सर्दी के मौसम में कैसे हो नवजात शिशु की ड्रेसिंग और पहनावा | Winters me baby ki dressing

माता-पिता को अपने बच्चे बहुत ही प्यारे होते हैं। वह उन्हें हर सुविधा देने का प्रयास करते हैं। और वह चाहते हैं कि उनका बच्चा हमेशा सुंदर दिखाई दे। मैं उन्हें पोषक तत्व प्रदान करते हैं। सर्दी और गर्मी सर्दी में बच्चे ज्यादा बीमार पड़ते हैं परंतु अक्सर नए पेरेंट्स को यह जानकारी नहीं होती की सर्दी में वह अपने बच्चों की ड्रेसिंग और पहनावे (Winter’s me baby ki dressing)को किस प्रकार रखें।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको सर्दी के मौसम में नवजात शिशु की ड्रेसिंग और पहनावे (Winter’s me baby ki dressing ke upay)के विषय में जानकारी देंगे। यदि आप भी इस विषय में जानकारी चाहते हैं तो हमारे आर्टिकल को अंत तक पढ़े।

शिशु को कितनी लेयरिंग में कपड़े पहनना चाहिए? 

सर्दी के मौसम में हम छोटे (Winter’s me baby ki dressing me layering)बच्चों को कितनी लेयरिंग में कितने कपड़े पहन सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी प्रदान की गई है।

सर्दी के मौसम में कैसे हो नवजात शिशु की ड्रेसिंग और पहनावा | Winters me baby ki dressing

जो लोग बड़े या जवान होते हैं उनके लिए ठंड को झेलना बिल्कुल अलग एक्सपीरियंस होता है। परंतु बच्चों के लिए ठंड झेलना एक बहुत ही जटिल कार्य है। इसलिए यदि आप सोचते हैं कि आपकी ठंड एक स्वेटर में बच जाती है। तो आप बच्चे को भी एक ही स्वेटर पहन कर ठंड से बचा ले तो ऐसा संभव नहीं है।

 आपको अपने बच्चों को एक से ज्यादा स्वेटर पहनने की आवश्यकता होती है। आप अपने बच्चों को लेयरिंग के आधार पर किस तरीके के कपड़े पहन सकते हैं। उसके विषय में नीचे जानकारी दी गई है।

