहुत आवश्यक है और बच्चा आराम करेगा तो आपको भी परेशान नहीं करेगा।

शिशु रात को जगाता है और दिन में सोता है उसकी दिनचर्या में बदलाव कैसे करें? 

माताएं इस बात से बहुत (Babies ki dincharya me badlav) परेशान रहती हैं कि उनका शिशु रात को जगाता है और उन्हें सोने नहीं देता। उसके बाद वह दिनभर सोता है उसकी दिनचर्या में किस प्रकार बदलाव किया जा सकता है उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

दिन के समय

  • जब बच्चा जाग रहा हो तो उसके साथ बातचीत करने का प्रयास करें। पूरे दिन उसे क्रियाशील रखने का प्रयास करें जिससे बच्चों को सोने का आवाज ना हो उसके साथ खेलने का प्रयास करें।
  • पर्दे पूरी तरीके से खोल दें और कमरे में रोशनी आने दे जिससे बच्चा अंधेरा महसूस ना करें।
  • दिन में आने वाले शोर और बाहर से आने वाली आवाजों को ना दबाई बाहर से आने वाले शोर को आने दे।
  • घर पर म्यूजिक सिस्टम में मोबाइल को चलने दे बच्चों को शोर आम दिनचर्या में भी महसूस होगा तब भी वह नहीं सोएगा।
  • सुबह के समय शिशु को रोशनी में बाहर ले जाएं उसे घूमने का प्रयास करें। जिससे वह विभिन्न चीजों को देखेगा तो वह सोने के लिए प्रेरित नहीं होगा।

रात के समय

  • शिशु से ज्यादा बात ना करें और धीमा बोले रोशनी और शोर का स्तर कम रखें ।
  • दूध पिलाने या नवी को बदलने के लिए काम लाइट का इस्तेमाल करें।
  •  शिशु का ध्यान ना बाटे और उसे सोने के लिए प्रोत्साहित करें।

धीरे-धीरे बच्चों को भी यह समझ में आने लगेगा कि दिन का समय मस्ती के लिए होता है। और रात का समय सोने के लिए होता है। ऐसे करके वह धीरे-धीरे अपनी खुद की दिनचर्या को विकसित करने लगे।

शुरुआत में ऐसा हो सकता है कि बच्चा एक रात बहुत आराम से सोए और अगली रात जागने लगे उसके तंत्रिका तंत्र को चीजों को एक्सेप्ट करने में थोड़ा सा समय लगता हैं। 

इसलिए इस बात पर चिंता नहीं करनी चाहिए।धीरे-धीरे उसके तंत्रिका तंत्र विकसित होता रहेगा और वह पूरी तरीके से लंबी देर तक रात को सोना शुरू कर देगा।

शिशु अच्छी तरीके से सोने लगा था परंतु आप फिर से उसकी नींद टूटने लगी है क्या करें? 

कई बार ऐसा होता है कि शिशु एक बार रात को सोना शुरू कर देता हैं। परंतु कुछ ही समय के बाद उसकी नींद में बदलाव देखने को मिलते हैं। जैसे कि वह रात में भर-भर जागना शुरू करता है या वह पूरी पूरी रात जागता रहता है।

 बार-बार उसकी नींद टूट जाती है या वह बार-बार रोने लगता है। इस प्रकार की जो बेकार बच्चों के अंदर उत्पन्न होते हैं उसे स्लिप रिग्रेशन कहा जाता है। इसमें चिंता का विषय नहीं होता यह बिल्कुल सामान्य बात होती है और अक्सर बच्चों में देखी जाती है।

बदलाव का यह चरण बहुत अस्थाई होता है यह कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीने तक चल सकता है। परंतु यदि आप पहली बार माता-पिता बने हैं तो आई है। आपके लिए मुश्किल हो सकता है और आपको काफी थकान महसूस हो सकती है।

नींद पूरी न होने पर मेरी दिनचर्या प्रभावित हो रही है क्या करें? 

कई बार बच्चों की खराब (Parents ki dincharya par prabhav) दिनचर्या के कारण माता-पिता को भी परेशान होना पड़ता है। माता की भी नींद पूरी नहीं होती और वह थकावट महसूस करने लगते हैं। यदि माता को ऐसा महसूस होता है तो उन्हें क्या करना चाहिए उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

  • यदि आप रात को जग पा रही हैं और अपनी शिशु की देखभाल कर पा रही हैं। लेकिन आपको थकान महसूस नहीं हो रही तो आप कुछ दिनों तक अपने बच्चों की रात में सोने का इंतजार कर सकते हैं। परंतु यदि आपको अपने बच्चों के साथ उसकी देखभाल करने पर थकावट महसूस हो रही है और आपकी दिनचर्या बिगड़ रही है तो आपके इसके लिए कुछ उपाय निकलना होगा।
  • आप अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए परिवार वालों की मदद ले सकते हैं।
  • यदि आप आर्थिक रूप से सक्षम है तो बच्चे की थोड़ी बहुत देखभाल करने के लिए आप उसके एक नैनी का इंतजाम कर सकते हैं।
  • यदि आप बच्चे की देखभाल बड़े बुजुर्गों के हाथ में दे देते हैं तब भी आपको थकावट महसूस नहीं होगी और आप फ्रेश महसूस करेंगे।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. बच्चों की दिनचर्या ठीक क्यों नहीं रहती? 

बच्चों के शरीर में सोने और जागने का अंदरूनी सिस्टम विकसित नहीं हो पाता। जिसके कारण उनकी दिनचर्या ठीक नहीं रहती।

Q. बच्चों की बार-बार जैन की समस्या को क्या कहा जाता है? 

बच्चों की बार-बार जैन की समस्या को स्लिप रिग्रेशन कहा जाता है।

Q. बच्चा कितने महीना का होने पर पूरी रात सोना शुरू कर सकता है? 

जब बच्चा 6 महीने 1 साल का हो जाता है तब वह पूरी रात सोना शुरू कर सकता है।

Q. यदि माता-पिता को बच्चे की दिनचर्या से परेशानी है तो वह क्या कर सकते हैं? 

माता-पिता बच्चों को पालने पहुंचने के लिए अपने परिवार की मदद ले सकते हैं।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको क्या करें कि शिशु रात भर अच्छी नींद ले? (Babies me acchi neend ke upay) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है।यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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