बच्चों को मीठा खाना बहुत पसंद होता है मीठा जितना ही स्वादिष्ट होता है। उतना ही बच्चों के दांतो के लिए हानिकारक होता है। ज्यादा मीठा खाने से बच्चों के दांतों में कीड़े लग जाते हैं और दांत जल्दी खराब होने लगते हैं। दांतों के खराब होने के कारण बच्चों को खाने-पीने में दिक्कत होती है और दर्द होने लगता है। बहुत सारे पेरेंट्स को बच्चों के दांतों में कीड़े का कारण नहीं पता होता।(Reason of tooth decay in kids)
इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बच्चों के दांत में कीड़े लगने का कारण, लक्षण, ट्रीटमेंट और घरेलू उपायों (Reason, symptom, treatment and home remedies of Tooth decay in kids) के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
क्या दांतों में सड़न एक आम समस्या है?
बच्चों के दांतों में सड़न होना एक आम समस्या है।(Tooth decay ki samasya) अधिक चॉकलेट खाने के कारण अक्सर बच्चों के दांतों में सड़न की समस्या होने लगती है। ऐनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 6 से 11 साल के बच्चों के दांतों में कीड़े लगना एक आम बात है। यदि समय रहते इस पर ध्यान दे लिया गया तो उसे बचाया जा सकता है।
बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने के कारण
बच्चों के दांतों में कीड़े लगने के बहुत सारे कारण (Tooth decay ke reason) हो सकता है। कुछ कारण नीचे पॉइंट के माध्यम से स्पष्ट किए गए हैं।
बैक्टीरिया:
लगातार मीठी चीज खाने और ब्रश ना करने के कारण दातों पर एक पीली परत जम जाती है। इसे प्लाक कहा जाता है। प्लाक दांतो के मजबूत हिस्से इनेमल को खराब कर देता है और दांतों को चढ़ाना शुरू कर देता है इसलिए किसी भी मीठी चीज को खाने के बाद तुरंत कुल्ला करना आवश्यक होता है।
नियमित सफाई ना करने के कारण :
दांतों की नियमित रूप से सफाई ना करने के कारण दांतों में सड़न की दिक्कत पैदा हो सकती है। बच्चों के दूध के दांतों में इनेमल कमजोर होते हैं। इसलिए बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने का डर अधिक होता है इसलिए दांतों की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए।
चिपचिपा पदार्थ का सेवन :
चिपचिपा पदार्थ का सेवन करने से यह पदार्थ दांत के खाली स्थानों पर भर जाता है। दांतो के अंदरूनी हिस्सों की सफाई ना करने के कारण धीरे-धीरे यह सड़ने लगता है और दांतों में कीड़ा लगना शुरू हो जाता है।
मीठे पदार्थ का सेवन :
अधिक कीड़ा लगने पर डॉक्टर के द्वारा भी यह परामर्श दिया जाता है कि चॉकलेट मिठाई या मीठा जूस आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। मीठे पदार्थ खाने से बहुत जल्दी ना तुम्हें क्या लगता है और दान जल्दी खराब होने लगते हैं।
कमजोर इनेमल :
शुरुआत से ही अगर बच्चे के एनिमल्स कमजोर है या एनिमल्स को जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति नहीं हुई है। तो बच्चों के दांत में कीड़ा लगना बहुत आसान हो जाता है और बच्चों के दांत जल्दी खराब होने लगते हैं।
बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने के लक्षण
बच्चों के दांत में कीड़ा लगने की शुरुआत होती है तब इसके लक्षण दिखाई (Tooth decay ke symptoms) नहीं देते अंदर अंदर दांत खराब करने के बाद जब स्थिति खराब होने लगती है तब इसके लक्षण दिखाई देने शुरू होते हैं।
इसलिए दांतों में किसी भी प्रकार के दर्द या झनझनाहट के विषय में तुरंत ध्यान देना चाहिए। और उसका तुरंत इलाज करना चाहिए दांतों में कीड़े के लक्षण कुछ इस प्रकार है।