  • बच्चों और बड़ों का कपड़े पहनने का स्टाइल बिल्कुल अलग-अलग होता है। यदि सर्दी में कड़ाके की ठंड में आप एक स्वेटर पहन रहे हैं। तो छोटे बच्चों को आप दो स्वेटर पहनना प्रेफर कर सकते हैं।
  • और यदि नवजात बच्चा है तो आप उसके लिए तीन से चार स्वेटर में पहन सकते हैं तभी उसकी ठंड बच पाएगी।
  • सर्दी के मौसम में बच्चों को हमेशा गर्म बिस्तर पर ही सुलाना चाहिए। गर्म बिस्तर पर सुलाने से बच्चे को नीचे से ठंडक नहीं लगती और वह बीमार जल्दी नहीं पड़ता इसके अलावा गर्म बिस्तर के ऊपर आप अप्लाई में भी कंबल रखें। उसके ऊपर अपने बच्चों को लेता है उसके बाद अपने बच्चों को रजाई से उड़ाए ऐसे करके आप अपने बच्चों को ठंड से बिल्कुल बचा सकते हैं। इस प्रकार की लेयरिंग करने से बच्चों के हाथ पैर सर बिल्कुल ठंड से बच्चे रहते हैं।
  • ठंड होने पर बच्चा सर्द हवाओं की चपेट में नहीं आता और बिल्कुल बीमार नहीं पड़ता।
  • शिशु शिशु को तीन चार लेयर के कपड़े पहनना चाहिए। एक कपड़े से शिशु की सर्द शारदा हवा बच्चा नहीं कर पाती है। इससे बच्चों को एक दो तीन मोटे कपड़े पहनना चाहिए बच्चों को हमेशा ठंडे कपड़े ठंडा कपड़े पहनने के बाद उसके नीचे उसे इनर डालनी चाहिए।जिससे उन्हें ठंडी हवा से बचाव हो सके यदि बच्चों को ठंडी हवा लग जाती है। तो वह जल्दी बीमार पड़ सकते हैं और इसका इलाज महंगा हो सकता हैं। बच्चों के स्वास्थ्य को प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए उसे गर्म कपड़े पहनना बहुत ज्यादा आवश्यक है।
  • सर्द मौसम में बच्चे और  बुजुर्ग का बहुत ही बहुत ही ध्यान रखना चाहिए। ऐसे में उन्हें सर दर्द हवा लगने से उनके सीने पर ज्यादा परेशानी हो सकती है। जिससे उन्हें खासी और जुकाम की से समस्या बढ़ सकती है। समस्या को बचाने के लिए हमें उन्हें हमेशा बोलन बोलन फैब्रिक के कपड़े ही पहनना चाहिए।
  • जिससे उनके सीने को हमेशा दवा रह रहे जिससे उन्हें खासी और जुकाम की परेशानी ना बने सीने में हवा लगने से ठंड उनके पेट में भी पहुंच सकती है। जिससे हमें पेट की बीमारी हो जाती है और हमें और हमारा पेट खराब हो जाता हैं। इस समस्या से बचने के लिए हमें सीने का बचाव करना चाहिए हमेशा फैब्रिक वाले कपड़े पहनना चाहिए। अब दो-तीन लेयर के कपड़े पहने चाहिए
  • यदि कर दवा चल रही है तो हमें बच्चों के हमेशा कान ढकना चाहिए हमारे कानों में हवा नहीं पहुंचते हैं। जिसे हमें कान दर्द की समस्या नहीं होगी हमें हमेशा अपने कानों को मफलर धकना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों को बच्चों को ठंडी हवा नहीं लगेगी और बच्चे तुरंत ताज बना रहेगा।
  • मफलर से बच्चों के गला व कान को हमेशा ढकना चाहिए इससे कर दवा उसके कानों तक नहीं पहुंचनी चाहिए। बच्चों के सर को ढक कर बच्चों को बाहर ले जाने से हमेशा बचना चाहिए। बाहर ले जाने से बच्चों को ठंडी हवा लगती है।
  • जैसे बच्चे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं बच्चों को हमेशा घर में रखना चाहिए बच्चों को बाहर ले जाने से ज्यादा, से ज्यादा बचना चाहिए सर्द हवा  के कारण बच्चे को खांसी हो सकती है इसलिए इससे बचाव करना आवश्यक है।
  • सर्दी के हिसाब से बच्चों के शरीर के ऊपर कपड़ों को रखना चाहिए। अगर उसके पैरों को  ज्यादा बोलन के कपड़ों से धक देंगे तो वह बेचैन होकर रोएगा इसे उसके पैरों में खुजली होगी अगर कड़क ठंड है तो उसको वूलन  की पजामी पहन सकते है ।वह उसके पैरों को मोजे से ढका रहेगा हल्की सर्दी में उसे बुलन के पजामी ना पहने बाहर ले जाने पर हमेशा कंबल में रखना चाहिए। जिससे बच्चा पूरा कबर हो जाता है जिससे बच्चों के पैर भी थक जाते हैं और उनके पैरों को हवा नहीं लगती है। जिससे कंबल उनके सर दवा से उसके शरीर को बचाव करता है जिससे वह बीमारियों से बच पाता है। हल्की ठंड में बच्चों को पजामी के नीचे फॉर्मल बनाने की जरूरत नहीं है जिससे बच्चा बेचैन हो जाता है
  • ज्यादा सर्दी होने पर बच्चों को चार पांच लेयर के कपड़े पहनना चाहिए। जिससे बच्चों को सर्दी कम लगती है बच्चों को जैकेट पहनने से अच्छा है। उसको फार्म की ढीली जैकेट व कोट पहना है जो देखने में फैंसी कम  लगता है लेकिन गरम ज्यादा होता है।
  • जैसे बच्चे को सर्दी ना लगे में सहायता करता है बच्चों को सर्दी से बचने के लिए गर्म से गर्म कपड़े पहनना चाहिए ना कि उन्हें फैशन वाले कपड़े पहनना चाहिए। फैशन की वजह से बच्चों को सर्दी लग सकती है। इससे बच्चे बीमार पड़ जाते हैं और निमोनिया जैसी बीमारी लग जाती है।इससे बच्चे बहुत ही परेशान हो जाते हैं वह उनकी हालत खराब हो जाती है इसलिए हमें बच्चों बच्चों को सर्दी में कपड़े पहनने से लापरवाही नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चे बीमारी बीमारी का शिकार हो जाते है
