जन्म कुंडली देखने का फ्री तरीका? ऑनलाइन निशुल्क कुंडली कैसे देखें?

दोस्तों, हम जानते हैं कि भारतीय संस्कृति के अंतर्गत जन्मकुंडली का बहुत अधिक महत्व होता है। यही कारण है कि जब हिंदू धर्म में कोई बालक जन्म लेता है, तो उसके जन्म के समय को लिख लिया जाता है। ताकि उसकी जन्म कुंडली बनवाने में किसी प्रकार की समस्या ना आए। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जन्मकुंडली के माध्यम से जातक के भविष्य में होने वाली घटित संपूर्ण घटनाओं का पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है। परंतु बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो जन्मकुंडली से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के इच्छुक होते हैं। इसलिए हमारे द्वारा आप सभी को यहां What is the Birth chart? इसके बारे में विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है।

पहले के समय में जन्म कुंडली बनवाने के लिए लोग केवल पंडितों का सहारा लेते थे। परंतु आजकल के आधुनिक युग में लोग इंटरनेट की सहायता से भी अपने बच्चों की जन्म कुंडली बनवा लेते हैं। इंटरनेट से जन्म कुंडली बनवाने पर लोगों का समय भी बचता है। साथ ही साथ लोगों को सटीक जानकारी भी प्राप्त होती है।

लोग जन्मकुंडली तो बनवा लेते हैं, परंतु जन्मकुंडली को देखने के लिए उन्हें इसका ज्ञान होना आवश्यक होता है। इसीलिए आज हम आपको इस लेख में जन्म कुंडली देखने के तरीके के बताने जा रहे हैं। साथ ही साथ Janam kundali kya hoti hai? Janam kundali kaise dekhe? इसके बारे संपूर्ण जानकारी भी देंगे। अधिक जानकारी के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

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जन्म कुंडली क्या है? (What is the Birth chart?)

दोस्तों, बहुत से ऐसे लोग हैं। जो जन्म कुंडली के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें यही नहीं पता कि जन्म कुंडली क्या होती है? इसलिए हमारे द्वारा आप सभी को What is the Birth chart? इसके बारे में विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति अपने भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जाने का इच्छुक है। तो केवल जन्मकुंडली ही एक ऐसा साधन है। जिसके द्वारा इन लोगों के भविष्य का पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है। जन्मकुंडली के माध्यम से किसी भी व्यक्ति का स्वभाव चरित्र एवं उसकी उन्नति और अवनति का ज्ञान किया जा सकता है।

जन्म कुंडली देखने का फ्री तरीका ऑनलाइन निशुल्क कुंडली कैसे देखें

जन्मकुंडली आप सभी के जीवन के भाव, ग्रह और नक्षत्र से बनी होती है। जन्म कुंडली किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय को ग्रहों एवं राशियों की स्थिति को दर्शाने में सक्षम होती है। जन्म कुंडली के ही ग्रहों एवं राशियों के द्वारा जातक के जीवन पर पूर्ण रूप से प्रभाव डाला जाता है।

इन्हीं 12 ग्रहों एवं राशियों की स्थिति को जन्म कुंडली के अंतर्गत 12 वर्गों में विभाजित किया गया है। इन्हें 12 घर भी कहा जाता है। इन 12 घरों के अंतर्गत ही व्यक्ति के जीवन के भूत, वर्तमान एवं भविष्य काल की परिकल्पना की जा सकती है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन के बारे में बहुत कुछ बता सकते हैं।

जन्म कुंडली कैसे देखें? (How to see Birth chart?)

