चंद्र ग्रहण क्या है? चंद्र ग्रहण कब, क्यों और कैसे होता है?

दोस्तों, पहले के समय में जब विज्ञान ज्यादा अधिक विस्तारित नहीं था। तब चंद्र ग्रहण को लेकर बहुत ही भ्रांतियां विश्व भर में व्याप्त थी। परंतु जैसे-जैसे विज्ञान का विकास होता गया, वैसे वैसे ही बहुत से रहस्य से पर्दा उठता गया है। परंतु ऐसा कहना गलत है कि केवल विज्ञान के द्वारा ही इसका पता लगाया गया है। प्राचीन काल के खगोल शास्त्रियों के द्वारा पहले ही सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बारे में बताया गया है। परंतु उसको लोगों ने आज तक मान्यताएं नहीं दी है। इसीलिए हमारे द्वारा आप सभी को इस लेख में  Chandra grahan kya hota hai? इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है।

खगोल शास्त्रियों के द्वारा अनेक हजारों वर्षों पहले सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बारे में पता लगा लिया गया था। परंतु आज के समय के लोगों को इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। लोगों को विभिन्न प्रकार की कहानियां के माध्यम से चंद्र ग्रहण के बारे में पता है, परंतु सही बात को जानने के लिए आपको स्वयं ही कदम उठाने पड़ते हैं। इसीलिए हम आप सभी को यहां What is Lunar eclipse? When does the lunar eclipse happen? के बारे में बता रहे हैं। हम आपको यहां इसकी संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक देंगे।

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चंद्र ग्रहण कब होता है? | When does lunar eclipse happen?

दोस्तों, चंद्रमा के बारे में आपको यह बात तो पता होगीकि चंद्रमा की अपनी खुद की कोई भी रोशनी नहीं होती है। परंतु हम सब लोगों ने चंद्रमा को चमकते हुए देखा है, दरअसल सूर्य का ही प्रकाश चंद्रमा पर पड़ता है। जिसके द्वारा चंद्रमा चमकता हुआ दिखाई पड़ता है। जब सूर्य का यही प्रकाश पृथ्वी के द्वारा चंद्रमा पर पड़ने से रोक लिया जाता है, तो चंद्रमा पूर्ण रूप से अंधेरे में चला जाता है। जिसे चंद्रग्रहण के नाम से जानते हैं।

चंद्र ग्रहण क्या है चंद्र ग्रहण कब, क्यों और कैसे होता है

दोस्तों, चंद्रग्रहण एक प्रकार की प्राकृतिक स्थिति है। जो समय-समय पर दिखाई पड़ती है। तथा लोगों के बीच में चंद्र ग्रहण के नाम से प्रचलित है।यदि सरल शब्दों में समझाया जाए, तो चंद्र ग्रहण आमतौर पर पूर्णिमा वाले दिन होता है। जब हमारी पृथ्वी के द्वारा अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य की परिक्रमा की जाती है और चंद्रमा के द्वारा पृथ्वी के चक्कर लगाए जाते हैं।

 इसी संपूर्ण परिक्रमा पथ के दौरान ही एक ऐसी स्थिति पैदा होती है।  जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के मध्य आ जाती है और चंद्रमा पर पड़ने वाला सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के द्वारा रोक लिया जाता है। जिस प्रकार चंद्रमा पूरी तरीके से अंधकार में चला जाता है। इसी को चंद्रग्रहण के नाम से जानते हैं, इस दौरान सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं।

भारतीय खगोल शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण कैसे लगता है?

दोस्तों, यह बात तो हम सब जानते हैं कि भारत में ब्रह्मांड को लेकर बहुत ही काल्पनिक कथाएं हैं। जिनको विज्ञान के द्वारा केवल मिथ माना गया है। साथ ही विज्ञान ने चंद्रग्रहण को विस्तारित रूप से समझाया भी है, परंतु ऐसा नहीं है सभी कथाएं केवल काल्पनिक है, कुछ कथाओं में चंद्र ग्रहण की जानकारी व्याप्त है। दोस्तों, चंद्र ग्रहण को केवल वैज्ञानिकों के द्वारा ही नहीं साबित किया गया, बल्कि कई हजारों वर्ष पहले भारत के खगोल शास्त्र के द्वारा भी चंद्र ग्रहण की जानकारी हम सबको दी गई है।

