|| आईपीसी धारा 168 क्या है? | IPC Section 168 in Hindi | भारतीय दंड संहिता की धारा 168 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC section 168 in Hindi | वकील की जरूरत कब लगती है। (When lawyer is required | भारतीय दंड संहिता की धारा 168 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC section 168 in Hindi ||
आज का इंसान बहुत लालची है पर्याप्त रुपए होने तथा जीवन जीने के पर्याप्त साधन होने के बावजूद अधिक पैसे कमाने की होड़ में व्यक्ति इतना लिप्त है कि वह क्या काम कर रहा है और वह काम समाज के लिए या उनके खुद के लिए ठीक है या नहीं इसके विषय में ना सोचते हुए वह उस कार्य को आगे करते चले जाते हैं। ईमानदारी से कार्य करने में प्रति धीरे होती है परंतु वह जीवन को बहुत सुखद बनाती है। परंतु बेईमानी का कार्य करने पर पैसा तो अधिक मिलता है परंतु वह सारी झंझट है उसमें लगी रहती है।
आईपीसी की धारा 168 के अंतर्गत यह प्रावधान किए गए हैं कि किसी गैर कानूनी तरीके किसी लोक सेवक के रूप में काम करने के अलावा गैरकानूनी रूप से पैसा कमाने में लिप्त होना किस धारा के अंतर्गत आता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 168 ( IPC Section 168 in Hindi ) के अनुसार इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे किस धारा में किस प्रकार की सजा होती है। इस धारा के क्या-क्या प्रावधान है इस में जमानत कैसे प्रकार से दी जाती है तथा इसमें वकील की आवश्यकता होती है या नहीं इसके विषय में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे। यदि आप भी इस धारा (What is IPC section 168?) के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
आईपीसी धारा 168 क्या है? (What is IPC Section 168 ?)
भारतीय दंड संहिता की धारा 159 के अनुसार यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति लोक सेवक है और लोक सेवक को यह वचनबद्ध किया जाता है कि वह कोई दूसरा व्यापार नहीं करेगा। परंतु पैसों के लालच में तथा अध्यक्ष धन कमाने की लालसा से लोकसेवक दूसरा व्यापार करने लगते हैं। इसके अंतर्गत यह गैरकानूनी माना जाता है तथा इसमें सजा का भी प्रावधान है यदि कोई लोकसेवा किसी और व्यापार में लिप्त है तब उसे 1 साल का कारावास तथा आर्थिक दंड देने का प्रावधान है।
आसानी से समझे तो भारतीय दंड संहिता की धारा 168 (Indian Penal Code Section 168) के अनुसार यदि किसी लोक सेवक जिस की तनखा बहुत अधिक है तथा उसे सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है और लोक सेवक को यह वर्जित है कि वह अन्य किसी भी प्रकार का व्यापार नहीं कर सकता। परंतु फिर भी वह धन कमाने के लालच में किसी अन्य व्यापार में पाया जाता है तब उसे 1 वर्ष का कारावास तथा आर्थिक दंड दिया जाने का प्रावधान है।
Ex. एक उदाहरण के माध्यम से आईपीसी की धारा 168 क्या है इसके विषय में हम आप को समझाने का प्रयास करेंगे।
राहुल एक लोक सेवक अधिकारी है तथा उसे सरकार द्वारा सैलरी के रूप में राशि प्रदान की जाती है। परंतु अधिक धन कमाने के लालच में वह जमीन खरीदने और बेचने का व्यापार करने लगता है। इसके विषय में पता राहुल की एक दुश्मन को लगता है तथा वह सबूत इकट्ठा करके इसकी तहरीर पुलिस थाने में दे देता है। पुलिस लोक सेवक के खिलाफ वारंट जारी करती है तथा रमेश को गिरफ्तार कर लिया जाता है और भारतीय दंड संहिता की धारा 168 के अनुसार राहुल पर मुकदमा चलाया जाता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 168 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC section 168 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 168 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति लोकसेवक है तब उसके लिए यह प्रावधान है कि वह कोई और व्यापार