दोस्तों, यदि आपको पंडित के द्वारा या फिर ऑनलाइन माध्यम से बनाई गई जन्मकुंडली दे दी जाए, तो आप उसे आसानी से पढ़ नहीं सकते हैं। परंतु बहुत से लोग होते हैं, जो जन्म कुंडली को देखना चाहते हैं। इसलिए हम आपको यहां How to see Birth chart? के बारे में बता रहे हैं।

किसी भी जन्मकुंडली को देखने के लिए आप लोगों को सबसे पहले कुछ मूल बातों की जानकारी होना आवश्यक है। आपको महत्वपूर्ण पूर्ण तौर पर राशियों, ग्रहों और घरों के अर्थ और संकेतों को जानने की जरूरत होती है। यदि आप अपने ज्ञान को और भी अच्छा करना चाहते हैं, तो आप लोग नक्षत्रों के अर्थ और महत्व को सीखने में सक्षम होते हैं।

इतनी जानकारी हासिल करने के बाद आप सभी को लग्न, राशियों और घरों में ग्रहों का अर्थ के बारे में जानना होगा। जब आप इतना ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं, तो सामान्य रूप से किसी भी प्रकार की कुंडली को देखने में सक्षम होते हैं। इतने ज्ञान के साथ किसी भी कुंडली को देखते हुए आप जातक के मूल लक्षण और व्यक्तित्व तथा उनकी बीमारियों आदि के बारे में बताने में सक्षम होते हैं।

परंतु कुछ लोग होंगे, जो कुंडली देखने में महारत हासिल करने के इच्छुक होंगे। तो उन्हें उपरोक्त ज्ञान के साथ-साथ योगिनी, दशा, महादशा और अंतर्दशा के बारे में भी पता होना चाहिए। इस ज्ञान से आप भविष्य में घटित होने वाली अच्छी और बुरी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम होते हैं।

जन्म कुंडली देखने का सही तरीका? (The right way to see the birth chart?)

दोस्तों, कुंडली देखने के लिए आपको कुछ तरीकों के बारे में जानकारी हासिल करनी होगी। हम आपको कुछ तरीकों के बारे में यहां जानकारी दे रहे हैं। ताकि आप लोग सामान्य तौर पर किसी भी कुंडली को देखने में सक्षम हो सके। दोस्तों, जन्म कुंडली को देखने के लिए सही तरीके को तीन भागों में विभाजित किया गया है।

इन 3 तरीकों में से पहले तरीके में हम राशियों से संबंधित जानकारी प्राप्त करेंगे। वही दूसरे तरीके में हम कुंडली के भाव यानी घरों के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। इसके बाद तीसरे तरीके में हमें प्रत्येक घर में ग्रह की पहचान करनी होगी। इस प्रकार आप किसी भी कुंडली को देखने में सक्षम हो सकेंगे। हमारे द्वारा आप सभी को यह संपूर्ण जानकारी संक्षिप्त तौर पर निम्नलिखित प्रकार से दी गई है-

पहला चरण – राशियों की पहचान करना :-

दोस्तों, कुंडली के अंतर्गत प्रथम घर सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह जातक की लग्न राशि होती है। अब आप लोगों के मन में यह सवाल अवश्य आया होगा कि लग्न राशि से कुंडी का क्या संबंध है। तो हम आपको बता दें, लग्न राशि को ही केंद्र में रखकर कुंडली को बनाया जाता है। आपके जन्म के समय में आपकी कुंडली के पहले भाव में जो भी राशि होती है।

उसे ही आपकी लग्न राशि माना जाता है। यह लग्न राशि यानी पहला घर किसी भी जातक के शरीर, चरित्र, प्रसिद्धि, शक्ति, साहस, ज्ञान और भी अन्य इसी प्रकार के लक्षणों का प्रतिनिधित्व करता है। अर्थात लग्न राशि जातक के अस्तित्व को व्यक्त करती है। इसलिए कुंडली में लग्न राशि का बहुत अधिक महत्व होता है।

याद रखने वाली कुछ महत्वपूर्ण बातें:-

दोस्तों, किसी भी कुंडली में ग्रहों को अंको की संख्याओं के द्वारा तथा घरों को रोमन संख्याओं के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

