रोते हुए शिशु को कैसे शांत कराएं? (Shishu ko kaise sant karayen?) 

बच्चों के जन्म होने के पश्चात माता-पिता के मन में एक उत्साह रहती है। वह पेरेंट्स बनते हैं और उन्हें नए उत्साह की जागृति होती है। उन्हें अपने नए-नए बच्चों को पाल पहुंचने का मौका मिलता है। परंतु ऐसे बहुत सारे समय आते हैं जब उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती कि उनका बच्चा आखिर क्यों रो रहा है। और वह उसकी परेशानी को भी नहीं समझ पाए यदि हम बच्चे के रोने के कारण (Shishu kyun rota hai) पहचानने लगेंगे तो हम उसको रोने से शांत भी कर सकते है ।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको रोते हुए शिशु को कैसे शांत कराएं (Shishu ko kaise sant karayen?) उसके विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

मेरा शिशु रोता क्यों है? 

आपका शिशु पूरी तरीके से आपका (Shishu kyun rota hai?)आश्रित होता है। वह अपनी भूख प्यास के बारे में स्पष्ट तरीके से अपने मां-बाप को नहीं बात पता। परंतु वह कुछ संकेत देता है। जिसके माध्यम से मैं बताना चाहता है कि उसे किस चीज की जरूरत है।

रोते हुए शिशु को कैसे शांत कराएं? (Shishu ko kaise sant karayen?) 

 जैसे कि वह रोता है तो वह आपको यह बताना चाहता है कि उसे आपको जरूरत है। और वह आपकी ओर से किसी न किसी प्रकार की प्रतिक्रिया भी लेना चाहता है। इसलिए बच्चा रोना शुरू कर देता है।

कई बार माता को यह समझ नहीं आता कि आपका शिशु आपको क्या बताना चाह रहा हैं। परंतु समय के साथ माता-पिता धीरे-धीरे यह समझने लगते हैं कि उनके बच्चे को किस चीज की आवश्यकता है।

जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होता जाएगा। वैसे-वैसे से बातचीत शुरू होती जाएगी और वह धीरे-धीरे आंखों के द्वारा संपर्क से आपकी बातों को समझने लगेगा। वह धीरे-धीरे मुस्कुराना और आपका ध्यान खींचने का कोशिश करेगा इन सभी तरीकों के माध्यम से बच्चा अपनी रोने की आदत को बहुत कम कर सकता हैं।

शिशु के रोने के कुछ कारण

बच्चों के रोने के क्या-क्या कारण( Shishu ke rone ke reason) हो सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

1.भूख: बच्चों की रोने का प्रमुख कारण होता है बच्चों को भूख लगा जब बच्चे को बहुत ज्यादा भूख लगती है। तब वह रोना प्रारंभ कर देता है इसलिए आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि यदि आपका बच्चा छोटा है। तो उसके भूख लगने पर रोने की संभावना ज्यादा होती है। क्योंकि छोटे बच्चे ही भूख लगने पर अधिक शोर मचाते हैं।

2.नैपी बदलने की आवश्यकता : कई बार ऐसा होता है कि जब बच्चा नैपी को गीला कर देता हैं। जिसके कारण भी बच्चा बहुत ज्यादा रोने लगता हैं। कभी-कभी कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनका डायपर पूरा भर जाने के बाद भी वह नहीं रोटी बल्कि वह अपने डायपर की गरमाहट को महसूस करके उसका आनंद लेते हैं।

 परंतु यदि बच्चे के अंग में किसी प्रकार की जलन हो रही है। तो यह सामान्य बात है कि बच्चा रोना प्रारंभ कर सकता है माता-पिता को बच्चों की नैपी को लगातार बदल देना चाहिए।

3.अधिक सर्दी या गर्मी महसूस होना: यदि बच्चे को बहुत ज्यादा सर्दी या गर्मी महसूस हो रही है। तब भी वह रोना शुरू कर सकता है। बच्चा छोटा होता है उसे अपने शरीर के टेंपरेचर को रेगुलेट करने में समय लगता है। यदि उसे मौसम में प्यार से किसी भी प्रकार की अधिक सर्दी या गर्मी महसूस होती है तो वह रोना प्रारंभ कर देता है।

4.गोद में आना चाहता है : कभी-कभी बच्चा लेते-लेते परेशान हो जाता है। और मां वह माता-पिता की गोद में आना चाहता है। इसलिए भी वह रोना प्रारंभ कर देता है ऐसे बहुत सारे बच्चे अपने देखे होंगे।