खगोल शास्त्र के द्वारा बहुत ही सूक्ष्मता से हमारे सौरमंडल के ज्ञान को अर्जित किया गया था। जिसकी वजह से वह चंद्र ग्रहण के बारे में पहले ही जानकारी हासिल कर चुके हैं। यदि आप खगोल शास्त्र के अनुसार जानना चाहते हैं कि चंद्र ग्रहण कैसे लगता है, तो हमारे द्वारा यहां आपको इसके बारे में बताया गया है। दोस्तों, भारत में चंद्र ग्रहण की भ्रांतियों वाली कई कहानियां प्रचलित हैं। जिन पर विश्वास करने वाले भी बहुत से लोग हैं,

परंतु दूसरी तरफ खगोल शास्त्रियों के द्वारा सिद्धांत शिरोमणि, सूर्यसिद्धांतादि और ग्रह लाधव जैसे भारतीय खगोल शास्त्र के इन सभी प्रसिद्ध ग्रंथो में वैज्ञानिक व्याख्या की जा चुकी है। दोस्तों, ग्रह लाधक के चौथे अध्याय के चौथे मंत्र छादयत्यर्कमिन्दर्विधं भूमिभाः के अंतर्गत चंद्र ग्रहण का वर्णन किया है। इसी के अनुसार जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य आता है, तो “सूर्य ग्रहण” होता है तथा पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के मध्य आती है, तो “चंद्रग्रहण” होता है होता है।

पौराणिक मान्यताओं के आधार पर चंद्र ग्रहण कैसे लगता है?

यदि आप जानना चाहते हैं कि पौराणिक मान्यताओं के आधार पर चंद्र ग्रहण कैसे लगता है, तो हम आपको बता दें, चंद्र ग्रहण का विवरण विष्णु पुराण की कथा के अंतर्गत दिया गया है। आदिकाल के समय असुरों और देवताओं में बहुत लंबा युद्ध चला था। जब इस युद्ध की खबर भगवान विष्णु को हुई तो भगवान विष्णु के द्वारा इस युद्ध का समाधान करने हेतु समुद्र मंथन का विचार सामने रखा गया था तथा असुर और देवताओं के बीच में समझौता कराया कि समुंदर मंथन में निकलने वाली प्रत्येक चीज़ आधी आधी बाटी जाएगी।

जिस समय समुंद्र मंथन हो रहा था उस वक्त समुंद्र से 14 रत्न निकले थे। इन्हीं 14 रत्नों में से एक रतन के अंतर्गत अमृत पाया गया था। जिसको लेकर फिर से असुरों और नेताओं में लड़ाई शुरू हो गई थी। इस लड़ाई के समाधान हेतु सभी लोग भगवान विष्णु के पास गए, परंतु कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने उस समय मोहिनी का रूप धारण करके असुरों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया था तथा सारा अमृत देवताओं को पिला दिया था।

परंतु इन सभी असुरों में से राहु नाम के असुर को इस बात का पता चल गया था। इसलिए उसने देवताओं का रूप धारण करके अमृत का सेवन कर लिया था। राहु की इस चतुराई का सूर्य देव और चंद्र देव को पता चल गया था। जैसे ही उन्होंने विष्णु भगवान को इस बात की जानकारी दी, विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु के सर को धड़ से अलग कर दिया। परंतु अमृत का सेवन करने के कारण वह जीवित रहा। तभी से उसके सर को राहु तथा धड़ को केतू कहा जाने लगा। इसी कारण राहु सूर्य और चंद्र को ग्रहण लगाता है।

कैसे पता लगाया जाता है कि चंद्र ग्रहण कब लगेगा?

दोस्तों, आप सभी जानते हैं कि वैज्ञानिक के द्वारा आज के समय में हर बात का पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है। इसी प्रकार हम लोग पता लगा सकते हैं कि चंद्र ग्रहण कब लगेगा। भारतीय ज्योतिष के अनुसार, हमारे द्वारा आज से हजारों वर्ष होने वाले चंद्र ग्रहण को बिना किसी आधुनिक तकनीक तथा टेलिस्कोप के पता किया जा सकता है।

दोस्तों, भारतीय पंचांग के अंतर्गत हर वर्ष पड़ने वाले चंद्र ग्रहण का विवरण दिया होता है। जो बिल्कुल सही होता है, यह भारतीय पंचांग और कैलेंडर पर आधारित होते हैं। यदि भारतीय ज्योतिष के अनुसार देखा जाए, तो चंद्र ग्रहण की सटीक जानकारी ग्रहों की चाल पर रूप से आधारित है।