  • मेष राशि को नंबर 1 के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है।
  • वृष राशि को नंबर 2 के माध्यम से दर्शाते हैं।
  • मिथुन राशि को 3 अंक के माध्यम से दर्शाया जाता है।
  • कर्क राशि को 4 अंक से प्रदर्शित किया जाता है।
  • सिंह राशि को नंबर 5 से दर्शाया जाता है।
  • कन्या राशि को 6 अंक से प्रदर्शित किया जाता है।
  • तुला राशि को 7 अंक से दर्शाया जाता है।
  • वृश्चिक को नंबर 8 से प्रदर्शित किया जाता है।
  • धनु राशि को नंबर 9 से प्रदर्शित किया जाता है।
  • मकर राशि को 10 अंक से दर्शाया जाता है।
  • कुंभ राशि को 11 अंक से दर्शाया जाता है।
  • मीन राशि को नंबर 12 से दर्शाया जाता है।

दूसरा चरण – कुंडली के भाव की जानकारी करना :-

ऊपर हमारे द्वारा आपको बताया गया है कि कुंडली में 12 घर या भाव होते हैं। जो शारीरिक लक्षणों, रुचियों और विशेषताओं के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन संबंधित विभिन्न प्रकार के पहलुओं को दर्शाते हैं। अतः हम सब कह सकते हैं कि घर के अंतर्गत स्थित ग्रह या राशि जातक के विभिन्न कारकों को प्रभावित करती है। इसके कारकों के बारे में हमारे द्वारा आप सभी को निम्न प्रकार से विस्तार पूर्वक जानकारी बताई गई है-

कुंडली का पहला घर – तनु भाव :- दोस्तों, पहले घर को तनु भाव, लग्न भाव या फिर स्व भी कहा जाता है। इस भाव के माध्यम से जातक के जन्म स्थान, चरित्र, सहन शक्ति, शक्ति, सम्मान और विशेषताओं आदि जैसे लक्षणों को दर्शाता है। जातक के शरीर के सामान्य लक्षण जैसे:- रंग, तिल, बालों की बनावट और निशान आदि भी इन चिन्हों से प्रदर्शित किए जाते हैं।

कुंडली का दूसरा घर – धन भाव :- यदि दूसरे घर की बात की जाए, तो दूसरा घर परिवार धन और वित्त का होता है। इस भाव के द्वारा आपका संबंध आपके परिवार तथा आपके जीवन साथी के साथ परिभाषित किया जाता है।

कुंडली का तीसरा घर – सहाय भाव :- कुंडली का तीसरा हर छोटे भाई-बहन, शौक और संचार का घर होता है। इसके साथ-साथ ज्योतिष में यह तीसरा भाव साहस, बुद्धि तथा उच्च माध्यमिक शिक्षा आदि का भी प्रतीक माना जाता है।

कुंडली का चौथा घर –  बंधु भाव :- कुंडली के हर घर में आपको जातक की जानकारियां प्राप्त होती है। उसी प्रकार कुंडली का चौथा घर परिवार की सुख संपत्ति, घरेलू परिवेश और मां आदि को प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही इस घर के कारण जातक के जीवन में आने वाली सुख सुविधाएं और परेशानियां भी प्रभावित होती है।

कुंडली का पांचवा घर – पुत्र भाव :-  ज्योतिष में जो पांचवा घर होता है। वह बुद्धि, रचनात्मकता, प्रेम, संबंध और ऐसी ही भावपूर्ण लक्ष्मण के बारे में जानकारी देता है। इसके साथ-साथ यह पांचवा घर उच्च शिक्षा, संतान और पिछले जीवन के कर्मों का भी प्रतिनिधित्व करता है।

कुंडली का छठां घर – अरि भाव :- कुंडली के अंतर्गत उपस्थित छठां घर जातक के कर्ज, पेश और बीमारियों से संबंधित जानकारी देता है। यदि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में तथा अपने करियर में सफलता प्राप्त करता है, तो उसका एक कारण कुंडली के छठे घर का सकारात्मक होना भी होता है। साथ ही साथ इस घर के द्वारा बताया जाता है की जातक को कोई भी बीमारी कम या ज्यादा कैसे हो सकती है अर्थात हम कह सकते हैं कि यह घर भविष्यवाणी भी कर सकता है।