 जो अपने माता-पिता के गोद में आने के लिए रोना प्रणाम करते हैं। और जैसे ही वह गोद में आ जाते हैं वैसे ही चुप हो जाते हैं यह भी बच्चों के रोने का एक प्रमुख कारण हो सकता है।

5.शिशु थक गया है और आराम जाता है : अक्सर बच्चों को सोने में बहुत मुश्किल होती हैं। यदि बच्चे थक गए हैं तो वह ज्यादा सोना पसंद करते हैं हमें बच्चों के सोने के संकेतों को ध्यान में रखना चाहिए। यदि बच्चा छत की तरफ ज्यादा देर तक देख रहा है तो यह समझ जाना चाहिए कि बच्चा थका हुआ हैं।

 यदि बच्चा अपने कान को बार-बार खुजला रहा है तब भी वह सोने का प्रयास कर रहा है कुछ बच्चे वैसे होते हैं। जिन्हें नींद आती है तो वह रोना शुरू कर देते हैं यह भी बच्चों के सोने के कुछ मुख्य उदाहरण होते हैं।

6.तबीयत ठीक ना होना : बच्चों का रोने का एक कारण हो सकता है कि उसकी तबीयत ठीक नहीं होती। जब बच्चे की तबीयत ठीक नहीं होती तो वह ज्यादा परेशान करता है और ज्यादा रोता है। बच्चा अपनी परेशानी को अपने मुंह से नहीं बात पता या तो उसे कहीं पर दर्द हो रहा होता है या कोई और परेशानी महसूस होती है।

 तबीयत ठीक ना होने पर बच्चा बहुत सदर होता है और किसी भी कोशिश के बाद भी नहीं चुप्ता तो यह समझ जाना चाहिए कि बच्चे की तबीयत ठीक नहीं हैं।

मैं अपने रोते हुए शिशु को कैसे शांत करा सकती हूं?

यदि आप अपने बच्चों के रोने के (Rote hue shishu ko Kaise shant karayan) कर्म को समझ लेते हैं तो आपको यह बात पता लग जाती है और आप उनको आसानी से शांत कर सकते हैं। बच्चों रोते हुए कैसे शांत कराया जा सकता है उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई हैं।

यदि आप अपने बच्चों को स्तनपान कराते हैं तो आप उसे दूध पिलाने का प्रयास कर सकते हैं। यदि आपके बच्चे ने थोड़ी देर पहले ही दूध पिया हैं। तब भी आप उसे दूध पिला सकते हैं तुरंत ही दोबारा दूध पिलाने को फीडिंग ओं डिमांड कहा जाता है।

यदि आप अपने बच्चों को फॉर्मूला मिल्क पिलाते हैं तो उसे हर 2 घंटे पर दूध पिलाने की आवश्यकता नहीं होती परंतु हर बच्चे की डिमांड अलग-अलग होती हैं। और उसे अलग-अलग प्रकार से चीजों को खाने की आदत होती है।

 शिशु सब सारे दूध को एक साथ नहीं पी पाता इसलिए बच्चों को थोड़ा करके दूध पिलाना चाहिए। और दिन में कई बार दूध पिलाने का प्रयास करना चाहिए।

1.यदि शिशु को डायपर बदलवाने की जरूरत है

कई बार ऐसा होता है कि बच्चों को डायपर बदलवाना बिल्कुल पसंद नहीं होता। जब बच्चे की नवी बदली जाती है तो ठंडी हवा लगने के कारण या आशाए लगने के कारण बच्चा बिल्कुल अपनी डायपर को बदलवाना पसंद नहीं करता। 

परंतु यदि आप अपने बच्चों को डायपर नहीं बदलते हैं तो उसे ठंड लग सकती है। एक हफ्ते के बाद आप अपने बच्चों के डायपर बदलने में बिल्कुल माहिर हो जाएंगे। इसलिए शक्ति के बाद अब अपने बच्चे की डायपर और लंगोट को जल्दी बदलना सीख जाएंगे।

2.जब शिशु को बहुत गर्मी या सर्दी लगे

आप शिशु के हाथ या पैर छूकर यह चेक कर सकते हैं कि बच्चों को ठंडिया गर्मी तो नहीं लग रही। क्योंकि यदि आप उसके हाथ देखते हैं। तो हाथ हम समानता ठंडा ही महसूस होते हैं। इसलिए आप हमेशा उसका पेट छूकर देखें पेट छूने से बच्चों के शरीर का तापमान पता लगे में मदद मिलती है।

