शिशु को पानी कब से व कितना पिलाना चाहिए? | Shishu Ko Kab Aur Kitna Pani Pilana Chahiye

वयस्कों को पानी की बहुत आवश्यकता होती है। वयस्कों को यह सलाह दी जाती है कि पूरे दिन में वह 7 से 8 लीटर पानी को अवश्य पी ले जिससे उनके शरीर में पानी की कमी ना हो परंतु शिशु को भी पानी की आवश्यकता होती है। उसके विषय में अक्सर मां को जानकारी नहीं होती। शिशु के लिए भी अपनी महत्वपूर्ण होता है परंतु कितना पानी पिलाना चाहिए (Shishu ko kitna pani pilayen?) इसके बारे में जानकारी नहीं होती। 

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शिशु को पानी कब और कितना पिलाना चाहिए (Shishu ko kab aur kitna pani pilana chahiye) इसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े। 

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6 महीने से कम उम्र के बच्चे को पानी देने में क्या समस्या है? (Navjaat Shishu Ko Pani Pilana Chahiye Ya Nahi) 

6 महीने से कम उम्र के बच्चे को (6 month se chote Shishu ko  pani pilane me problem)यदि ज्यादा पानी पिलाया जाता है। तो वह बच्चे डायरिया और कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। यदि 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को यदि पानी पिलाया जाता है तो पानी से ही उनका पेट भर जाता है और वह दूध नहीं पीते। 

शिशु को पानी कब से व कितना पिलाना चाहिए? | Shishu Ko Kab Aur Kitna Pani Pilana Chahiye

जिसके कारण उनके शरीर में पोषक तत्व की कमी हो जाती है उनका शरीर कमजोर पड़ जाता है। शिशु के जन्म के पश्चात उसके पेट की क्षमता बहुत कम होती है जैसे-जैसे उसका विकास होता जाता है। उसके पेट की क्षमता विकसित होती रहती है। और धीरे-धीरे उसे ज्यादा चीजों की आवश्यकता पड़ने लगती है। 

यदि छोटे से पेट में पूरे पेट को पानी से भर दिया जाता है तो बच्चा कुपोषण का शिकार समानता हो जाता है। क्योंकि पानी भी कोई भी पोषक तत्व नहीं पाए जाते। यदि बच्चे हो सकता तो प्राप्त नहीं होते तो वह कमजोर और कुपोषित हो जाता है। 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को पानी पीने की सलाह नहीं दी जाती। क्योंकि मां के दूध में ही पर्याप्त पानी होता है जो बच्चे के शरीर के पानी की पूर्ति को पूरा करता रहता है। 

बच्चे को पानी पिलाना कब शुरू करें?

बक्सर मां-बाप जानकारी की कवि के (Shishu ko pani pilana kab shuru karen)कारण बच्चों को पानी पिला देते हैं जैसे जब उन्हें ज्यादा गर्मी का एहसास होता है। तो वह अपने बच्चों को भी पानी पिलाते हैं। 

उन्हें ऐसा महसूस होता है कि उनके बच्चे को भी पानी की आवश्यकता होगी। परंतु बच्चों को पानी पिलाने की शुरुआत कब करनी चाहिए उसके विषय में हमें जानकारी प्रदान की गई है। 

जन्म से 4 महीने तक के शिशु : जन्म से चार महीने तक बच्चों को बिल्कुल भी पानी नहीं देना चाहिए। बच्चा जो मां का दूध पीता है उसमें 80% पानी पाया जाता है। बच्चा अपनी अपनी की जरूरत को मां के दूध से पूरा कर लेता है।इसलिए 4 महीने तक के शिशु को पानी नहीं पिलाना चाहिए। कुछ लोग ज्यादा गर्मी के कारण भी अपने बच्चों को पानी पिलाते हैं। परंतु ऐसा नहीं करना चाहिए कुछ लोग अपने 1 महीने के बच्चे को पेट दर्द याद समस्याओं से निजात पाने के लिए वाइप वाटर भी देते हैं परंतु ऐसा नहीं करना चाहिए। 