तंत्र साधना में चंद्रग्रहण का महत्व:-

साधना के अंतर्गत चंद्र ग्रहण का महत्व उतना ही अधिक होता है। जितना सूर्य ग्रहण का होता है। साधकों के बीच में यह मान्यता प्रचलित है कि ग्रहण के समय मंत्र सिद्धि बहुत ही आसानी से संपन्न हो जाती है तथा जिस मंत्र की सिद्धि होती है। उसका प्रभाव भी कई गुना बढ़ जाता है। इसीलिए यदि आप लोग भी किसी मंत्र को सिद्ध करना चाहते हैं, तो आपके लिए चंद्र ग्रहण एक बहुत अच्छा मौका हो सकता है।

चंद्र ग्रहण में ज्योतिष उपाय:-

दोस्तों, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु चंद्रमा के साथ बैठा होता है, तो जन्म कुंडली के अंतर्गत चंद्र ग्रहण दोष उत्पन्न होता है। ज्योतिष के अनुसार यदि देखा जाए, तो व्यक्ति की कुंडली के अंतर्गत उपस्थित चंद्र ग्रहण दोष दूर करने हेतु चंद्र ग्रहण के दौरान सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए। जिससे चंद्र ग्रहण दोष कम होता है। इस दिन आप सब दूध, दही, घी, मक्खन, सफेद वस्त्र और मिठाई आदि का दान करने में सक्षम होते हैं।

वहीं दूसरी तरफ हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार देखा जाए, तो जिन व्यक्तियों की हथेली पर चंद्र पर्वत दबा हुआ नजर आता है। वैसे व्यक्तियों को मानसिक रूप से कमजोर समझा जाता है। इस तरह के व्यक्ति के अंतर्गत नकारात्मक विचार अधिक आते हैं। ऐसे में चंद्र ग्रहण के दौरान नकारात्मक सोच वाले लोगों को मानसिक शांति के उपाय करने चाहिए।

राशियों पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव:-

दोस्तों, जिन लोगों की राशि कर्क होती है। उन सभी का स्वामी चंद्रमा होता है। कर्क नाम की राशि वाले व्यक्तियों को शिवलिंग के ऊपर दूध या जल का अर्पण आवश्यक तौर पर करना चाहिए तथा ग्रहण के दौरान सफेद वस्तु आदि का दान करना चाहिए। ताकि कर्क राशि वाले व्यक्तियों का स्वामी बलवती हो।

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

दोस्तों, हमारे द्वारा यहां आपको चंद्र ग्रहण के दौरान ना करने वाले कार्य के बारे में बताया जा रहा है। यह संपूर्ण जानकारी निम्न प्रकार है-

  • ज्योतिष के अनुसार किसी भी ग्रहण के समय खाना बनाना तथा भोजन ग्रहण दोनों ही वर्जित होते हैं
  • दोस्तों, किसी प्रकार के ग्रहण के समय किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना नहीं करनी चाहिए।
  • ग्रहण के दौरान सोने पर प्रतिबंध है और इस दौरान घर से बाहर भी नहीं निकलना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को विशेषकर घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध है।
  • ग्रहण के दौरान आप सभी को ऊपर दिए गए संपूर्ण कार्य नहीं करने होते हैं।

चंद्र ग्रहण के दौरान यह काम करें

दोस्तों, चंद्र ग्रहण के दौरान कौन से काम नहीं करने होते हैं। इसके बारे में हमारे द्वारा आपको ऊपर बता दिया गया है, परंतु यदि आप जानना चाहते हैं कि चंद्र ग्रहण के दौरान कौन-कौन से कार्य करने चाहिए। इसके बारे में हमारे द्वारा आपको नीचे बताया जा रहा है। जो कि निम्न प्रकार है-

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण लगने से पहले आप सभी को अपने खाने पीने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते को डाल देना चाहिए।
  • ग्रहण समाप्त होने के पश्चात सभी को स्नान करना आवश्यक है।
  • ग्रहण समाप्त होने के तत्पश्चात गरीबों को खाने-पीने की वस्तुएं अवश्य दान करें।
  • ग्रहण के दौरान आप किसी भी सात्विक मंत्र की सिद्धि करने में सक्षम होते हैं।
  • इस प्रकार हमारे द्वारा ऊपर बताए गए कार्य आप सभी को ग्रहण के दौरान व पश्चात अवश्य करने चाहिए।

चंद्र ग्रहण कब होता है? इससे संबंधित प्रश्न का उत्तर (FAQs):-

Q:- 1. चंद्र ग्रहण कब लगता है?

