आईपीसी की धारा 393 क्या है? | धारा 393 कब क्यों लगती है? | IPC Section 393 in Hindi

|| आईपीसी की धारा 393 क्या है? | धारा 393 कब क्यों लगती है? | IPC Section 393 in Hindi | आईपीसी की धारा 393 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 393 in Hindi | भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में सजा का क्या प्रावधान है? | भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में जमानत किस प्रकार मंजूर हो सकती है? ||

भारत तथा विश्व में अपने समाज को सुरक्षित तथा सफल बनाए रखने के लिए कानून बनाए जाते हैं कानून के माध्यम से व्यक्ति के दिमाग में अपराध करने पर उसकी सजा पाने का डर रहता है जिससे अपराधों में कमी आती हैं और एक शब्द समाज का निर्माण होता है। परंतु फिर भी कुछ लोग अपनी आदत नहीं सुधार पाते और किसी ना किसी गलत कृत्य को अंजाम अवश्य देते हैं ऐसे लोगों को ठीक करने के लिए कठोर  कानून बनाए जाते हैं।

भारत में कानून की एक पुस्तक भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) नाम से जानी जाती है। इस पुस्तक में हर प्रकार के अपराध के लिए एक कानून बना हुआ है तथा उसमें किस प्रकार की सजा व्यक्ति को दी जा सकती है। इसके विषय में बताया है इस पुस्तक के माध्यम से अमीर तथा गरीब हर प्रकार की व्यक्ति को एक सी सजा दी जाती है। इस पुस्तक के माध्यम से किसी व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता तथा कोई भी इस पुस्तक की अवहेलना नहीं कर सकता।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि आईपीसी की धारा 393 क्या है (What is IPC 393) इस धारा के अंतर्गत किस प्रकार के कानून आते हैं (laws under IPC 393)धारा के माध्यम से कितनी सजा दी जाती है। धारा लगने पर जमानत मिलना (BAIL under 393)संभव है या नहीं इसके विषय में जानकारी प्रदान करेंगे। यदि आप भी कानून को जानने में इच्छुक हैं या धारा के विषय में जानकर किसी की मदद करना चाहते हैं। तो आप हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़कर आईपीसी की धारा 393 के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

आईपीसी की धारा 393 क्या है? (What is IPC Section 393 in Hindi)

आईपीसी की धारा 393 के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति ने किसी के भी घर पर डकैती है चोरी करने का प्रयास किया है। तब ऐसे व्यक्ति पर आईपीसी की धारा 393 (section 393) लगाई जाती है और चोरी करने वाले व्यक्ति को 1 साल की कारावास की सजा (1 year imprisonment) सुनाई जाती है जिससे 7 साल तक किया जा सकता है इसमें आर्थिक जुर्माना भी शामिल है।

आईपीसी की धारा 393 क्या है धारा 393 कब क्यों लगती है IPC Section 393 in Hindi

अखबारों में बहुत सारी घटनाएं ऐसी होती हैं जिनमें अमीर घरों को निशाना बनाया जाता है। घर खाली होने पर डकैत या चोरों का एक समूह घर मैं चोरी करते हैं। बहुत सारे घटनाएं ऐसी हैं जिनमें घर में सदस्य होते हुए भी चोरों ने घर में चोरी की है। ऐसे ही अपराधों को आईपीसी की धारा 393 में रखा गया है धारा 393 को एग्जांपल के माध्यम से हम आपको समझाने का प्रयास करेंगे।

Ex. आकाश एक मजदूर है तथा वह एक फैक्ट्री में कार्यरत है। रात में वह अपनी फैक्ट्री से कार्य करके अपने घर की ओर लौट रहा था रास्ते में उसे एक बंगला दिखाई पड़ता है जिसके बाहर ताला लटका हुआ है तथा उस बंगले का पहरेदार भी कोई नहीं है। खाली घर को देखकर आकाश के मन में लालच आ जाता है तथा वह सोचने लगता है कि यदि मैंने इस घर में चोरी की तो मुझे कभी भी मजदूरी का काम करने की आवश्यकता नहीं होगी।

वह बंगले का ताला तोड़कर उसके अंदर घुस जाता है और तिजोरी से चोरी करने लगता है। इसी बीच बंगले के मालिक तथा परिवार के अन्य लोग बंगले में घुस आते हैं और आकाश को रंगे हाथों चोरी करते हुए पकड़ लेते हैं वह आकाश को तुरंत ही पुलिस के हवाले करते हैं और उस पर मुकदमा दायर किया जाता है। न्यायपालिका के द्वारा आकाश को दंडित किया जाता है।

आईपीसी की धारा 393 में सजा का प्रावधान (Punishment in IPC Section 393 in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में यदि किसी व्यक्ति ने चोरी यार डकैती करने का प्रयास किया है। तब उसे 7 साल की कठोर कारावास और आर्थिक दंड भुगतना पड़ता है। आर्थिक दंड इस बात पर निर्भर करता है कि चोरी कितने बड़े पैमाने पर की गई है। यदि चोरी अधिक पैसों की की गई है तब आर्थिक जुर्माना अधिक होगा यदि चोरी कुछ रुपयों की की गई है तो आर्थिक जुर्माना कम हो सकता है।

 इस प्रकार के अपराध गैर संगये होते हैं अर्थात इसमें किसी भी तरीके की फैसले की कोई गुंजाइश नहीं होती। यह न्यायपालिका द्वारा भी विचार नहीं होता है तथा मजिस्ट्रेट के द्वारा इसमें फैसला सुनाया जाता है। इसके पश्चात ही अपराधी को जमानत मिल सकती है।

