जब शेयरों को वित्त बाजार में संदर्भित किया जाता है, तो उन्हें अंकित मूल्य (face value) के साथ चिह्नित किया जाता है। ‘2 रुपये का शेयर’, ‘5 रुपये का शेयर’ का मतलब उस इक्विटी शेयर का अंकित मूल्य 2 रुपये और 5 रुपये क्रमशः है। कई नए निवेशक इस फेस वेल्यु की अवधारणा को गलत समज लेते है। इस तरह फेस वेल्यु की गलत व्याख्या के कारणों से वे अनजाने में कोई कमजोर कंपनी मे फस जाते है जो कभी सफल साबित नहीं होती।
फेस वैल्यू Face Value यानी अंकित मूल्य शेयर की वास्तविक कीमत होती है जो कि शेयर प्रमाण पात्र पर अंकित रहती है. यदि ABC कंपनी की कुल शेयर पूँजी दो करोड़ रुपये है और वह दस रुपये प्रति शेयर के बीस लाख शेयर जारी करती है तो दस रुपये ABC कंपनी के शेयर की फेस वैल्यू यानी अंकित मूल्य होगी. फेस वैल्यू को पार वैल्यू Par Value या केवल पार भी कहते हैं.
अब यदि ABC कंपनी का शेयर बाजार में सूचित (Listed) होने के बाद मांग बढ़ने के कारण शेयर बाजार में बढ़ कर 50 रुपये हो जाता है तो अब इसे प्रीमियम वैल्यू या Above Par कहेंगे. और यदि शेयर की बाजार कीमत घट कर 6 रुपये रह जाती है तो इसे डिस्काउंट वैल्यू Discount Value या Below Par कहेंगे. दस रुपये के शेयर की कीमत यदि बाजार में भी दस रुपये ही है तो इसे At Par कहेंगे.
CDSL नाम की एक कंपनी सार्वजनिक पेशकश (IPO) के दौरान 10 रूपये अंकित मूल्य ववाले शेयर का मूल्य 149 रूपये रख दिया। इसका मतलब कंपनी शेयर को 139 रुपये प्रीमियम पर बेच रही है। अगर हम केवल अंकित मूल्य को देखते है और शेयर की कीमत को महंगा समझते है , तो हम पैसे कमाने का एक अच्छा मौका गंवा रहे है।