यह बात तो हर कोई जानता है कि महिलाएं सजना संवरना बहुत पसंद करती हैं। यही कारण है कि महिलाओं के लिए सजना, संवरना और श्रृंगार करना बहुत ही मायने रखता है। श्रृंगार करना उनके जीवन का एक अहम अंग हो सकता है। महिलाएं केवल खुद को सुंदर दिखने के लिए ही नहीं बल्कि अपने आप को खुश करने के लिए भी संवरती है। परंतु अधिकतर लोगों को नहीं पता होता कि महिलाओं के सोलह सिंगार क्या होते हैं? इसलिए हमारे द्वारा आप सभी को इस लेख में Solah shringar kya hota hai? इसके बारे में विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है।
आप लोगों ने अक्सर पुराने जमाने में देखा होगा कि महिलाएं बहुत ही सज धज कर रहती थी क्योंकि महिलाएं पूरा सोलह सिंगार करती थी। पहले के जमाने में रानी महारानी सोलह सिंगार के बिना बाहर नहीं निकलती थी, परंतु आज के समय में सोलह सिंगार के बारे में बहुत ही कम लोगो को जानकारी होती है।
लेकिन आप सभी को सोलह सिंगार से संबंधित जानकारी आवश्यक तौर पर होनी चाहिए। इसीलिए हम आपको इस लेख में What is Solah shringar? What are the 16 adornments of women? आदि के बारे में बताया गया है। इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
सोलह सिंगार क्या है? (What is Solah singar?)
अब आप सभी के मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि सोलह सिंगार क्या है? तो हम आपको यहां What is the Solah singar? के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं। सोलह सिंगार का तात्पर्य 16 आभूषणों से होता है। हमारे भारत देश में पूर्ण रूप से सोलह सिंगार नव विवाहित औरतों के द्वारा किया जाता है। सोलह सिंगार के द्वारा वह सर से लेकर पांव तक अपने आप को पूर्ण रूप से सजाती है। महिलाओं के द्वारा अपने आप को सजाने में जिन आभूषणों का इस्तेमाल किया जाता है, उसे सोलह सिंगार कहते हैं।
दोस्तों, सोलह सिंगार औरतों के सुहागन होने का प्रतीक भी माना जाता है। जो महिला सोलह सिंगार करती हैं, वह सुहागन कहलाती है क्योंकि कुंवारी लड़कियों और विधवा महिलाओं के द्वारा सोलह सिंगार नहीं किया जाता है। सोलह सिंगार सुहागन महिलाओं के जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाता है। 16 में प्रत्येक सिंगार अलग-अलग शगुन का प्रतीक होता है। यही कारण है कि महिलाओं के द्वारा सोलह सिंगार किया जाता है।
पहले के समय में महिलाएं सोलह सिंगार में सोने के आभूषणों का इस्तेमाल करते थे। परंतु आज के समय में सोलह सिंगार की जानकारी कम हो गई है। साथ ही साथ आज के समय में महिलाएं सोने की तुलना में डायमंड या फिर आर्टिफिशियल ज्वेलरी को पहनना पसंद कर रही है। आज के समय में भले ही पहले की तुलना में सोलह सिंगार कम किया जाता है, परंतु शादी और त्योहार पर सोलह सिंगार आवश्यक तौर पर किया जाता है।
महिलाओं के सोलह सिंगार क्या-क्या होते हैं? ( What are the 16 adornments of women?)
