माता-पिता के जीवन में जब एक बच्चे का जन्म होता है तब माता-पिता के लिए उनका पहले वाला जीवन बिल्कुल अलग हो जाता है उनके बीच का प्रेम एक बच्चे के साथ बट जाता है तथा अपने बच्चे को इतना अधिक प्रेम करते हैं कि उसके लिए हर सुविधा प्रदान करने की कोशिश करते हैं। बच्चे को किसी भी प्रकार की समस्या या दिक्कत का सामना नहीं करने देते उसकी परवरिश में कोई कमी नहीं लाते बच्चे की परवरिश करना काफी मुश्किल काम है। वह सबको जैसा करते हुए देखते हैं धीरे-धीरे सीख कर अपने बच्चे के लिए भी वैसे ही कार्य करने लगते हैं। बच्चे के जन्म से पहले ही बच्चे को खिलाने के लिए परिवार में एक पालना आ जाता है ऐसा माना जाता है कि बच्चे पालने में अधिक जल्दी सो जाते हैं तथा झूला झूलना बच्चों को बहुत पसंद होता है।
बड़े बुजुर्गों का यह मानना है कि बच्चे को झूले में सुलाना चाहिए जिससे बच्चे खुश महसूस करते हैं तथा अपने माता-पिता को ज्यादा परेशान भी नहीं करते। वही अगर डॉक्टर की मानी जाए डॉक्टर की यह सलाह होती है कि बच्चे को अधिक देर तक झूले में नहीं सुलाना चाहिए इससे बच्चे का स्वास्थ्य खराब हो सकता है।
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको यह जानकारी प्रदान करने का प्रयास करेंगे कि बच्चों के लिए पालना कितने ठीक है। क्या डॉक्टर की बात माता-पिता को माननी चाहिए या बड़े बुजुर्गों का कहना ठीक है। इसके विषय में मोमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम आपको पूरी जानकारी प्रदान करेंगे। यदि आपके परिवार में भी कोई छोटा बच्चा है और आप उसके विषय में बहुत सजग हैं। तो आप हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ सकते हैं इसमें हम आपको सारी जानकारी प्रदान करेंगे।
क्या शिशु का पालने में सोना सुरक्षित है? (Sisu ka palne me sona surakshit hai)
डॉक्टर्स के अनुसार शिशु को पालने में सुलाना शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। डॉक्टर कहते हैं कि शिशु को हमेशा समतल तथा ठोस स्थान पर चलाना चाहिए जिससे शिशु की रीड की हड्डी सीधी रहे परंतु पालना ठोस तथा समतल नहीं होता पाली के अंदर सुलाने से बच्चे का सिर आगे की ओर झुका रहता है। इस कारण बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। एक स्टडी में भी यह सामने आया है कि बच्चे को गलत पोस्टर में सुलाने से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है तथा उन्हें सड़न इन्फेंट सिंड्रोम (SID)की शिकायत हो सकती है।
इसलिए डॉक्टर के द्वारा मानी गई बात बिल्कुल सही है माता-पिता को अपने बच्चे को ज्यादा देर तक झूले में नहीं सुलाना चाहिए। उन्हें अपने बच्चे को एक ऐसे स्थान पर चलाना चाहिए जिससे उनकी रीड की हड्डी पर बल पड़े उनका शरीर सीधा रहे और उन्हें किसी भी प्रकार की सांस लेने में कोई समस्या ना हो। यदि बच्चों के साथ ऐसी लापरवाही बढ़ती जाती है तो वह जीवन भर किसी समस्या का शिकार हो सकते हैं। इसलिए माता-पिता को इन सारी चीजों का खास ख्याल रखना चाहिए।
शिशु को कब तक झूले में रहने देना चाहिए?(How much time is good for child in swing)
डॉक्टर के मुताबिक शिशु को दिन भर में सिर्फ एक घंटा ही पालने में चलाना चाहिए। झूले में सुलाने का हिसाब कुछ इस हिसाब से लगाना चाहिए कि बच्चे को मनोरंजन के लिए ही झूला जलाना चाहिए। यदि बच्चा बहुत अधिक हो रहा है तो उसे थोड़ी देर के लिए झूला झूला सकते हैं। शिशु को आधे घंटे से अधिक देर तक झूले में नहीं रखना चाहिए। शिशु को 10 मिनट तक ही या उससे कम देर तक ही झूले में रखना चाहिए इससे शिशु के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।
डॉक्टर के अनुसार माता-पिता को यह सलाह है कि वह अपने बच्चे को सिर्फ आराम के लिए या खिलाने के लिए ही झूले में रखना चाहिए। बच्चे को कभी भी दिन भर के लिए झूले में नहीं छोड़ना चाहिए इससे बच्चे को बहुत अधिक समस्या झेलनी पड़ सकती है।
छोटे बच्चे को झूले में सुलाने से होने वाले नुकसान (Harmful effects of swing)