 कुंडली का सातवां घर – युवती भाव :- ज्योतिष के अंतर्गत उपस्थित सप्तम भाव में पति, पत्नी, साझेदारी, बाहरी यौन अंग, वासना, व्यभिचार, साझेदारी और चोरी आदि जैसे लक्षण के बारे में जानकारी प्रदान करता है। व्यापार के अंतर्गत होने वाली साझेदारी भी इसी घर के द्वारा प्रदर्शित की जाती है।

कुंडली का आठवां घर – रंध्र भाव :- जातक की कुंडली में उपस्थित आठवें भाव के माध्यम से अप्रत्याशी घटनाएं, मृत्यु, हार, अपमान, दीर्घायु, मानसिक विकार और अनुचित साधनों के माध्यम से व्यक्ति आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इस घर के सकारात्मक तथा नकारात्मक होने पर व्यक्ति पर बहुत अधिक महत्व प्रभाव पड़ते हैं।

कुंडली का नवा घर – धर्म भाव :- ज्योतिष के अंतर्गत जो नोवा घर होता है। वह पिता, विदेश यात्रा, प्रचार, भाग्य और धर्म आदि का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा यह घर मनुष्य में पोषण कार्य का भी प्रतिनिधित्व करने का कार्य करता है। इस घर का भी जातको पर बहुत अधिक प्रभाव होता है।

 कुंडली का दसवां घर – कर्म भाव :- आज के समय में लोग कैरियर से बहुत परेशान रहते हैं, तो हम आप लोगो को बता दें, की ज्योतिष का यह दसवां घर जातकों के करियर, कर्म, नौकरी और पेशे के बारे में होता है। अर्थात हम सब लोग कह सकते हैं। की कुंडली का दसवां घर वह भाव होता है, जिसके आधार पर व्यक्ति के पेशे की भविष्यवाणी की जा सकती है।

कुंडली का ग्यारवह घर – लाभ भाव :- ज्योतिष का 11वां घर बड़े भाई बहनों से लाभ, आपके लक्ष्य, महत्वाकांक्षा और आय आदि का होता है। इस प्रकार के सभी लक्षणों का अनुमान कोई भी व्यक्ति ज्योतिष के ग्यारहवें भाव को पढ़कर ही लगा पाता है। यह इन सबके साथ साथ प्राकृतिक के द्वारा प्रदान किए जाने वाले लाभ, खोई हुई संपत्ति और रिटर्न को भी प्रदर्शित करता है।

कुंडली का बारवां घर – व्यय भाव :- अंत में ज्योतिष बारवां घर बिस्तरों के मुख, निजी शत्रुओं, मुकदमे, कारावास, गुप्त कार्य, मोक्ष, अस्पताल में भर्ती और वैध के अलावा विपरीत लिंगों के साथ वैवाहिक संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है। साथ ही साथ दुख, खोया हुआ माल और कर्ज आदि भी इस घर के प्रतीक है।

दोस्तों, कुंडली में उपस्थित सभी भाव जातक के जीवन को पूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।

तीसरा चरण – कुंडली में नौ ग्रहों की पहचान करना :-

दोस्तों, अब हम आपको बताएंगे कि कुंडली में नौ ग्रह की पहचान आप किस प्रकार कर सकते हैं। जैसा कि हमने आपको बताया है कि आपके जन्म के समय आपकी कुंडली बनाई जाती है। उस समय ज्योतिष के नौ ग्रह किसी ना किसी भाव में अवश्य ही विराजमान रहते हैं। कभी-कभी एक घर में 1 से अधिक ग्रह भी उपस्थित होते हैं। इन सभी ग्रहों में से प्रत्येक ग्रह अपनी विशेषताओं को धारण किए होता है। यह ग्रह विभिन्न राशियों और ग्रहों के संयोजन में अलग-अलग प्रकार का व्यवहार कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, शनि ग्रह शुक्र और मेष राशि के ग्रह का शत्रु होता है। यदि यह तीनों एक घर में विराजमान होते हैं, तो परिणाम खराब होने की अधिक संभावना होती है। परंतु आप सभी के मन में अवश्य ही सवाल आया होगा, कि हमें कैसे पता चलेगा कि कौन सा ग्रह किसका शत्रु है तथा किसका दोस्त है, तो हम आपको बता दें कि इसे समझना भी बेहद आसान है। परंतु इसके लिए आपको उच्चाटन और दुर्बलता की शर्तों को समझना आवश्यक होता है। हमारे द्वारा आप सभी को नीचे ग्रह, उनकी स्वराशि, उच्च और नीच राशियों की एक तालिका दी गई है-