हिंदू धर्म के अनुसार नव विवाहित महिला माता पार्वती के समान मानी जाती है। इसीलिए उसका सोलह सिंगार किया जाता है। सोलह सिंगार नव विवाहित और सुहागन महिलाओं के सौंदर्य का प्रतीक होता है, परंतु यदि आप सोलह सिंगार से संबंधित जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। तो हमारे द्वारा आपको नीचे सोलह सिंगार के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। साथ ही साथ उससे संबंधित महत्वपूर्ण बातें भी बताई गई हैं। यह जानकारी निम्न प्रकार है-
1. स्नान (Bathing):-
दोस्तों, हिंदू धर्म के शास्त्रों में महिलाओं के सोलह सिंगार का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। जिसमें सबसे पहला चरण स्नान का होता है। जब महिला का विवाह होने वाला होता है। तब उसे दुल्हन के बालों में तेल लगाया जाता है और उसके बालों को सुखाकर बालों का एक जुड़ा बना दिया जाता है। इस प्रकार दुल्हन के बालों को मजबूत और सुंदर बनाया जाता है।
बालों के बाद दुल्हन के शरीर के रंग को निखारने हेतु उसके शरीर पर हल्दी में चंदन को मिलकर उसका लेप लगाया जाता है ताकि दुल्हन का निखार बढ़ जाए, इसके बाद उसको गुलाब की पत्तियों वाले पानी से नहलाया जाता है। ताकि उसका निखार बहुत खील जाए और वह सौंदर्य पूर्ण लगे। इस प्रकार दुल्हन के स्नान की प्रक्रिया को संपन्न किया जाता है।
2. बिंदी (Bindi):-
स्नान करने के बाद दुल्हन को सजाया जाता है। इसीलिए स्नान के बाद दूसरा चरण बिंदी या कुमकुम का होता है। सुहागिन महिलाएं कुमकुम या बिंदी को अपने माथे पर सजाती हैं। यदि शास्त्रों की मानी जाए, तो कुमकुम और बिंदी एक बहुत ही पवित्र श्रृंगार है। इससे महिला के गुरुर व बल का अंदाजा लगाया जाता है। यही सिंदूर पूजा के समय पर भगवान को भी अर्पित किया जाता है। महिलाओं के द्वारा जिस कुमकुम का इस्तेमाल किया जाता है। वह बहुत पवित्र माना जाता है। यही कारण है कि हर सुहागन महिला आज भी आपको बिंदी का इस्तेमाल करते हुए दिखाई देती है।
3. सिंदूर (Vermilion):-
दोस्तों, सिंदूर से कोई भी व्यक्ति अनजान नहीं है। सोलह सिंगार में तीसरा चरण सिंदूर का ही होता है। बिंदी लगाने के बाद महिला के द्वारा अपनी मांग में सिंदूर भरा जाता है क्योंकि सिंदूर महिला के सुहागन होने का प्रतीक होता है। सिंदूर अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सिंगार है। शादी के समय भी महिला की मांग में उसके पति के द्वारा सिंदूर भरा जाता है। तभी से वह सिंदूर उसके लिए एक अहम सिंगार होता है। यही कारण है कि महिलाएं कोई सिंगार करे या ना करें, परंतु सिंदूर को अवश्य लगती है। सुहागन महिलाओं के जीवन में सिंदूर एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
4. काजल (Lampblack):-
दोस्तों, काजल के बारे में तो हर महिला और लड़कियों को पता होता है क्योंकि काजल के माध्यम से लड़की अपनी आंखों की सुंदरता को बढ़ाती है। इसीलिए सोलह सिंगार के अंतर्गत काजल को भी शामिल किया गया है। काजल को महिलाएं अपनी आंखों में उपयोग करती हैं। काजल के माध्यम से आंखें स्वस्थ तो रहती ही है।
साथ ही आंखों के सौंदर्य में भी बढ़ोतरी होती है। पुराने जमाने में मिट्टी के दीए में दीपक जलाकर उसके ऊपर स्टील के बर्तन को रखकर काजल बनाया जाता था, परंतु आज के समय में आपको बाजार में बहुत ही अच्छी ब्रांड के काजल प्राप्त हो जाते हैं। परंतु आंखों के स्वास्थ्य के लिए पुराने जमाने का काजल बहुत ही फायदेमंद होता था।
5. मांग टीका (Demand vaccine):-
सोलह सिंगार के पांचवें चरण में मांग टीका का स्थान है। मांग टीका दुल्हन के माथे पर सजाया जाता है। वैसे तो यह एक प्रकार का आभूषण है। जिसे पहले के जमाने में सोने का बनाया जाता था, परंतु आज के समय में यह सोने, डायमंड और आर्टिफिशियल भी बनाया जाता है।
आज के समय में ज्यादातर महिलाएं इस मांग टीके का उपयोग आर्टिफिशियल तौर पर करती हैं। मांग टीके का आकार चकोर या गोल हो सकता है। मांग टीका महिलाओं के जीवन में सादगी का प्रतीक माना जाता है, पहले के जमाने में महिलाएं प्रतिदिन मांग टीका पहनती थी। लेकिन आज के समय में ऐसा नहीं होता है।
6. नथ (Nose ring):-