आईपीसी की धारा 393 में जमानत का प्रावधान (Bail in IPC Section 393  in Hindi)

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में किया गया चोरिया डकैती का अपराध के लिए 7 साल का कठोर कारावास तथा आर्थिक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इस प्रकार के अपराध में किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है किसी अन्य व्यक्ति की मेहनत से कमाई हुई राशि को चोरी करके लाना एक कानूनन अपराध है। एक दूसरे नागरिक को परेशान करना भारत में कठोर अपराध माना जाता है इसलिए जिन व्यक्तियों पर धारा 393 लगती है उनकी जमानत हो पाना बहुत मुश्किल होता है।

यदि चोरी करते हुए अपराधी को रंगे हाथ पकड़ा जाता है तब अपराधी की जमानत हो पाना और भी मुश्किल हो जाता है। यह मजिस्ट्रेट के द्वारा विचार नहीं होता है कि वह अपराधी को जमानत देना चाहता है या नहीं अपराधी की जमानत इस बात पर भी निर्भर करती है कि अपराध किस स्तर का किया गया है। यदि डकैती बहुत बड़े पैमाने पर की गई है अपराधी को जमानत मिल पाना मुश्किल हो सकता है परंतु यदि कोई छोटी मोटी चोरी की गई है तब उसे समझा कर भी वापस किया जा सकता है।

वकील की जरूरत कब लगती है। (When lawyer is important)

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 (Indian Penal Code Section 393) लगने पर अपराधी पर चोरियां डकैती करने का इल्जाम लगता है। चोरिया, डकैती एक बहुत ही संगीन अपराध माना जाता है जिसके कारण ऐसे केस में जमानत मिल पाना बहुत मुश्किल होता है। कोई भी साधारण व्यक्ति इस प्रकार के केस को नहीं समझ सकता तथा मजिस्ट्रेट के सामने इस केस को कैसे रिप्रेजेंट करना है।

इसके विषय में भी जानकारी नहीं होती ऐसे केस को कैसे हैंडल किया जाता है तथा कैसे जीता जा सकता है उसे वकील ही बता सकता है। वकील अपने क्षेत्र में बहुत प्रांगण व्यक्ति होता है उसे कानून के विषय में पूरी जानकारी होती है और वह पहले भी ऐसे केस को लड़ चुका होता है। इसलिए ऐसे केस को मजिस्ट्रेट के सामने कैसे रिप्रेजेंट करना है और जीतना है इसके विषय में वकील को पूरी जानकारी होती है।

इसलिए इस प्रकार के केस में वकील की आवश्यकता अवश्य लेनी चाहिए जिससे अपराधी को जल्दी से जल्दी जमानत मिल सके ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति पर चला गया। मुकदमा झूठा हो तब वकील की सहायता से ऐसे मुकदमे से बरी हुआ जा सकता है इसलिए वकील की आवश्यकता अवश्य लेनी चाहिए।

Faq on IPC Section 393

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति ने चोरिया डकैती के अपराध को अंजाम दिया है तो उसे इसी कानून से सजा दी जाती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में सजा का क्या प्रावधान है?

धारा 393 के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति ने चोरी या डकैती के अपराध को अंजाम दिया है तब उसे 7 साल की कठोर कारावास की सजा एवं आर्थिक जुर्माना भरना पड़ सकता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में जमानत के क्या प्रावधान है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में यदि किसी व्यक्ति में चोरियां डकैती करने का प्रयास किया है तो उसे 7 साल का कठोर कारावास दिया जाता है इसमें दूसरे नागरिक को परेशान करने की मंशा जाहिर होती है इस कारण इस में जमानत मिल पाना बहुत मुश्किल है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में जमानत किस प्रकार मंजूर हो सकती है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 में जमानत मिल पाना पहले तो बहुत मुश्किल है यदि एक अच्छा वकील जो अपने फील्ड का ज्ञाता हो तथा पहले भी ऐसे प्रकार के केस जीत चुका हूं और अपने विषय में उसे पूरा ज्ञान हो वह अच्छे से मजिस्ट्रेट के सामने चीजों को रखता है तब जमानत मिल पाना संभव हो सकता है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 393 संज्ञेय अपराध है या गैर – संज्ञेय अपराध?

 भारतीय दंड संहिता धारा 393 एक संज्ञेय अपराध है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको आईपीसी की धारा 393 के विषय में बताया है कि आईपीसी की धारा 393 क्या है(What is IPC 393)इसमें किस प्रकार से सजा दी जाती है(Punishment under IPC 393)तथा इस में जमानत मिलने के कोई चांस होते हैं या नहीं इसमें वकील की आवश्यकता है ( इसके विषय में जानकारी दी है यदि आपके घर पर भी कोई ऐसा व्यक्ति है जो ऐसे केस में फंसा हुआ है और उसे छुड़ाने के लिए आप परेशान है तो आप हमारे आर्टिकल के माध्यम से ऐसे केस के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको पूरी जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है यदि फिर भी आपके मन में धारा 393 से संबंधित कोई प्रश्न है तो आप नीचे दिया कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं हमारा आर्टिकल पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।

Mukesh Chandra

मुकेश चंद्रा ने बीटेक आईटी से 2020 में इंजीनियरिंग की है। वह पिछले 5 साल से सामाजिक.इन पर मुख्य एडिटर के रूप में कार्यरत हैं, उन्हें लेखन के क्षेत्र में 5 वर्षों का अनुभव है। अपने अनुभव के अनुसार वह सामाजिक.इन पर प्रकाशित किये जानें वाले सभी लेखों का निरिक्षण और विषयों का विश्लेषण करने का कार्य करते है।

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