Ans:- 1. दोस्तों, चंद्रग्रहण एक प्रकार की प्राकृतिक स्थिति है। विज्ञान के द्वारा इसका विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। जिसके तहत जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में आ जाती है। तब सूर्य पूर्ण रूप से अंधकार में चला जाता है, जिसे चंद्रग्रहण के नाम से जाना जाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब पृथ्वी और चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं।

Q:- 2. चंद्र ग्रहण कब लगता है?

Ans:- 2. दोस्तों, चंद्रग्रहण अधिकतर पूर्णिमा पर लगता है। चंद्र ग्रहण लगने के पीछे बहुत सी पौराणिक कथा है। जिसके तहत राहु चंद्र को ग्रहण लगाता है। परंतु हम आपको बता दें, कि चंद्रमा का खुद का प्रकाश नहीं होता है। वह सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है। इसीलिए जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो चंद्रमा पूर्ण रूप से अंधकार में चला जाता है। जिस कारण चंद्र ग्रहण पड़ता है।

Q:- 3. चंद्र ग्रहण का कुंडली पर क्या प्रभाव पड़ता है?

Ans:- 3. दोस्तों, ज्योतिष के अनुसार यदि कुंडली के अंतर्गत राहु और चंद्रमा एक साथ उपस्थित होते हैं। तो जन्म कुंडली के अंतर्गत चंद्र ग्रहण दोष बनता है। अर्थात हम कह सकते हैं कि राहु के कारण कुंडली पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव पड़ता है।

Q:- 4. चंद्र ग्रहण के दौरान कर्क राशि वाले व्यक्तियों को क्या करना चाहिए?

Ans:- 4. दोस्तों, जिन व्यक्तियों की राशि कर्क होती है। उनका स्वामी चंद्रमा होता है। चंद्र ग्रहण के दौरान कर्क राशि वाले सभी व्यक्तियों को शिवलिंग पर दूध या जल का अर्पण आवश्यक तौर पर करना चाहिए। साथ ही सफेद चीज का दान करना चाहिए।

Q:- 5. चंद्र ग्रहण दोष से मुक्ति पाने का क्या उपाय है?

Ans:- 5. जो व्यक्ति अपनी कुंडली में से चंद्र ग्रहण दोष  को कम करना चाहते हैं। उन्हें चंद्र ग्रहण वाले दिन सफेद चीज जैसे:- दूध, दही, मक्खन, घी, सफेद वस्त्र और मिठाई इत्यादि का आवश्यक तौर पर दान करना चाहिए। इससे चंद्र ग्रहण दोष का प्रभाव बहुत कम हो जाता है।

Q:- 6. चंद्र ग्रहण के दौरान व पश्चात क्या कार्य करने चाहिए?

Ans:- 6. चंद्र ग्रहण के दौरान खाने-पीने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए तथा इसके पश्चात आप सभी को आवश्यक तौर पर स्नान व जरूरतमंद लोगों को खाने पीने की चीजें अवश्य दान करनी चाहिए। इस दौरान आप किसी भी मंत्र की सिद्धि भी कर सकते हैं।

Q:- 7. चंद्र ग्रहण के समय कौन से कार्य नहीं करने चाहिए?

Ans:- 7. चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन बनाना तथा भोजन ग्रहण करना वर्जित माना गया है। साथ ही ग्रहण के दौरान किसी भी पूजा-अर्चना को नहीं करना चाहिए तथा घर से बाहर गर्भवती महिलाओं को आवश्यक तौर पर नहीं जाना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion):- आज हमारे द्वारा इस लेख में आप सभी को What is Lunar eclipse? When does the lunar eclipse happen? आदि के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। यदि आप सब लोग भी पूर्वजों की कहानियों से चंद्र ग्रहण के बारे में जानकारी रखते हैं, तो आप लोगों के लिए हमारा यह लेख बेहद फायदेमंद साबित होगा।

हम आशा करते हैं कि आप सभी को हमारे द्वारा चंद्रग्रहण से संबंधित संपूर्ण जानकारी बेहद पसंद आई होगी। यदि आपको इस संपूर्ण जानकारी से कोई भी समस्या उत्पन्न होती है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बता सकते हैं। साथ ही इस लेख को अपने सभी दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले तथा इस प्रकार की अन्य जानकारियों के लिए हमारी वेबसाइट के साथ जुड़े रहिए।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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