नहीं कर सकता परंतु फिर भी अगर वह कोई अन्य व्यापार करता हुआ पाया गया तो धारा 168 के अनुसार उसे 1 साल का कारावास तथा आर्थिक जुर्माना भुगतना पड़ेगा। लोक सेवक सरकार का अधिकारी होता है तथा सरकार द्वारा उसे भारी मात्रा में अनुदान प्रदान किया जाता है फिर भी पैसों के लालच के कारण लोकसेवक बहुत सारे व्यापार करने शुरू कर देते हैं। यदि लोक सेवकों के खिलाफ किसी प्रकार की शिकायत होती है तब उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 168 के अनुसार दंड दिया जाता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 168 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 168 in Hindi)
भारतीय दंड संहिता की धारा 168 के अनुसार यदि कोई लोकसेवक किसी अन्य कार्य में लिप्त पाया गया अर्थात वह किसी अन्य व्यापार से पैसे कमाता है जो लोग सेवकों के लिए मना है और किसी व्यक्ति के द्वारा सबूतों के माध्यम से लोक सेवक के खिलाफ शिकायत दर्ज की जाती है। तब धारा 168 के अनुसार लोकसेवक पर मुकदमा चलाया जाता है इसमें दोषी पाए जाने पर 1 साल का कारावास तथा आर्थिक दंड शामिल है।
यह एक गैर संगे अपराध है इसमें किसी भी प्रकार कि सुलहा फैसला होना संभव नहीं है। परंतु यदि अपराधी उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल करता है। तब मजिस्ट्रेट के द्वारा इसे अधिक विचार ना करके जमानत याचिका को मंजूर कर लिया जाता है यह मजिस्ट्रेट द्वारा अधिक विचारणीय नहीं है।
वकील की जरूरत कब लगती है। (When lawyer is required)
किसी भी अपराध में जमानत पाने के लिए वकील की आवश्यकता बहुत अधिक होती है। वकील कानून का ज्ञाता होता है। उसे हरकेश के विषय में संपूर्ण जानकारी होती है किस मुकदमे को मजिस्ट्रेट के सामने किस प्रकार से पेश करना है। तथा मुकदमे को कैसे जीता जा सकता है इस विषय में पूरी जानकारी वकील को होती है। इसलिए यदि कोई व्यक्ति किसी मुकदमे को जीतना चाहता है उसे वकील की जरूरत अवश्य लगेगी।
यदि किसी मुकदमे को लड़ना है तो उसमें बकील एक बहुत अहम किरदार निभाता है। बिना वकील केस की गहराई को समझने में मदद नहीं मिलती इसलिए मुकदमे को जीतने के लिए वकील जरूर हायर करना चाहिए।
Note : लोक सेवक की सेवा लोगों के सेवा के लिए होते हैं सरकार लोक सेवकों की नियुक्ति जनता का भला करने के लिए तथा उनके हित समझने के लिए करती है इसलिए लोक सेवकों को कभी भी ऐसे कृत्य अंजाम नहीं देनी चाहिए। जिससे उनके सम्मान पर ठेस पहुंचे लोक सेवकों की इमेज बहुत साफ-सुथरी है तथा उन्हें समाज का उद्धार करने के लिए रखा जाता है इसलिए लोक सेवकों को लालच नहीं करना चाहिए तथा अच्छे से अपने कार्य को संपन्न करना चाहिए।
आर्टिकल से संबंधित प्रश्न एवं उनके उत्तर
आईपीसी की धारा 168 के अनुसार सजा के प्रावधान क्या है?
आईपीसी की धारा 168 के अनुसार यदि कोई लोकसेवक किसी व्यापार में कार्यरत पाया गया तब उससे 1 साल का कारावास तथा आर्थिक जुर्माना भुगतना होगा।
आईपीसी की धारा 168 एक ऐसा अपराध है?
आईपीसी की धारा 168 एक गैर संगे अपराध है।
आईपीसी की धारा 168 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
आईपीसी की धारा 168 का मुख्य उद्देश्य लोक सेवकों को अपने कार्य को सही से करने के लिए प्रेरित करना है। जिससे वह लालच में आकर अपना व्यापार ना करें तथा उसमें अपना ध्यान केंद्रित ना करें और लोगों की सेवा में अपना ध्यान लगाएं।
निष्कर्ष
आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको आईपीसी की धारा 168 के अनुसार धारा क्या है। इसमें किस प्रकार की सजा के प्रावधान है तथा इस में जमानत कैसे दी जाती है। इसके विषय में पूरी जानकारी प्रदान की है यदि टॉपिक से संबंधित आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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