ग्रह स्वराशि उच्च राशि नीच राशि
सूर्य सिंहमेषतुला
चंद्रमाकर्कवृषभवृश्चिक
मंगलमेष व वृश्चिकमकरकर्क
बुधमिथुन व कन्याकन्यामीन
गुरुधनु व मीनकर्कमकर
शुक्रवृष व तुलामीनकन्या
शनिमकर कुंभतुलामेष
राहुधनुमिथुन
केतुमिथुनधनु

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सूर्य :- सूर्य सभी ग्रहों को ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करता है। सूर्य को आकाशीय पिंडों का राजा भी कहा जाता है। हम सब ने सुना है कि सूर्य के द्वारा ही दुनिया रोशनी प्राप्त होती है। ज्योतिष के अंतर्गत सूर्य ग्रह “सिंह राशि” पर राज करता है। जबकि यही सूर्य मेष राशि में उच्च और तुला राशि में नीच होता है

चंद्रमा :- चंद्रमा ग्रह के द्वारा जातक के “मन” को दर्शाया जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा ग्रह स्त्री प्रकृति का होता है। यदि जन्म कुंडली में सूर्य के साथ इसके विपरीत उपस्थिति होती है। तो यह एक अच्छा योग बनाती है। कुंडली के अंतर्गत चंद्रमा “कर्क राशि” पर शासन करता है। साथ ही साथ वृषभ में उच्च और वृश्चिक में नीच होता है।

मंगल :- वैदिक ज्योतिष के अंतर्गत मंगल ग्रह लड़ने की क्षमता और आक्रामकता का प्रतिनिधित्व करता है यदि यह घर में उपस्थित होता है तो इसकी उपस्थिति जातक को कठिन परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है मंगल ग्रह “मेष राशि” और “वृश्चिक राशि” पर शासन करता है। जबकि यह कन्या राशि में उच्च तथा मकर में नीच होता है

 बुध :- बुध ग्रह के द्वारा जातक की तार्किक और गुणात्मक क्षमता को दर्शाया जाता है। इस संकेत को मजाकिया और भगवान का दूत भी कहा जाता है। बुध ग्रह के द्वारा “मिथुन” और “कन्या राशि” पर शासन किया जाता है। जबकि यह कन्या राशि में उच्च का और मीन राशि में नीच का होता है।

बृहस्पति :- बृहस्पति ग्रह के माध्यम से व्यक्ति के ज्ञान का प्रतिनिधित्व होता है। इसीलिए इसे गुरु या शिक्षक के नाम से भी जाना जाता है। हम आपको बता दें, कि बृहस्पति ग्रह सभी ग्रहों में सबसे अधिक लाभकारी ग्रहों में से एक होता है। ज्योतिष के अंतर्गत बृहस्पति ग्रह “धनु” और “मीन राशि” पर शासन करता है। साथ ही साथ यह कर्क में उच्च और मकर में नीच का होता है।

शुक्र :- ज्योतिष के अंतर्गत शुक्र ग्रह के द्वारा जीवन में विभिन्न प्रकार की भावपूर्ण चीजों जैसे:- प्रेम, रोमांस और सौंदर्य आदि का प्रतिनिधित्व किया जाता है। इसके साथ साथ शुक्र ग्रह को जातकों के वित्त से संबंधित भी माना जाता है। शुक्र ग्रह के द्वारा “वृषभ” और “तुला राशि” पर शासन किया जाता है। जबकि यह मीन में उच्च का और कन्या में नीच का होता है।