शिशु को अलग कंबल और चादर का इस्तेमाल करना चाहिए यदि शिशु के शरीर का तापमान गर्म है। तो कंबल को नहीं उड़ाना चाहिए और शिशु का शरीर ठंडा है तो उसे कंबल उड़ा देना चाहिए।

शिशु जिस कमरे में रहता है उसे कमरे में हमेशा तापमान 23 डिग्री से 25 डिग्री के बीच होना चाहिए। यह बहुत जरूरी होता है बहुत बार बच्चा यदि आपके पास सोता है तभी उसके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। इसलिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के शरीर का तापमान रेगुलेट करना बहुत ध्यान रखना चाहिए।

शिशु को बहुत ज्यादा कपड़े नहीं पहनना चाहिए। इससे शिशु को आशाए महसूस हो सकता है और उसे गर्मी लग सकती है शिशु को पतले कपड़े पहनना चाहिए। या सिर्फ एक परतदार ही कपड़े पहनना चाहिए।

साथी बिजली कटौती का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए यदि पंखा कूलर या एक जिसमें बच्चा सो रहा है। वह बंद हो जाते हैं तो बच्चे के कपड़ों की एक परत को कम कर देना चाहिए क्योंकि उन्हें गर्मी लग सकती है और उनके शरीर का तापमान बढ़ सकता है।

3.यदि शिशु आराम चाहता है

बहुत सारे परिवारों में ऐसा होता है कि पूरे परिवार में बच्चों को खिलाने वाले लोग बहुत होते हैं। दादा-दादी नाना नानी आदि लोग बच्चे को बहुत ज्यादा लाड प्यार करते हैं और उसे हमेशा अपनी गोद में रखते हैं।

 बच्चे को इतना ज्यादा प्यार मिलता है कि वह बहुत ज्यादा क्रियाशील हो जाता है पर जब आराम करने की बात आती हैं। तो बच्चे को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है।

यदि आप अपने शिशु को सुलाना चाहते हैं तो उसे एक शांत जगह पर ले जाएं। शांत जगह पर ले जाकर रोशनी को कम करने और उसे सुलाने का प्रयास करें इस प्रकार बच्चा आराम से सो सकता है।

4.यदि आपका शिशु लगातार रोता है

यदि कुछ शिशु ऐसे होते हैं जो लगातार रोते हैं वह पूरे परिवार को तनाव में डाल देते हैं। मस्कट करने के बाद भी शिशु शांत नहीं होता। तो इसके कारण परिवार को बहुत सारी परेशानी भी झेलना पड़ती है। यह समानता कॉलेज की समस्या होती है यदि कॉलेज 3 महीने से ज्यादा रहता है तब भी बच्चे को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

कैसे पता लगे कि शिशु अस्वस्थ है और उसे डॉक्टर के पास ले जाएं

शिशु की माता अपने बच्चों (Shishu ke health issue kaise pta lagayen) को सबसे ज्यादा जानती है। उसे हर बात की अनुभूति होती है कि उसका बच्चा बीमार है। यदि उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बच्चों को शरीर में किसी भी प्रकार की समस्या हैं। तो वह तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

 यदि रोते समय बच्चों को सांस लेने में समस्या हो रही है तब भी वह डॉक्टर से संपर्क करके उनसे बच्चों के स्वास्थ्य के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

यदि शिशु को दस्त हो रही है उल्टी आ रही है या सांस लेने में समस्या हो रही है। तब आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं यह बहुत जरूरी होता है। यह लक्षण बहुत सीवर होते हैं और इनमें नजदीकी अस्पताल में बच्चों को वैसे ले जाना चाहिए।

बहुत सारे बच्चे इसलिए भी रोते हैं क्योंकि दांत निकलने पर उन्हें बहुत परेशानी होती होती है। जिन बच्चों के दांत निकलते हैं उन बच्चों को दस्त लग जाते हैं। और उनके दांतों में बहुत दर्द होता है। दांत निकलते समय अक्सर बच्चा चिड़चिड़ा और बेचैन होने लगता है इसलिए माता-पिता को इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