दोस्तों, आप लोगों ने अधिकतर महिलाओं की एक नाक में गोलाकार अंगूठी देखी होगी। उसे ही नाथ कहते हैं। इसे सोलह सिंगार के अंतर्गत छठे स्थान पर रखा गया है। नाथ का उपयोग लड़कियों से लेकर सुहागन महिलाओं तक किया जाता है। कई जगहों पर नाथ को कोका के नाम से भी जाना जाता है। यह नाक की शोभा को और अधिक सुशोभित करता है। इसीलिए महिलाओं के द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में उपस्थित विभिन्न राज्यों में नाक की नथ के रूप में विभिन्न प्रकार के आभूषण पहने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है की नथ महिलाओं की सुंदरता को ही नहीं बल्कि महिलाओं के जीवन पर पड़ने वाले बुद्ध के दोष को भी कम करने में सहायक होती है। पहले के दौर में सभी लोग सोने के आभूषण का इस्तेमाल करते थे, परंतु आज के वर्तमान समय में महिलाएं आर्टिफिशियल ज्वेलरी पहनने का शौक रखती हैं। जिसके अंतर्गत नथ भी आती है।
7. चूड़ियां (Bangles):-
भारतीय महिलाओं की बात की जाए, तो जिस प्रकार भारतीय महिलाओं के जीवन में सिंदूर सुहागन होने का प्रतीक होता है। उसी प्रकार चूड़ियां भी सुहागन का प्रतीक होती है। भारतीय महिलाएं चूड़ियों का इस्तेमाल भी सोलह सिंगार के अंतर्गत करती है चूड़ियों के माध्यम से महिलाओं के हाथ का सौंदर्य बढ़ जाता है।
यही कारण है की चूड़ियां सुहागन महिलाओं के जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाती है। शादीशुदा महिलाओं के द्वारा चूड़ियों को पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अपने पति की लंबी कामना के लिए शादीशुदा महिलाओं को चूड़ियों को पहनना होता है। चूड़ियां शादीशुदा महिलाओं के लिए बहुत ही सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है।
8. मंगलसूत्र या हार (Mangalsutra or necklace):-
विवाहित महिलाएं विवाह के प्रमाण के रूप में अपने गले में मंगलसूत्र पहनती हैं और यह पहनना उनके लिए बेहद आवश्यक होता है। सुहागन महिलाओं को अपने गले में मंगलसूत्र या हार आवश्यक तौर पर पहनना चाहिए। मंगलसूत्र के अंतर्गत काले मोतियों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा कहा जाता है की मंगलसूत्र के काले मोती नजर लगने से बचाते हैं।
आज के समय में आपको बहुत ही अलग-अलग प्रकार के मंगलसूत्र देखने को मिलेंगे आज के समय में हमारा भारत डिजिटल करण की ओर बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है, परंतु आज भी सुहागन महिलाएं अपने गले में मंगलसूत्र को पहनती हैं तथा अपने विवाहित होने का प्रमाण देती है। मंगलसूत्र और हर आज भी महिलाओं की सौंदर्य को बढ़ाने में अपनी अहम भूमिका निभाते है।
9. झुमका (Jhumka):-
दोस्तों, प्राचीन समय से ही महिलाओं के कानों में छेद किया जाता है। ताकि महिलाएं अपने कानों में सोने के आभूषण पहन सके और अपने सौंदर्य को बढ़ा सकें। महिलाएं कानों में बालियां और कुंडल को पहनती हैं। यदि शास्त्रों की मानी जाए, तो ऐसा माना जाता है कि कानों में कुंडल या बालिया पहनने से राहु और केतु के दोष दूर हो जाते हैं
यही कारण है कि प्राचीन समय से महिलाओं के कानों में कुंडल पहने पर जोर दिया जाता था। आज के समय में भी अपने सौंदर्य को बढ़ाने के लिए महिलाएं आर्टिफिशियल, डायमंड और गोल्ड आदि के कुंडल और बालियों का इस्तेमाल करते हैं। आज के समय में बहुत ही अच्छे डिजाइन के कुंडल उपलब्ध है। जो महिलाओं में इन्हें पहनने के उत्साह को जागरूक रखते हैं।
10. कमरबंद (Waistband):-
दोस्तों, यदि किसी लड़की की नई शादी हुई होगा। तो अपने अवश्य देखा होगा कि वह अपने कमर में एक आभूषण पहनती है। जिसे कमरबंद कहते हैं। सोलह सिंगार के अंतर्गत कमरबंद अपनी एक अहम भूमिका निभाता है। शादी के समय पर सुहागानों को चांदी का कमरबंद पहनाया जाता है। यह एक प्रकार का चांदी का आभूषण होता है। पहले के जमाने में इसे महिलाओं के द्वारा प्रतिदिन पहना जाता था।
ऐसा माना जाता है कि चांदी के कमरबंद को पहनकर महिलाओं को पेट में ठंडक महसूस होती है। साथ ही साथ ऐसा कहा जाता है कि कमरबंद पेट की कई बीमारियों से बचाता है। आज के समय में भी महिलाओं को कमरबंद पहनना पसंद है। महिलाएं, त्योहार और शादी, दावतों में कमरबंद का उपयोग करती है। आज के समय में कमरबंद सोने, आर्टिफिशियल, डायमंड और चांदी सभी के उपलब्ध होते हैं और महिलाएं सभी के कमरबंद पहनना पसंद करती है।