 शनि :- शनि ग्रह एक ऐसा ग्रह है, जिसे न्याय करने की इच्छा के लिए जाना जाता है। शनि ग्रह के द्वारा व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसे फल या दंड दिया जाता है। साथ ही साथ शनि ग्रह के द्वारा उस धैर्य को दर्शाया जाता है, जो व्यक्ति के अंतर्गत समाहित होता है। शनि ग्रह “मकर” और “कुंभ राशि” पर शासन करता है तथा तुला राशि में उच्च का और मेष राशि में नीच का होता है।

राहु :- राहु को भौतिकवादी चीजों का लालच कहा जाता है। जबकि इसे ग्रह होने से रोक दिया गया है। यह अशरीरी है, यही गुण राहु को और अधिक चाहता है क्योंकि राहु कभी भी संतुष्ट नहीं होता है। राहु के लिए कोई भी विशिष्ट राशि नहीं होती है क्योंकि राहु जिस राशि या ग्रह के अंतर्गत विराजमान होता है। उसी की तरह व्यवहार करने लगता है। जबकि माना जाता है कि राहु “वृषभ / मिथुन” में उच्च का तथा “वृश्चिक / धनु” में नीच का होता है।

केतु:- केतु को भी केतु के होने का सुख प्राप्त नहीं होता है क्योंकि यह एक दानव की पूछ है। इसके द्वारा केवल ज्ञान की तलाश की जाती है और मोक्ष का प्रतिनिधित्व किया जाता है। ऐसा माना जाता है, कि केतु के द्वारा मंगल ग्रह की तरह ही व्यवहार किया जाता है। ज्योतिष के अंतर्गत केतु ग्रह “वृश्चिक / धनु” में उच्च का और “वृषभ / मिथुन” में नीच का होता है।

हमारे द्वारा आपको ऊपर जन्मकुंडली को देखने का सही तरीका बता दिया गया है। इस विद्या को पूरी तरीके से अपने अंदर समाहित करने के लिए आप सभी को इसमें बहुत अधिक मेहनत करने की आवश्यकता होती है। जिसके बाद ही आप इस क्षेत्र में महारत हासिल कर सकते हैं।

ऑनलाइन जन्म कुंडली कैसे बनाये? (How to make the Birth chart online?)

दोस्तों, बहुत से लोगों के मन में यह सवाल आता होगा कि How to make the Birth chart online? तो हम आप सभी को बता दें जिस प्रकार आज के युग में ऑनलाइन माध्यम से सभी कार्य होते हैं इसी प्रकार ऑनलाइन माध्यम से जातक अपनी जन्म कुंडली बनवाने में भी सक्षम हो सकते हैं आपको आज के समय में इंटरनेट पर ऐसी बहुत सी वेबसाइट मिल जाएंगी जहां पर आप फ्री में ऑनलाइन माध्यम से अपनी सटीक जन्मकुंडली को बनवा सकते हैं

दोस्तों, जन्म कुंडली बनवाने के लिए आप लोगों के पास अपनी जन्मतिथि, साल, समय और स्थान की पूरी सही जानकारी होनी आवश्यक है। जन्म कुंडली बनवाने के लिए आपको कुछ ऐसी वेबसाइट की जानकारी होना बेहद आवश्यक है। जहां आप फ्री में अपनी जन्म कुंडली बनवा सकें। परंतु इनके बारे में सभी लोगों को जानकारी नहीं होती है। इसलिए हमारे द्वारा आप सभी को नीचे कुछ ऐसी वेबसाइट के बारे में बताया गया है। जिस पर आप मुफ्त में ऑनलाइन जन्म कुंडली बना सकते हैं-

  • https:// www.astrosage.com/
  • https://www.mpanchang.com/
  • https://astrotalk.com/
  • https://www.astroyogi.com/
  • https://vedicrishi.in/

जन्म कुंडली क्या होती है? इससे संबंधित प्रश्न व उत्तर (FAQs)

Q:- 1. जन्म कुंडली क्या होती है?

Ans:- 1. जन्मकुंडली जातकों के जीवन के भाव ग्रह और नक्षत्रों से बनी हुई होती है। इन सभी ग्रहों और राशियों की स्थिति किसी भी जातक के जीवन पर परोक्ष रूप से असर डालने में सक्षम होती है। कोई भी व्यक्ति यदि अपने भूत, वर्तमान या भविष्य को जानना चाहता है। तो वह केवल जन्मकुंडली के माध्यम से ऐसा कर सकता है।

Q:- 2. जन्म कुंडली कैसे देखें?