- बच्चों के दांतों में दर्द होना
- दांत में दर्द के कारण बच्चों का रोना
- गरम, ठंडा या मीठा खाने या पीने पर दांतों में झनझनाहट होना
- दांतों में छेद दिखाई देना
- चबाते समय दर्द होना
- चेहरे में सूजन
- बुखार
बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने की पहचान
बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने की पहचान (tooth decay ki pehchan) आराम से की जा सकती है। बच्चों के दांतों में कीड़ा लगने की शुरुआत होने पर दांतों के ऊपर सफेद या हल्के पीले रंग की पर दिखाई देने लगती है।
जब दांत ज्यादा खराब होने लगते हैं तब उस परत के ऊपर छेद हो जाता है। धीरे-धीरे अधिक सड़न होने के कारण यह दांत की नसों को खराब कर देता है और दर्द करने लगता है। देखभाल के दौरान इन चीजों पर ध्यान रखकर बच्चों के दांतों को सड़ने से बचाया जा सकता है।
बच्चों के दांतों में कीड़े लगने पर ट्रीटमेंट
बच्चों के दांत में कीड़े लगने पर बहुत सारी ट्रीटमेंट (Tooth decay ka treatment)किए जा सकते हैं और उनसे केवल पाई जा सकती है। बच्चों के दांतों में कीड़े लगने के कुछ ट्रीटमेंट नीचे स्पष्ट किए गए हैं।
1.फ्लोराइड ट्रीटमेंट:
दांतो के बाहरी हिस्से इनेमल को ठीक करने के लिए या इनेमल की सड़न को कम करने के लिए फ्लोराइड ट्रीटमेंट किया जाता है। स्टेटमेंट के द्वारा दातों में कीड़ों को बाहर निकाला जाता है और दांतो को सुरक्षित किया जाता है।
2. फिलिंग :
दांतों में होने वाली कैविटी के कारण दांतो की नसें खराब हो जाती हैं और दांतो के बीच में छेद हो जाता है। इन्हीं शब्दों में चिपचिपा खाना भरकर दांतो को और चढ़ाने लगता है। डॉक्टर के द्वारा सबसे पहले दांतों के बीच में हुई जगह को भरा जाता है।
इसी प्रक्रिया को फीलिंग कहा जाता है। इसमें दांतों की डेड सेल्स को निकालकर डॉक्टरी परामर्श के अनुसार पाउडर को भरा जाता है जिससे दांत सुरक्षित रहते हैं।
3. रूट कैनल :
संक्रमणीय दांत के खराब होने के दौरान दांत के अंदरूनी भाग को साफ किया जाता है और दांत के अंदर जड़ तक की सफाई करते हैं। इसके लिए उन्हें रूट कैनाल की आवश्यकता होती है।
इसके पश्चात दांतो को अस्थाई रूप से भर कर छोड़ दिया जाता है। कुछ समय पश्चात दांतो की फीलिंग या फिर उस पर क्राउनिंग कर दी जाती है। रूट कैनाल मेथड के द्वारा दांतो को लंबे समय तक कीड़ा लगने से बचाया जा सकता है।
4. दांत निकालना :
अधिक संक्रमण फैलने के कारण एक दांत अन्य दांतो को भी खराब करने लगता है। इसलिए डॉक्टर सड़े हुए दांत को निकालना ठीक समझकर सड़े दांत को निकाल सकता है। दांत निकालने के बाद वह जगह खाली हो सकती है उस पर नकली दांत को फिट किया जा सकता है।
बच्चों के दांतों से कीड़ा हटने के घरेलू उपाय
बच्चों के दांतो से कीड़ा हटाने के कुछ घरेलू उपाय (Tooth decay ke gharelu upay) भी हैं। जिनके माध्यम से घर पर ही आप इसका इलाज कर सकते हैं और दांतों को स्वस्थ बना सकते हैं। दांतो से कीड़ा हटाने के कुछ घरेलू उपाय निम्न है
दालचीनी का तेल :
दालचीनी के तेल में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो बैक्टीरिया पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। सड़न वाले स्थान पर दालचीनी के तेल को रूई में लगा कर रख लेना चाहिए। इससे दांत को आराम मिलता है और संक्रमण के और फैलने में कमी आती है इसलिए दालचीनी का उपयोग नियमित रूप से करते रहना चाहिए।
लौंग का तेल:
दांतों की सड़न को कम करने के लिए लॉन्ग का तेल इस्तेमाल में लाया जा सकता है। लॉन्ग का तेल भी एंटीबैक्टीरियल होता है। लॉन्ग के तेल की दांतों और मसूड़ों में मसाज करने से दांतों की सड़न को रोका जा सकता है।