11. बिछिया (toe ring):-
दोस्तों, बिछिया केवल शादीशुदा महिलाएं ही पहनती हैं क्योंकि सिंदूर और मंगलसूत्र की भांति ही बिछिया भी सुहागानों के विवाहित होने का प्रमाण माना जाता है। यदि सुहागन महिलाएं बिछिए को पहनती हैं, तो उनके लिए यह करना बहुत ही शुभ माना जाता है। एक शोध के अनुसार पता चला है कि जिस उंगली में बिछिए को पहना जाता है। उस उंगली की नस गर्भाशय से जुड़ी होती है। बिछिया भी चांदी के बनाए जाते हैं।
आज के समय में भी सुहागन महिलाएं चांदी के ही बिछुए पहनती हैं। ऐसा कहा जाता है कि चांदी के बिछुए महिलाओं के मासिक चक्र को नियमित करने में सक्षम होते है। पुराने जमाने के भांति ही आज भी महिलाओं के द्वारा बिछुए को उतना ही महत्व दिया जाता है और प्रत्येक महत्वपूर्ण पूजा में भगवान को बिछुए अर्पित भी किए जाते हैं।
12. बाजूबंद (Armband):-
बाजूबंद को भी सोलह सिंगार के अंतर्गत शामिल किया जाता है ऐसा माना जाता है कि जो महिला बाजूबंद पहनती है। वह बहुत ही संपन्न परिवार से आती है। बाजूबंद केवल आपकी समृद्धि का ही प्रतीक नहीं होता है। बल्कि वह आपके स्वास्थ्य को ठीक रखने में भी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आज भी बहुत से पुराने जमाने की महिलाएं बाजूबंद पहनती हैं और अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहती हैं। बाजूबंद की पुरानी व्याख्या के तौर पर पुराने लोग बाजूबंद को बहुत अधिक महत्व प्रदान करते हैं।
13. पायल (Anklet):-
पायल के बारे में कौन नहीं जानता है पायल के बारे में तो हर महिला जानती है क्योंकि पायल अपने आप में एक बहुत ही सौंदर्य पूर्ण आभूषण है। जो महिलाओं के पैरों के सौंदर्य को बढ़ाने में सक्षम होती है। पायल को पाजेब के नाम से भी जाना जाता है।
पायल एक प्रकार का चांदी का आभूषण होता है। जिसे महिलाओं के द्वारा अपने पैरों में पहना जाता है। पायल को कुंवारी लड़कियां भी पहनती हैं, परंतु विवाहित महिलाओं को यह आभूषण पहनना अनिवार्य होता है। ऐसा माना जाता है कि विवाहित महिलाएं जिस घर में पायल पहनती हैं। उस घर में लक्ष्मी का वास होता है।
14. अंगूठी (Ring):-
अंगूठी सोलह सिंगार के अंतर्गत आती है क्योंकि अंगूठी अपने आप में एक महत्वपूर्ण आभूषण है। पुराने समय में महिलाएं सोने की अंगूठी पहनती थी, परंतु आज के समय में महिलाएं सोने, चांदी डायमंड या फिर अन्य धातु की अंगूठियां भी पहनती है
वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जिस उंगली में अंगूठी पहनी जाती है। उस उंगली की नस सीधे हृदय और मस्तिष्क से जुड़ी हुई होती है तथा हृदय और मस्तिष्क को सक्रिय रखने में अहम भूमिका निभाती है। यही कारण है की अंगूठी को भी सोलह सिंगार के अंतर्गत शामिल किया गया है।
15. मेहंदी (Mehndi):-
दोस्तों, आपने देखा होगा कि हर त्योहार और शादी में महिलाओं के द्वारा मेहंदी लगाई जाती है क्योंकि मेहंदी सुहाग का प्रतीक होती है। साथ ही साथ मेहंदी के द्वारा शीतलता प्रदान की जाती है। ऐसा माना जाता है कि शादी के उत्सवों में यदि सुहागन महिलाएं अपने हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाती हैं, तो शुभ होता है। साथ ही साथ मेहंदी आपके हाथ व पैर के सौंदर्य को निखारती है। साथ ही ऐसा कहा जाता है, की मेहंदी का रंग जितना अधिक चढ़ता है, महिलाओं को पति का प्यार उतना ही अधिक मिलता है।
16. गजरा (Gazra):-
दोस्तों, गजरा के बारे में आप सभी लोगों ने सुना होगा। गजरा को वेणी या चूड़ामणि के नाम से भी जाना जाता है। गजरा का इस्तेमाल बालों में किया जाता है। यह बालों की सुंदरता को बढ़ाने और बालों को सुगंधित करने के लिए लगाया जाता है।
ऐसा कहा जाता है की माता पार्वती को गजरा बहुत ही अच्छा लगता था। यही कारण है कि सोलह सिंगार के समय सुहागन महिलाओं के द्वारा अपने बालों में गजरे का इस्तेमाल किया जाता है। हिंदू धर्म में सोलह सिंगार का बहुत ही महत्व होता है। इसीलिए गजरे का भी अपना एक अलग स्थान होता है।
महिलाओं के सोलह सिंगार क्या होते हैं? इससे संबंधित प्रश्न व उत्तर (FAQs):-
Q:- 1. सोलह सिंगार क्या है?