5 से 8 महीने तक : जिन बच्चों की उम्र 5 महीने से ऊपर हो जाती है। उन बच्चों को पानी पिलाने की शुरुआत की जा सकती है। जो बच्चे 5 महीने के हो गए हैं। उन बच्चों के पेट की क्षमता बढ़ जाती है जिससे उन्हें थोड़ी मात्रा में पानी देने की शुरुआत की जा सकती है। 7 महीने का बच्चा ठीक प्रकार से पानी ले सकता है। इसलिए यदि बच्चा साथ या 8 महीने का है तो आप आराम से उसे बच्चों को पानी पिला सकते हैं। 

9 से 12 महीने तक : जैसा कि हमने बताया है कि जब बच्चा 7-8 महीने का हो जाता है। तो उसे पानी देने की शुरुआत की जा सकती है। परंतु जब बच्चा 9 महीने का हो जाता है। तब उसे ठोस पदार्थ भी देना शुरू किया जाता है 9 महीने से ऊपर के बच्चे को दूध थोड़ा कम मात्रा में पिलाया जाता है। और ठोस पदार्थ का सेवन करवाया जाता है जिससे बच्चों को पानी की भी आवश्यकता होती है और उसे पानी भी पिलाया जाता है। 

बच्चों को पानी की कितनी मात्रा देनी चाहिए? 

बच्चों को पानी की कितनी मात्रा किस उम्र (Shishu ko kitna pani pilaya)में देनी चाहिए। इसकी विषय में अक्सर माता-पिता को जानकारी नहीं होती। वैसे हमने ऊपर आर्टिकल में आपको इसके विषय में बताया है। 

परंतु फिर भी हम आपको स्पष्ट तरीके से किस उम्र के बच्चे को कितने पानी की आवश्यकता होती है। उसके विषय में दीजिए जानकारी प्रदान कर रहे हैं। 

6 से 12 महीने तक के शिशु को कितना पानी पिलाएं?। 

जैसा कि हमने आपको पहले भी इस आर्टिकल में बताया है। कि 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को पानी नहीं पिलाना चाहिए। 6 महीने से बड़ी उम्र के बच्चे ठोस पदार्थ का सेवन करना है शुरुआत कर देते हैं। 

इसलिए जिस हिसाब से वह ठोस पदार्थ का सेवन कर रहे हैं उसी हिसाब से उन्हें पानी पिलाना चाहिए। इस समय यदि आपका बच्चा 6 महीने से ऊपर का है और पानी पीना शुरू कर चुका है तो आप उसे 118 ml से 236 ml पानी पिला सकते हैं। 

यदि आप अपने बच्चों को ठोस पदार्थ ज्यादा खिला रहे हैं तो आप बच्चों के स्तनपान को कुछ काम कर सकते हैं। बच्चों को पानी देते समय यह ध्यान देना चाहिए। की बच्चों को हमेशा सदा पानी देने का ही प्रयास करें उसे मीठा पर पदार्थ या जूस देने से बचना चाहिए। 

12 महीने से अधिक शिशु को कितना पानी देना चाहिए?

12 महीने से अधिक उम्र के शिशु को कितना पानी दिया जा सकता है। उसके विषय में यह बताया गया है की 12 महीने का बच्चा ठोस पदार्थ लेना तेजी से शुरू कर देता है। इसलिए उसके खाने-पीने की क्षमता भी बढ़ जाती है। 

आप 12 महीने के बच्चे को एक दिन में दो कप पानी पिला सकते हैं। बढ़ती उम्र के साथ बच्चे के शरीर की पानी की ज़रूरतें भी बढ़ती जाती है। इसलिए बच्चों को दिनभर में दो कप पानी बनाना अनिवार्य हो जाता है। 

इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को ठोस पदार्थ की खाने के लिए देना चाहिए इस उम्र में बच्चे का विकास ठोस पदार्थ से होता है। सिर्फ मां का दूध पीने से बच्चे का एक विकास तेजी से नहीं हो पता उसे हर चीज संतुलित मात्रा में प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए। 

शिशुओं में जल मादकता क्या है?