Ans:- 2. जन्म कुंडली देखने के लिए लोगों को ग्रह नक्षत्र आदि से संबंधित जानकारी होना बेहद आवश्यक होता है। आपको राशियों ग्रहों और घरों के अर्थ और संकेतों को जानने की जरूरत होती है। इसके अतिरिक्त भी आपको जन्म कुंडली देखने के कुछ तरीकों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।

Q:- 3. जन्म कुंडली देखने का सही तरीका क्या होता है?

Ans:- 3. जन्म कुंडली देखने के सही तरीकों को तीन भागों में विभाजित किया गया है। पहले तरीके में राशियों के बारे में जानना होता है, दूसरे तरीके में हम सब कुंडली के भाव यानी कि घर के बारे में जानकारी हासिल करते हैं तथा तीसरे तरीके मे प्रत्येक घर में ग्रह की पहचान करते हैं ।

Q:- 4. कुंडली के अंतर्गत ग्रहों एवं राशियों की स्थिति कैसी होती है?

Ans:- 4. कुंडली के अंतर्गत ग्रहों एवं राशियों की स्थिति को 12 भागों में विभक्त किया गया है। इन्हें 12 घर भी कहा जाता है। यह 12 घर किसी भी जातक के जीवन पर बहुत प्रभाव डालते हैं।

Q:- 5. कुंडली में घरों और ग्रहों को कैसे दर्शाया जाता है?

Ans:- 5. किसी भी कुंडली में ग्रहों को अंको (1-12) से तथा घरों को रोमन (I-XII) संख्याओं से प्रदर्शित किया जाता है। उदाहरण के लिए, मेष राशि को नंबर 1 से दर्शाया जाता है। इसी प्रकार अन्य राशियों के लिए बही खुद के नंबर होते हैं।

Q:- 6. ज्योतिष में नौ ग्रह कौन-कौन से होते हैं?

Ans:- 6. जिस प्रकार ज्योतिष के अंतर्गत 12 घर यानी भाव उपस्थित होते हैं। उसी प्रकार उसने नौ ग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु होते हैं।

Q:- 7. ऑनलाइन जन्म कुंडली कैसे बनाएं?

Ans:- 7. दोस्तों, आज के आधुनिक समय में जन्म कुंडली ऑनलाइन माध्यम से बहुत ही आसानी से बनवाई जा सकती है। आप इंटरनेट पर ऐसी बहुत सी वेबसाइट प्राप्त कर सकते हैं। जहां पर मुफ्त में जन्म कुंडली बनाई जाती है। यदि आप वेबसाइट के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख में हमारे द्वारा आपको वेबसाइट के बारे में बताया गया है।

निष्कर्ष (Conclusion)

आज हमारे द्वारा आप सभी को इस लेख के अंतर्गत What is Birth chart? How to see Birth chart? How to see birth charts online? आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है। जो लोग जन्मकुंडली को पढ़ना नहीं जानते हैं, उन सभी के लिए हमारा यह लेख फायदेमंद साबित होगा क्योंकि हमारे द्वारा इस लेख में आपको स्टेप बाय स्टेप संपूर्ण जानकारी दी गई है। हम उम्मीद करते हैं कि आप सभी को हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी बेहद पसंद आई होगी। यदि आपको जन्म कुंडली से संबंधित कोई और जानकारी प्राप्त करनी है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बता सकते हैं। साथ ही इस लेख को अपने सभी जरूरतमंदों दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले तथा ऐसी ही जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट के साथ जुड़े रहे हैं।

रिया आर्या

मैं शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। शुरू से ही मुझे डायरी लिखने में रुचि रही है। इसी रुचि को अपना प्रोफेशन बनाते हुए मैं पिछले 3 साल से ब्लॉग के ज़रिए लोगों को करियर संबधी जानकारी प्रदान कर रही हूँ।

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