नारियल का तेल :
नारियल के तेल मे एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबॉयल गुण पाए जाते हैं जो दांतो को जल्दी टूटने और जल्दी सड़न पैदा होने से बचाते हैं। नारियल का तेल प्लाक् को जल्दी जमने से रोकता है जिससे दांत स्वस्थ रहते हैं।
नारियल तेल में लौरिक एसिड पाया जाता है, जो लार में मौजूद अल्काइन्स जैसे सोडियम हाइड्रोऑक्साइड और बाइकार्बोनेट के साथ प्रतिक्रिया कर सोडियम लॉरेट-साेप जैसा पदार्थ बनाता है।
ऑयल पुलिंग :
ऑयल पुलिंग के माध्यम से दांतो से कीड़ा हटाने में मदद मिल सकती है। ऑयल पुलिंग से लार में एंजाइम सक्रिय होते हैं जो दांतों को सड़ने से बचाने में मदद करते हैं। यह विषाक्त पदार्थों को शरीर से अवशोषित कर उन्हें शरीर से बाहर निकालते हैं।
नीम :
स्वाद में भले ही नीम कड़वा होता है परंतु इसके एंटीबैक्टीरियल गॉड शरीर एवं दांतो को बहुत फायदा पहुंचाते हैं। नीम के अर्थ में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो दांतो के अंदर क्लॉक में मौजूद बैक्टीरिया को ग्रो करने से रोकते हैं और दांतों को सड़ने से बचाते हैं।
नीम युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने से दांतों में सड़न मसूड़ों में दर्द रक्त स्त्राव जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता है।, भारत में लोग नीम की टहनी का इस्तेमाल मुंह को साफ करने के लिए करते हैं जो एक दांत को सड़न से बचाने का बहुत कारगर उपाय हैं।
बच्चों की ओरल केयर के लिए टिप्स
बच्चों की ओरल की केयर के (Oral care tips in kids) लिए कुछ टिप्स प्रदान किए हैं जिसके द्वारा दांतो को स्वस्थ किया जा सकता है।
- चिपचिपा और चीनी युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे – चॉकलेट और बिस्कुट ज्यादा न खाना
- एसिड युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे -कोल्ड ड्रिंक से बचना
- टूथब्रश को हर दो महीने में बदलना
- भोजन करने के बाद माउथवॉश करना
- नियमित चेकअप
- नियमित ब्रश करना
- अच्छे और सुरक्षित टूथपेस्ट का उपयोग
- दांतों के इनेमल को हानि से बचाने के लिए मुलायम ब्रश का इस्तेमाल
- ब्रश करते समय दांतों पर ज्यादा दबाव न डालना
टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ)
Q. दांतों में सड़न की समस्या सामान्यता किस उम्र के बच्चों में पाई जाती है?
दांतों में सड़न की समस्या सामान्यता 6 से 12 वर्ष के उम्र के बच्चों में पाई जाती है।
Q. दांतों में सड़न की समस्या किन कारणों की वजह से होती है?
दांतों में सड़न की समस्या नियमित सफाई न करने के कारण इनेमल के कमजोर होने के कारण चिपचिपा एवं मीठे पदार्थ के सेवन करने के कारण दांतों में सड़न की समस्या होती है।
Q. दांतों में कीड़ा लगने पर क्या ट्रीटमेंट किया जा सकता है?
दांतों में कीड़ा लगने पर रूट कैनाल, फीलिंग फ्लोराइड ट्रीटमेंट, किया जा सकता है।
Q. दांतो के लिए घरेलू उपाय क्या है?
हाथों के लिए घरेलू उपाय लॉन्ग का तेल नारियल का तेल आयल पुलिंग नीम जैसे पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है।
निष्कर्ष :
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बच्चों के दांतों में कीड़े : कारण, लक्षण, ट्रीटमेंट व घरेलू उपाय (Tooth Decay In Kids) के विषय में जानकारी प्रदान करने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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