बच्चों में जल की मादकता का अर्थ होता है। (Shishu me jal madakta) बच्चों के शरीर में पानी की अधिकता हो जाए। पानी की अधिकता सिर्फ उन बच्चों में ही नहीं पाई जाती जो पानी पीते हैं। बल्कि जो बच्चे फॉर्मूला मिल्क पीते हैं या स्तनपान करते हैं। 

उन बच्चों के शरीर में भी जल की मांदकता पाई जाती है। यदि फॉर्मूला मिल्क भी ज्यादा पानी मिलाकर बच्चों को दे दिया जाता है। तो भी जल के बधकता हो जाती है और ज्यादा पानी को भी यदि बच्चे को ज्यादा पिलाया जाता है। 

तो जल की मादकता होने की समस्या होती है। जल की मादकता होने से बच्चे बहुत सारे दुष्प्रभाव बच्चों के शरीर में देखने को मिलते हैं। जिसे निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है

  • चिड़चिड़ापन
  • अधिक नींद आना
  • हाइपोथर्मिया (शरीर के तापमान में गिरावट)
  • एडिमा (तरल पदार्थ का शरीर के ऊतकों में एकत्रित होना)
  • दौरे पड़ना (मस्तिष्क में सूजन या एडिमा के कारण)

इसके अलावा जो बच्चे ज्यादा जल का सेवन करते हैं। उन बच्चों के शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति नहीं हो पाती और उनके अंदर कैलोरीज का निर्माण नहीं हो पाता जिसके कारण बच्चों कपोषित रह जाते हैं। 

यदि शरीर में हाइपोनेट्रे भी है जैसे समस्या है। तब भी शरीर में जल की अधिकता हो सकती है हाइपोनेट्रिमिया में शरीर में नमक की कमी हो जाती है। इसमें यदि हम ज्यादा पानी पी लेते हैं। 

तो वह अपनी हमारी किडनी की तरफ ब्लड स्ट्रीम में पहुंच जाता है। और हमारे शरीर में बहने वाले ब्लड को पतला कर देता है। पतला होने के कारण हमारे शरीर के नमक में कभी आ जाती है। 

हमारे शरीर के नमक को हम सोडियम और इलेक्ट्रोलाइट नाम से जानते हैं। यदि यह शरीर में काम हो जाता है तो हमें कुछ निम्न प्रकार के लक्षण दिखाई जाते हैं। 

  • थकान
  • मतली
  • उल्टी
  • सिरदर्द
  • आंखों में धुंधलापन
  • मानसिक स्थिति जैसे भ्रम
  • बेचैनी
  • चिड़चिड़ापन
  • सुस्ती
  • मांसपेशियों में कंपकंपी
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • मनोविकृति
  • दौरे पड़ना
  • लार का गिरना
  • दस्त
  • हाइपरपीरेक्सिया (तेज बुखार)
  • एनहाइड्रोसिस (पसीना न आना)

गंभीर लक्षण :

  • फेफड़ों में पानी भरना
  • दिमाग में पानी भरना
  • कोमा
  • मौत

 क्या शिशुओं को किसी भी समय पानी दे सकते हैं?

जैसा कि हमने आपको पहले भी इस (Shishu me paani ki shuruat)आर्टिकल के माध्यम से बताया है कि जो बच्चे 6 महीने से कब उम्र के होते हैं। उन बच्चों के शरीर में पानी की पूर्ति अपने मां के दूध से ही हो जाती है। वह बार-बार अपनी मां के दूध को पीते रहते हैं जिसके कारण का गला नहीं सूखता और उनको प्यास भी नहीं लगती।  परंतु जो बच्चे 6 महीने से बड़े होते हैं। वह मां के दूध को और फॉर्मूला मिल्क को ग्रहण करना कब कर देते हैं और ठोस पदार्थ लेना शुरू कर देते हैं। ठोस पदार्थ में कुछ टॉप की चीज भी पाई जाती है। 

जिसके कारण बच्चों को प्यास लगती है। और उसका गला भी सूखता रहता है। इसलिए जब बच्चा 6 महीने से बड़ी उम्र का हो जाता है। तब उसे पानी देने की शुरुआत की जा सकती है। पर दो छह महीने से बड़ी उम्र के बच्चों को भी अभी हिसाब से पार्टी देना चाहिए। इतना पानी बच्चों को नहीं पिलाना चाहिए। जिससे वह दूध का पी पाए और उसके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाए। 

बच्चे को पानी पीने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें?