  • नवजात शिशु को लेटेरहने के कारण अधिक ठंड रहती है ऐसे उसकी तीन चार लेयर के कपड़े बनाने चाहिए। उसके बाद उसके पैरों में हाथ से बने हुए ऊनी मोजे मुझे पहचाना चाहिए। जिससे बच्चों के पैरों को गर्म बनाए रखें ऐसे बच्चों को टोटल कम लगेगी। तथा बच्चों को हमेशा हाथ में दस्ताने ना पहने छोटे हाथों में दस्ताने फिट  न बैठने के कारण उनके हाथ ठंडा रह जाते हैं चाहे क्यों ना आपने उन्हें दास्ताने ही पहनाए हो। उनको हमेशा उनको हमेशा हाथ से बने हुए यूनी  मडनेस बनाने चाहिए।
  • यह उनके हाथों में उनकी उंगलियों को एक साथ जुड़े रहने से उनके हाथ गर्म रहते हैं जिससे उनको अधिक ठंड नहीं लगेगी बच्चों को हमेशा गर्म बिस्तर मे लिटाना चाहिए जिससे उनको ठंड नहीं लगती है
  • शिशु को कभी भी अकेला गर्म कपड़ा नहीं पहनना चाहिए शिशु की त्वचा कोमल बना जो होती है इससे उसके शरीर में रायसेस वह एलर्जी हो सकती है। जैसे शिशु बेचैन हो सकता है। उसको हमेशा ठंडा कपड़ा पहनने के बाद ही गर्म कपड़ा पहनना चाहिए।अकेला गर्म कपड़ा पहनने से बचना चाहिए जिससे शिशु को तकलीफ ना हो उसके नजर बचा आपकी कोई ऐसा ना पड़े सर्दी में शिशु को काफी देखभाल की जरूरत होती है। उसे नहलाने के टाइम हमेशा गर्म पानी ही लेना चाहिए। जिससे शिशु बीमार नहीं पड़ेगा।
  • हमेशा उसके तेल से मालिश करने कर देनी चाहिए धूप में हमेशा बच्चों को थोड़ी देर लेट आना चाहिए। इससे बच्चों की बॉडी एक्टिव रहती है। और उसे ठंडापन नहीं लगता है बच्चों को कभी भी ठंडा दूध नहीं पिलाना चाहिए। दूध हमेशा गर्म कर लेना चाहिए ठंडा दूध पिलाने से बच्चा बीमार पड़ सकता है।
  • शिशु के लिए सर्दी के कपड़े हमेशा मुलायम होने चाहिए। जिससे शिशु की त्वचा कोई रैशेज ना हो शिशु को कढ़ाई और कोई चैन वी टाइट कपड़ा नहीं डालना चाहिए। इससे बच्चा बेचैन हो जाता है।
  • वह उसकी मुलायम त्वचा के लिए हानिकारक भी हो सकता है हमें बच्चा को हमेशा मुलायम त्वचा के लिए मुलायम कपड़ा ही पहनना चाहिए। जो बच्चा को आरामदायक हो वही कपड़ा बच्चों को डालना चाहिए।अगर बच्चे को फैशन वाला कपड़ा पहना रहे हैं तो आपको ध्यान होना चाहिए। कि उसमें कोई कढ़ाई बुनाई वाला क न हो जो कि बच्चों को चुभन पैदा करें। क्योंकि इससे बच्चा परेशान हो सकता है और उसकी मुलायम त्वचा पर रेसेज आ सकते हैं। 
  • बच्चों को अगर हम पजामा पहन रहे तो हमें ध्यान रखना चाहिए कि उसमें इलास्टिक नहीं होनी चाहिए। इलास्टिक से बच्चे का पेट दब जाता है जिससे बच्चा परेशान हो जाता है उसमें हमेशा डोरी डालनी चाहिए। इलास्टिक वाले कपड़े पहनने से हमेशा बचना चाहिए। इलास्टिक टाइट होने के कारण बच्चों को परेशान करती है बच्चों को पजामी पहने पहने पर विशेष तरह का ध्यान रखना चाहिए। कभी भी उसको टाइट इलास्टिक वाले कपड़े नहीं पहनना चाहिए। बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है अगर हमने उसको इलास्टिक वाला कपड़ा पहना है तो हमें बार-बार चेक कर लेना चाहिए।
  • की बच्चों को कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है। ऐसा नहीं करने से बच्चे अगर बच्चे को समस्या हो सकती है। बच्चों को कपड़े बहुत सावधानी से बनाने चाहिए और मुलायम तरीके के पहनना चाहिए। जिससे बच्चों को कोई भी परेशानी ना हो वह उनको किसी भी तरह की चुभन पैदा ना करें। हमें हमेशा बच्चों को ध्यान में रखकर ही कपड़े लेने चाहिए।
  • हमेशा ध्यान रखना चाहिए सर्दी हो या गर्मी हमें कभी भी बच्चों को चुस्त कपड़े नहीं पहनना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से बच्चों की हड्डियों का विकास नहीं हो पता है। जिससे बच्चे की हड्डी मुलायम रह जाती है। बच्चों का शरीर विकास नहीं कर पता है।हमें हमेशा बच्चों को ढीले कपड़े पहनना चाहिए जिससे बच्चों को कोई तकलीफ ना हो टाइट कपड़े में बच्चा बेचैन हो जाता है। जिससे उसके शरीर पर दाने निकल आते हैं हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए। टाइट कपड़े में बच्चों को कपड़े उतारते हुए पहनते समय परेशानी होती है। जिससे बच्चा अधिक रोने लगता है इसलिए आए बच्चों को ढीले कपड़े पहनना चाहिए। ढीले कपड़े में बच्चों को आराम लगता है अगर हम कपड़े खरीदने हैं तो बच्चे के लिए हमें ढीले कपड़े ही खरीदने चाहिए।
  • शिशु के चेहरे को किसी भी भारी चीज से रखना नहीं चाहिए अन्यथा उसे सांस लेने में तकलीफ होती है। छोटे बच्चों की स्वास्थ्य नाली कमजोर होती है इसलिए उन्हें हवादार कमरे में लेटना चाहिए। और उनके चेहरे को किसी बाहर भारी चीज से नहीं रखना चाहिए।
  • वह इतने समर्थ नहीं होते कि अपने चेहरे पर से कंबल को हटा सके और उन्हें सांस लेने में बहुत ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ता है इसलिए शिशु के चेहरे को हमेशा खुला रखना दे।