यदि शिशु अधिकांश समय रोता रहता है तो क्या करना चाहिए।

यदि आपके शिशु को लगातार भोजन मिल रहा है उसे किसी भी प्रकार के भजन की समस्या नहीं है। पर्याप्त प्यार दुलार मिल रहा है और आरामदायक भी महसूस कर रहा है। फिर भी अगर आपका बच्चा रो रहा है। तो इसमें किसी भी प्रकार की समस्या नहीं हैं।

 और चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती आरामदायक बच्चा यदि दीर्घकालिक समय के लिए रोता है। तो यह भी उसके विकास के क्रम का एक हिस्सा होता है रोने से भी बच्चा स्वस्थ होता है।

यदि आप अपने शिशु को बहुत मेहनत करने के बाद भी नहीं शांत कर पा रही हैं। और अपने आप को गणित और कांटेक्ट महसूस कर रही है। कि आप अपने बच्चों को शांत नहीं कर पा रही है तो इसमें आपका कोई दोस्त नहीं है। आपके बच्चे की रोने की एक आदत हो सकती है जिसके कारण भी वह रोता है। यदि शिशु की हर जरूरत पूरी करने के बाद भी आपका बच्चा शान नहीं हो रहा तो आपको अपने ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है :

  • यदि आप एकांतवास में है या अपने परिवार के बीच में रह रही हैं तो आपको जो फायदे मिल रहे हैं। उन फायदे का लाभ उठाना चाहिए और पूरी तरीके से अपने शरीर को आराम देना चाहिए।
  • अपने लिए शांत संगीत चलाएं और कुछ फलों के लिए आराम करें यह बहुत अच्छा विकल्प होता है।
  • शिशु कोर्स के कोर्ट में आरामदायक तरीके से लेट दे और यदि आपका बच्चा शान नहीं हो रहा है। तो आप उसे कोर्ट में लिटा कर ऐसे स्थान पर जाएं। जहां पर आपके अपने बच्चों के रोने की आवाज ना सुनाई दे और बिल्कुल शांत महसूस करें।
  • यदि आप और आपका बच्चा दोनों ही परेशान है और आपके हजार कोशिशें के बाद भी शिशु शांत नहीं हो रहा हैं। तो आप अपने परिवार के किसी सदस्य को अपने बच्चों को संभालने के लिए दे सकते हैं। 
  • यदि आप परिवार के बीच रहते हैं तो यह बहुत अच्छा तरीका हैं। जिससे आप अपने बच्चों को थोड़ी दूर अपने से अलग करके खुद शांत महसूस कर सकते हैं।
  • बच्चों का रोना बच्चों के विकास का एक चरण होता है। कभी-कभी माता द्वारा उसे संभालने के क्रम में माता अपने आप को ग्रहनीत और जूझला हुआ महसूस कर सकते हैं। परंतु परिवार के किसी सदस्य की मदद लेने से यह चरण भी बहुत आसानी से सही हो सकता है। 
  • जिन माता-पिता के बच्चे अधिक रोते हैं। उन माता-पिता को बहुत अधिक मेहनत का सामना करना पड़ता है। और वह  बहुत मेहनत से अपने बच्चों को पाल पाते हैं।
  • जरूरत पड़ने पर अपने परिवार के सदस्यों की मदद ली और चीजों को ज्यादा गंभीर रूप में नहीं ले।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. शिशु के रोने का क्या कारण होता है? 

शिशु के रन के कई कारण हो सकते हैं या तो बच्चा बीमार हो सकता हैं। या भूखा हो सकता है या चिड़चिड़ा महसूस कर सकता है।

Q. परिवार में बच्चा किस से सबसे ज्यादा पसंद करता है? 

परिवार में बच्चा सबसे ज्यादा अपनी मां को पसंद करता है और उन्हीं के साथ समय बिताना भी पसंद करता है।

Q. यदि बच्चे को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं है तब भी वह क्यों रोता है? 

यदि बच्चा बिना किसी बीमारी के होने के बाद भी रोता है तब यह समझ जाना चाहिए की बच्चों की रोने की आदत है।

Q. बच्चों को डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए? 

बच्चों को डॉक्टर को तब दिखाना चाहिए जब उसे बुखार हो उल्टी आए सांस फूलने लगे यह सारे हॉस्पिटल जाने के लक्षण होते हैं।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको रोते हुए शिशु को कैसे शांत कराएं? (Rote hue shishu ko kaise संत karayen) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

Leave a Comment