बच्चों को पानी पीने के लिए प्रोत्साहित (Shishu me water ke liye exitment) करना जरूरी होता है। यदि बच्चे के के तापमान का रेगुलेशन, पोषक तत्वों को शरीर में पहुंचाने, सेल मेटाबॉलिज्म और गुर्दे के सामान्य कार्य के लिए बच्चों के शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा जरूरी होती है।

 बच्चों को पानी पिलाने की आदत किस प्रकार डाली है। और किस प्रकार से उन्हें पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करना है। उसके विषय में विशेष जानकारी प्रदान की गई है। 

  • सबसे पहले अपने हाथ से ही बच्चे को पानी पिलाने की शुरुआत करनी चाहिए। यदि आप अपने हाथ से बच्चे को पानी पिलाईगे तो उसके हाथ से कप गिरने का डर नहीं रहता। 
  • बच्चों को रंग बिरंगी चीज बहुत पसंद होती है आप अपने बच्चों को रंग बिरंगे सफर कप के माध्यम से पानी पीने को दे। 
  • बच्चों को कार्टून बहुत पसंद होते हैं। यदि कार्टून बने हुए कप बच्चे को पानी पीने के लिए देखें तो वह बहुत खुश हो जाते हैं। और कार्टून को देख देख कर पानी पीने लगते हैं। बच्चे को ऐसे मनोरजक चीज देना चाहिए जो  पसंद है। 
  • यदि आपका बच्चा पानी पी लेता है तो उसकी तारीफ अवश्य करें। इससे बच्चों को महसूस होगा कि उसने कितना अच्छा काम किया है और वह रोजाना शाबाशी पानी का प्रयास करेगा। 
  • बच्चों के फेवरेट जूस को पानी में मिलाकर पिला सकते हैं। अपने जूस के टेस्ट का आदत लेते हुए बच्चा पानी को पूरा खाली कर सकता है। 
  • इस प्रकार जो चीज बच्चों को पसंद है उसकी मदद लेकर आप अपने बच्चों को पानी पिला सकते हैं। 
  • जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है। वह बातों को समझने लगता है और उसे यह समझ में आने लगता है। कि क्या उसके लिए सही है और क्या गलत है। आप भी बच्चे को यह समझाएं कि पार्टी शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है और उसे कितना पीना कितना आवश्यक होता है। 
  • यदि बच्चे को आपकी आवाज समझ में आ जाती है तो आपके बच्चे को पानी पिलाने की जबरदस्ती नहीं करनी होगी। वह अपने आप ही ही पानी को पीने लगेगा और आपको परेशानी का सामने नहीं करना पड़ेगा। 

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. क्या फॉर्मूला मिल्क पर पानी गोला जा सकता है? 

हां फार्मूला बिल्कुल पानी खोलकर ही बनाया जा सकता है। 

Q. स्तनपान करने वाले बच्चों को पानी पिलाया जा सकता है? 

यह बात इस बात पर डिलीवर करती है कि बच्चे की उम्र क्या है। यदि बच्चे की उम्र 6 महीने से ऊपर है तो आप उसे पानी पिला सकते हैं। 

Q. कितनी उम्र तक के बच्चे को पानी नहीं पिलाना चाहिए? 

जिन बच्चों की उम्र 6 महीने से कब होती है उन्हें पानी नहीं पिलाना चाहिए। 

Q. छोटे बच्चों को पानी पिलाने से क्या दुष्प्रभाव होते हैं? 

बच्चों के शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। जिसके कारण बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है। क्योंकि उसके शरीर में कैलोरीज की कमी हो जाती है। 

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से अपने आप को शिशु को पानी कब से व कितना पिलाना चाहिए। (Shishu Ko Kab Aur Kitna Pani Pilana Chahiye) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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