टॉपिक से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर (FAQ) 

Q. बच्चों को सबसे ज्यादा बीमारियों का सामना किस मौसम में करना पड़ता है? 

बच्चों को सबसे ज्यादा बीमारियों का सामना सर्दी के मौसम में करना पड़ता है।

Q. बच्चों के लिए कितनी लेयरिंग के कपड़े पहनना चाहिए? 

बच्चों के लिए दो से तीन लेयरिंग के कपड़े पहनना चाहिए।

Q. बच्चों का बिस्तर कैसा होना चाहिए? 

बच्चों का बिस्तर नीचे से बिल्कुल गर्म होना चाहिए जिससे उसे ठंडी हवा न लग सके।

Q. बच्चों को टाइट कपड़े क्यों नहीं पहनना चाहिए? 

टाइट कपड़े पहनने से बच्चे को अशहज महसूस हो सकता है इसलिए उसे टाइट कपड़े नहीं पहनना चाहिए।

निष्कर्ष :

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको सर्दी के मौसम में कैसे हो नवजात शिशु की ड्रेसिंग और पहनावा (Winter’s me baby ki dressing) के विषय में जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। यदि फिर भी आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

हमारे आर्टिकल के द्वारा प्रदान की जाने वाली जानकारी बिल्कुल ठोस तथा सटीक होती है। यदि आपको हमारा आर्टिकल पसंद आए तो आप इसे अवश्य शेयर करें। हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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