झूले में गलत पोस्टर में सोने के कारण बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। जिससे उसके शरीर में बहुत सारे प्रकार की समस्याएं हो सकते हैं इसलिए बच्चे को सिर्फ आराम करने के लिए या खिलाने के लिए झूले का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा झूले में सुलाने के बहुत सारे नुकसान ओं के विषय में नीचे स्टेप्स में हमने आपको बताया है।
1. सोने के बाद जगह बदले:
बच्चों को सुलाने के बाद माता-पिता को तुरंत उसकी जगह बदल देनी चाहिए। बच्चे को ऐसे स्थान पर चलाना चाहिए जिस स्थान पर उसकी रीड की हड्डी पर चोट पड़ी चलाने वाला स्थान समतल एवं कठोर होना चाहिए। इससे बच्चे के पोस्टर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता तथा उसके अंदर का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। बच्चे को पालने में सुनाने के बाद उसे पूरे समय तक पालने में ही नहीं सोने देना चाहिए।
2. कमरे में शोर ना करें:
बच्चा जिस कमरे में सो रहा है उस कमरे में अंधेरा रखना चाहिए तथा माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे के कमरे में शोर ना हो यदि बार-बार बच्चे की नींद टूटेगी और वह बार-बार रोएगा तो बार-बार उसे पालने में खिलाने की आदत डालनी होगी। यदि बच्चे को ऐसी छोटी-छोटी बातों के माध्यम से उसका ध्यान रखा जाता है तो वह धीरे-धीरे अपने पालने की आदत छोड़ देगा।
3. झूले का इस्तेमाल खेलने में:
माता पिता को कभी भी झूले का इस्तेमाल बच्चे को सुलाने के लिए नहीं करना चाहिए। यदि बार-बार बच्चे को सुलाने के लिए झूले का इस्तेमाल किया जाता है तो इससे बच्चे की आदत लग सकती है। बच्चे को खिलाने के लिए झूले में बताएं और जब तक बच्चा झूले में बैठता है उसके साथ मनोरंजन खेल खेलते रहें बच्चे को हमेशा पालने में बैठाकर ही उसका मनोरंजन करवाएं। जिससे वह जागता रहे और वह सोने ना पाए यदि आपको महसूस हो रहा है कि बच्चा सोने जा रहा है तो आप तुरंत बच्चे को उठाकर उसका स्थान बदलने एवं उसे समतल स्थान पर सुलाये इससे बच्चे की पालने में सोने की आदत छूट सकती है।
4. अच्छे से लपेट कर सुलाएं
बच्चे को हमेशा अच्छे से कपड़े में लपेटकर चलाना चाहिए बच्चे को हमेशा बेड पर चलाना चाहिए। कपड़े में लपेटने से बच्चे को यह एहसास होता है कि वह अभी मां के गर्भ में है। कपड़े में लपेटने से बच्चे को गर्मी महसूस होती है इससे बच्चा अच्छी तरीके से बिना रुकावट के सो सकता है। यदि उसे बार-बार परेशानी नहीं होगी और वह आराम से सोएगा तो धीरे-धीरे उसके पालने की आदत छूट सकती है।
5.मालिश करें:
बच्चे की की गई मालिश बच्चे को हष्ट पुष्ट एवं मजबूत बनाती है। बचपन में की गई मालिश उसके पूरे जीवन बच्चे का साथ देती है हल्के हाथ से माता-पिता को रोज बच्चे की मालिश करनी चाहिए। मालिश करने के पश्चात बच्चे को हल्की नींद आने की संभावना रहती है बच्चे को दूध पिला कर उसे बेड पर सुला देना चाहिए। मालिश करना बहुत अधिक आवश्यक है इससे बच्चे के अंदर फुर्ती आती है। वह उसका आंतरिक विकास भी ठीक ढंग से हो पाता है बच्चे का पाचन तंत्र ठीक रहता है तथा उसके शरीर की मांसपेशियां पूरी तरीके से कार्य करती हैं।
6. बाहों में लेकर झुलाये:
बच्चे को पालने में सुलाने से बेहतर है कि आप बच्चे को अपनी बाहों में लेकर चला सकते हैं। पालने में झुलाने से बच्चे को जल्दी नींद आती है तथा उसके पालने की आदत भी छूट छूट सकती है। बाहों में लेकर झूलने के दौरान आप उसे लोरी भी सुना सकते हैं और सोने के पश्चात आप बच्चे को बेड पर लेटा दे।
शिशु के लिए झूले के अलावा सुरक्षित विकल्प (Another option beside swing)
शिशु को पालने में सुलाने के अलावा और बहुत सारे बेहतर विकल्प हो सकते हैं। जिससे शिशु का स्वास्थ्य भी खराब नहीं होता एवं बच्चे के लिए वह मनोरंजन का साधन नहीं बन सकता है। नीचे दिए हुए 5 के माध्यम से हमने आपको शिशु को झूले के अलावा कुछ बेहतर विकल्प के विषय में बताया है।
1. क्रिब :