Ans:- 1. सोलह सिंगार से साथ तात्पर्य 16 तरह के आभूषण से होता है। हमारे देश के अंतर्गत 16 सिंगार को बहुत ही अधिक महत्व दिया जाता है। इनका इस्तेमाल विवाहित महिलाओं के द्वारा किया जाता है। महिला के द्वारा खुद को संवारने हेतु जिन आभूषणों और सामग्री का उपयोग किया जाता है, उसे सोलह सिंगार कहते हैं।
Q:- 2. सोलह सिंगार कौन-कौन से हैं?
Ans:- 2. दोस्तों, भारत के अंतर्गत 16 श्रृंगार स्नान, बिंदी, सिंदूर, काजल, मांग टीका, नथ, चूड़ियां, मंगलसूत्र या हार, झुमका, कमरबंद, बिछिया, गजरा, बाजूबंद, पायल, अंगूठी और मेहंदी शामिल है।
Q:- 3. सोलह सिंगार करना क्यों आवश्यक है?
Ans:- 3. सोलह सिंगार महिला के विवाहित व सुहागन होने का प्रतीक होता है। सुहागन महिलाओं को सोलह सिंगार करना बेहद जरूरी होता है। जो महिलाएं सोलह सिंगार करती हैं, वह सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य आदि में संपन्न होती हैं और अपने परिवार के लिए भी शुभ मानी जाती है।
Q:- 4. सोलह सिंगार के अंतर्गत बिछुए का क्या महत्व है?
Ans:- 4. सोलह सिंगार के अंतर्गत बिछुए को बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। बिछुए एक प्रकार का आभूषण है। जो चांदी के होते हैं, बिछुए को पैरों में पहना जाता है। पैरों की जिन उंगलियों में बिछुए को पहना जाता है। उसकी नस सीधे गर्भाशय से जुड़ी होती है। इसलिए बिछुए महिलाओं के मासिक चक्र को नियमित करता है।
Q:- 5. सोलह सिंगार के अंतर्गत कमरबंद को क्यों शामिल किया गया है?
Ans:- 5. सोलह सिंगार के अंतर्गत कमरबंद को इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि कमरबंद चांदी का एक आभूषण होता है, जो महिलाओं के पेट को ठंडक पहुंचता है। साथ ही महिलाओं के पेट से संबंधित समस्याओं को दूर करने में सक्षम होता है। साथ ही साथ यह महिलाओं की कमर की शोभा भी बढ़ाता है।
Q:- 6. सिंदूर का उपयोग क्यों किया जाता है?
Ans:- 6. शादी के समय में सुहागन महिलाओं की मांग में पति के द्वारा सिंदूर भरा जाता है। यही कारण है कि सिंदूर सोलह सिंगार का महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि सुहागन महिलाओं के द्वारा सिंदूर को अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगाया जाता है। साथ शास्त्रों में भी यह बहुत ही पवित्र माना गया है।
निष्कर्ष (Conclusion):- आज हम आप सभी को इस ब्लॉक पोस्ट के अंतर्गत महिलाओं के सोलह सिंगार से संबंधित जानकारी दे रहे हैं। हमारे द्वारा आप सभी को इस लेख में Solah sirngar kya hota hai? Solah sringar kon kon se hote hai? इसके बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। जिन महिलाओं को सोलह सिंगार से संबंधित संपूर्ण जानकारी नहीं है। उनके लिए हमारा यह लेख बेहद फायदेमंद साबित होगा क्योंकि हमारे द्वारा आपको यहां संपूर्ण जानकारी दी गई है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया हो, तो आप अपने सभी जरूरतमंद दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ शेयर अवश्य करें।