क्रिब को बच्चे का बिस्तर भी कहा जा सकता है करीब 87 समतल होता है तथा यह बच्चे के पोस्चर को ठीक रखता है यह पालने की तरह हिलता डोलता भी नहीं है। इसके इस्तेमाल से बच्चे के शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता बच्चा जब बैठना शुरू कर देता है। क्रेब में सहारा देने के लिए एक दीवार नुमा स्ट्रक्चर होता है जिसके माध्यम से बच्चा खड़ा भी हो सकता है।
2. बांसी नेट :
बासी नेट को बच्चे के पैरों के ऊपर लगाया जाता है बाकी नेट बच्चे को चलने में मदद करता है। बासी नेट घर में किसी भी स्थान पर लगाया जा सकता है तथा यात्रा करने पर भी बांसी नेट बहुत उपयोगी हो सकता है। यात्रा के परपस से फोल्डेबल और पोर्टेबल बांसी नेट भी आते हैं।
3.क्रेडल:
बासीनेट से अधिक मजबूत होते हैं और पालने से छोटे होते हैं। बच्चे को शांत करने के लिए इसे हिलाया जा सकता है। कुछ क्रेडल में पहिए भी लगे होते हैं, जिस कारण इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना आसान होता है।
शिशु के लिए झूले का इस्तेमाल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
शिशु को झूले में झूल आने के बाद अधिक नुकसान होते हैं इसके विषय में ऊपर आर्टिकल में हमने आपको स्पष्ट किया है। झूले की सतह समतल ना होने के कारण शिशु का सिर हमेशा ऊपर उठा रहता है। जिससे शिशु को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है बच्चे बोल नहीं सकते इसके कारण वह अपनी तकलीफ को माता-पिता के सामने स्पष्ट नहीं कर सकते इसलिए माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने शिशु को ज्यादा देर तक पालने में ना सुलाएं। कुछ माता-पिता ऐसे होते हैं जो सारी बातें जाने के पश्चात भी बच्चे को बहलाने के लिए पालने में छोड़ देते हैं। इसलिए शिशु को झूले में झूल आने के समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जिन्हें हमने नीचे पॉइंट में आपको बताया है।
- शिशु के लिए आप जब भी झूला खरीदें तब इस बात का ध्यान रखें कि उस पर दिए गए निर्देशों को पढ़े और उनका पालन करें झूले पर लेकर निर्देश बच्चे के स्वास्थ्य के लिए ठीक हो सकते हैं।
- शिशु को झूले में सुनाने से पहले झूले की अच्छी प्रकार से जांच कर लेनी चाहिए झूले में टंगी चैन कहीं से टूटे तो नहीं है। इस बात की भलीभांति जांच करने के पश्चात ही शिशु को झूले में चलाना चाहिए क्योंकि इससे हादसे की आशंका हो सकती है।
- यदि शिशु छोटा है सब तो वह पालने में आराम से लेटा रहेगा परंतु बड़े शिशु के बहुत अधिक हाथ पैर चलाने या शैतानी करने से झूला हिलता है। और कोई भी अनहोनी की आशंका हो सकती है। इसलिए जब तक शिशु झूले में है माता-पिता को शिशु के आस-पास ही रहना चाहिए।
- मार्केट में बहुत सारे प्रकार के झूले आते हैं माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शिशु का वजन जितना है उसी प्रकार से मजबूत झूला लेना चाहिए। क्योंकि थोड़ी सी भी लापरवाही शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
- शिशु को पालने में सुलाने से इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को मच्छर ना काट पाए मच्छरों से बचाने के लिए पालने में छोटे छेद वाली मच्छरदानी लगानी चाहिए। जिससे मच्छर पालने के अंदर ना घुस पाए और उसे परेशान ना कर पाए ।
निष्कर्ष
ऊपर दिए हुए आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको यह जानकारी प्रदान की है की शिशु को पालने में सुलाना किस प्रकार हानिकारक हो सकता है। हमारी आपसे हिदायत है कि आप कभी भी अपने बच्चे को पालने में ना सुलाएं। यदि आप आराम कराने के लिए एक ही लाने के लिए बच्चे को पालने में सुला रहे हैं तो उस पर नजर रखें और ज्यादा समय के लिए उसे पालने में ना छोड़ें।
टॉपिक से संबंधित सारी जानकारी हमने आपको आर्टिकल के माध्यम से प्रदान करने का प्रयास किया है यदि आपको आर्टिकल के संबंधित किसी भी प्रकार का प्रश्न है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं हमें आपका उत्तर देने में आभार होगा।